11-23-2020, 02:10 PM,
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desiaks
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RE: Gandi Kahani सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री
48
एक महीने बाद.
व्क्स्की से भरे 4 कीमती गिलास आपस मे टकराए.
" चियर्स...चियर्स....चियर्स...चियर्स " एक साथ 4 आवाज़े संदीप बिजलानी के उस शानदार ड्रॉयिंगरूम मे गूँजी जिसमे विकास ने चीकू की ठुकाइ की थी.
" विजय.... साला विजय, हिन्दुस्तान का सबसे बड़ा जासूस " ये आवाज़ राजन सरकार की थी," मैं तो कहता हूँ सबसे बड़ा मूर्ख, एक नंबर का गधा, वही साबित करता चला गया जो हम ने चाहा "
" इसके लिए तुम्हे मेरे दिमाग़ की तारीफ करनी चाहिए राजू " संदीप बिजलानी बोला," क्योंकि सारा प्लान मैंने बनाया था, तू और राघवन तो सिर्फ़ फील्ड मे काम करने वाले आर्टिस्ट थे "
" मैं क्या तारीफ करूँ तेरे दिमाग़ की " राजन ने बड़े ही जीवंत अंदाज मे ठहाका लगाकर कहा था," तेरे दिमाग़ की तारीफ तो बार-बार वो कर रहा था जिसके दिमाग़ की तारीफ सब करते है "
" स...स्ष...स्ष " संदीप बिजलानी ने अपने होंठो पर उंगली रखते हुवे कहा था," मेरी कहाँ, वो तो अशोक बिजलानी के दिमाग़ की तारीफ कर रहा था, मैं अशोक थोड़ी हूँ, मैं तो संदीप बिजलानी हूँ, अराबो-खरबो पति संदीप बिजलानी "
" साला लंपट " राजन सरकार कह उठा," तुझसे मिलने के बाद भी नही ताड़ सका कि तू संदीप नही अशोक है "
" कैसे ताड़ता, अपने बेड पर संदीप की लाश मैंने डाली ही ऐसे कोण से थी कि पूरा चेहरा नज़र ना आए और जितना नज़र आए वो भी खून से भीगा रहे "
" जब मैं, तुम्हारी पत्नी ही ना ताड़ सकी कि वो तुम नही, संदीप था तो वो क्या ताड़ता " अंजलि कहती चली गयी," पर तुमसे एक शिकायत है अशोक, तुमने उस वक़्त मुझे विश्वास मे नही लिया, नही बताया कि तुम क्या खेल खेल रहे हो, मैं खुद भी यही समझी कि मेरा सुहाग मुझे छोड़कर चला गया है "
" इसलिए नही बताया था डार्लिंग क्योंकि मुझे डर था कि तुम ठीक से आक्टिंग नही कर सकोगी, ऐसा ना हो कि वो ताड़ जाए, क्योंकि सुना तो यही था कि वो गिद्ध दृष्टि रखता है "
" ये तो आज भी मानना पड़ेगा आशु कि गिद्ध दृष्टि तो वो रखता है, तूने सारा प्लान उसकी इसी खूबी को जेहन मे रखकर तो बनाया था " राजन ने एक घूँट हलक से उतारने के बाद कहा," तभी तो हर कदम पर वही और सिर्फ़ वही करता चला गया जो तूने सोचा था, तूने सोचा था कि मेरे ये झूठ बोलते ही उसके कान खड़े हो जाएँगे कि मीना की लाश को
ना पहचानने की सलाह मेरे वकील ने दी थी और वो रियिन्वेस्टिगेशन पर निकल पड़ेगा, वही हुआ, तूने सोचा था कि तेरे स्यूयिसाइड करते ही वो इस केस मे इन्वॉल्व हो जाएगा, हुआ, तूने सोचा था कि एसी के मुड़े हुए किनारे को देखते ही वो ये समझेगा कि बंद फ्लॅट मे जो भी आया यहीं से आया, उसने यही समझा, तूने सोचा था कि उसे सेक़लों के बारे मे ज़रूर
