RE: Gandi Kahani सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री
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" क्या तुम ये कहना चाहते हो कि राघवन और बिजलानी ने राजन के बेडरूम के क्लाइमेट मे सेक़लों की गंध फैलाकर उन्हे बेहोश कर दिया था " जिस वक़्त ठाकुर साहब ने ये सवाल किया उस वक़्त विजय ने उनकी आँखो मे अपने लिए प्रशन्शा के भाव देख लिए थे, ऐसे भाव, जैसे वे अपने बेटे पर गर्व कर रहे हो, इसलिए उसने ये कहकर जानबूझकर शरारत की," समझने के लिए शुक्रिया बापूजान, आपके बच्चे जिएं और सारी जिंदगी उसी तरह आपका खून पीते रहे जैसे हम पी रहे है "
ठाकुर साहब की भृकुटिया टन गयी.
उन्होने घूरकर देखा विजय को. उनकी आँखो मे उपजा बेटे के लिए गर्व का भाव पालक झपकते ही जाने कहा लोप हो गया था.
यही तो चाहता था विजय, बोला," सेक़लों इन्होने बाहर से एसी मे डाला था, एसी की हवा के साथ वो बेडरूम के क्लाइमेट मे फैला और सरकार दंपति 5 घंटे के लिए अन्टागफील हो गये, वे 5 घंटे इन लोगो को अपनी कार्यवाही पूरी करने के लिए काफ़ी थे "
ज़्यादातर चेहरो पर हैरत ने कब्जा कर लिया था.
" उसके बाद एसी को कालीन पर गिराकर इनके लिए बेडरूम मे आ जाना ज़रा भी मुश्किल नही था अर्थात जब मीना के सामने जाकर खड़े हुए तो वो चकित रह गयी, सबसे पहला सवाल यही किया कि वे लोग अंदर कैसे आ गये, बिजलानी ने उसके सवाल को दरकिनार करते हुए कहा,' बिल्कुल भी डरने की ज़रूरत नही है, राजन और इंदु इस वक़्त बेहोश है, कान्हा के कमरे मे जाकर उससे संबंध बनाओ, हम वीडियो तैयार करेंगे, मीना ने वैसा ही किया और जब वे पीक पर थे तो सरकार की हॉकी से वार करके दोनो की हत्या कर दी, आप लोग समझ सकते है कि अपनी हत्या के समय मीना कितनी हैरान रह गयी होगी लेकिन अंतिम समय मे बेचारी के पास इतना मौका भी ना था कि उनसे ये पूछ सकती कि उन्होने ऐसा क्यो किया, वो कान्हा के साथ वही ढेर हो गयी "
" तुम बकवास कर रहे हो विजय " अंजलि की आँखे रोने के कारण सुर्ख नज़र आ रही थी," पता नही तुम्हे होली वाले दिन का सच कहाँ से पता लग गया, उस एक सच के बेस पर तुमने एक पूरी झूठी कहानी गढ़ ली है, उन्होने ये सब नही किया हो सकता, इतने जालिम नही थे वो "
" मानते है अंजलि जी कि इस सबके बारे मे आपको कुछ नही पता, आप भी अपने पति की करतूत से उतनी ही नावाकिफ़ थी जितनी बाकी दुनिया "
रिप्पी बोल उठी," लेकिन बकौल आप ही के, बदला तो पापा को राजन से लेना था फिर कान्हा और मीना को क्यूँ मारा "
" तुम भूल गयी बेबी, हम ने कहा था, बिजलानी ने सरकार को समूल नष्ट करने का प्लान बनाया था, उन दोनो की हत्या के इल्ज़ाम मे सरकार दंपति को फाँसी करा देने का प्लान "
रघुनाथ ने पूछा," बाकी प्लान को कैसे अंजाम दिया उन्होने "
" बोलते-बोलते हमारा मुँह दुख गया है रघु डार्लिंग " विजय ने कहा," अब आगे कुछ भी बताने का मूड नही है "
" अरे " चंदानी कह उठा," अजीब आदमी हो तुम, ऐसे बात अधूरी कैसे छोड़ सकते हो "
" बस " विजय सोफे पर पसर गया," ऐसे ही आदमी है हम "
ठाकुर साहब ज़ोर से गुर्राए," विजय "
" ज..जी " विजय हड़बड़कर सीधा हो गया.
