RE: Gandi Kahani सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री
5
" नही, मैं कोर्ट की अवमानना नही कर रहा, सिर्फ़ ये कह रहा हू कि पोलीस ने इस केस की इन्वेस्टिगेशन ठीक से नही की है, कोर्ट के सामने आधी-अधूरी बाते रखी गयी है, इनस्पेक्टर राघवन ने उस रात का एक डेमो भी तैयार किया था और उसे कोर्ट को दिखाकर ये समझाने की कोशिश की थी कि उस रात हमारेफ्लॅट ए-74 मे क्या हुआ था, हमारे वकील ने कहा कि वो डेमो पूरी तरह से काल्पनिक था, उस रात ए-74 मे वैसा कुछ नही हुआ था लेकिन कोर्ट ने उस दलील को नही माना, उस सूरत मे कोर्ट को वो फ़ैसला देना ही था जो दिया, तुम्हे मालूम होगा, हम ने उपर की अदालत मे अपील की है और इस वक़्त उसी के आदेश पर जमानत पर है "
" हमे नही मालूम कि आपने ऐसा किस बूते पर किया है, आपके खिलाफ इतने ज़्यादा और पुख़्ता सबूत है कि.... "
राजन सरकार ने उसकी बात काटी," यकीन करो विजय, ऐसा हम ने सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारे बूते पर किया है "
" हमारे बूते पर, बात खोपड़ी मे घुसी नही, हम ने तो आपके दर्शन ही पहली बार किए है, फिर हमारे बूते पर उपर की अदालत मे अपील करने का क्या मतलब हुआ "
राजन ने अपना एक-एक शब्द जमाते हुवे कहा," मिला भले ही पहली बार . लेकिन तुम्हारे बारे मे पढ़ा बहुत कुछ है "
" क्या पढ़ा है "
" यही कि जिस केस पर तुम काम करते हो उसका दूध का दूध और पानी का पानी होकर रहता है "
" पर जनाब, आपके केस मे तो वो पहले ही हुआ पड़ा है "
" नही हुआ है ना विजय, यकीन करो " राजन सरकार उस वक़्त जल बिन मछली की मानिंद तड़प्ता नज़र आया था," हमारे मामले मे ऐसा नही हुआ बल्किअनर्थ हो रहा है, इसलिए तो ये रिक्वेस्ट लेकर तुम्हारे पास आया हू कि तुम दूध का दूध और पानी का पानी करो, मेरे बेटे को इंसाफ़ दिलाओ "
" उस बेटे को जिसे आपने खुद मार डाला "
" प्लीज़ विजय, तुम भी बार-बार वही कहकर मेरी आख़िरी उम्मीद को मत तोडो जो सब कह रहे है " राजन सरकार की आँखो मे नमी नज़र आने लगी थी," कम से कम तुम तो सोचो, एक माँ, एक पिता अपने ही जिगर के टुकड़े को कैसे मार सकते है "
" कलयुग चल रहा है मेरी सरकार, जो हो जाए सो कम है और फिर गुस्सा ऐसी बाला है जो इंसान से कुछ भी करा सकता है, जो आपने देखा, उसे देखकर किसी को भी गुस्सा आ जाएगा "
" वही तो कह रहा हू " राजन की हालत बाल नोचने जैसी हो गयी थी," मैंने ऐसा कुछ भी नही देखा जिसे देखकर गुस्सा आता "
" आधी रात के वक़्त अपने बेटे को अधेड़ नौकरानी के साथ बेड पर नही देखा आपने "
" नही देखा, बिल्कुल नही देखा, वही तो कह रहा हू, जो कुछ कोर्ट और मीडीया के ज़रिए समाज के सामने आया है, वह सारी स्टोरी पोलीस की बनाई हुई है, एकदम झूठी और काल्पनिक, सचाई का एक अंश भी नही है उसमे "
" तो फिर बंद फ्लॅट मे कौन मार गया उन्हे "
" पहेली तो ये ही है, ये पहेली हल हो जाए तो फिर.... तो फिर लोगो के सामने हक़ीकत ही ना आ जाए, समझने की कोशिश करो विजय, मैं तुम्हारे सामने इस पहेली को सुलझाने की रिक्वेस्ट करने आया हू क्योंकि मुझे पूरा विश्वास है कि तुम.... "
" देखिए हुजूर, बार-बार ये अलाप करके हमे गन्ने पर चढ़ाने की कोशिश ना करे, क्योंकि हम गन्ने पऱ चढ़ने वाली वस्तु नही है " इस बार्फ़ विजय ने उसकी बात काटकर कहा," कोई और घर देखिए, हमे विश्वास है कि कोर्ट के फ़ैसले मे कोई लोचा नही है, स्टोरी वही सच्ची है जिसपर कोर्ट ने मोहरलगाई है "
इस बार कुछ बोल नही सका राजन सरकार.