पता होगा, उसे था, तूने सोचा था कि वो तुरंत इस नतीजे पर पहुच जाएगा कि सरकार दंपति को एसी के ज़रिए सेक़लों से ही बेहोश किया गया होगा, वो इसी नतीजे पर पहुचा,
तूने चीकू, चंदू, बंटी और बॉब्बी से खंडहर मे जो ड्रामा करवाया, वो इसलिए करवाया ताकि वो सोचे कि वे लोग मुझे और इंदु को जान से मारना चाहते थे, उसने वही सोचा, तूने ऐसे सट्रा छोड़े कि चीकू के ज़रिए वो तुझ तक... सॉरी, संदीप तक पहुच जाए, वो पहुचा, चीकू को तू राघवन के ज़रिए 10 लाख दिलवा चुका था और अपनी ही प्लॅनिंग के तहत उन्हे पकड़ भी चुका था, उसके चीकू के साथ आते ही तूने ये नाटक शुरू किया कि तू तो इंतजार ही चीकू के लौटने का कर रहा था, उस नाटक मे तो विजय ही नही, चीकू भी फँसा रहा, मरते दम तक भी बेचारा ये ना जान सका कि उसे 10 लाख देने वाले भी हम ही थे "
" मेरे ख़याल से तुम्हारे प्लान का वो सबसे संवेदनशील पॉइंट था " इंदु सरकार ने एक घूँट पीने के बाद कहा," मुझे लगता था कि जितना तेज वो है, तुम्हे देखते ही समझ जाएगा कि तुम संदीप नही, अशोक हो और अगर ऐसा हो गया तो सारा प्लान राइट के महल की तरह धाराशायी हो जाएगा "
" ऐसा सोचना तुम्हारी कामकली थी " अशोक बोला," मेरे अशोक होने का शक उसे तब तो हो सकता था जब संदीप का पहले से कोई अस्तित्व ना होता, अशोक के हमशक्ल के रूप मे
हम कोई नया किरदार खड़ा कर रहे होते, लेकिन संदीप था और पहले ही से उसका पूरा ये एंपाइयर था जिसका मालिक आज मैं हूँ इसलिए वो ये शक नही कर सकता था कि मैं अशोक हूँ "
अंजलि ने खीरे का एक पीस मुँह मे सरकाते हुए कहा," तुमने मुझे ये बात चंडोला की गिरफ्तारी के बाद बताई कि तुम संदीप बिजलानी के रूप मे जिंदा हो, मरने वाला असल मे संदीप था "
" मैंने हर काम तभी किया डार्लिंग जब करना चाहिए था, मुझे मालूम था कि मेरे बिछाए हुए जाल मे फंसकर अपनी नज़र मे अब वो सफलता के नज़दीक पहुच रहा है, बहुत जल्द राघवन के घर मे रखे उसके जूतो, हॉकी, लाल बालो की विग, दाढ़ी और उस डाइयरी को भी हासिल कर लेगा जिसका एक-एक अक्षर मैंने अपने हाथो से लिखा है, उसे पढ़कर उसकी
समझ मे वे बाते भी आ जाएँगी जो तब तक नही आई होंगी, वो डाइयरी उसके लिए पुख़्ता सबूत होगा क्योंकि बहरहाल, उसके ज़रिए हत्यारे ने खुद अपना जुर्म कबूल किया है, ये भी कबूल किया है कि अशोक बिजलानी ने वो जुर्म किसलिए किया, चंडोला की गिरफ्तारी के तुरंत बाद तुमसे मिलना और सबकुछ बताना इसलिए ज़रूरी हो गया था क्योंकि डाइयरी के आधार पर जब वो खुद को सूरमा दर्शाता हुआ ये कहे कि अशोक बिजलानी ने ये सब इसलिए किया क्योंकि होली के दिन राजन ने अंजलि से ज़्यादती कर दी थी तब, राजन के साथ-साथ तुम भी इस झूठी बात को सच्ची तरह कबूल करो, ऐसा होने पर उसे अपने द्वारा किए गये रहस्योद्घाटन पर कोई शक नही रह जाएगा "
