RE: Gandi Kahani सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री
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मोबाइल उसके हाथ मे था और वो ये कहता हुआ कमरे मे दाखिल हुआ था," आ गया, उसका फोन आ गया विजय, तुम्हारी बात सच साबित हुई "
" क्या कहा उसने "
" प...पाँच लाख रुपये माँग रहा है "
" इतने कम " विजय कह उठा," इतनी कम फिरौती तो आजकल बकरी के बच्चे की भी नही माँगी जाती "
" कह रहा था, पाँच लाख नही दिए तो इंदु को मार डालेगा "
" आप कह देते, मार डाल "
" क...क्या " उसके मुँह से चीख निकल गयी," ये तुम क्या कह रहे हो विजय, इंदु के लिए भला मैं ऐसा.... "
" समझिए सरकार-ए-आली, कोशिश कीजिए समझने की, उसने सरकारनी को मारने के लिए किडनॅप नही किया है, फिर वही कहेंगे, ऐसा करना होता तो आपके फ्लॅट पर ही कर डालता, उसे सरकारनी की जान नही, पाँच लाख चाहिए "
" लेकिन उसे फिरौती नही मिली तो मार सकता है ना "
" आपने क्या कहा "
" वही, जो तुमने कहा था, यही कि अभी मैं भीड़ मे हू, बाद मे बात करूँगा, बस इतना कहकर मैंने फोन काट दिया "
" लाइए, हमे दीजिए फोन "
राजन सरकार ने मोबाइल उसे पकड़ा दिया.
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विजय ने लेटेस्ट कमिंग कॉल का नंबर देखा और रिडाइयल वाला बटन दबा दिया, जैसी की उम्मीद थी, स्विच ऑफ आया.
विजय ने नंबर रघुनाथ को दिया.
कहा," इसे सर्व्लेन्स पर लग्वाओ तुलाराशि, उम्मीद तो नही है कि वो इस नंबर को पुनः चालू करेगा लेकिन फिर भी, चान्स तो लिया ही जाना चाहिए, अगर उसने बेवकूफी कर दी तो हम उसके गले जा पड़ेंगे "
रघुनाथ ने पोलीस हेडक्वॉर्टर फोन लगाकर निर्देश देते हुए नंबर नोट करा दिया.
उसका कॉल ख़तम हुआ ही था कि राजन सरकार के मोबाइल की बेल बजने लगी.
विजय ने नंबर देखा.
वो वो नही था जो उसने रघुनाथ को नोट करवाया था.
उस वक़्त कंचन और राजन सरकार हैरत के सागर मे गोते लगाने लगे थे जब विजय ने मोबाइल का ग्रीन स्विच दबाने के साथ हेलो कहा, कारण ये था कि विजय के मुँह से निकलने वाली आवाज़ हूबहू राजन सरकार की थी.
वे विजय को इस तरह देखने लगे थे जैसे वो अजूबा हो जबकि विकास और धनुष्टानकार के लिए वो ज़रा भी हैरत की बात नही थी, वे जानते थे कि विजय किसी की भी आवाज़ की नकल कर सकता है.
रघुनाथ को थोड़ा अस्चर्य ज़रूर हुआ था लेकिन अजूबे जैसी बात नही लगी थी क्योंकि उसने पहले भी काई बार विजय को दूसरो की आवाज़ की नकल करते देखा था.
हेलो कहने के साथ ही विजय ने स्पीकर ऑन कर दिया था ताकि दूसरी तरफ की आवाज़ भी सब सुन सके.
दूसरी तरफ से पूछा गया था," अब तो फ़ुर्सत मे है "
" ह..हां " विजय ने हकलाहट भरी आवाज़ मे कहा.