चेहरे पर ऐसे भाव थे जैसे अभी, वही बैठकर रोने लगेगा.
सॉफ नज़र आ रहा था कि वह खुद को रोने से रोकने की भरपूर कोशिश कर रहा है.
अंततः विकास बोल पड़ा," मैं कुछ कहूँ गुरु "
" वैसे तो जब दो बुजुर्ग बाते कर रहे हो तो बच्चो को बीच मे टाँग नही अडानी चाहिए लेकिन जब अड़ा ही दी है तो घूमाओ इसे, हो सकता है कि किसी ढंग की जगह जा टिके "
" मैं आपसे इसी केस के सिलसिले मे बात करने आया था "
" क्या "
" कि आप क्या सोचते है, सरकार दंपति ने ही अपने बेटे और नौकरानी का मर्डर किया है या.... "
" तुमने हमारे विचार जान लिए होंगे "
" हां, जान तो लिए है मगर.... "
" वो पानी मे पाया जाता है "
" ....वे मेरे विचारो से मेल नही खाते "
" नही खाते तो ना खाए, हमारे ठेंगे से "
" इस बात पर विचार तो किया ही जाना चाहिए कि यदि सच्चाई वह नही हुई जो इस दुनिया के सामने आई है तो क्या होगा "
" क्या होगा "
" अनर्थ हो जाएगा गुरु, अनर्थ " विकास ने एक-एक शब्द पर ज़ोर दिया," जिनका बेटा मरा है उन्हे ही सज़ा हो जाएगी, इससे बड़ा अनर्थ और क्या होगा "
" हत्या की है तो सज़ा तो मिलनी ही चाहिए "
" मुझे नही लगता कि उन्होने हत्या की है "
" बेस "
" हालात चाहे जैसे हो जाए, माँ-बाप अपनी औलाद को नही मार सकते, वे उसकी जान नही ले सकते जिसे उन्होने जनम दिया हो "
" तुमने शायद ऑनर किल्लिंग के बारे मे नही सुना, हमारे प्यारे देश मे आजकल भी लोग इज़्ज़त की खातिर अपनी उसी प्यारी औलाद को मार देते है जिसे उन्होने जनम दिया है "
" वो इंटीरियर मे होता है गुरु, जहा अभी तक शिक्षा ने पैर नही पसारे है, राजन अंकल जैसे पढ़े-लिखे लोग ऐसी हरकत नही कर सकते "
" तुमने शायद पढ़े-लिखे अनपढ़ नही देखे "
विकास ने एक-एक शब्द पर ज़ोर दिया," करोड़ो भारतीय दिल से ये मानते है कि इन्होने ऐसा नही किया होगा "
" ये दुनिया दिल से नही, दिमाग़ से चल रही है दिलजले और अगर तुम ये कह रहे हो कि करोड़ो भारतीयो के दिल मे वो है जो तुम कह रहे हो तो हम भी कह सकते है कि करोड़ो भारतीय दिमाग़ ये स्वीकार करते है कि जैसे हालात इनके सामने पेश आए, उनमे माँ-बाप वैसा कर सकते है जैसा इन्होने किया "
" हम ने कुछ नही किया मिस्टर. विजय " एक बार फिर राजन सरकार अन्तर्नाद सा कर उठा," या यू समझ लो कि हम ने कुछ भी इसलिए नही किया क्योंकि हमारे सामने वैसे हालात ही पैदा नही हुए, जैसा कि मैं पहले भी कह चुका हू, हम ने वैसा कुछ नही देखा जैसा प्रचारित किया गया है या पोलीस द्वारा जैसा डेमो बनाकर कोर्ट को दिखाया गया है "
