RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
ईव्निंग 6 पीयेम... रजत मीटिंग....
सम.... रजत तुम्हारा काम हो गया है, बस तुम्हे कुछ इन्फर्मेशन देनी है.
रजत.... काम कब तक होगा.
सम... वो तुम्हारे इन्फर्मेशन पर डिपेंड करता है. क्योंकि मनु के बारे मे सब पता लग गया है. बुलेटप्रूफ कार मे घर से ऑफीस और ऑफीस से घर. चारो ओर टाइट सेक़ुरिटी... नज़र भी नही रखा जा सकता. कोई रूटीन भी नही फॉलो करता. सो हमे कोई सेफ प्लेस चाहिए, जहाँ आसानी से उसका काम तमाम किया जा सके.
रजत.... समझ गया. थोड़ा इंतज़ार करो, हमारी फॅमिली किसी जगह हॉलिडे पर जाने वाली है, मैं तुम्हे इनफॉर्म कर दूँगा... तुम वहीं काम तमाम कर देना.
सम... ये तो गुड न्यूज़ है ब्रो... कब और कहाँ निकल रहे हैं सब...
रजत... वो मैं जल्द ही बताता हूँ. एक काम और करना, मनु के साथ काया का भी काम तमाम कर देना... बस मैं ही अकेला रहूँगा.
सम... क्या, काया... तुम्हारी सिस्टर...
रजत.... ज़्यादा शॉक्ड होने की ज़रूरत नही. और मैं उसे बहाँ नही मानता. ना तो उस को मुझ से, और ना ही मुझ को उस से कोई लेना देना है... तुम बस ये बताओ काम होगा कि नही.
सम.... काम तो हो ही जाएगा, पर रजत पैसे और लगेंगे....
रजत.... पैसे की कोई चिंता नही है, बस काम हो जाना चाहिए.
सम... ठीक है कल मिल कर बताता हूँ....
सम से बात कर के रजत वापस लौट आया... ऐसा लग रहा था जैसे विजयी मुस्कान मुस्कुरा रहा हो.... "थॅंक्स मनु, तुम्हारी नफ़रत ने मुझे पूरा मालिक बनने का क्या आइडिया दिया है... थॅंक्स आ लॉट. अब सिर्फ़ मैं ही रहूँगा एकलौता, और कोई दूसरा नही".
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रात के 11 बजे....
अखिल अपने ड्राइवर के साथ बंग्लॉ के पिछे गाड़ी लगाए खड़ा-खड़ा सोच रहा था...
ड्राइवर.... सर, जी सोच क्या रहे हो, भगवान का नाम लो और चढ़ जाओ.... नौकरी और छोकरी दोनो के लिए मेहाँत करनी पड़ती है.
अखिल.... यार थोड़ा अजीब लग रहा है मिश्रा जी, मैं पोलीस वाला हो कर किसी के घर चोरी से कैसे घुस जाऊ.
ड्राइवर.... ठीक है आप सोचते रहिए, तब तक मेडम की शादी किसी और से हो जाएगी.... मेरा क्या है, तब मैं दारू की बॉटल सर्व किया करूँगा...
अखिल.... शुभ-शुभ बोलो मिश्रा जी, बात बन'ने से पहले ही बिगाड़ने की बात कर रहे हो...
ड्राइवर.... सर जी एक तो छोकरी, वो भी करोड़पती, मैं आप की जगह होता तो अब तक चढ़ भी गया होता. सोचते-सोचते ही 11:10 हो गये...
अखिल... अच्छा ठीक है मैं जाता हूँ, आप अलर्ट रहना, पी कर टल्ली मत हो जाना...
ड्राइवर.... बेस्ट ऑफ लक सर, जाओ फ़तह हासिल कर आओ...
अखिल एक बार नीचे से ले कर उपर तक की उचाई देखा, और फिर चढ़ गया पाइप.... पाइप चढ़ कर वो गॅलरी मे आया और छिप्ते छिपते वो काया का कमरा ढूँढने लगा.... "हद है, साला रहते यहाँ चार लोग हैं और कमरे 100 बनवा रखे हैं"....
उपर की लॉबी से वो हर कमरे मे झाँकता हुआ जा रहा था.... जब उसने दूसरे कमरे मे झाँका तो उसे रंजीत दिखा... आज शाम की हुई मीटिंग के बाद तो जैसे उसने दुनिया जीत ली हो... सराब पी रहा था और खूब झूम रहा था..... अखिल की होल से उसे देखने लगा ....
"ये बेवडा खुद ही पी कर खुद ही झूम रहा है.... ये अमीर लोग कुछ मेंटल होते हैं क्या... हां होते ही होंगे, इतना पैसा जो होता है उड़ाने के लिए"
अखिल आगे बढ़ गया.... एक कमरे के की होल से देखा तो पता चला, अंदर किसी की रास लीला चल रही है.... "हा हा हा.... अब ये कौन शौकीन है... कहीं मनु के पापा तो नही... तौबा-तौबा, पता नही जिन्हे नही देखना था वही सब दिख रहे हैं, पता नही मेरी जानेमन किधर है"
दो कमरे खाली थे, उसके बाद की रो का आखरी कमरा.... "आहह ! हियर शी ईज़.... उफ़फ्फ़ क्या सेक्सी लुक मे है, जान ना ले ले".....
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