RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
तभी पीछे से स्नेहा और नताली भी आगे निकल कर आ गयी..... स्नेहा, मनु को घुरती हुई कहने लगी..... "ये सब क्या था... आज तक मुझे तो
कभी प्रपोज किए नही और यहाँ लव यू-लव लव-यू कहा जा रहा है... हुन्न्ञन्"
नताली.... सच मे स्नेहा इस ने आज तक तुम से आइ लव यू नही कहा....
स्नेहा.... नही कहे थे. ऐसा नही था नही कहे, पर दबे कुचले से शब्दों मे फोन पर कहा था वो भी मेरे लव यू के जबाब मे.
नताली.... हुहह ! तुम्हे तो खुद से कहना ही नही चाहिए था.
मनु, स्नेहा और नताली का वहीं पर ग्रूप डिसक्यूसषन शुरू हो गया. इधर सब को देख कर ड्रस्टी हाथ छुड़ा कर अंदर भागना चाहती थी, पर
मानस उस के हाथ को और ज़ोर से पकड़े उसे जाने ही नही दे रहा था.
तीनो की चपर-चपर सुन कर मानस चिल्ला दिया..... "कबख्तों शांत हो जाओ, मुझे मेरी गृहस्थी बसा लेने दो"....
मानस की आवाज़ सुन कर तीनो शांत हो गये. वहीं मानस का इतना कॉन्फिडेन्स देख कर ड्रस्टी के दिल से एक ही आवाज़ निकली..... "हाए
अल्लाह, अब क्या ये सब के सामने प्रपोज करेंगे"
इधर मानस सब को चुप करा कर ड्रस्टी के हाथो को होटो से लगा लिया.... ड्रस्टी की धड़कने मानो सीने से बाहर निकल कर धड़कने लगेगी. बदन मे हल्की कंप-कपि.... और मानस उसके हाथ को चूमते हुए उसकी आखों मे देखा... और देख कर कहने लगा..... "आइ लव यू ड्रस्टी. तुम नही तो मैं नही"
तभी पिछे से नताली चिल्ला दी.... "वूऊओ ऊऊओ ऊऊऊ, बाहों मे ले कर अब होंठों को चूमते हुए अपने प्यार का इज़हार करो".
ड्रस्टी, नताली की बातें सुन कर शर्म से पानी-पानी हो गयी. उस से अब वहाँ रुक पाना संभव नही था इसलिए वो हाथ छुड़ा कर तेज़ी से अंदर भाग गयी. ड्रस्टी के अंदर जाते ही स्नेहा भी सब को चलने के लिए कहने लगी.... "चलो, अब इन को भी हमे कुछ प्राइव्सी देना चाहिए, चलो सब यहाँ से"....
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