" तो सुन " गुर्राहट भरे लहजे मे कहा गया," जैसा कि पहले भी कह चुका हू, पाँच लाख का इंतज़ाम कर ले वरना अपनी बीवी की लाश देखेगा "
" आ..ऐसा क्यो कह रहे हो तुम " विजय ने राजन सरकार की आवाज़ को थोड़ा कप्कंपाया था," मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है "
" अपने पापो की सज़ा तो तुझे भुगतनी ही पड़ेगी "
" प..पाप, मैंने क्या पाप किया है "
" आमने-सामने होंगे तो उसके बारे मे भी बताउन्गा, फिलहाल ये बता, 5 लाख कब पहुचा रहा है "
" मेरे पास इतने पैसे नही है "
" मुझे मालूम है तेरे पास कितने पैसे है, पाँच लाख तो ऐसी रकम है कि अपनी पतलून झाडेगा तो उससे भी टपक पड़ेंगे "
" यकीन मानो, जब से मेरा बेटा मारा है, कमाई ठप्प है और मुक़दमे-बाजी ने मुझे आर्थिक रूप से तोड़कर रख दिया है "
" बेटे और मीना को तो तूने खुद मारा "
" नही मारा " राजन को लगा जैसे ये शब्द वो खुद बोल रहा है," किस-किस से कितनी बार कहूँ कि मैंने उन्हे नही मारा "
" नाटक करने की ज़रूरत नही है " दूसरी तरफ से कड़क आवाज़ मे कहा गया," सीधा जवाब दे, पाँच लाख पहुचाएगा या तेरी बीवी को मारकर कूड़े के ढेर मे डाल दूं "
" नही-नही, इंदु को हाथ भी मत लगाना तुम, तुम जो कहोगे मैं करूँगा लेकिन मेरे पास इस वक़्त पाँच लाख नही है "
" कब तक इंतज़ाम करेगा "
" ए...एक हफ़्ता तो लग ही जाएगा "
" दो हफ्ते लगा, एक महीना लगा, मुझे कोई फ़र्क नही पड़ेगा, पर इतना याद रखियो, जितने भी दिन लगेंगे, मैं तेरी बीवी को खाने का एक नीवाला भी नही दूँगा, एक बूँद पानी तक नही पीने दूँगा इसे, खुद सोच ले, ये कब तक जिंदा रह सकेगी "
" नही-नही " विजय गिड़गिडया," तुम ऐसा नही करोगे "
" मैं ऐसा ही करूँगा " बेहद सख़्त लहजे मे कहा गया," मुझे बेवकूफ़ बनाने की ज़रूरत नही है, जानता हू कि तू चाहे तो मिनटों मे पाँच लाख का इंतज़ाम कर सकता है, कल फोन करूँगा, अपनी बीवी को बचाना चाहता है तो इंतज़ाम करके रखियो, और सुन, यदि पोलीस को बीच मे लाने की कोशिश की तो फिर तुझे अपनी बीवी की लाश की देखने को मिलेगी "
" पर मैं कैसे यकीन मान लू कि इंदु तुम्हारे ही पास है "
" मुझे मालूम था तू ये ज़रूर कहेगा इसलिए, ले, अपनी बीवी की आवाज़ सुन "
इसके बाद कुछ देर तक दूसरी तरफ खामोशी छा गयी.
फिर इंदु की आवाज़ उभरी," ये लोग बहुत जालिम है राज, इन्होने मुझे बहुत मारा है, वो कर दो जो ये कह रहे है "
" इंदु " विजय ने ठीक इस तरह कहा जैसे अगर राजन सरकार लाइन पर होता तो कहता," क्या तुम इन्हे पहचानती हो "
" कुत्ते के बीज " आवाज़ उभरी," हमारी टोह लेना चाहता है इससे, ऐसी होशियारी करेगा तो रन्डवा बना देंगे तुझे " इन शब्दो के बाद फोन काट दिया गया था.
हालाँकि विजय समझ गया था, फाय्दा इस बार भी कुछ नही होगा, वे जो भी है सर्व्लेन्स के बारे मे जानते है लेकिन फिर भी उसने ये दूसरा नंबर भी रघुनाथ को देकर सर्व्लेन्स पर लगाने के लिए कहा और रघुनाथ ने पुनः प्रक्रिया दोहरा दी, जबकि विजय सीधा राजन सरकार से बोला था," अब आपको ये याद करना पड़ेगा सरकार-ए-आली कि आपने क्या पाप किया है "
" मैंने कुछ नही किया "
" आपने खुद सुना, उसने आपके किसी पाप का ज़िक्र किया था, इंदु का अपहरण उसी के बदले मे हुआ है "
" मेरी समझ मे कुछ नही आ रहा है "
तुरंत ही विकास बोला," जो आपकी समझ मे आ रहा है गुरु वो मेरी भी समझ मे आ रहा है "
" पर अभी उगलो मत, बात सही समय पर उगली जानी ही सही होती है दिलजले " विजय तेज़ी से दरवाजे की तरफ बढ़ता हुआ बोला था," आओ, अब हमे मारुति वन की जाँच करने के अलावा इनस्पेक्टर राघवन की भी खबर लेनी पड़ेगी, उसका बयान ही इस उलझे हुवे मामले को सुलझाने मे सहायक हो सकता है "
रघुनाथ, विकास और राजन सरकार उसके पीछे लपके.
मोंटो तो विकास के कंधे पर था ही, लेकिन कंचन जहाँ खड़ी थी, जड़-सी बनी वही खड़ी रह गयी.
इसमे शक नही कि अंतिम क्षणों मे उसे लगा था की विजय इस दुनिया का सबसे बड़ा अजूबा है.
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वॅन मे घुसते ही विजय के नथुने फडक उठे थे, उसने टूटे काँच, गाड़ी मे पड़े काँच के टुकड़े, पत्थर और पिच्छली सीट पर पड़े खून का निरीक्षण किया और बगैर किसी चीज़ को छेड़े बाहर निकल आया.