उन्होने हुकुम-सा दिया," आगे बोलो "
" ये बैठे तो है हुजूर, करता-धर्ता " उसने राघवन की तरफ इशारा किया," प्लीज़, आगे का किस्सा इन्ही से सुन लीजिए "
ठाकुर साहब सहित सबकी नज़रे राघवन पर केंद्रित हो गयी.
विकास को लगा, गुरु ने ग़लत नही कहा है, डपटने के-से अंदाज मे राघवन से कहा," बताओ, उन्हे मारने के बाद तुमने क्या किया "
राघवन की हालत हारे हुवे खिलाड़ी जैसी थी, बोला," सबसे पहले दोनो के प्राइवेट पार्ट्स सॉफ किए "
" क्यो "
" ताकि सबको ये लगे कि इस बात को छुपाने की कोशिश की गयी है कि मरने से पहले वे सेक्स कर रहे थे "
" इन्वेस्टिगेशन तो तुम खुद ही करने वाले थे "
" अधिकारियो को भी तो इन्वॉल्व होना था, उन्हे भी तो सबूत और अन्य तर्को से सहमत करना था मुझे "
" उसके बाद "
" मीना की लाश को पोलीथिन के एक बहुत बड़े थैले मे डाला, फर्श और दीवारो से उसके खून को इस तरह सॉफ किया कि देखने पर पता लग जाए कि वहाँ से कुछ सॉफ किया गया है, मतलब ये कि हम सारे काम इस तरह कर रहे थे जिससे स्पष्ट हो जाए कि सबूतो को नष्ट करने की कोशिश की गयी है, ताकि बाद मे ये सोचा जाए कि चारो तरफ से बंद फ्लॅट मे ये सब सरकार दंपति के अलावा किया ही किसने होगा, उसी लिए विस्की की बॉटल और दो गिलास डाइनिंग टेबल पर रखे, पोलिथीन के थैले को उठाकर गैराज मे खड़ी स्विफ्ट डज़ीरे मे ले गये, उससे लाश कूड़े के ढेर पर डालकर आए, गाड़ी को अच्छी तरह धोया, गैराज और फ्लॅट की सॉफ-सफाई की, सबकुछ इस तरह किया गया कि बाद मे सरकार दम्पत्ती का किया साबित हो "
" फ्लॅट से निकले कैसे "
" उसी रास्ते से, जिससे आए थे "
" बाहर निकलने के बाद एसी को बॉक्स मे फिट कैसे किया "
" हम बताते है " विजय ने इस तरह हाथ उठा दिया जैसे क्लास मे किसी बच्चे ने टीचर के सवाल का जवाब देने के लिए उठाया हो और फिर तार वाली टेक्नीक बताता चला गया.
ठाकुर साहब बोले," इस तरह तो एसी को बॉक्स मे फिट करना काफ़ी मुश्किल काम है "
" मुश्किल है, नामुमकिन नही, हम खुद कर चुके है "
" त..तुम "
" कल रात, पूछ लीजिए सरकार-ए-आली से, कोई इनके बंद फ्लॅट को फिर खंगाल गया "
" व...वो तुम थे " राजन सरकार हैरान रह गया.
विजय ने सारा जिस्म आकड़ा लिया," जी "
विकास भी हैरान.
" सुबह होने पर क्या हुआ " ठाकुर साहब ने पूछा.
