RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
"सर ये आप ग़लत कर रहे हो, मैं बहुत शरीफ हूँ. आप को यदि किसी लड़की का ज़िस्म चाहिए तो वो पैसों से मिल जाएगा मुझे जाने दो"
"तुझे ऐसे कैसे जाने दूं".... सम्शेर ने अपने दोनो हाथ उसके चेहरे पर डाल कर उसके गाल को ज़ोर से दबा दिया. दर्द के साथ उसका मुँह खुल गया. मुँह खुलते ही पहले सम्शेर ने अपना जीभ निकाल कर उसके होंठो को चाटने लगा, फिर पूरी जीभ उसके मुँह मे डाल कर चूमने लगा.
काव्या की साँसे मारे उत्तेजना की चढ़ि जा रही थी. दोनो होंठो के बीच से "ऊऊफफफफफ्फ़... ऊऊफफफफफफ्फ़" की आवाज़ें आने लगी थी. शम्शेर होंठ चूमना छोड़ कर उसके चेहरे से अपनी जीभ फिराता उसके सीने तक ले आया.... "साली अब तक तेरे बदन पर ये कपड़ा क्यों है"....
शम्शेर ने सीने के बीच हाथ रखा और दोनो ओर से कपड़े को चीरते हुए दो हिस्सों मे बाँट दिया..... "सर आप ये ग़लत कर रहे हैं"....
शम्शेर पर अब कोई भी बात असर नही हो रहा था.... उसने काव्या को ज़बरदस्ती उलट-पलट कर के उसके सारे कपड़े उतार दिए और अपने कपड़े भी उतारने लगा. काव्या के लिए कपड़े उतरते देखना काफ़ी कामुक नज़ारा था. वो तो बस जल्द से जल्द लिंग दर्शन को तरसी जा रही थी. अंदर ही अंदर मचले जा रही थी....
शम्शेर भी सारे कपड़े उतार कर जल्दी ही काव्या के पास पहुँच गया... और अपना लिंग उसके हाथ मे थमा कर उसे मसलने के लिए कहने लगा..... काव्या बस लिंग को पकड़े हुई थी. काव्या के हाथ का कोमल स्पर्श दीवाना तो बना रहा था पर उसका कुछ ना करना गुस्सा भी दिला रहा था.
काव्या को कुछ ना करते देख, शम्शेर फिर से गुस्से मे आ गया. फिर से दो थप्पड़ लगाते हुए..... "हरामजादी, जो कहा वो करती रह, वरना आसिड से चेहरा जला दूँगा"
"छोड़ काव्या अब नाटक, और मज़े कर..... वरना ये कमीना मारता रहेगा".... काव्या भी पूरे मूड मे आ गयी, लिंग को हाथों मे ले कर पूरे जोश और मज़े के साथ उपर नीचे करने लगी. काव्या इतनी उत्तेजित हो गयी कि बार-बार वो अपने बदन को मचला रही थी. दोनो पाँव के बीच योनि को फसा कर, रगड़ रही थी.
शम्शेर अपनी गर्दन को पूरा आकड़े बस लिंग की घिसाई का मज़े ले रहा था.... शम्शेर कैसी उत्तेजना मे था ये तो उसे भी पता नही था. लिंग अपना हिलवा रहा था और काव्या के स्तनों को बड़े ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था...... "आहह सिर और ज़ोर से.... ज़ोर-ज़ोर से मस्लो सर. बहुत परेशान करते हैं ये स्तन"...
"ये सर कौन है मेरी रानी.... आअहह बहुत मस्त हिला रही है, ले अब लिंग को ज़रा अपने मुँह मे ले कर चूस"..... एक बार फिर शम्शेर, काव्या के सीने के उपर आया.... अपने बॉल को काव्या के होंठो से लगा कर लिंग को उसके चेहरे पर फिराने लगा....
चेहरे पर लिंग को महसूस करना..... "उफफफफफफफफफफफफफ्फ़" .... जैसे आग सी लग गयी हो काव्या के बदन मे. "इसस्स्शह" के साथ काव्या ने बदन को हवा मे कर के आक्ड़ा लिया. अजीब सी रिसन होने लगी काव्या की योनि से.