विजय ने विकास की तरफ इशारा करते हुवे राजन सरकार से कहा," आपकी समझ मे आ गया होगा कि दिलजला आपकी भरपूर मदद कर सकता है "
" मैं विकास की नही, तुम्हारी मदद हासिल करने आया हू "
" आमा कोई ज़बरदस्ती है क्या यार, जब हमे बात ही नही जॅंच रही तो मदद क्या खाक करेंगे, और दिलजले, तुम भी कानो मे घासलेट डालकर सुनो, आज से पहले भी हम तुमसे सैंकड़ो बार कह चुके है कि जब भी घर से निकलो तो दिल को खूँटि पर टाँग के निकला करो, केवल दिमाग़ को अपने साथ रखा करो क्योंकि दिल धोखा देता है लेकिन दिमाग़ कभी धोखा नही देता, जो राग राजन सरकार साहब अलाप रहे है वो राग अलापने वाले ये पहले व्यक्ति नही है बल्कि हर मुजरिम यही राग अलापता है, कयि तो इतने शातिर होते है कि फाँसी के फंदे पर चढ़ने तक खुद को बेकसूर बताते है "
" मैं ऐसा नही हू, मैं ऐसा हरगिज़ नही हू विजय " राजन सरकार के अंदर से मानो एकाएक कोई ज्वालामुखी फट पड़ा और वह रोने के साथ ही कहता चला गया," हम अपना एकलौता बेटा खो चुके है, समाज मे जो मान-सम्मान और इज़्ज़त थी, उसकी धज्जिया उड़ चुकी है, अब जिए भी तो किसके लिए, किसलिए, हर आदमी के पास जीने का कोई ना कोई मकसद होता है, हमारे पास तो कोई मकसद ही नही बचा, यकीन मानो विजय, अब हम पति-पत्नी मे से किसी के भी अंदर
जीने की ख्वाइश नही है, हम मर जाना चाहते है, रात-दिन भगवान से यही शिकवा करते है कि तूने ये दिन दिखाने से पहले हमे उठा क्यो नही लिया, सोच कर तो देखो विजय, बेटा भी हमारा ही गया और उसकी हत्या के जुर्म मे फाँसी भी हम ही चढ़ जाएँगे, क्या कोई माँ-बाप हुंसे ज़्यादा अभागे हो सकते है, मैं खुद को और अपनी पत्नी को बचाने के लिए नही बल्कि अपने बेटे को इंसाफ़ दिलाने के लिए भटक रहा हू, इसलिए छटपटा रहा हू क्योंकि जानता हू कि कान्हा का कत्ल हम ने नही किया है, अगर हम फाँसी पर चढ़ गये तो कान्हा का हत्यारा इस समाज की छाती पर मूँग डालता रहेगा, ना
हमारे बेटे की आत्मा को शांति मिलेगी, ना हमारी रूह को सुकून, अब तो बस एक ही बात चाहते है हम, यही कि मरने से पहले अपने बेटे के कातिल को फाँसी के फंदे पर झूलते हुवे देख ले, इसी ख्वाइश को दिल मे लेकर मैं तुम्हारे पास आया था लेकिन अगर तुम भी वैसा नही कर सकते तो मैं ये मान लूँगा कि वैसा कभी हो ही नही सकता "
इतना कहकर राजन सरकार जहाँ खड़ा था वही घुटनो के बल बैठकर फुट-फुट कर रोने लगा. अपना चेहरा उसने अपने हाथो से ढँक लिया था.