" वही हुआ जो मजूर-ए-खुदा था " विजय ने टोन से टोन मिलाने के बाद कहा," यानी, वही हुआ जो सबको मालूम है, कान्हा की लाश मिलते ही राजन सरकार ने अपनी नज़र मे अपने सबसे बड़े हितैषी बिजलानी को फोन किया, ये ऐसा ही करे, इसका बीज बिजलानी कुछ दिन पहले इनके दिमाग़ मे ये कहकर डाल चुका था कि वकील होने के नाते वो ऐसी किसी भी मुसीबत मे ज़्यादा कारगर हो सकता है, उसने घटनास्थल पर पहुचते ही पोलीस को फोन करने को कहा लेकिन बापूजान को नही बुलाने दिया, राघवन पहुच गया, यानी वे दोनो सरकार-ए-आली के अगल-बगल खड़े हो गये जिनका मकसद ही इन्हे फसाना था "
" माइ गॉड " राजन सरकार कह उठा," कितने गहरे जाल मे फँसा हुआ था था मैं, उसे ही अपना सबसे बड़ा हितैषी समझ रहा था जो मुझे फँसा रहा था, उसे ही अपना वकील नियुक्त कर दिया, जिसके वकील का मकसद ही अपने क्लाइंट को फसाना हो उसे दुनिया की कौन-सी ताक़त बचा सकती है, कदम-कदम पर मैं हर काम उसी की सलाह से कर रहा था "
" जवाब दो प्यारेलाल " विजय ने राघवन से कहा," मीना की लाश को कूड़े के ढेर पर फेंक के आने के पीछे का क्या प्लान था "
" हम जानते थे, बल्कि प्लान ही ये बनाया गया था कि पहली नज़र मे सबको ये लगे कि मीना कान्हा का मर्डर करके फरार हो गयी है, इसके पीछे मकसद ये था कि घटनास्थल की सघन जाँच ना हो सके, वही हुआ, ये भी जानते थे कि लाश को कहीं भी डाला जाए वो छुपी ना रह सकेगी, किसी ना किसी को मिल ही जाएगी और लाश मिलते ही सरकार दंपति लपेटे मे आ जाएँगे "
" ख़ासतौर पर तब, जब सरकार-ए-आली उसे पहचानने से इनकार कर देंगे " विजय ने कहा," और वो बिजलानी ने करवाया "
" हम ने इस इंतजार मे एक दिन बिताया कि किसी को लाश मिले और सरकार दंपत्ति लपेटे मे आए लेकिन जब पूरा दिन बीतने के बावजूद कही से लाश मिलने की सूचना ना मिली तो घबराहट होने लगी क्योंकि वैसा ना होता तो सारा प्लान चौपट हो जाता, ये भी डर था कि ज़्यादा दिन गुज़रे तो गिद्ध लाश को खा जाएँगे और वो सचमुच शिनाख्त के काबिल नही रहेगी इसलिए...... "
" तुमने कूड़े पर कूड़ा डालने वालो मे से एक जगदीश चंडोला से संपर्क किया, उसे चैन और अंगूठी के लालच मे फँसाकर लाश की सूचना पोलीस को दिलवाई "
" मैं जानता हूँ कि तुम ये जान गये हो मगर.... "
" अटको मत "
" ये नही जानता कि ये कैसे जान गये हो कि वो मैं हूँ "
" जब हम ने जगदीश चंडोला से मिलने का फ़ैसला लिया बल्कि तुम्ही से उसका अड्रेस लिया और यहाँ से उसके घर के लिए निकले तो बीच मे उत्सव के घर हुए हंगामे की सूचना मिली, हमे तुरंत यू-टर्न लेकर वहाँ जाना पड़ा, उसके बाद जब जगदीश चाड़ोला के घर पहुचे और वहाँ जो हुआ था, उसके बारे मे पता लगा तो हमारे दिमाग़ मे तुरंत ये बात आ गयी कि लाल दाढ़ी वाले ने चंडोला का ख़ात्मा करने का टाइम लेने के लिए हमे उत्सव के घर की तरफ भटकाया था, अब...खोपड़ी मे एक ही बात आई, ये कि, हमारे चंडोला के घर जाने की बात केवल 3 लोगो को पता थी, चंदानी साहब, सरकार-ए-आली और तुम, इसलिए, पिच्छली रात तीनो के घर खंगाले, वो सामान तुम्हारे घर से मिला जो ये सिद्ध कर रहा था कि लाल दाढ़ी वाले भी तुम हो और कान्हा-मीना के कातिल भी तुम ही हो "
