Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
11-27-2020, 03:51 PM,
#13
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
मैं पल भर अकचकाई खड़ी रही फिर स्थिति को संभाला, आखिर मैं भी तो कामोत्तेजना की ज्वाला में जल रही थी, “ओह कोई बात नहीं चाचा, मैं समझ सकती हूं। आपने तो वही किया जो इस स्थिति में कोई भी मर्द करता है।” मेरे कथन में मूक आमंत्रण भी था। मेरी आंखों में वासना की भूख स्पष्ट परिलक्षित हो रही थी जिसे उसकी अनुभवी आंखों ने पढ़ लिया था।
“इसका मतलब तुम्हें बुरा नहीं लगा ना?” उसने भी आशा भरी वासनापूर्ण आवाज में कहा।
“ओह नहीं चाचा, मुझे बिल्कुल बुरा बिल्कुल नहीं लगा” मैं तुरंत बोल उठी। मैं तो चाहती ही थी कि उनकी झिझक हट जाए और किसी तरह मेरे अंदर भड़क उठी वासना की ज्वाला को शांत कर दे।
“फिर तो ठीक है बिटिया, हम तोहरे संग कुछ और भी करना चाहते हैं, अगर तुम राजी हो तो।” वे बड़ी बेसब्री से बोले।
“ठीक है चाचा ठीक है, अब आपको जो भी करना है कर लीजिए।” मैं ने वासना की ज्वाला में धधकती कामुकतापूर्ण लहजे में अपने आप को एक तरह से उसके सामने परोस दिया।
इतना सुनना था कि वह घूम कर सोफे के सामने आ गये और मुझे अपनी मजबूत बांहों में भरकर मेरे चेहरे पर चुंबनों की झड़ी लगा दी। उनकी बेतरतीब दाढ़ी मेरे चेहरे पर चुभ रही थी मगर मुझे यह सब बेहद अच्छा लग रहा था। मेरे मुंह में अपना लंबा मोटा जीभ डाल दिया और कुत्ते की तरह मुंह के अंदर घुमाने लगा। मैं मस्ती में डूबती चली जा रही थी। मैं अपनी चूत के आस पास उनके कठोर लंड की दस्तक महसूस कर रही थी।
उधर टीवी स्क्रीन पर वासना का नंगा नाच चल रहा था और इधर आहिस्ता आहिस्ता वह मेरे ब्लाउज के बटन खोलने लगा। फिर ज्यों ही उसे अहसास हुआ कि मैं ने अंदर ब्रा नहीं पहनी है तो वह और बेसब्र हो कर आनन फानन में मुझे ब्लाउज से मुक्त कर दिया और आंखें फाड़कर मेरी नंगी चूचियों को ऐसे देखने लगा जैसे किसी भूखे कुत्ते के सामने स्वादिष्ट मांस का टुकड़ा पड़ा हो। उसने बड़ी बेताबी से मेरी चूचियों को मसलना चूसना चालू किया। अधखिली चूचकों को बारी बारी से मुंह में ले कर चूसने लगा, चुभलाने लगा।
मैं पागलों की तरह “आह, आह, इस्स्स इस्स्स” करने लगी। इस दौरान उन्होंने मुझे स्कर्ट और पैंटी से भी मुक्ति दे दी थी। अब उनका ध्यान मेरी पनियायी बुर पर गया। देखते ही देखते वह मेरी चूत पर टूट पड़ा और कुत्ते की तरह चाटना शुरू कर दिया। पहले ऊपर ऊपर जीभ फिराने लगा फिर चूत के अंदर अपनी जीभ घुसा घुसा कर चाटने लगा, एकदम नानाजी की तरह।
मैं कामुकता में भर कर अपनी कमर आगे पीछे करने लगी “आह चाचा, ओह चाचा, चाट चाट आ्आ्आह ओ्ओ्ओ्ओह इस्स्स आह मैं गई चाचा” कहते हुए आनंदातिरेक में डूबी मुख मैथुन का अभूतपूर्व सुख प्राप्त करती रही। मैं उत्तेजना के सैलाब में डूबती उतराती थरथरा उठी और मेरा स्खलन होने लगा। “आ्आ्आह ओ्ओ्ओ्ओह मैं मरी चाचा” मगर चाचा पर तो भूत सवार हो चुका था, और जोर जोर से चाटने चूसने लगा। मैं दुबारा उत्तेजना में भर कर छटपटाने लगी।
