Thriller Sex Kahani - सीक्रेट एजेंट
10-27-2020, 03:05 PM,
#74
RE: Thriller Sex Kahani - सीक्रेट एजेंट
“साला मेरे सामने आने से पहले ही ?”
“उसके बाद । आप इजाजत देंगे तो उसके इमीजियेट बाद ।”
“हूं ।”
“आजकल जो हाल इधर है, उसमें किसी के डूब मरने के, समुद्र में बह जाने के चांसिज बहुत है । जब कभी भी इधर तूफान वाले हालात बनते है, सात-आठ लोकल भीङू लापता हो जाते हैं । सब समझते हैं कि तूफान में फंस गये, डूब मरे, बह गये । ऐसा ही हाल गोखले का हो जाना क्‍या बड़ी बात होगी ! हादसा किसी के साथ भी हो सकता है ।”
“हूं ।”
“पर वो पहले मिले तो सही !”

“ये गारंटी कि है वो आइलैंड पर ही ?”
“हां । मेन पायर पर मैंने वाच का इंमजाम किया हुआ है ।
“आइलैंड से निकलने के लिये उधर पहुंचना जरूरी है । अभी तक नहीं पहुंचा ।”
“वांदा नहीं । मैं वेट करता है । अभी मेरे काम का बोलो ।”
“मैं हवलदार जगन खत्री को लगाता हूं ।”
“पण...”
“बॉस, वो पर्फेक्‍ट काम करेगा । मैं उसकी जिम्‍मेदारी लेता हूं । कोई फच्‍चर पड़े तो मेरे को पनिश करना । भले ही गोली मार देना ।”
“हूं । ओके ।”
महाबोले ने चैन की सांस ली ।गार्ड्
***
उस घड़ी नीलेश कोस्‍ट गार्ड्‌स की छावनी में डिप्‍टी कमांडेंट की स्‍पैशल टेलीफोन लाइन पर मुम्‍बई, डीसीपी नितिन पाटिल से बात कर रहा था ।

जायंट कमिश्‍नर मोरावाला और डीसीपी पाटिल पिछले राजे ही मुम्‍बई लौट गये हुए थे ।
लाइन पर डिस्‍टर्बेंस थी इसलिये नीलेश को ऊंचा बोलना पड़ रहा था, दोहरा कर बोलना पड़ रहा था ।
“सर” - वो कह रहा था - “यही टाइम है स्‍ट्राइक का । अब जरा भी देरी ठीक न होगी ।”
“अभी मुमकिन नहीं । ऐसे आपरेशंस को सैट करने में टाइम लगता है ।”
“सर आवाज नहीं आ रही ।”
“वेट करना पडे़गा ।”
“वेट से काम खराब हो सकता है, सर । आइलैंड का माहौल खराब है । स्‍टॉर्म वार्निंग की वजह से इधर भगदड़ मची है । यहां की त्रिमूर्ति भी किसी भी घड़ी इधर से पलायन कर सकती है ।”

“महाबोले ऐसा नहीं कर सकता । वो सरकारी आदमी है । सरकारी हुक्‍म के बिना उधर से नहीं हिल सकता, चाहे कुछ हो जाये ।”
“ले‍किन, सर...”
“तुम समझते नहीं हो । ऐसी बातों में टाइम लगता है । तैयारी में भी और स्‍ट्राइक की बाकायदा परमिशन हासिल करने में भी । ये काम मेरे खुद के करने का होता तो मैं उधर से जाता ही नहीं ।”
“मैं समझता हूं, सर, लेकिन...”
“मैं वार फुटिंग पर तैयारी कराता हूं । तुम बस दो घंटे इंतजार करो ।”
“उतने में वो कहीं के कहीं होंगे ।”
लाइन पर खामोशी छा गयी ।

