RE: Gandi Kahani सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री
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बॉब्बी ने जेब से एक ऐसी सरिंज निकाली जिस पर कॅप चढ़ि हुई थी और उसमे पहले ही से कोई तरल पदार्थ भरा हुआ था.
अब इंदु चीकू की गिरफ़्त से निकलने के लिए पूरी ताक़त से छटपटाने लगी थी, वो पुनः चीखा," जल्दी कर बॉब्बी "
सरिंज की कॅप उतारते वक़्त बॉब्बी के हाथ काँप रहे थे.
चंदू के वजूद पर ना जाने कैसे जुनून सवार हुआ कि," ला, मुझे दे " कहते हुए उसने बॉब्बी से सरिंज छीनी और ठीक इस तरह इंदु की मोटी भुजा मे पेवस्त कर दी जैसे भैंसे को इंजेक्षन लगाया जाता है, इंदु ने पुरजोर अंदाज मे चीखने की कोशिश की मगर चीकू का हाथ उसकी चीख को दबाए हुवे था.
गून-गून की आवाज़ के साथ वो छटपटाती रह गयी और फिर धीरे-धीरे छटपटाहट भी समाप्त होती चली गयी.
वो बेहोश हो गयी थी.
उस क्षण उन्होने पहली बार महसूस किया, बाहर से किसी कुत्ते के भौंकने की आवाज़ आ रही थी.
सबके चेहरे फक्क पड़ गये.
बंटी के मुँह से आवाज़ निकली," ये तो हमे मरवा देगा "
" अक्सर यही होता है " चीकू बोला," इंसान हम जैसो की गंध नही ले पाते जबकि कुत्ते सूंघ लेते है पर ज़्यादा घबराने की ज़रूरत नही है, पमिल्षन की आवाज़ है, ये सिर्फ़ भौंकते ही भौंकते है "
" चले " चंदू बोला," अब जल्दी से उठाकर इसे वन मे.... "
" नही, उससे पहले ये सब करना ज़रूरी हो गया है " चंदू की बात काटकर चीकू ने जेब से एक कॅप, रुमाल और काला चश्मा निकाला तथा उन सबसे अपने सर और चेहरे को छुपाता हुआ बोला," हमारे ना चाहने के बावजूद ये चीख पड़ी थी, इसी वजह से पमिल्षन भौंक रहा है, हो सकता है कि उसकी मालकिन बाहर निकल आई हो, वो पोलीस को हमारे हुलिए बता सकती है "
बाकी तीनो ने जल्दी से उसका अनुसरण किया.
अब उनके भवो तक के हिस्सो को कॅप ने, आँखो और उनके आस-पास के हिस्सो को चौड़े फ्रेम वाले काले चश्मो ने तथा नाकों सहित चेहरे के बाकी हिस्सो को रुमाल ने ढक रखा था.
" उठाओ इसे, दरवाजा खोल बंटी " कहने के साथ चीकू ने एक ही झटके मे लेटी हुई इंदु को बैठा लिया.
बाकी दोनो ने बल्कि तीनो ने उसकी मदद की क्योंकि बंटी पहले ही दरवाजा खोल चुका था.
इंदु के बेहोश जिस्म को लिए वे बाहर निकले और उनका बाहर निकलना था कि ए-76 की बाल्कनी मे खड़ी महिला ज़ोर-ज़ोर से चीखने लगी," चोर...चोर...चोर "
कुत्ते के भौंकने की आवाज़ तेज हो गयी थी.
वो ए-76 की गॅलरी मे था.
महिला की चीखे सुनकर कयि बाल्कनी के दरवाजे खुल गये थे.
शोर बढ़ता चला गया.
कयि लोग फ्लॅट्स से बाहर निकल आए थे.
चीकू ड्राइविंग सीट का दरवाजा खोलता चीखा," जल्दी से गाड़ी मे डालो, डरो मत, वे शोर मचाने से ज़्यादा कुछ नही करेंगे "
चंदू, बंटी और बॉब्बी ने वैसा ही किया.
इंदु को गाड़ी मे ठूँसने के बाद वे भी अंदर घुस गये.
चीकू पहले ही एंजिन स्टार्ट कर चुका था.
दरवाजे बंद होते ही उसने वॅन आगे बढ़ा दी.
तभी कोई चीखा," अरे, वो तो इंदु को ले जा रहे है "
वॅन कमान से निकले तीर की-सी गति से सड़क पर दौड़ी.
शोर-शराबा तेज हो गया था मगर जिसके हाथ मे स्टियरिंग था, वो घबराने वाला नही था.
उसने वॅन पार्क से बाहर निकलने वाले रास्ते पर दौड़ा दी परंतु उससे पहले किसी के द्वारा फेंका गया पत्थर वॅन का पिच्छला काँच तोड़ता हुआ ना केवल वॅन के अंदर आ गया था बल्कि बंटी के सिर मे भी लगा था, उसके मुँह से चीख निकल गयी थी और साथ ही सिर से खून भी बहने लगा था.
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अंकिता आई.
