RE: Gandi Kahani सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री
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" च...चंदू ने " राजन सरकार के मुँह से बस यही शब्द निकले और काफ़ी देर तक चेहरे पर अस्चर्य के भाव लिए उसकी तरफ देखता रहा, फिर बोला," आप ऐसा कैसे कह सकते है "
" उस बात को छोड़िए सरकार-ए-आली, ये बताइए कि क्या उसने ऐसा किया हो सकता है, क्या तुमने कभी महसूस किया कि वो अपराधी प्रवृत्ति का है "
" मुझे तो ऐसा नही लगा और.... "
" और "
" मुझे नही लगता कि ये काम उसने किया है "
" वजह "
" फोन पर उसकी आवाज़ नही थी " राजन ने कहा," मैं उसकी आवाज़ पहचान सकता हू "
" आप भूल रहे है कि ये काम उसने अपने बाकी तीन साथियो के साथ किया है, फोन पर कोई और भी हो सकता है "
" हां, ये तो है "
" पर हमारे ख़याल से वही था "
" क...कैसे कह सकते हो "
" उसने आपके पाप वाली बात कही, इंदु को मारकर कूड़े के ढेर पर डालने की बात कही, याद रहे, मीना की लाश कूड़े के ढेर से ही बरामद हुई थी, उसके शब्दो मे उसके अंदर की आग बोल रही थी, वॅन मे बीड़ी के धुँए की गंध अभी भी मौजूद है "
" तो फिर मैंने उसकी आवाज़ पहचानी क्यो नही "
" जो सर्व्लेन्स के बारे मे जानते है वो ये भी जानते होंगे कि मोबाइल पर अगर कपड़ा डालकर बात की जाए तो सामने वाले के लिए आवाज़ पहचानना मुश्किल हो जाता है "
" आ..अगर तुम्हारा अनुमान ठीक है, तब तो इंदु की जान ख़तरे मे है " कहते-कहते राजन के चेहरे पर आतंक काबिज हो गया था," जिसके जेहन मे ये जहर भरा है कि उसकी माँ की हत्या हम ने की है, वो कुछ भी कर सकता है "
" वही समझाने की कोशिश कर रहे है सरकार, उम्मीद है अब ये भी समझ गये होंगे कि आपने कौन सा पाप किया है जिसका ज़िक्र फोन पर किया गया था "
" कितनी बार कहूँ कि हम ने मीना का मर्डर.... "
" अपनी नज़र मे ना सही लेकिन चंदू की नज़र मे किया है " वो उसकी बात काटकर बोला," अब इस बात को भी समझ लीजिए हुजूर-ए-आला कि आपकी पत्नी को पाँच लाख के लिए किडनॅप नही किया गया है बल्कि चंदू के दिल मे बदले की भावना है, आपने खुद ही बताया कि केस के दरम्यान वो हर तारीख पर मौजूद रहता था और आपकी तथा आपकी पत्नी की फाँसी का ख्वाइश्मन्द था "
" फिर वो पाँच लाख क्यो माँग रहा था "
" इस पहेली को समझना अभी बाकी है, अगर उसका मकसद बदला लेना ही था तो इंदु को किडनॅप क्यो किया, पूरा मौका होने के बावजूद फ्लॅट मे ही उनकी हत्या क्यों नही कर दी "
राजन सरकार के चेहरे पर ख़ौफ़ नाचने लगा था.
विजय ने विकास से पूछा," क्या कहते हो मेरे शरलॉक होम्ज़ "
" हमे नही भूलना चाहिए गुरु कि उसके साथ तीन लोग और है, मुमकिन है उनका उद्देश्य पैसा हो "
" या कोई बड़ा गेम... बड़ा गेम है उसकी खोपड़ी मे "
" कैसा बड़ा गेम "
" उसे छोड़ो प्यारे " कहने के बाद विजय एक बार फिर राजन सरकार से मुखातिब हुआ," हमारी अगली मंज़िल धनपतराय है, हो सकता है चंदू ने इंदु को उसके फार्महाउस पर रखा हो "
" मैंने धनपतराय का बंगला देखा है "
" तो चलो... और तुम हमारे साथ गाड़ी मे बैठोगे राघवन प्यारे, रास्ते मे तुमसे मोहब्बत भरी कुछ बाते करनी है ताकि हमारे दिमाग़ पर पड़े गोदरेज के ताले खुल सके "
विजय के तेवरो ने राघवन के जिस्म मे झुरजुरी सी दौड़ा दी थी.
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" हां तो राघवन प्यारे, चालू हो जाओ " गाड़ी के वहाँ से रवाना होते ही विजय ने कहा था," कान्हा के मर्डर के बाद राजन सरकार के फ्लॅट पर पहुचने वाले तुम पहले पोलीस वाले थे, विस्तार्पूर्वक बताओ, वहाँ पहुचने पर तुमने क्या देखा "
" उससे पहले क्या मैं... "
अपना वाक्य अधूरा छोड़कर वो खुद ही रुक गया.
