RE: Gandi Kahani सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री
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" स्टेडियम मे तो और लोग भी आते होंगे "
" आते है "
" दोस्ती उसी से क्यो हुई "
राजन सरकार के चेहरे पर सॉफ लिखा नज़र आ रहा था कि वो विजय के सवालो का मतलब नही समझ पा रहा है," ये भी कोई सवाल हुआ, किसकी दोस्ती कब, कहाँ, किससे हो जाए, इस बारे मे क्या कहा जा सकता है "
" दोस्त को अपना वकील कब नियुक्त किया आपने "
" जाहिर है तब, जब मुझ पर और इंदु पर कान्हा और मीना के मर्डर का लांछन लगा, उन हालात मे मेरे लिए उससे अच्छा वकील और कौन हो सकता था जिसे मैं 9 साल से जानता था "
" मीना की बॉडी कान्हा के मर्डर के 2 दिन बाद मिली थी, कम से कम तब तक आप पर उनके मर्डर का कथित लांछन नही लगा था, ये माना जा रहा था कि मीना कान्हा का मर्डर करने के बाद फरार हो गयी है और.... "
" और "
" मीडीया के मुताबिक ये खबर आप ही ने उड़ाई थी " विजय कहता चला गया," कान्हा की हत्या की खबर मिलने पर जैसे ही पोलीस ए-74 पर पहुचि, आपने ये खबर उड़ा दी कि मीना कान्हा का मर्डर करके फरार हो गयी है, मीना के गायब होने के कारण पोलीस को भी यही लगा क्योंकि कम से कम उस वक़्त कोई ये बात स्वपन मे भी नही सोच सकता था कि अपने बेटे की हत्या आपने की होगी और उसे मीना के मत्थे मंधने के मकसद से, उसे भी मारकर कूड़े मे डाल आए होंगे, इसलिए वही हुआ जिस मकसद से आपने ये बात उड़ाई थी यानी पोलीस ए-74 की सघन छान-बीन करने की जगह मीना की तलाश मे जुट गयी, कहा तो ये भी गया कि मीना को तलाश करने के लिए आपने पोलीस पर प्रेशर बनाया, उसके लिए हमारे बापूजान के नाम का भी इस्तेमाल किया गया "
" मैंने वैसा उस मकसद से बिल्कुल नही किया था जैसा आज समझा जा रहा है बल्कि इसलिए किया था क्योंकि मुझे खुद भी ऐसा लगा था कि मीना कान्हा का मर्डर करके फरार हो गयी है "
" ऐसा क्यो लगा था आपको "
" क्योंकि कान्हा मरा पड़ा था और हमारे अलावा फ्लॅट मे सिर्फ़ मीना रहती थी जो गायब थी, साथ ही, कान्हा के गले मे हमेशा पड़ी रहने वाली सोने की चैन और डाइमंड की वो अंगूठी भी गायब थी जिस अकेली की कीमत 5 लाख थी, स्वाभाविक रूप से उस वक़्त मुझे ऐसा लगा था कि मीना ने उन्ही दोनो चीज़ो के लालच मे कान्हा का मर्डर किया और उन्हे लेकर फरार हो गयी "
" वे दोनो चीज़े आजतक भी बरामद नही हुई है, मीना की लाश बरामद हो जाने के बावजूद "
" मैं इस बारे मे क्या कह सकता हू "
" आपने थाने मे जाकर रिपोर्ट लिखवाई, ये कि आपकी नौकरानी मीना आपके बेटे कान्हा की हत्या करने के बाद उसकी सोने की चैन और डाइमंड की अंगूठी लेकर फरार हो गयी है, आपने ये भी लिखवाया कि मीना बिहार की रहने वाली थी "
" हां, मैंने ये रिपोर्ट लिखवाई थी "
" उस वक़्त आपको पता नही था कि मीना अब इस दुनिया मे नही है, उसका भी मर्डर किया जा चुका है "
" मुझे ही क्या, किसी को भी पता नही था "
" फिर आपने ये क्यो लिखवाया कि मीना बिहार की रहने वाली थी, ये 'थी' शब्द क्यो लिखवाया आपने, इससे तो ध्वनित होता है कि उस वक़्त आपको मालूम था कि मीना अब नही है "
" पोलीस इस शब्द को लेकर मेरे पीछे पड़ गयी थी जबकि मेरे 'थी' लिखवाने के पीछे केवल इतनी मंशा थी कि वो बिहार की रहने वाली थी लेकिन पिच्छले काफ़ी लंबे समय से राजनगर मे ही रहती थी, हमारे यहाँ से पहले इसी शहर मे किसी और के यहा नौकरी करती थी, अगर कोई इतने दिन से आपके शहर मे रहता है और किसी विशेष समय पर गायब हो जाता है तो स्वाभाविक रूप से सबके मुँह से यही निकलता है कि वो फलाना जगह का रहने वाला था, या इस बात को यू भी कहा जा सकता है कि अगर उस समय मीना सामने होती तो मेरे मुँह से यही निकलता कि वो बिहार की रहने वाली है लेकिन क्योंकि उस वक़्त मेरे सामने नही थी इसलिए मुँह से यही निकला, वो बिहार की रहने वाली थी, इसका मतलब ये हरगिज़ नही है कि उस वक़्त मुझे ये मालूम था कि उसकी हत्या की जा चुकी है या अब वो इस दुनिया मे नही है "
