RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
सुबह-सुबह.....
नवाब, मनु को घूरते हुए...... "तुम्हारे बारे मे कल टीवी पर दिखा रहे थे"....
मनु.... हम यहाँ पर कैसे पहुँचे...
नवाब.... दोनो भाई पी कर बेहोश थे तो मेरी बेटी तुम्हे यहाँ ले कर आई...
मनु हैरान होने लगा, तब मानस ने जबाव दिया..... "मनु ये नवाब साहब हैं, दीवान साहब के दोस्त हैं"
मनु.... ओह्ह्ह्ह ! शुक्रिया आप लोगों का जो भी आप सब ने किया. एहसान है आप लोगों का. कल जो कुछ भी यहाँ हुआ या वहाँ, सब किसी
की साज़िश थी, एक बहुत बुरी साज़िश....
मानस.... मनु कल वहाँ क्या हुआ था, मुझे कुछ बताया क्यों नही...
मनु.... क्या बताता, जाने भी दो ना....
मानस.... नही तू मुझे बता क्यों नही रहा, क्या हुआ था...
नवाब उसे कल वाली न्यूज़ दिखाने लगा... मनु के साथ किए को देख कर मानस का दिल भी रोने-रोने जैसा करने लगा..... "मनु, तू दिल
छोटा क्यों करता है, स्नेहा से तुम्हारी शादी की बात मैं करने जाउन्गा. किसी के कुछ भी दिखा देने से थोड़े ना कुछ हो जाता है".
मनु.... कुछ नही होता, बल्कि बहुत कुछ हो जाता है.... खैर जाने दो भाई, स्नेहा और उनकी फॅमिली को मैं समझा लूँगा...
नवाब..... बहुत अफ़सोस हो रहा है तुम दोनो के साथ ऐसा होता देख कर. यदि कल की वारदात मैं नही देखता तो मुझे भी शायद ये न्यूज़ सच लगता, लेकिन कल जो देखा उस से मैं हैरान हूँ. ऐसा फिल्मों मे देखा था लेकिन रियल मे भी ऐसा होता है पता चल गया. हुआ क्या था
तुम्हारे साथ, और दीवान ने सब को झूठी कहानी क्यों बताई. क्या हुआ था उस दिन...
मानस.... "वो ऐसी रात थी, जिसने हम दोनो भाई को अनाथ होने पर मजबूर कर दिया. मैं बोरडिंग से लौटा था, और शिमला अपनी माँ के पास गया था.... एक रात रुका और अगली सुबह हमारी ज़िंदगी बदल गयी थी".
"अगली सुबह मुझ पर पूर्वी को रेप करने का आरोप लग गया, और मेरी माँ ने उस गम मे सुसाइड कर लिया... ये थी कहानी उस रात से सुबह के बीच की... जब कि सब से बड़ा झटका ये था कि मैं सुबह 9 बजे उठा और रात को हे मेरी माँ ने सुसाइड कर लिया था. और उस
जगह पर कितने लोग थे उस रात ... सिर्फ़ 3. मैं, दीवान और मेरी माँ... पूर्वी को ना तो मैने रात मे देखा और ना ही सुबह"....
"हमे भिखारियों की तरह जीने पर मजबूर कर दिया. करोड़ो के मालिक के पास एक रुपया नही होता था. कभी-कभी तो हमे घर का समान बेच कर अपना गुज़ारा करना पड़ता था.... मेरे पिता और मेरी सौतेली माँ ने ऐसा मुँह मोड़ा कि जैसे वो हमे जानते नही..... माँ तो सौतेली थी,
लेकिन बाप तो अपना था, किसी को रहम नही आया... बस एक दादा था जो हम से हमदर्दी रखता था".
नवाब.... तो क्या तुम्हारे दादा ने तुम्हे तुम्हारा हक़ नही दिलवाया....
मानस.... "हां दिया ना लेकिन तब जब मैं लीगली उसका मालिक हो गया. उस से पहले बस हमारे बाल पर प्यार से हाथ फेरा करते थे".
"फिर मनु ने जब से कंपनी संभाला, मैं तब से इस दीवान को ढूँढ रहा हूँ. ढूंड रहा था उसे पागलों की तरह. लेकिन इतनी लंबी तलाश के बाद........ जिसने भी कल का कांड किया है उसने सही नही किया. अब सच जान'ने का कोई ज़रिया नही, लेकिन हम जानते हैं किसने सारा
कांड करवाया है.... जैसे खून के आँसू हम दोनो भाई रोए हैं उन्हे भी रुलाएँगे"....
नवाब.... तुम दोनो के साथ इतना बुरा हुआ, सुन कर मेरी रूह कांप गयी. तुम दोनो ने तो फिर भी उसे झेला है. एक बात अपने अनुभव से कहना चाहूँगा..... बदले की भावना अपने दिल से निकाल दो. ये बदले की भावना तुम्हे अँधा कर देगी. तुम दोनो बस अपना काम करते जाओ, पुराने दिन कभी मत भूलना. उपरवाला सब को मौका देता है, वो तुम्हे भी देगा.....
मनु.... शुक्रिया आप की सलाह के लिए अंकल. लेकिन एक बात मैं अपने अनुभव से कहता हूँ.... यहाँ आप जितना भूलने की कॉसिश करेंगे, लोग आप के ज़ख़्मों को और कुरेदेंगे.... आप को वो किसी नपुंसक की तरह देखेंगे. हम तो शांत ही थे, बताओ ना क्या बिगाड़ा किसी का...
मेरा भाई भटकता रहा सिर्फ़ अपने साथ हुए उस भयानक हादसे का पता लगाने... मैं उनकी कंपनी को भी आगे लेजा रहा था, जो इन सब के ज़िम्मेदार हैं... लेकिन हमे मौका देने के बदले देखो किसे मौका दे दिया....
नवाब... ह्म ! छोड़ो ये, जाने अंजाने मे मैं भी तुम्हारा गुनहगार हूँ. बिना कुछ जाने मैने भी तुम्हे अपने दरवाजे से भगा दिया.
मानस.... कोई बात नही अंकल. आप भी किसका विस्वास करते, किसी अपने का या मुझ जैसे गैर का....
नवाब.... नही, तुम गैर नही अब, मेरे बेटे जैसे हो. और हां खाना खा कर जाना...... और कोई आर्ग्युमेंट नही...
मनु.... क्यों केवल लंच ही कारवाओगे डॅडी जी.... डिन्नर नही...
नवाब.... हा हा हा.... अच्छा है ये अटिट्यूड मनु, बस मैं इसी की बात कर रहा था.....
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