" हां-हां कहो " विजय बोला," क्या कहना चाहते हो "
" क..क्या मैं जान सकता हू कि आप कौन है और किस हैसियत से ये सब पूछ रहे है "
विजय ने एक सेकेंड के लिए सोचा, शायद ये कि उसे क्या बताए, फिर बोला," हम रॉ के एजेंट है "
" र...रॉ के एजेंट "
" जी "
" क्या ये केस रॉ के हवाले हो गया है "
" ऐसा ही समझो "
" कोर्ट के फ़ैसले के बाद भला... "
विजय ने उसकी बात काटकर कहा," बारीकियो मे मत जाओ प्यारे, तुमने एक सवाल के जवाब की पर्मिशन माँगी थी, हम दो के दे चुके है, अब तुम्हे हमारे सवालो के जवाब देने है "
" मुझे शुरू से इल्म हो रहा था कि आप हमारे सुपेरिटेंडेंट साहब से बड़े ऑफीसर है, तभी उनके सामने इतना बोल पा रहे थे, अब भी वे अपनी गाड़ी मे है, बल्कि राजन सरकार को भी आपने उन्ही के साथ बिठा दिया है जबकि मुझे लेकर इस गाड़ी मे बैठे " कहने के बाद उसने पजेरो ड्राइव कर रहे विकास और कंडक्टर सीट पर सिगार फूँक रहे धनुष्टानकार की तरफ इशारा करते हुए पूछा था," क्या इन दोनो का संबंध भी रॉ से है "
" तुमने फिर सवाल किया लेकिन फिर भी, हम तुम्हारी आत्मा की शांति के लिए जवाब दे देते है " विजय ने कहा था," ठीक पहचाना तुमने, सरकार-ए-आली को तुम्हारे सूपरईडियत के साथ हम ने इसलिए बिठाया है क्योंकि तुमसे जो गुफ्तगू करनी है वो उनके सामने नही करना चाहते थे और ये दोनो भी रॉ के एजेंट है "
राघवन खामोश रहा, विजय ने पूछा," तुम्हे कान्हा के मर्डर की सूचना कितने बजे मिली "
" सवा 7 बजे "
" और साढ़े 7 बजे ए-74 पहुच गये "
" थाने से वहाँ तक का रास्ता 15 मिनिट का ही है "
" यानी सूचना मिलते ही चल पड़े थे "
" जी "
" तुम जैसे कर्मठ पोलिसेवाले हम ने ज़रा कम ही देखे है, खैर सूचना किसने दी थी "
" राजन सरकार ने "
" क्या कहा था "
" यही कि उनकी मीना नामक नौकरानी उनके बेटे कान्हा का मर्डर करके और करीब 6 लाख के जेवरात लेकर फरार हो गयी है "
" ए-74 पहुचने पर क्या देखा "
" फ्लॅट के बाहर कॉलोनी वालो की और मिस्टर. राजन सरकार के परिचितो की भीड़ लगी थी, कुछ लोग फ्लॅट के अंदर भी थे "
" अंदर कौन-कौन थे "
" खुद सरकार दंपति, आड्वोकेट अशोक बिजलानी, प्रिन्स नामक दूधवाला और ए-76 मे रहने वाले चंदानी दंपति "
" अशोक बिजलानी और चंदानी दंपति की तो बात समझ मे आती है क्योंकि सरकार दंपति की नज़रो मे वे उनके हमदर्द थे पर दूधवाला क्या कर रहा था "
" उसके आने पर ही तो कान्हा के मर्डर के बारे मे पता चला "
" डीटेल बताओ "
" मुझे प्रिन्स ने बताया, सुबह साढ़े 6 बजे जब वो दूध लेकर पहुचता था तो मीना ही दारवाजा खोलती थी, सरकार दंपति और कान्हा सोए हुए होते थे, मीना अक्सर पहली बेल पर ही दरवाजा खोल देती थी लेकिन उस सुबह वैसा नही हुआ, कयि बार बेल बजानी पड़ी और बार-बार बेल बजाने पर अंदर से इंदु मेम-साहब की ऐसी आवाज़े आई जैसे मीना को पुकार रही हो पर मीना की आवाज़ नही आई थी, फिर इंदु मेमसाहब के मुँह से निकलने वाली ऐसी चीखने की आवाज़ आई जैसे वे किसी चीज़ को देखकर डर गयी हो और उसके तुरंत बाद राजन सरकार की आवाज़े आने लगी थी, केवल आवाज़े आ रही थी, शब्द स्पष्ट नही थे, और फिर दोनो के रोने की आवाज़े आने लगी, प्रिन्स घबरा गया और बेल बजाने की जगह बार-बार दरवाजा पीटने लगा, साथ ही पूछने लगा कि क्या हुआ है, दरवाजा खुला और रोती हुई इंदु ने कहा, देखो प्रिन्स, मीना क्या करके गायब हो गयी है, कहते वक़्त उन्होने कान्हा के कमरे की तरफ इशारा किया था, प्रिन्स ने देखा, कान्हा के कमरे का दरवाजा खुला हुआ था लेकिन कुछ सॉफ नज़र नही आया, रोते हुए राजन सरकार ने कहा, वहाँ जाकर देखो, प्रिन्स ये सोचकर घबरा गया कि पता नही क्या हो गया है, दरवाजे पर पहूचकर देखा तो सिहर उठा, मुँह से चीख निकल गयी, बेड पर कान्हा की लाहुलुहान लाश पड़ी थी "