काव्या बड़ी कामुकता से मुँह खोली और बॉल को मुँह मे ले कर चूसने लगी... चेहरे पर लिंग का छूना इतना मादक था कि उसने लिंग को हाथ मे पकड़ कर अपने चेहरे पर बड़ी बेसब्री से घिसने लगी.... शम्शेर थोड़ा पिछे हो कर लिंग को काव्या के होंठो से लगा दिया...
काव्या अपने दोनो हाथों से लिंग को पकड़ कर उसकी चमड़ी को पिछे की. शुपाडे के छेद पर जीभ लगाती उसे प्यार से चाटी... फिर मुँह खोल कर धीरे-धीरे पूरा लिंग अपने मुँह के अंदर डाल ली. शम्शेर ऐसा जोश मे आया कि, वो अपनी कमर ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लग गया.....
पूरे लिंग को उसकी गर्दन तक धकेल कर, वो रुका रह जाता और जब तक काव्या तड़प कर ...., "उन्न्ञननणणन्... उन्न्ञणणन्" नही करती तब तक वो छोड़ता नही.... काव्या के मुँह से पूरा लार टपक रहा था जो होंठो से बहते नीचे तक छू रहा था.....
शम्शेर पूरा वाइल्ड हो कर लगातार मुँह मे ही धक्के लगाता रहा... धक्के लगाते-लगाते उसकी रफ़्तार काफ़ी तेज हो गयी, और अपना सारा वीर्य काव्या के मुँह मे छोड़ दिया.... पर ये दवा का असर था कि, शम्शेर के लिंग का तनाव और मन की उत्तेजना ज़रा भी कम ना हुई......
शम्शेर अब अपनी उत्तेजना की आग बुझाने काव्या के पाँव के बीच आ गया. वो दोनो पाँव के बीच आया और काव्या की योनि मे 2 उंगली डाल कर तेज-तेज हिलाने लगा. ऐसा लग रहा था कि उंगली से ही सारा काम कर देगा आज...... काव्या ज़ोर-ज़ोर से तेज-तेज सिसकारियाँ भरने लगी..... "उम्म्म्मममममम...... आआन्न्नणणनह" की आवाज़ तेज... और तेज होती चली गयी.... योनि का रिसाव शुरू हो गया....
एसी मे भी दोनो के बदन पसीने-पसीने थे. शम्शेर आगे बढ़ते हुए अपने लिंग को योनि से लगाया और दोनो पाँव को फैला कर एक जोरदार धक्का योनि मे लगा दिया...... "अंन्नमममममममममम... उन्न्ञननननननणणन् माररर्ररर गाइिईईईईई.... कामीनेययययी ऐसे कएर्ते हैं.... पूरा एक बार मे डाल दिया.... निकाल हरामी बहुत दर्द हो रहा है..... ऊऊऊऊऊऊऊओ मर गयी रीई ... आआनन्नह"......
पर शम्शेर, वो तो दवा की गिरफ़्त मे था. कसी योनि के अंदर की चमड़ी घिसने लगी, हर धक्के पर योनि के अंदर की आग बुझने के साथ दर्द भी उठ'ता. पहले 5 मिनट काफ़ी भारी पड़े काव्या को, उसकी आखों से आँसू तक निकल आए...
पर सम्शेर बिना रुके लगातार धक्के लगाता रहा.... धक्के लगाते हुए उसने अपने दोनो हाथ काव्या के दोनो स्तनों पर डाले. उस पर अपने हाथो की ज़ोर आज़मएश करते हुए ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा.... तेज-तेज धक्के लगाने लगा..... काव्या का दर्द भी गायब होने लगा था... खुल कर वो भी मज़े लेने लगी..... "आहह.... उम्म्म्मम... इसस्स्शह.... ऊऊफफफफफफ्फ़" की आवाज़ें गूंजने लगी.
ताबड़तोड़ लंबे सेक्स के बाद दोनो हे नंगे वहीं पर सो गये....
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