" और मैंने वैसा ही किया लेकिन अशोक.... "
" रुक क्यो गयी, बोलो "
" इस स्टोरी के तहत तुमने हम दोनो को लांछित कर दिया "
" मैं तो जानता हूँ ना कि वो सब नितांत झूठ था " उसने हंसते हुए कहा था," मेरे द्वारा रचा गया झूठ "
" फिर भी, समाज.... "
" वो मत सोचो अंजलि जो समाज सोचेगा " अशोक बिजलानी ने उसकी बात काटकर कहा," ये सोचो कि उस एक ही स्टोरी से मैंने दो लक्ष्य हासिल किए, पहला, अपने यार को उसके बेटे और नौकरानी की हत्या के आरोप से मुक्त करा दिया, अब समाज मे राजन और इंदु का नाम इज़्ज़त से लिया जा रहा है, पूरे देश को इनसे सहानुभूति है, सब यही सोच रहे है कि बेगुनाह होते हुए भी बेचारो ने कितनी ज़िल्लत और कष्ट झेले, जो मिला, वो ज़्यादा है या जो गया वो ज़्यादा है, दूसरा, मैंने अपने बाप की वो जायदाद वापिस हासिल कर ली जिसे मेरे कमीने भाई ने साजिश करके इस कदर हथिया ली थी कि क़ानूनी रूप से मैं इसे कभी हासिल नही कर सकता था, भविश्य मे हम साथ रहेंगे, इस बात की भूमिका भी मैं उस सूरमा जासूस के सामने बना चुका हूँ, कह चुका हूँ कि अंजलि और रिप्पी से अपने साथ रहने की रिक्वेस्ट करूँगा "
" लेकिन मैं तो उससे ये कह चुकी हूँ की संदीप बिजलानी के इस ऑफर को किसी कीमत पर स्वीकार नही करूँगी, उस वक़्त मुझे ये मालूम जो नही था कि संदीप बिजलानी तुम हो "
" हो जाएगा अंजलि, धैर्य रखो, समय के साथ सबकुछ ठीक हो जाएगा, हमे कोई जल्दी नही है, उस सूरमा जासूस के साथ-साथ सारे समाज को ये समझा दिया जाएगा कि साल-दो साल मे गहरे से गहरे घाव भर जाते है और हम साथ रहने लगेंगे, दुनिया की नज़र मे मैं भले ही तुम्हारा जेठ रहूं लेकिन असल मे तो पति ही रहूँगा "
" पर हमारी बेटी, वो तो किसी हालत मे तुम्हारे साथ नही रहेगी और उसे हम ये बता भी नही सकते कि तुम उसके पापा हो "
" जब हम दोनो अपने-अपने तरीके से प्रयास करेंगे और सालो-साल करते रहेंगे तो वो भी तैयार हो जाएगी मगर हमे भूलकर भी उसे ये बताने की बेवकूफी नही करनी है कि मैं उसका पापा हूँ "
" ऐसा क्यो "
" उसके पापा ने उसकी फ्रेंड पर ग़लत नज़र जो डाली थी, उस कारण शायद वो अपने पापा से उतनी नफ़रत करती है जितनी अपने ताउ से भी नही करती "
" तुमने वैसा क्यो किया आशु "
" सच्चाई बताउ तो क्या तुम यकीन करोगी "
" क्या तुम्हारी किसी बात पर कभी शक किया है "
" अंकिता पर असल मे नीयत खराब नही हुई थी मेरी, वो आज भी मेरी बेटी है, वैसी ही, जैसे रिप्पी "
" फिर "
" वो भी मेरे प्लान का हिस्सा था ताकि मेरे मोबाइल की कॉल डीटेल देखकर सूरमा जासूस उस नतीजे पर पहुचे जिस पर पहुचा और उसे मेरी स्यूयिसाइड की एक और वजह मिल जाए "
" ओह " अंजलि प्रशन्शा कर उठी," तुमने वाकयि हर बात को बहुत ही बारीकी से सोचकर प्लान बनाया था "
" आख़िर पति है तुम्हारे " वो गर्व से मुस्कुराया.