लगभग तभी राघवन ने रघुनाथ को बताया था," पता लगा है सर कि ये मारुति वन चोरी की है, 2 बजे सिविल लाइन थाने मे इसकी चोरी की रिपोर्ट लिखवाई गयी थी "
राघवन के शब्द विजय के तेज कानो मे भी पड़ गये थे इसलिए उसने पूछा," रिपोर्ट लिखवाने वाले का नाम "
" रवींद्रा पुजारा "
" गाड़ी कहाँ से चोरी हुई "
" फन माल की पार्किंग से, पुजारा फॅमिली के साथ 'गुंडे' देखने गया था, वापिस आया तो गाड़ी पार्किंग मे नही थी "
" हमे पहले ही उम्मीद थी कि ये गाड़ी चोरी की होगी " विजय ने ऐसा कहा ही था कि विकास बोला," और वो दूसरी गाड़ी भी चोरी की होनी चाहिए गुरु जिसमे किडनॅपर्स ने इंदु आंटी को ट्रान्स्फर किया और यहाँ से फरार हो गये "
" कैसे कह सकते हो प्यारे कि वे इंदु को यहाँ से गाड़ी मे ही ले गये है, कंधे पर लादकर भी तो ले गये हो सकते है " विजय ने हल्की-सी मुस्कान के साथ पूछा.
" मैं नही समझता कि आपकी नज़र यहाँ मौजूद दूसरी गाड़ी के इन टाइयर्स के निशान पर नही पड़ी होगी " कहने के साथ विकास ने घासयुक्त कच्ची ज़मीन पर बने टाइयर्स के निशानो की तरफ इशारा किया था," बल्कि मेरी तरह आपने भी गौर कर लिया होगा की उसका अगला दायां टाइयर बाई तरफ से घिसा हुआ होना चाहिए "
" हमे ख़ुसी है दिलजले की तुम शरलॉक होम्ज़ बनते जा रहे हो मगर हम इस बात से सहमत नही है कि वो गाड़ी भी चोरी की होगी क्योंकि किन्ही भी अपराधियो के लिए एक साथ दो गाड़िया चुराना ज़रा अटपटा लगता है "
" तो क्या दूसरी गाड़ी उनकी अपनी होगी "
" उम्मीद तो यही है, अपनी गाड़ी उन्होने पहले ही यहाँ खड़ी कर दी होगी, क्राइम चोरी की गाड़ी से किया ताकि अगर देख भी ली जाए तो गाड़ी के आधार पर पकड़े ने जा सके, वॅन से वे इंदु को यहाँ तक लाए, उसे अपनी गाड़ी मे ट्रान्स्फर किया ताकि किसी नाके पर रोके ना जा सके और सरपट निकल जाए "
" इस हरकत से ये भी स्पष्ट है कि वे इस किस्म के कामो मे माहिर है, प्लान बनाए हुए थे कि किन हालात से कैसे बचना है "
विकास की बात पर ध्यान दिए बगैर विजय ने राजन सरकार से वो सवाल किया जिसका जवाब उसे पहले से मालूम था," मीना के परिवार मे कोई और भी है क्या "
" एक लड़का "
" नाम "
" चंदू "
" उम्र "
" करीब 22 साल "
" कहाँ रहता है "
" धनपतराय के फार्महाउस पर "
" कौन धनपतराय "
" राजनगर के प्रसिद्ध उद्योगपति है, चंदू उनके फार्महाउस पर माली का काम करता है "
" क्या आप कभी चंदू से मिले है "
" कयि बार, वो अपनी माँ से मिलने आ जाया करता था "
" आपके प्रति उसका व्यवहार कैसा होता था "
" वैसा ही जैसा एक नौकर का मालिक के प्रति होता है परंतु मीना की मौत के बाद बदल गया था "
" क्या तब्दीली आई थी "
" वो पोस्मोरेट्म हाउस मे मिला था, हम कान्हा के पोस्टमॉर्टम के सिलसिले मे गये हुए थे, वो मीना के लिए आया हुआ था, उस वक़्त कुछ बोला तो नही था लेकिन लगा था, नफ़रत भरी नज़रो से हमे घूर रहा है, मीना की लाश को वही ले गया था "
" उसके बाद "
" कोर्ट मे हम पर दोनो की हत्याओ का केस चला, हालाँकि वो कोई पक्ष नही था मगर केस के दरम्यान अक्सर कोर्ट मे मिला करता था, हर तारीख पर आता था, उसकी आँखो मे हमारे लिए अच्छे भाव नही होते थे, एक बार तो कहा भी 'तुमने मेरी माँ को मारकर अच्छा नही किया सेठ, मैं तुम्हे फाँसी के फंदे पर झूलते देखना चाहता हू' उन दिनो मुझे लगता था कि उसका व्यवहार असमान्य नही है क्योंकि सारी दुनिया की तरह वो भी हमे ही अपनी माँ का हत्यारा समझ रहा है, मैंने उससे हमेशा यही कहा कि हम ने मीना को नही मारा है चंदू, हम पर झूठा केस चल रहा है "
" क्या वो cइग्रेत्त या बीड़ी पीता था "
" मीना के जिंदा रहने तक मेरे सामने नही पीता था मगर उसकी मौत के बाद उसे अक्सर बीड़ी पीते देखा था, मगर उसके बारे मे तुम इतने सवाल क्यो पूछ रहे हो "
" हमे लगता है, इंदु जी को उसी ने किडनॅप किया है "
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