" हमे अब भी नही लग रहा कि आप सच बोल रहे है "
" मुझे दुख है कि तुम फिर वही सब कहने लगे जो मीडीया ने फैला रखा है " कहते हुवे राजन के चेहरे पर वेदना ही वेदना नज़र आ रही थी," आख़िर तुम समझ क्यो नही रहे कि मैं अपने माथे पर लगे इस कलंक को धोने के लिए तुम्हारे दर पर पहुचा था "
" ओके, इतना तो मानोगे कि जब तक मीना की लाश नही मिली थी तब तक आपके माथे पर कोई कलंक नही लगा था "
" ये बात ठीक है "
" मतलब तब तक आपने अशोक बिजलानी को अपना वकील नियुक्त नही किया था "
" तब तक कोई केस ही नही था तो.... "
" पर आपने हम से ये कहा था जनाब कि मीना की लाश की शिनाख्त ना करने की सलाह वकील ने दी थी "
" वकील से मेरा तात्पर्य बिजलानी से ही था, मेरे बुलाने पर वो उसी सुबह मेरे घर पहुच गया था जिस दिन ये खबर उड़ी कि मेरे बेटे की हत्या हो गयी है, वो तभी से मेरे संपर्क मे था "
" और जब पोलीस ने ये कहा कि उन्हे कूड़े के ढेर पर एक औरत की लाश मिली है और आपको उसकी शिनाख्त के लिए उनके साथ जाना है तो बिजलानी ने ये कहा कि वो लाश मीना की हो या ना हो लेकिन तुम्हे उसकी शिनाख्त मीना के रूप मे नही करनी है "
" सच यही है "
विजय ने उसे बहुत गौर से देखते हुवे कहा था," पर इस सच की पुष्टि करने वाला तो अब इस दुनिया मे रहा नही "
" क्या बताऊ " राजन के चेहरे पर विवशता के चिन्ह नज़र आए," इसे दुर्भाग्य ही कह सकता हू अपना, वही दुर्भाग्य जो 4/5 जून की रात से मेरा पीछा कर रहा है "
" क्या ऐसा कोई दूसरा आदमी है जो हमे ये बता सके कि बिजलानी ने आपको वो सलाह दी थी "
" ऐसा और कोई आदमी नही है क्योंकि.... "
" क्योंकि "
" केस के संबंध मे मैंने कोई बात किसी और से शेअर नही की, ये सलाह भी बिजलानी ने ही दी थी, उसने कहा था कि केस के बारे मे किसी से कोई बात नही करनी है क्योंकि मुँह से निकलने के बाद बात पराई हो जाती है "
" कोर्ट मे, जिरह के दरम्यान जब ये बात आई होगी कि आपने मीना की लाश को पहचाना क्यो नही, तब तो कहा होगा "
" मैंने कहा था कि उस वक़्त मेरी मानसिक अवस्था ठीक नही थी, मैं डरा हुआ था, समझ मे नही आ रहा था कि क्या करू, इसलिए मीना की लाश को पहचानने से इनकार किया "
" क्यो " विजय चौंका," ऐसा क्यो कहा, ये क्यो नही कहा कि उसे ना पहचानने की सलाह बिजलानी ने दी थी "
" ऐसा कहने के लिए भी बिजलानी ने ही कहा था, उसने ये भी कहा था कि यदि तुमने वो कहा जो सच है तो एक तरह से कोर्ट के सामने हम ये कबूल कर लेंगे कि हम ने जानबूझकर मीना की शिनाख्त के वक़्त झूठ बोला और ये बात हमारे खिलाफ चली जाएगी जबकि अगर ये कहा कि उस वक़्त मेरी मानसिक अवस्था ठीक नही थी तो बचाव के रास्ते खुले रहेंगे "
विजय ने उसकी आँखो मे आँखे डालते हुवे पूछा," आपको ये नही लगा कि आपका वकील ही आपको फँसा रहा है "
" क...क्या " राजन सरकार बुरी तरह चौंका था," बिजलानी, बिजलानी फँसा रहा था मुझे, ये तुम क्या कह रहे हो विजय "
" लगता तो ऐसा ही है "
" नही " वो अविश्वशनीया स्वर मे कहता चला गया," ऐसा नही हो सकता, बिजलानी भला ऐसा क्यो करेगा "
" इस क्यो का जवाब खोजने के लिए तो खैर अभी काफ़ी पापड बेलने पड़ेंगे लेकिन फिलहाल लगता ऐसा ही है क्योंकि बकौल आपके उसने मीना की शिनाख्त ना करने की जो सलाह दी, काफ़ी बुद्धि घुमाने के बावजूद वह किसी भी तरह हमे आपके हित मे नज़र नही आती बल्कि आपका बंटाधार करने वाली ही लगती है "
राजन सरकार के चेहरे पर अभी भी ऐसे भाव काबिज थे जैसे चाहकर भी विजय की बात पर विश्वास ना कर पा रहा हो.