" परंतु अभी तक तुमने मुझे ये नही बताया कि संदीप को अपने बेडरूम तक कैसे ले गये, कैसे उसे लाश बनाकर वहाँ डाल दिया "
" बहुत सिंपल था डार्लिंग, संदीप से मेल-मिलाप बढ़ाना तो मैंने उसी दिन शुरू कर दिया था जिस दिन दिमाग़ मे ये प्लान आया था, यहाँ आना-जाना भी शुरू कर दिया था, वो बेचारा तो पहले ही मेरे लिए सॉफ्ट कॉर्नर रखता था, इसका मुझे फ़ायदा मिला, मैंने उस रात उसकी विस्की मे नींद की गोलिया मिलाई जिस रात की सुबह राजन को विजय के पास जाना था
और उसे रियिन्वेस्टिगेशन के लिए निकालकर लाना था, करीब-करीब बेहोश संदीप को मैं ऑफीस वाले रास्ते से बेडरूम मे ले गया और बाथरूम मे छुपा दिया, वो जैसे ही होश मे आने को होता, मैं नशे का इंजेक्षन दे देता, वो तब भी नशे मे था जब मैं उसे गोली मारकर और रेवोल्वर उसके हाथ मे पकड़ाकर ऑफीस वाले रास्ते से फरार हुआ "
राजन सरकार बोला," लेकिन उस वक़्त तो मेरे भी पाँव उखड़ गये थे जब इंडिया के उस सबसे बड़े जासूस ने जगदीश चंडोला से मिलने की इच्छा जाहिर की और राघवन से उसका अड्रेस लिया, राघवन के पास अड्रेस ना देने का कोई बहाना ना था, उसे देना पड़ा, पाँव उखाड़ने का कारण ये था कि प्लान बनाते वक़्त तुम्हे भी ये ख्याल नही आया था कि उसे चंडोला से मिलना सूझ सकता है इसलिए उसे लेकर प्लान मे कोई तैयारी नही थी, उस वक़्त मैं ये सोचकर घबरा गया था कि यदि वो चंडोला के पास पहुच गया और चंडोला ने उसे सच बता दिया यानी कि ये कह दिया कि मीना की लाश पर उसकी नज़र इत्तेफ़ाक से ही पड़ी थी और उसने एक शरीफ शहरी होने के नाते उसकी सूचना पोलीस को दी थी तो सारा प्लान चौपट हो जाएगा, विजय समझ जाएगा कि सरकार दंपति को किसी ने नही फँसाया है बल्कि वे ही हत्यारे है इसलिए मैंने तुरंत तुम्हे फोन करके सारी सिचुयेशन से अवगत कराया "
" यहाँ भी तुम्हे मेरे दिमाग़ की तारीफ करनी चाहिए " अशोक ने गरवीले स्वर मे कहा," कितने शॉर्ट नोटीस पर कितना शानदार प्लान बनाया, राघवन से तुरंत उत्सव के घर जाकर वो करने को कहा जो उसने किया, ठीक वही हुआ जो सोचकर वो कराया गया था, इन्फर्मेशन दुनिया के सबसे बड़े जासूस को मिली और वो तुरंत यू-टर्न लेकर उत्सव के घर की
तरफ चल दिया, मैंने फ़ौरन राघवन से चंडोला के घर जाकर वो करने के लिए कहा, जो उसने किया "
" पर किया क्या " इंदु बोली," ये मैं अभी तक नही समझी "
" उसने चंडोला से कहा,' तेरे पास कुछ लोग आने वाले है , वे पूछेंगे कि पोलीस को मीना की लाश की सूचना तूने अपने से दी थी या किसी के कहने से दी थी, तुझे कहना है कि लाल बालो और लाल दाढ़ी वाले के कहने से दी थी' वो भौचक्का सा राघवन की तरफ देखता रह गया, बोला,' तुम तो अपने ही बारे मे बात कर रहे हो' राघवन ने कहा,' हाँ,
तुझे मेरा ही हुलिया बताना है' उसने पूछा,' क्यो, मैं ऐसा क्यो करूँगा' राघवन ने कहा,' क्योंकि तुझे इस काम के 5 लाख रुपये मिलेंगे'
उसकी आँखो मे तुरंत चमक भर आई.