विजय के कहने पर कुर्सी पर बैठ गयी, उसके टॉप का उपरी बटन अब भी खुला हुआ था पर चेहरे की आभा गायब थी.
गमगीन नज़र आ रही थी वो.
आँखे ऐसी जैसे खूब रोई हो.
उन आँखो मे झाँकते विजय ने सीधा सवाल किया," बिजलानी से तुम्हारा क्या रिश्ता था "
वो थोड़ी चौंक्ति-सी नज़र आई.
फिर संभलकर बोली," वैसे तो वो मेरे बॉस थे मगर बॉस से पहले अंकल थे "
" अन...क..ल " विजय ने हर अक्षर को निचोड़ा.
" हां-हां " वो जल्दी से बोली," क...क्यो "
" क्यो से मतलब "
" आप मेरी तरफ इस तरह क्यो देख रहे है " वो अपसेट नज़र आई," अंकल शब्द भी आपने अजीब लहजे मे कहा, ऐसा क्यो "
" क्योंकि हमे नही लगता कि तुम्हारे और बिजलानी के बीच अंकल वाला रिश्ता रह गया था "
" क...क्यो, क्यो लगता है आपको ऐसा " उसके हलक से जो आवाज़ निकली वो चीख जैसी थी.
" क्योंकि कुछ दिनो से वो तुमसे कुछ ज़्यादा ही बाते करते थे "
अपने फेस पर उभर आई घबराहट को छुपाने के लिए वो पुनः चीखी," इसका क्या मतलब हुआ "
" इसका मतलब ये हुआ " कहने के साथ विजय ने अपनी जेब से बिजलानी का मोबाइल निकालकर मेज पर रख दिया.
यहाँ ये लिखा जाए तो ग़लत ना होगा कि रघुनाथ और विकास की समझ मे विजय की बातो का आधार आ गया था और अंकिता तो आँखे फाड़-फाड़कर मोबाइल को देखने लगी थी, बोली," मैं अब भी नही समझी कि आप क्या कहना चाहते है "
" इस मोबाइल को पहचानती हो ना "
" हां, ये सर का मोबाइल है "
" इसका रिकॉर्ड बता रहा है की पिच्छले कुछ दिनो से वे तुमसे कुछ ज़्यादा ही बाते कर रहे थे "
" तो इसमे ऐसी क्या बात है कि आप मुझसे इस अंदाज मे पूछताछ क्र रहे है, काम के सिलसिले मे वे अक्सर बाते करते रहते थे "
" ऐसी ज़रूरत उन्हे क्यो पड़ती थी "
" मैं आपके सवालो का मतलब नही समझ पा रही "
" ऑफीस मे, इसी इमारत मे मौजूद उस ऑफीस मे जिसमे कुछ देर पहले हम सब थे, तुम और वो साथ-साथ बैठे होते थे, फिर बार-बार फोन पर बात करने की क्या ज़रूरत थी, काम से कनेक्टेड बाते तो वहाँ हो ही जाया करती होंगी "
" वहाँ भी होती थी और फोन पर भी, फोन पर तब होती थी जब वे या तो कोर्ट मे होते थे या अपने बेडरूम मे और मैं ऑफीस मे अपना काम कर रही होती थी, उस वक़्त अगर उन्हे कुछ याद आता था तो फोन पर निर्देश देते थे "
" काम से रिलेटेड "
उसने उल्टा सवाल किया," आपको क्या लगता है "
" रेकॉर्ड बता रहा है कि बाते कुछ ज़्यादा ही लंबी होती थी "
" केस से संबंधित पायंट्स वो डीटेल मे समझाया करते थे ताकि मैं कुछ उल्टा-सीधा टाइप ना कर दूं, उसमे टाइम तो लगता ही था "
" ये सिलसिला पिच्छले कुछ दिनो से ही चालू हुआ था, करीब एक महीने पहले से, मोबाइल का रेकॉर्ड बता रहा है, उससे पहले तुम्हारे बीच इतनी लंबी-लंबी बाते नही होती थी "
" शायद आपकी जानकारी मे हो, करीब एक महीना पहले ही कान्हा मर्डर केस पर निचली कोर्ट का फ़ैसला आया है, इन दिनो वे उस फ़ैसले के विरुद्ध हाइकोर्ट मे अपील करने की तैयारी कर रहे थे, हर पॉइंट पर कभी उनका विचार कुछ बनता था, कभी कुछ, यानी कि उनके अपने ही विचार चेंज होते रहते थे, इसलिए वे अक्सर फोन करते थे कि अंकिता हम ने तुमसे जो ये लिखने के लिए कहा था, उसकी जगह वो लिख दो "
" और तुम लिख देती थी "
" मेरा तो काम ही उनके कहे को फॉलो करना था "
" कयि बार बिजलानी ने तुम्हे रात को भी फोन किया, 11 बजे, 12 बजे, यहा तक की डेढ़ बजे भी, हमारे ख़याल से उस वक़्त तुम ओफिस मे नही, अपने घर पर होती होगी "
" बिल्कुल होती थी और वे फोन करते थे " अब वो पूरी हनक के साथ जवाब दे रही थी," ऐसा तब होता था जब उनके दिमाग़ मे रात के वक़्त कोई पॉइंट आता था, वे कहते थे, रात के इस वक़्त डिस्टर्ब करने के लिए सॉरी अंकिता मगर हम ने इसी वक़्त फोन इसलिए किया है कि कही सुबह तक ये पॉइंट दिमाग़ से निकल ना जाए, उस अवस्था मे तुम याद रखना "
" क्या वे उस वक़्त ड्रिंक किए हुए होते थे "
" हां " उसने दबी सी आवाज़ मे कहा," ऐसा तो था "
" उसी हालत मे आदमी को ये डर हो सकता है कि जो पॉइंट इस वक़्त दिमाग़ मे आ रहा है, वो सुबह तक उड़ँच्छू हो सकता है "
अंकिता चुप रह गयी.
