RE: Thriller Sex Kahani - सीक्रेट एजेंट
“मुंह से बोल !”
“ओ-ओके ।”
“हैण्डबैग का जिक्र जुबान पर आया, इसका खयाल भी किया, तो” - महाबोले ने कहरभरी निगाह उस पर डाली - “प्राण खींच लूंगा अ आया मगज में ?”
“हं-हां ।”
“वो शापिंग बैग । खाली करके मेरे को दे ।”
उसने आदेश का पालन किया ।
महाबोले ने हैण्डबैग को शापिंग बैग में डाला, शापिंग बैग को दोहरा किया और उसे बगल में दबा कर, अपनी खूंखार निगाह से आखिरी बार मिसेज वालसन के प्राण कंपा कर, वो वहां से रूखसत हुआ ।
महाबोले मौकायवारदात पर पहुंचा ।
सिपाही दयाराम भाटे उसे रेलिंग के साथ लगा खड़ा मिला । उसने हौले से हार्न बजाया । भाटे की तवज्जो उसकी तरफ गयी तो वो लपक कर करीब पहुंचा और रसमी सैल्यूट मारा ।
“बाकी लोग कहां हैं ?” - महाबोले ने पूछा ।
“जोशी और महाले नीचे ढ़लान पर हैं । कुछ छापे वाले पहुंच गये हैं, फोटू निकालना चाहते हैं, दोनों उनको कंट्रोल कर रहे हैं ।”
“हवलदार खत्री !”
“घर चला गया ।”
“क्या ?”
“एसआई साहब से पूछ कर गया । बोला, तबीयत खराब । थोबड़ा सूजा था न ! बोला दुखता था !”
“स्साला हलकट !”
“साब जी, मैं तीस घंटे से ड्यूटी पर हूं, मेरे पर भी तो कुछ रहम कीजिये ।”
“अभी । अभी । पहले एक काम कर ।”
“और काम ?”
“अरे, कहीं जाना नहीं है । जो करना है, यहीं करना है ।”
“ओह !”
“टॉप सीक्रेट काम है । बोले तो महाबोले का काम है पर एक तरह से सारे थाने का भी है ।”
“ऐसा ?”
“हां । भाटे, अभी टेम खराब । महाबोले पर कोई गाज गिरेगी तो सारे थाने पर बराबर गिरेगी । ऊपर से कोई एक्शन हुआ तो अकेले महाबोले पर नहीं होगा, सारा थाना लाइन हाजिर होगा । अभी आई बात समझ में ?”
“हां, साब जी । आप काम बोलो ।”
“बहुत होशियारी से, बहुत खुफिया तरीके के काम करना है । किसी को भनक न लगने पाये कि क्या किया ! कर लेगा ?”
“साब जी, काम तो बोलो ।”
“भाटे, काम का एक ईनाम तो अभी है, बाकी बड़ा ईनाम बाद में ।”
“ईनाम न भी हो तो वांदा नहीं साब जी । आपका काम किया, आपने काम के लिये मुझे चुना, यही कोई कम ईनाम नहीं ।”
“शाबाश । ये बैग पकड़ ।”
“क्या है इस में ?”
“मकतूला का हैण्डबैग है जो बरामद नहीं हुआ । अब होगा ।”
भाटे के नेत्र फैले ।
“हैण्डबैग में चौदह सौ रूपये हैं, निकाल लेना काम का अभी का ईनाम समझ के और हैण्डबैग को ठिकाने लगाना ।”
“कहां ?” - भाटे पूर्ववत् नेत्र फैलाये बोला ।
“नाले में । लेकिन मौकायवारदात से परे, आगे कहीं । ताकि ऐसा लगे कि कत्ल के बाद कातिल ने हैण्डबैग से रोकड़ा निकाल कर उसे नाले में फेंका तो वो आगे बह गया । समझ गया ?”
“हां, साब जी ।”
“इस बात की खास एहतियात बरतनी है कि तुझे नाले में हैण्डबैग फेंकता कोई देखने न पाये । काम होने में देर भले ही लग जाये लेकिन जो किया, उसका गवाह नहीं होना चाहिये । कर लेगा ?”
“हां, साब जी ।”
“होशियारी से ! मुस्तैदी से ! जैसे समझाया, वैसे !”
“हां, साब जी ।”
“भाटे, तू मेरे भरोसे का आदमी है, इसी वास्ते तेरे को बोला ।”
“आपका भरोसा कायम रहेगा, साब जी, कोई शिकायत नहीं होगी ।”
“शाबाश !”
“बाद में बरामदी भी दिखानी होगी !”
“क्या बोला ?”
“हैण्डबैग की, साब जी ! मुजरिम के खिलाफ केस मजबूत करने के लिये !”
“बरामदी तूने नहीं दिखानी, भाटे । तू हैण्डबैग की बाबत कुछ नहीं जानता । ताकीद रहे । कोई दूसरा-पुलिस वाला, छापे वाला, पब्लिक-बरामद करता है तो करे, तूने हैण्डबैग का नाम नहीं लेना, जो कहा है, उसे कर चुकने के बाद खयाल भी नहीं करना हैण्डबैग का । क्या !”
“बरोबर, साब जी ।”
“मैं जाता हूं । किसी को बोलना जरूरी नहीं कि मैं इधर आया था ।”
“ठीक । पण, साब जी, मेरे को छुट्टी....”
“दो घंटे और सब्र कर । थाने से भेजता हूं किसी को तेरे को रिलीव करने के लिये ।”
“शुक्रिया, साब जी ।”
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