राघवन के मुँह से बस यही एक शब्द निकल सका," ओह "
" मिसटर विजय " अंजलि बोली," तुमने हमें ये कहकर यहाँ बुलाया था कि बिजलानी साहब की आत्महत्या का कारण बताओगे, उस संबंध मे अभी कोई बात नही की है "
" आ रहे है मोह्तर्मा, उस पर भी आ रहे है, बाज़ीगर अपना पिटारा धीरे-धीरे खोलता है, सारे औजार एकसाथ निकालकर सामने नही रख देता " विजय कहता चला गया," 5 जून की सुबह से सरकार-ए-आली बिजलानी की हर बात मानते चले आ रहे थे इसलिए कोर्ट से उन्हे सज़ा तक हो गयी, बस एक ही बात नही मानी इन्होने, सरकार-ए-आली जिद पकड़ गये कि अब इन्हे ये केस हमारे यानी कि विजय दा ग्रेट के हवाले करना है, बिजलानी को डर था कि अगर हम रियिन्वेस्टिगेशन पर निकल गये तो मिल्क का मिल्क और वॉटर का वॉटर कर देंगे, इसलिए उन्होने सरकार-ए-आली को ये कहकर रोकने की कोशिश की कि विजय भी इस केस मे कुछ नही कर सकेगा किंतु सरकार-ए-आली के दिमाग़ पर सनक सवार हो चुकी थी, ये बिजलानी की सारी सलाहो को ताक पर रखकर हमारे पास पहुच गये और हम पहुच गये बिजलानी के ऑफीस तक, याद रहे, स्यूयिसाइड से पहले उन्होने फोन पे उत्सव से संपर्क किया था कि सरकार-ए-आली के साथ और भी कोई है क्या, उत्सव ने धनुष्टानकार तक के बारे मे बताया, वो समझ गया कि हम उसके दरवाजे पर आ पहुचे है और साथ ही ये भी समझ गया कि सरकार-ए-आली ने हमे बता दिया होगा कि मीना की लाश को ना पहचानने की सलाह इन्हे उसने दी थी और अब हम उससे इस बारे मे सवाल करेंगे, सवाल ही नही करेंगे बल्कि ताड़ जाएँगे कि सरकार-ए-आली को फँसाने के पीछे उसी का हाथ है "
" क्या आप ये कहना चाहते है कि उन्होने आपके सवाल-जवाबो के डर से स्यूयिसाइड की "
" ये कारण भी शामिल था पर ये कंप्लीट कारण नही था," विजय बोला," दो कारण थे, पहला रिप्पी की लताड़, उस लताड़ के कारण उसे अपने आप से घृणा हो गयी थी, जिस बेटी से सबसे ज़्यादा प्यार करता था उससे नज़रे नही मिला पा रहा था, हमारे सक्रिय होने से कोढ़ मे खाज का काम किया, उसे इस डर ने भी घेर लिया कि हम उसे कान्हा और मीना का हत्यारा साबित कर देंगे, यहाँ भी, उसके दिमाग़ मे सबसे ज़्यादा ख़ौफ़ रिप्पी का ही था, उसे लगा, जिस रिप्पी से वो अंकिता पर ग़लत नज़र डालने के कारण नज़र नही मिला पा रहा है, उस रिप्पी को जब ये पता लगेगा कि मैंने दो-दो जघन्य हत्याए की है तो कैसे उसका सामना करूँगा, क्या रह जाएगा मेरी जिंदगी मे, जब रिप्पी ही घृणा करने लगेगी तो किस काम की ये जिंदगी, इससे तो मौत भली और आत्महत्या नकारात्मक सोचो से घिर जाने वाला शख्स ही करता है "
अंजलि चुप रह गयी.
जैसे पूछने के लिए कुछ ना रह गया हो.