उसके सेट होते ही राघवन ने उसे हज़ार के नोटो की 5 गॅडी थमाई और कहा कि तुझे उन्हे मेरा हुलिया पहली बार मे ही, सीधे तौर पर नही बताना है बल्कि ऐसा नाटक करना है जैसे तू हक़ीकत नही बताना चाहता लेकिन उन्होने तुझसे उगलवा ली है.
छोटा-सा दिमाग़ था बेचारे का.
ठीक से समझ ना सका, तब, राघवन ने उसे वो पूरा प्लान बताया जिसपर बाद मे उसने अमल किया, कान्हा की अंगूठी और चैन भी चंडोला को तभी दी थी, कहा था कि इन्हे अपनी अलमारी मे रख ले और चाबी गले मे लटका ले, ये चाबी उसका ध्यान अपनी तरफ ज़रूर खींच लेगी जो तेरे पास आने वाला है.
चंडोला ने कहा,' क्या ज़रूरी है'
राघवन बोला,' वो ब्रिलियेंट ही इतना है कि ऐसी चीज़ो पर उसका ध्यान तुरंत चला जाता है, वो खुद चैन और अंगूठी तक पहुच जाएगा, जब वो इन्हे बरामद करे तो ऐसी आक्टिंग करना जैसे की तेरी जान निकल गयी हो और अंत मे कबूल कर लेना कि तूने इन्ही के बदले मे लाश की सूचना पोलीस को दी थी, 5 लाख ऐसी जगह रख ले जहाँ से उन्हे किसी हालत मे ना मिल सके'
वो तुरंत बोला,' इन्हे तो मैं अपने बिस्तर मे छुपा लूँगा'
राघवन ने कहा,' हां, ये ठीक रहेगा, उनका ध्यान तो तेरी चाबी पर अटकेगा, याद राखियो, वो तुझे गिरफ्तार करके ले जाएँगे, पर घबराईयो मत, अगले दिन जमानत हो जाएगी,
लाश से चैन और अंगूठी निकाल लेना इतना बड़ा जुर्म नही है कि तुझे लंबी सज़ा हो सके, 5 लाख के लिए इतना तो सहना ही पड़ेगा'
वो बोला,' 5 लाख के लिए तो इससे भी ज़्यादा से लूँगा'
राघवन को यकीन हो गया कि वो पक्का है. कर गुजरेगा जो हम चाहते है.
