RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
इससे पहले अमित कुछ बोलता, उसका लंड मेरे मुँह में और उसी समय उसके लंड ने मेरे मुँह में उल्टी कर दी, अमित के रस से मेरा मुँह भर गया और मैं धीरे-धीरे उसके माल को गटक गई। अमित का लंड मुरझा चुका था और इधर मेरे प्रेशर भी बढ़ रहा था। मैं खड़ी हुई और अमित को घुटने के बल बैठाते हुए बोली- अपना मुंह खोलो, मेरे चूत के रस का आनन्द लो!
अमित बिना कुछ कहे मेरी चूत को चाटने लगा, तभी मैंने हल्की सी धार छोड़ी और अपने आपको रोक ली और अमित का रियेक्शन देखने लगी। अमित बुरा सा मुँह बनाते हुए बोला- मादर...
फिर अपने आपको सम्भालते हुए बोला- भाभी ये क्या है?
मैं बड़ी ही सहजता से बोली- मेरा पानी है और क्या!
और उसके सिर को पकड़ते हुए उसके मुंह को फिर मैंने अपनी चूत पर सेट किया।
अमित बोला- भाभी ये नहीं पीना है।
मैं - 'क्यों जीजू, उस दिन तो बड़ी शेखी बघार रहे थे कि मेरी जैसी के हाथ से जहर पीने को मिले तो वो भी पी लोगे, आज क्या हो गया है और अभी अभी तुमने वादा किया था कि तुम मेरी कोई बात नहीं काटोगे और अपने आपको मेरा गुलाम बोले थे।'
मैं नहीं चाहती थी कि उसे कोई धमकी देनी पड़े। मैंने उसके बालों को बड़े प्यार से सहलाया और
बोली- जीजू, तुम मेरे लिये अजनबी मर्द थे, तुम ही मेरे पास आये थे और मैंने तुम्हारी बात रख ली, अब तुम मेरी बात रख लो।
दो चार बार बहलाने और फुसलाने से अमित मान गया और अपने मुंह को खोल दिया। मैंने भी बड़े इतमीनान से उसके मुँह में अपने पेशाब की धार छोड़ दी और अमित उसको पीने लगा। उसके बाद अमित के बांहो में चिपक गई और उसके गांड को सहलाते हुए
बोली- जीजू, क्या तुमने अपनी बीवी की गांड कभी मारी है?
बीवी का नाम सुनते ही वो थोड़ा सा भड़क गया,
बोला- भाभी, जिस औरत ने आज तक मुझे अच्छी तरह से अपनी चूत तो चोदने नहीं दी तो वो अपनी गांड मुझसे क्यों मरवायेगी।
मैं अमित से अलग हुई और बोली- तुम अगर तैयार हो तो मैं नमिता को तैयार कर लूँगी कि वो तुमसे अपनी गांड का भी उदघाटन करवा ले! आज जो नमिता ने तुमको मजा दिया है वो मेरी ही बदौलत दिया है।
अमित ने तुरन्त मेरे हाथों को चूमते हुए थैंक्यू बोला और नमिता की गांड के लिये भी राजी हो गया। अमित इतना उत्साहित था कि उसने बाकी कुछ नहीं पूछा। उसके उत्साह को ब्रेक लगाते हुए
मैं बोली- एक शर्त है।
अमित - 'फिर एक शर्त? ठीक है भाभी, तुम शर्त बोलो। अब तो सब हो ही चुका है।
मैं - तुम उसके साथ सेक्स मेरे सामने करोगे और अगर नमिता बोलेगी तो ही तुम मेरी चूत में अपना लंड डालोगे।'
अमित - 'मैं तैयार हूँ...'
मैं - 'तो ठीक है कल रात हम तीनों...'
तभी अमित ने पूछ लिया- भाभी, आप भी गांड मरवाती हो?
मैं - 'हाँ, अब मेरी गांड केवल मेरे रितेश के लिये है।' इसके साथ ही मैंने अमित को उसके कमरे में जाने के लिये बोला।
अमित एक बार फिर मेरे होंठ को चूमा और फिर अपने कमरे में चला गया।
अमित के जाते ही रितेश को कॉल करके सारी कहानी बताई और यह भी बताया कि उसके जीजा को मूत पिलाने के साथ साथ खूब गाली भी दी और वो उफ भी नहीं कर पाया।
उधर से रितेश बोला- आकांक्षा, तुम वास्तव में सेक्स की देवी हो। अच्छे-अच्छे को अपना गुलाम बना सकती हो।
रात को काफी देर तक जागने के बाद सुबह मेरी नींद नहीं खुल रही थी और बहुत ही सर दर्द कर रहा था पर ऑफिस से फोन आने पर न चाहते हुए भी मुझे जाना पड़ा। ऑफिस पहुँचने पर पता चला कि मेरा बॉस मेरा ही इंतजार कर रहा है। वैसे भी ऑफिस के कलिग के व्यवहार से इतना तो मालूम चल गया था कि मेरा बॉस मुझे लाईन मारता है और शायद इसलिये वो मुझे हर जगह सपोर्ट करता है और जो भी कोई नया प्रोजेक्ट आता था, उसका इंचार्ज़ वो मुझे ही बनाता था, लेकिन इसके बदले में उसने अभी तक कोई नजायज डिमांड नहीं की थी। पर आज जैसे ही उसके केबिन पहुंची, उसने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया, मैंने बॉस को लगभग धकियाते हुए अपने से अलग किया और इस उद्दण्डता की वजह पूछी तो
बोला- आकांक्षा, जब से तुम इस ऑफिस में आई हो, मैंने सब को नेग्लेक्ट करते हुए हर प्रोजेक्ट का इंचार्ज़ तुम्हें बनाया है और उसके बदले में मैंने तुमसे कभी कुछ मांगा नहीं है, लेकिन आज एक ऐसा प्रोजेक्ट है जिसमें तुम्हारी प्रोगरेस के साथ-साथ मॉनेटिरी लाभ भी है। तुम्हें अगले महीने इस प्रोजेक्ट के सिलसिले में कोलकाता जाना है। यदि तुम हाँ कहो तो मैं आगे बात करूँ। मुझे कोई ऐतराज नहीं था लेकिन जब बॉस ने उस प्रोजेक्ट के बदले में दूसरे दिन ओवर टाईम करने को कहा तो मैंने सोचने का वक्त लिया।
|