" जब तुम पहुचे, क्या उस वक़्त राजन सरकार या इंदु सरकार मे से किसी के कपड़ो पर खून लगा था "
" नही "
" क्या तुम्हारे जेहन मे ये सवाल नही उभरा कि ऐसा क्यो था, जिनका बेटा मरा था, क्या उन्होने उसे स्पर्श तक नही किया, जबकि स्वाभाविक तो ये था कि उसे गले लगाकर रोए होंगे "
" मेरा ध्यान उस तरफ गया था "
" पूछा कि ऐसा क्यो था "
" नही पूछ पाया "
" वजह "
" कुछ सवाल परिस्तिथियो के कारण नही पूछे जाते, उस वक़्त के हालात ऐसे सवाल करने की इजाज़त नही देते थे "
" ये तो पूछा होगा कि यदि उन्हे ये सब साढ़े 6 बजे पता लग गया था तो थाने पर सवा 7 बजे फोन क्यो किया गया, पौने घंटे तक क्या करते रहे "
" पूछा था, जवाब अशोक बिजलानी ने दिया, उसने कहा कि सरकार दंपति घबरा गये थे, इन्होने पहला फोन मुझे किया था, इसलिए, क्योंकि मैं इनका दोस्त होने के साथ एक आड्वोकेट भी हू, मैंने आते ही पूछा, पोलीस को फोन किया, इन्होने जब इनकार किया तो मैंने कहा ग़लती की तुमने, सबसे पहला फोन पोलीस को करना चाहिए था, और तब फोन किया गया था "
" ये जवाब तो जमने वाला नही है "
" मुझे भी नही जमा था लेकिन फिर भी ज़्यादा ध्यान नही गया क्योंकि कम से कम उस वक़्त मैं तो क्या, संसार का कोई भी व्यक्ति ये नही सोच सकता था कि वो सारा कांड सरकार दंपति ने किया होगा, अर्थात उनपर शक करने का कोई कारण नही था "
" अशोक बिजलानी से पूछा कि वे वहाँ कितने बजे पहुचे थे "
" उन्होने बताया, 7 बजे "
" उसके बाद तुम कान्हा के कमरे मे गये "
" वहाँ तो प्रिन्स, बिजलानी और सरकार दंपति से पूछताछ से पहले ही हो आया था, बहरहाल, घटनास्थल का निरीक्षण करना मेरा पहला कर्तव्य था "
" क्या देखा तुमने, एक-एक बात ध्यान करके बताओ क्योंकि क्राइम सीन सबसे महत्त्वपूर्ण होता है, कुछ भी छूटना नही चाहिए, डेडबॉडी लाहुलुहान क्यो थी, खून कहाँ से निकला था "
" कान्हा की कनपटी से "
" दाए हिस्से से, या बाए हिस्से से "
" बाए हिस्से से "
" किस चीज़ से वार किया गया था "
" मेरी समझ मे कुछ नही आया था क्योंकि कमरे मे कोई वेपन नही था, ये भी पता लग गया था कि राजन सरकार हमारे आइजी निर्भय सिंग के बचपन के दोस्त है इसलिए खुद ज़्यादा पंगा ना लेते हुवे अधिकारियो को फोन करना मुनासिब समझा "
" ये किसने बताया कि राजन सरकार आइजी के दोस्त है "
" ये बात मुझे डाइरेक्ट नही बताई गयी थी बल्कि मेरे सामने अशोक बिजलानी ने राजन सरकार से कहा था, तुमने इस बारे मे आइजी साहब को फोन किया या नही, वे तो तुम्हारे बचपन के दोस्त है "
" ये बात तो वो राजन सरकार से तुम्हारे पहुचने से पहले भी पूछ सकता था, बहरहाल, वो 7 बजे पहुच गया था "
राघवन हौले से मुस्कुराया, बोला," हम पोलीसवाले इस बात को समझते है कि लोग हमारे सामने ऐसी बाते हम जैसे छोटी रंक के पोलीस वालों को प्रभावित करने के लिए करते है "
" यानी तुम ये समझ गये थे कि अशोक बिजलानी ने वैसा तुम्हे प्रभावित करने के लिए कहा था "
" जी "
" और तुम प्रभावित हुए "
" होना पड़ता है, तभी तो कार्यवाही करने से पहले अधिकारियो को फोन करना मुनासिब समझा "
" अधिकारियो को फोन करने से तात्पर्य क्या है तुम्हारा, क्या आइजी साहब को फोन किया था "
" मेरी हैसियत डाइरेक्ट उन्हे फोन करने की कहा है सर, मैंने एसएसपी साहब को फोन किया था "
" राजन सरकार ने भी आइजी साहब को फोन नही किया "
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