तब, ऐसा नाटक किया गया जिससे सारी बस्ती इस बात की गवाह बन जाए कि लाल दाढ़ी वाले ने चंडोला को जान से मारने मे कोई कसर नही छोड़ी, जबकि राघवन ने उसे मारने के लिए तीनो मे से एक भी गोली नही चालाई थी, यहाँ भी इस देश का सबसे बड़ा जासूस उसी नतीजे पर पहुचा जिस पर मैं उसे पहुचाना चाहता था, यानी उसे लगा, उसने बड़ी
कामयाबी हासिल की है "
" तूने वाकाई इतना बड़ा कमाल करके दिखाया है आशु कि बार-बार तेरे उस माथे को चूमने का दिल चाह रहा है जिसके अंदर वो दिमाग़ है जिसने ऐसा प्लान बनाया " राजन सरकार पर अब नशा हावी होने लगा था, कहता चला गया वो," ऐसा प्लान जिसके तहत देश के सबसे बड़े जासूस को इतनी खूबसूरती के साथ ट्रॅप किया गया कि वो खुद ही वो साबित
करता चला गया जो हम चाहते थे, जो काम कोर्ट मे नही हो सकता था उसे तूने विजय के ज़रिए फील्ड मे कर दिखाया, कोर्ट मे सज़ा पाए मुजरिमो को मौत के मुँह से खींच लाया, आज तो पूरी दुनिया और मीडीया कह रही है कि सरकार दंपत्ति बेगुनाह थे, कल यही बात उससे बड़ी कोर्ट मे प्रूव होगी, बाइज़्ज़त बरी किया जाएगा हमे "
" होगा राजू, ये होकर रहेगा क्योंकि निचली कोर्ट के पास तो तुम्हारे खिलाफ कोई सबूत भी नही थे, सब तुमने ही सॉफ किए थे लेकिन फिर भी कोर्ट ने सिर्फ़ परिस्तिथिजन्य साक्ष्यो के आधार पर तुम्हे सज़ा सुना दी, जबकि अब....अब तो हमारे द्वारा परोसे गये कोर्ट मे इस बात के पूरे सबूत पेश किए जाएँगे कि कान्हा और मीना की हत्या अशोक बिजलानी और
राघवन ने करके उसमे सरकार दंपति को फँसा दिया था, सबसे बड़ा सबूत तो मेरी डाइयरी है, खुद हत्यारे द्वारा लिखी गयी अपनी पूरी करतूत का ब्योरा "
एकाएक अंजलि ने राजन सरकार से कहा," एक बात पूछू राजू, बुरा तो नही मानोगे "
" कैसी बात कर रही हो अंजलि, पूछो ना "
" सच बताओ, तुमने कान्हा और मीना को क्यो मारा "
" सच पूछो तो वो एक दुर्घटना थी " अचानक राजन सरकार के शब्द भीगने लगे थे," मैं कान्हा को अधेड़ नौकरानी के साथ ना देख सका, गुस्से से पागल हो गया, मैंने हॉकी चलाई लेकिन फिर भी, कम से कम कान्हा को तो नही मारना चाहता था, पर वो मर गया, उस वक़्त इंदु मेरे साथ नही थी, ये तो आवाज़े सुनकर तब उस कमरे मे आई जब दोनो मर चुके थे, कान्हा की लाश ने तो जैसे इसे पागल ही कर दिया, मैं बड़ी मुश्किल से इसे ये समझाने मे कामयाब हो सका कि जो हो गया है, वो तो अब वापिस आ नही सकता, दिमाग़ से काम नही लिया तो हम दोनो को भी फाँसी हो जाएगी, तब, सारे सबूतो की सॉफ-सफाई की "
" कान्हा ने तुम्हारे और कंचन चंदानी के संबंधो की पोल खोलने की धमकी नही दी थी "
" नही, बिल्कुल नही, इसलिए नही क्योंकि कंचन और मेरे बीच वैसी रात कभी आई ही नही थी "
" फिर कान्हा ने शुभम और संचित से क्यो कहा "
" सच वही है जो इंदु ने विजय को बताया, कान्हा को स्टोरीस बनाने की बीमारी थी, वही उसने किया "
अंजलि ने पुनः कहा," अब अंतिम और वो प्रश्न जो शुरू से मेरे दिमाग़ को मथ रहा है "
" पूछो "
" इनस्पेक्टर राघवन ने खुद को हत्यारा कबूल करके अपने लिए फाँसी का फंदा क्यो चुन लिया "
" इस सवाल का जवाब देने के लिए हम खुद हाजिर है " कमरे मे जब पाँचवी आवाज़ गूँजी तो चारो ने बुरी तरह चौंक कर आवाज़ की दिशा मे देखा और देखते ही चारो के जिस्म से जैसे आत्मा नाम का पंछी ऊडनछ्छू हो गया हो.
एक पर्दे के पीछे से विजय निकलकर उनके सामने आ खड़ा हुआ था, उस वक़्त वो उन्हे विजय नही, उसका जिन्न लगा था.