विजय ने आगे कहा," सरकार-ए-आली को इस चक्रव्यूह मे फँसाने वाले 3 लोग थे, मीना, बिजलानी और राघवन, दो मर चुके थे, तीसरा, यानी कि राघवन जिंदा था, ये बिजलानी की तरह टूटा नही बल्कि कदम-कदम पर हमारी रियिन्वेस्टिगेशन को भटकाने और बाधित करने मे जुट गया, लाल दाढ़ी वाला बनकर चीकू के इस्तेमाल से सरकारनी को किडनॅप कराया, मकसद सरकार दंपति का ख़ात्मा करना था ताकि किस्सा ही ख़तम हो जाए अर्थात ना बाँसुरी रहे, ना बजे, हम ने ना केवल इसके इरादो को ध्वस्त कर दिया बल्कि चीकू को दबोच भी लिया, उसका कत्ल उसने ठीक उस वक़्त किया जब वो हमें इस तक पहुचा सकता था, वही कोशिश चंडोला पर भी की लेकिन बस्ती वालो की वजह से नाकाम हो गयी "
" अंतिम सवाल " ठाकुर साहब ने कहा," तुम्हे इतना सब पता कैसे लगा "
" बिजलानी की पर्सनल डाइयरी से "
" बिजलानी की डाइयरी "
" राघवन को मालूम था कि बिजलानी डाइयरी लिखता है, इसे ये डर सता रहा था कि डाइयरी मे उसने कहीं अपनी और इसकी करतूत ना लिख दी हो, इसलिए उसके ऑफीस मे घुसा और डाइयरी निकाल लाया, वो हमे हॉकी, लाल बालो वाली विग, मॅसा, चश्मा और दाढ़ी के साथ इसके घर से मिली, हम उसे पढ़ भी चुके है और उसका हर पेज हमारे मोबाइल मे क़ैद है, इसका शक दुरुस्त था, बिजलानी ने वो एक-एक बात अपने हाथ से लिख रखी है जिसका हम ने इस शिखर सम्मेलन मे ज़िक्र किया "
" त...त..थॅंकयू वेरी मच विजय " भावुक होकर राजन सरकार अचानक अपने स्थान से उठा और विजय को खुद से चिप्टा लिया तथा खुशी की ज़्यादती के कारण रोता, कहता चला गया," भले ही मेरा एक गंदा चेहरा सामने आया लेकिन उससे कयि-कई गुना खुशी की बात ये है कि आज मेरे बेटे को इंसाफ़ मिल गया, उसके एक कातिल ने आत्महत्या कर ली, दूसरा क़ानून की गिरफ़्त मे है, हमारे माथे पर लगा कलंक धुल गया, हमे विश्वास था...हमे शुरू से पूरा विश्वास था कि तुम इस काम को कर गुजरोगे और तुमने कर दिखाया, तुम महान हो, तुम नही समझ सकते, कोई भी नही समझ सकता कि आज हम कितने खुश है, माँगो विजय, जो चाहो माँग लो, आज अगर तुम हमारी मुकम्मल जायदाद, पाई-पाई... यहाँ तक कि जान भी मांगोगे तो सिर काटकर तुम्हारे कदमो मे रख देंगे, तुमने वो काम कर दिखाया जिसका हमारे अलावा किसी को यकीन नही था कि तुम कर दोगे, तुम्हारे फादर को भी नही "
" छोड़ो सरकार-ए-आली, छोड़ो " विजय उसके भावपेश से निकलने की कोशिश करता बोला," इतना आभार मत जताओ कि हम शरम से पानी-पानी होकर फर्श पे बहने लगे "
ख़ुसी की ज़्यादती के कारण ठाकुर साहब की भी आँखे भर आई थी, ज़ज्बात की आँधी मे घिरे वो भर्राये लहजे मे कहते चले गये थे," आज पहली बार इसने हमे खुशी दी है, पहली बार लगा है कि हम भी अपने बेटे पर गर्व कर सकते है "
" अजी घंटा " विजय ने तुरंत उनके जज्बातो को चोट पहुचाई थी," ये कहिए कि आज हम ने आपकी कलयि खोल दी, साबित कर दिया कि हमारे बापूजान पोलीस की नौकरी मे सिर्फ़ तबला बजा रहे है, ऐसा ना होता तो आप ही इस केस को ना खोल देते "
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