एकाएक विजय ने पैंतरा बदला, बोला," ऐसा भी तो हो सकता है कि उसने वो सलाह आपको दी ही ना हो "
" क...क्या मतलब " राजन सरकार और बुरी तरह चौंका.
" आपने हम से झूठ बोला हो "
" ज..झूठ, तुमसे " वो पागला-सा गया," भला तुमसे झूठ क्यो बोलूँगा मैं, आदमी भला उससे झूठ क्यो बोलेगा जिसकी मदद हासिल करने का तलबगार हो "
" एग्ज़ॅक्ट्ली यही, आपने हमारी मदद हासिल करने के लिए ही झूठ बोला हो सकता है "
" य..ये तुम क्या कह रहे हो "
" हम ने पहले भी फरमाया था जनाब कि हम कहा नही करते, सिर्फ़ फरमाया करते है और फिलहाल ये फर्मा रहे है कि ऐसा भी तो हो सकता है कि हमारे पास आने से पहले ही आप जानते थे कि आपकी रिक्वेस्ट मात्र से हम रियिन्वेस्टिगेशन पर निकलने वाले नही है, इसलिए आप एक कौड़ी लेकर आए, ऐसी कौड़ी जिसके बारे मे सुनते ही हम आपके साथ चल पड़े और वो कौड़ी थी की आपका ये कहना कि मीना की लाश को ना पहचानने की सलाह बिजलानी की थी, मुमकिन है आपने अनुमान लगा लिया हो कि इस बात की पुष्टि करने के लिए हम आपके साथ चल पड़ेंगे "
अपनी रुलाई को दबाने की कोशिश मे राजन की आवाज़ भर्रा गयी," जो बात हम सोच तक नही सकते, जिसकी कल्पना तक नही कर सकते, वो तुम कह रहे हो, काश....काश बिजलानी जिंदा होता तो वो तुम्हे बताता कि वो सलाह उसी ने दी थी "
" संभव है कि वो इसलिए दुनिया मे ना हो "
राजन के हलक से चीख सी निकल गयी," क्या मतलब "
" उसे इसलिए मार डाला गया हो कि कही वो आपकी पोल ना खोल दे, ये ना कह दे कि आप झूठ बोल रहे है "
" इसका मतलब...इसका मतलब " राजन सरकार बुरी तरह बौखला गया था," इसका मतलब तो ये हुआ कि तुम ये कहना चाहते हो कि बिजलानी को मैंने मार डाला "
" इस फानी दुनिया मे सबकुछ मुमकिन है "
" ओह माइ गॉड " वो अन्तर्नाद सा कर उठा," किस जंजाल मे फँस गया हू मैं, कैसी दलदल है ये जिसमे से निकलने की जितनी कोशिश कर रहा हू उतना ही धंसता जा रहा हू, जिसे अपना रहनुमा समझ रहा था, जिसके पास अपना मुक्तिदाता समझकर गया था, वही मुझे एक और हत्या का दोषी मान रहा है, ऐसा शायद इसलिए है क्योंकि तुम मेरी इस बात से ज़रा भी कन्विन्स नही हुवे हो कि मैं और इंदु बेगुनाह है, पर ये तो सोचो विजय कि मैं हर पल तुम्हारे साथ था, भला मैंने बिजलानी की हत्या कैसे की हो सकती है "
" चालाक हत्यारे मर्डर स्पॉट पर खुद मौजूद ना रहकर ही मर्डर करते है और जो शातिर होते है वो पहले से ही ऐसी कोई आएलिबाई गढ़कर रखते है जैसे, मुमकिन है आपने गढ़ी हो, भला हम से पुख़्ता गवाह आपको और कहाँ मिलता "
" बस....बस....बस विजय " लघ्भग रो रहे राजन ने अपने दोनो कानो पर हाथ रख लिए थे," मैं और ज़्यादा नही सुन सकता, मुझे नही करनी अपने बेटे के मर्डर की रियिन्वेस्टिगेशन, मुझे नही जूझना उसे इंसाफ़ दिलाने के लिए, ग़लती हुई जो मदद माँगने तुम्हारे पास पहुचा, चाहो तो लौट सकते हो "
" हम मे कमी ही ये है जनाब कि अब हम खुद भी चाहे तो नही लौट सकते, या तो निकलते ही नही.... निकल पड़े है तो इस मामले का एक बटा दो करने के बाद ही लंबी तानकर सोएंगे "
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