आवाक रह गये वे, जो जिस पोज़िशन मे था, उसी पोज़िशन मे जैसे मूर्ति बन गया, काटो, तो एक के जिस्म मे भी कतरा भर खून नही, पॅल्को तक ने झपकना छोड़ दिया था, फिर वहाँ काँच टूटने की आवाज़े गूँजी, एक...दो...तीन....चार, चारो गिलास फर्श पर टूटकर चकनाचूर हो गये थे, उनमे मौजूद विस्की फर्श पर बिखरकर बहने लगी थी, विजय की
आवाज़ उन्हे ऐसी लगी थी जैसे कही बहुत दूर से आ रही हो, उसने कहा था," किस्मत के मारे राघवन ने अपने लिए फाँसी का फंदा इसलिए चुना क्योंकि डॉक्टर्स के मुताबिक उसके पास 6 महीने से ज़्यादा नही है, उसके फेफड़ो मे कॅन्सर है, जब से उसे पता लगा, तभी से बेचारे को अपनी दो जवान बेटियों की चिंता ने घेर लिया, तुम्हे उसके कॅन्सर के बारे मे पता लग गया था, तुमने उसका फ़ायदा उठाया और एक करोड़ मे उसकी जिंदगी खरीद ली, वो इसलिए बेचने को तैयार हो गया क्योंकि मौत तो उसकी तय हो ही चुकी थी, क्यो ना बेटियो का भविश्य बनाकर मरे "
बिजलानी के मुँह से शब्द फिसले," त...तुम्हे कैसे पता "
" गुरु उसके बॅंक के लॉकर तक पहुच चुके है " दूसरे पर्दे के पीछे से विकास ने प्रकट होते हुए कहा," लॉकर की नॉमिनी उसकी पत्नी है यानी राघवन की मौत के बाद उसे वही खोल सकती है, विजय गुरु ने देखा, लॉकर मे एक करोड़ के साथ एक लेटर भी था, राघवन का लेटर अपनी पत्नी के नाम, उसने लिखा था,' शोभा, इस लेटर और पैसो के बारे मे कभी किसी को मत बताना, ये नीलू और मीनू की पढ़ाई के लिए है, उनके अच्छे भविश्य के लिए है और उनकी शादियो के लिए है, अच्छे दूलहो से शादी करना मेरी बच्चियो कि और यकीन रखना, मैंने चीकू नाम के क्रिमिनल को ज़रूर मारा है लेकिन कान्हा और मीना की हत्या नही की है, वो गुनाह इसलिए कबूल करना पड़ा क्योंकि मुझे उन रुपयो की ज़रूरत थी' "
राजन बड़बड़ाया," तुम झूठ बोल रहे हो, कोई और किसी और के लॉकर को कैसे खोल सकता है "
" ऐसे करिश्मे कर दिखाना हमारे लिए उतना ही आसान है प्यारो जितना तुम्हारे लिए चुटकिया बजाना " विजय कहता चला गया," काफ़ी लफ़फाजी सुनी तुम्हारी, उन सबके जवाब मे केवल इतना ही कहना काफ़ी होगा कि हम इशी हॉल मे, ठीक उसी वक़्त समझ गये थे कि हमे ट्रॅप किया गया है जिस वक़्त तुमने चीकू के दोनो गालो पर अपने दोनो हाथो से चान्टे
बरसाए थे, दोनो हाथो के चलने का अंदाज सॉफ बता रहा था कि ये आदमी वो है जो लेफ्ट हॅंडर भी है और राइट हॅंडर भी है, ऐसा तो अशोक बिजलानी ही था, माना कि संदीप बिजलानी उसका भाई है, ये भी माना कि भाई होने के नाते दोनो की शकल काफ़ी हद तक मिलती है लेकिन ऐसा हरगिज़ नही हो सकता कि दोनो भाई दोनो हाथो से काम कर सके "
" म...मतलब तुम उसी समय समझ गये थे कि मैं अशोक हूँ "