“तुम उन पर वाच रखो ।” - आखिर डीसीपी बोला - “अगर वो पलायन करेंगे तो इकट्‌ठे करेंगे । मैं डिप्‍टी कमांडेंट अधिकारी को इधर से स्‍पैशल ऑर्डर जारी करवाने का इंतजाम करता हूं कि इमरजेंसी में कोस्‍ट गार्ड्‌स पुलिस का काम करें, तुम्‍हारी मदद करें ।”
“अच्‍छा !”
“यूं तुम्‍हारे हाथ मजबूत होंगे और सूझबूझ से काम लोगे तो तुम्‍हीं वो सब कर गुजरोगे जो हमने वहां आकर करना है । ऐसा कर सके तो तुम्‍हारे और सिर्फ तुम्‍हारे सिर कामयाबी का सेहरा होगा ।”
“मैं अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोङूंगा, कोई कोशिश उठा नहीं रखूंगा ।”

“यस, दैट्स दि स्पिरिट ।”
“सर, मौसम खराब है, और खराब होता जा रहा है, आप लोग इधर पहुंच सकेंगे ?”
“पहुंचना ही होगा, चाहे तबाही आ जाये ।”
“थैंक्‍यू, सर ।”
डीसीपी नितिन पाटिल जायंट कमिश्‍नर बोमन मोरावाला के कमरे में पहुंचा ।
“सर, क्‍या हो रहा है ?” - उसने चिंतित भाव से पूछा ।
“स्‍ट्राइक की रिटन परमिशन आ गयी है ।” - मोरावाला बोला - “जवान तैयार हैं ।”
“गुड ! फिर देर किस बात की है ?”
“मूवमेंट में फच्‍चर है ।”
“जी !”
“उधर मौसम इतना खराब हो गया है कि हैलीकाप्‍टर से नहीं पहुंचा जा सकता । स्‍ट्राइक के तमाम साजोसामान के साथ और जवानों के साथ वहां के मौजूदा मौसम में, जो कि अभी और बिगड़ रहा है, पांच हैलीकाप्‍टर उधर लैंड नहीं कर सकते । कोशिश के डिजास्‍ट्रस रिजल्‍ट्स हो सकते हैं ।”

“फिर ?”
“कमिश्‍नर साहब नेवी की मदद हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं । नेवी की कोई स्‍ट्रांग, वैदरप्रूफ वैसल हमें उधर पहुंचा सकती है ।”
“सर, वो मदद तो हासिल होते होते होगी, तब तक क्‍या होगा ?”
“इंतजार के सिवाय कोई चारा नहीं पाटिल, वुई ऑर टु वेट ।”
“सर, एक घंटा पहले डिप्‍टी कमांडेंट हेमंत अधिकारी को आर्डर इशु कराये जाने की बात हुई थी !”
“उसमें तो और भी बड़ा फच्‍चर पड़ा है ।”
“क्‍या ?”
“हेमंत अधिकारी को हुक्‍म हुआ है कि वो फौरन चौकी खाली कर दे । अपने तमाम के तमाम आदमियों के साथ एक मिनट भी जाया किये बिना आइलैंड से सेफर प्‍लेस के लिये कूच कर जाये ।”

“ओह, नो ।”
“दिस इज राइट फ्रॉम हार्सिज माउथ । कोस्ट गार्ड्‌स का टॉप बॉस खुद मेरे को इस आर्डर की बाबत बोला ।”
“सर, वुई आर लैटिंग डाउन अवर मैन देयर ।”
“वाट्स दैट ?”
“गोखले वहां अकेला है । बेमददगार है । मैंने उसे इस उम्‍मीद पर अपने बलबूते पर एक्‍ट करने को बोला था कि तब तक उसे कोस्‍ट गार्ड्‌स की आफिशियल मदद हासिल हो जायेगी । उसे नहीं मालूम फिलहाल ऐसी कोई मदद उसे हासिल नहीं होने वाली । मैंने उसे भरोसा दिलाया था हम दो घंटे में वहां होंगे, अब लगता है कि वो भी नहीं हो पायेगा ।”
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RE: Thriller Sex Kahani - सीक्रेट एजेंट - by desiaks - 10-27-2020, 03:05 PM

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