विकास के चेहरे पर भी वेदना के भाव थे लेकिन विजय का चेहरा चिकने पत्थर की मानिंद सपाट था, जैसे कि उसपर राजन सरकार के किसी शब्द का कोई असर ही ना हुआ हो, करीब आधे मिनिट की खामोशी के बाद उसने कहा," दिलजले, लगता है कि राजन सरकार की स्पीच ने नरेंद्र मोदी की स्पीच बनकर तुम्हारे दिल को गहरा आघात पहुचाया है "
" उसे छोड़िए गुरु, मेरा कहना बस इतना ही है कि दूसरे आंगल से एक बार सोचकर तो देखिए, क्या ऐसा नही हो सकता कि... "
" तुम्हे मालूम है दिलजले कि हम किसी बात को हवा मे स्वीकार नही करते, बेस चाहिए, क्या इस मामले मे तुम एक भी ऐसा बेस पेश कर सकते हो जिससे कि हम दूसरे आंगल से सोचने को मजबूर हो जाए "
" सबसे बड़ा बेस तो यही है कि पोलीस कोर्ट मे इनके खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश नही कर पाई, कोर्ट ने जो भी फ़ैसला सुनाया है वो परिस्थितिजन्य साक्ष्यो के आधार पर ही सुनाया है, मर्डर वेपन तक कोर्ट मे पेश नही किया जा सका "
" इन्होने सारे सबूत बड़ी सफाई से सॉफ किए है "
" ये पोलीस की दलील है जो ग़लत भी हो सकती है "
" अच्छा ये बताओ, जब कोई और कान्हा और मीना का मर्डर कर रहा था उस वक़्त ये पति-पत्नी क्या कर रहे थे "
" हम कोर्ट को भी बता चुके है " राजन सरकार ने आँसुओ से तर चेहरा उपर उठाकर कहा," सो रहे थे "
" अब बताओ दिलजले, छोटे से फ्लॅट के अंदर, इनके ठीक बगल वाले कमरे मे दो व्यक्तियो का मर्डर कर दिया गया और ये सोते रहे, कोई यकीन करेगा इस बकवास पर "
" क्यो नही किया जाना चाहिए "
" इसलिए नही किया जाना चाहिए क्योंकि मकतूलो के सिरो पर हॉकी से वार किया गया था, स्वाभाविक रूप से वे चीखे होंगे क्योंकि ऐसा कोई एविडेन्स नही मिला है जिससे पता लगता हो कि हॉकी मारने वाले ने हॉकी मारने से पहले उनके मुँह से चीख ना निकालने देने के लिए कुछ किया हो "
" यक़ीनन वे चीखे होंगे "
" और ये इतने आंटागफील थे कि बगल वाले कमरे मे होने के बावजूद वे चीखे इनके कानो पर जूँ बनकर रेंग तक ना सकी "
" बड़ा अच्छा शब्द इस्तेमाल किया आपने " विकास ने जैसे बात लपकी," हो सकता है कि ये अंतगाफील ही हो "
" मतलब "
" सबसे पहले हत्यारे ने इन्हे ही बेहोश किया हो "
" अंदर से बंद ए-74 मे बाहर से किसी भी व्यक्ति के आने का कोई निशान नही मिला है "
" आपने ए-74 का निरीक्षण किया है "
" मतलब "
" ये दावा पोलीस का है जो कि झूठा भी हो सकता है "
" पोलीस झूठा दावा क्यो करेगी "
" पोलीस को क्या आप जानते नही है, क्या आपको नही मालूम कि पोलीस मे कैसे-कैसे काबिल लोग है, सारा केस इनस्पेक्टर राघवन की समझ और उसकी इन्वेस्टिगेशन पर बेस्ड है, क्या आपको ये बताने की ज़रूरत है कि एक इनस्पेक्टर की समझ कितनी होती है, ऐसा क्यो नही हो सकता कि कोई पॉइंट राघवन की नज़र से चूक गया हो, ऐसा क्यो नही हो सकता कि उसकी जाँच मे कोई कमी हो, मेरे ख़याल से हमें अपने तरीके से इन्वेस्टिगेशन करनी चाहिए "
" अब तुम कल्पना करने लगे हो "
" पोलीस की भी तो सारी स्टोरी कल्पना ही है, उन्होने कोर्ट मे ये नही कहा कि राजन ने कान्हा और मीना को आपत्तिजनक हालत मे देख लिया था बल्कि ये कहा है कि परिस्थितिजन्य साक्ष्यो के आधार पर ऐसा लगता है कि राजन ने उन्हे आपत्तिजनक हालत मे देख लिया था इसलिए उसने गुस्से मे हॉकी से वार किया, गौर फरमाओ गुरु, इन शब्दो पर गौर फरमाओ कि परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर ऐसा लगता है, ये साक्ष्य खुद बता रहे है कि सारी स्टोरी कल्पना पर आधारित है "
विजय ने आँखे तरेरी," काफ़ी सयाने हो गये हो दिलजले "
" क्या मतलब गुरु "
" तुम्हारी इस दलील मे दो-चार किलो वजन तो है "
|