" चीकू को तुम्हारे हाथो से पिट-ता देखने के बाद समझने के लिए बचा ही क्या था, हमे उसी समय पता लग गया था कि मरने वाला संदीप था और ये भी शक हो गया था कि तुम्हारे बेडरूम मे ज़रूर कोई चोर दवाजा होना चाहिए, मोंटो प्यारे की ड्यूटी लगाई, उसने एक ही रात मे रास्ता ढूँढ निकाला "
" ऐसा था तो हमे उसी समय गिरफ्तार क्यो नही कर लिया "
" तुम जैसे छोकरों से खेलने की आदत है हमे, देखना चाहते थे कि किस-किस तरह और कहाँ-कहाँ तक हमे फुद्दु बनाने की कोशिश करने की क्षमता रखते हो, वही करते गये जो तुम चाहते थे कि हम करते जाए, अपनी तरफ से तुमने हमे काफ़ी चालाकी से राघवन के घर पहुँचाया, वहाँ से विग, दाढ़ी, हॉकी और डाइयरी बरामद कराई, ज़रा सोचो प्यारे लाल, क्या उस वक़्त हम ने ये नही सोचा होगा कि अगर राघवन ने अशोक बिजलानी की डाइयरी हासिल कर ही ली है तो अपनी मौत के इस सामान को इतना संभालकर क्यो रखा है,
जलाकर राख क्यों नही कर दिया इसे, जाहिर है, उसे वहाँ रखा ही इसलिए गया था कि हमारे हाथ लगे और हम ये मान बैठे की सच्चाई वही है जो उसमे लिखी है, हम ने भी उसे ही सच्चाई मान लेने का नाटक किया और जैसा कि तुम चाहते थे, सरकार-ए-आली के फ्लॅट पर शिखर सम्मेलन बुलाकर खुद को पूरा का पूरा फुद्दु साबित कर दिया, हमे मालूम था, इससे तुम खुश हो जाओगे, बाँछे खिल जाएँगी तुम्हारी, जशन मनाओगे, जय-जय कार करोगे अपनी, निस्चय किया, तभी जंबूरा पकड़ेंगे तुम्हारा लेकिन ये मीटिंग बुलाने मे काफ़ी टाइम लगा दिया तुमने, होशियार जो मानते हो खुद को, एक महीना खराब कर दिया हमारा "
वे समझ गये कि अब कुछ नही बचा है, खेल ख़तम हो चुका है उनका इसलिए ज़ुबानो पर ताले लटके रहे.
विजय ही बोला," रघु डार्लिंग "
" यहीं हूँ " एक अन्य पर्दे के पीछे से रघुनाथ निकला.
" अपने मेहमान बना लो इन्हे और याद रहे कि मीडीया को भनक भी ना लगने पाए कि ये हमारा कारनामा है, सबको यही पता लगना चाहिए कि असली सूरमा तुम ही हो, हम तो इतने बड़े गधे है कि इनके द्वारा फुद्दु बनकर सकरार-ए-आली के फ्लॅट मे केस को उसी ढंग से खोल दिया जिस ढंग से ये चाहते थे, तभी तो हमारे बापूजान की समझ मे ये आएगा की उनका चश्मो-चिराग इस दुनिया का सबसे बड़ा गधा, मूर्ख और निखट्टू है "
" विजय " रघुनाथ ने कहा," तुम ऐसा क्यो करते हो "
" समझो करो तुलाराशि, हम नही चाहते कि बापूजान ये सोचकर कि हमारा बेटा भी कुछ है, सारी दुनिया मे गर्व से छाती फैलाए घूमते रहे, एक-आध पसली-वसली टूटकर सड़क पर गिर पड़ी तो हम उसे चुगते फिरेंगे, हम बस ये चाहते है कि हमारा नाम आते ही उनकी गर्दन शरम से झुक जाए "
ये सोचकर विकास के होंठो पर मुस्कान दौड़ गयी कि उसके गुरु से महान इस मुकम्मल श्रीष्टि मे कोई नही हो सकता.
दा एंड
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