अब, विजय ने बहुत ही गौर से उसकी बड़ी-बड़ी आँखो मे झाँकते हुवे पूछा था," ऐसे किसी समय पर उन्होने कभी कोई ऐसी बात तो नही कही जो उन्हे नही कहनी चाहिए थी "
" म...मतलब " वो सकपकाती नज़र आई, विजय से ठीक से आँखे भी मिलाए नही रख पाई थी वो," क..कैसी बात कर रहे है आप, आ...आपका इशारा कैसी बातो की तरफ है "
" जिनका किसी केस से संबंध ना हो "
" ब...भला ऐसी बाते क्यो करते वो "
" कर जाते है, रात के वक़्त, नशे मे लोग अक्सर ऐसी बाते कर जाते है जिनकी अपेक्षा उनसे दिन मे, सामान्य अवस्था मे नही की जा सकती, या यूँ भी कहा जा सकता है कि जिन बातो को वे सामान्य अवस्था मे कहने की हिम्मत नही जुटा पाते उन्हे रात मे नशे मे होने की बहाने पर सवार होकर कह जाते है "
" नही " उसके जबड़े कस गये," ऐसी तो कभी कोई बात नही कही उन्होने "
" कोई ऐसी बात जो अंकल के रिश्ते से मेल ना खाती हो "
" नही.... नही....नही.... " अचानक वो चिल्ला पड़ी," कितनी बार सफाई दूं आपको, बार-बार इस किस्म के सवाल करने का मतलब क्या है, वे मेरे अंकल थे, पिता समान थे, ठीक वैसे ही जैसे रिप्पी के पिता है, और आप है की सिर्फ़ फोन कॉल्स के बेस पर ना जाने उनके और मेरे बीच क्या रिश्ता जोड़ना चाहते है "
" तुम तो बुरा मान गयी मोहतार्मा, भला हम कौन होते है किन्ही दो व्यक्तियो के बीच नया रिश्ता जोड़ने वाले " उसके तेवर और हालत देखते हुवे विजय ने तुरंत पैंतरा बदल लिया था," पूछताछ करना हमारा काम है, उनके फोन मे तुम्हे की गयी कॉल्स कुछ ज़्यादा ही थी इसलिए ये सब पूछना पड़ा "
" और मेरे ख़याल से मैं आपके सभी सवालो के जवाब दे चुकी हू " वो उखड गयी थी," क्या अब मैं जा सकती हू "
" कमाल कर रही हो, पहले ही कह देती, हम क्या तुम्हे जाने से रोकने वाले थे, और फिर, तुम्हे बाँधकर अपने सामने बैठाने वाले हम होते कौन है "
अंकिता बिना कुछ कहे एक झटके से उठी और तमतमाई हुई-सी अवस्था मे दरवाजे की तरफ बढ़ गयी, अभी वो दरवाजे तक भी नही पहुचि थी कि विजय ने कहा," रिप्पी को भेज देना "
ना वो ठितकी.
ना घूमी और ना ही जवाब मे कुछ कहा.
बस हवा के तेज झोंके की तरह बाहर निकल गयी, उसका जाना था कि रघुनाथ ने कहा," तो ये था तुम्हारा आधार-कार्ड "
" हमारे बताए बिना समझने के लिए शुक्रिया तुलाराशि "
" पर गुरु " विकास बोला," सोच तो शायद आप ठीक ही रहे है, मुझे भी इनके संबंधो मे गड़बड़ नज़र आई "
" वो कैसे "
" आपके सवालो के जवाब मे अंकिता के रिक्षन्स बड़े अटपटे थे, कभी अकड़ती-सी नज़र आती थी, कभी टूट-ती-सी, कम से कम ऐसे रिक्षन्स तो नही थे उसके जैसे ऐसे आरोप लगाने पर एक इनोसेंट लड़की के होने चाहिए थे "
" क्यो, एक इनोसेंट लड़की को क्या करना चाहिए था "
" मेरे ख़याल से तो उसे भड़क जाना चाहिए था "
" भड़की कब नही वो, भड़की तो इतनी ज़्यादा की फ़ौरन ही हमारे सामने से उठकर चली गयी "
" मुझे नही लगा कि ऐसा उसने भड़कने की वजह से किया "
" और क्या लगा "
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