चाचाजी ने देखा लोहा गरम है, झटके से अपना कुरता पैजामा खोल फेंका और मादरजात नंगा हो गया। काला कसरती बदन हाथों में, छाती से लेकर नीचे पैरों तक और पूरे पीठ पर बालों से भरा, भयावह शरीर, किसी आदी मानव की याद दिला रहा था। उनका लंड तो बाप रे बाप, ऐसा लंड मैं पहली बार देख रही थी। लंबा 9″ का था सरदार जी की तरह, मोटा करीब चार इंच का रहा होगा। सामने का गुलाबी सुपाड़ा लंड की कुल मोटाई से थोड़ा और बड़ा करीब साढ़े चार इंच गोल, किसी गदा की तरह, मुझे रहीम टैक्सी ड्राइवर का स्मरण करा रहा था, सुपाड़ा सामने से नुकीला, उस पर तुर्रा यह कि बीच से हल्का टेढ़ा ऊपर की ओर उठा हुआ, वक्र। उनके बड़े बड़े अंडकोष थैली की तरह नीचे झूल रहे थे। मैं घबराकर कर बोली, “हाय राम यह क्या है” । मैं सचमुच उनके लंड की मुटाई और आकार प्रकार से घबरा गई थी। घबराहट के साथ साथ मेरी यह कोशिश भी थी कि मैं उन्हें यह जाहिर न होने दूं कि मैं अबतक छः छः मर्दों से चुद कर छिनाल बन चुकी हूं।
“ई हमरा लौड़ा है बिटिया” आपने गैंडे जैसे शरीर के सामने दोनों जांघों के बीच काले नाग की तरह फन उठाए फुंफकार मारता हुआ वीभत्स लंड हिलाता हुआ बड़ी ही अश्लीलता से बोला। “अब हम ई लौड़ा के तोहार बुर में डाल के चोदब बिटिया रानी”।
“नहीं चाचा जी नहीं, यह मेरी चूत में कैसे घुसेगा, मेरी चूत फट जाएगी। हाय नहीं मैं मर जाऊंगी चाचा जी।” उनका गैंडा जैसा मादरजात नंगा शरीर और विस्मयकारी भयावह लंड के दर्शन मात्र से मैं थर्रा उठी और घबरा कर बोली।
“तुमको हम कुछो न होने देंगे बिटिया। सब कुछ आराम से होगा। तू घूम कर सोफा के पकड़ ले, हम पीछे से तोहार बुर में लौड़ा पेलेंगे। बहुत मजा देंगे बिटिया।” कहते हुए मुझे घुमा कर झुका दिया। अब ऊखल में सिर दिया है तो मूसल से क्या डरना, सोचते हुए मैं ने यंत्रचालित गुड़िया की तरह सोफे पर हाथ रख कर अपने शरीर का भार दिया और धड़कते दिल से स्थिर हो कर दांत भींचे अपनी चूत पर होने वाले आक्रमण के लिए तैयार हो गई। चाचाजी ने पीछे से आकर मेरी कमर किसी कुत्ते की तरह पकड़ कर अपने लंड के सुपाड़े को मेरी चूत के मुहाने पर रख कर रगड़ना शुरू किया तो मैं गनगना उठी। कुछ ही पलों में मैं पगली हो गई और बेसाख्ता बोल उठी, “अब डाल भी दो चाचा जी”।
इस खुले आमंत्रण को भला वासना की गर्मी से तपते चाचा जी कैसे नकार सकते थे, वे तो चाहते ही थे कि मैं खुद अपने मुंह से निमंत्रण दूं और वो मुझे भंभोड़ डालें। उन्होंने मेरे चूत के छेद पर लंड का सुपाड़ा टिकाया, अपने बनमानुषि सख्त हाथों से मेरी कमर को कस कर पकड़ा और एक करारा धक्का मारा, “ले मेरी बिटिया रानी, आह हूं।”
“आह मर गई रे चाचा” मैं दर्द के मारे चीख पड़ी। “हाय मां मेरी चूत फटी रे फटी।” मैं छटपटाने लगी।
मगर चाचाजी के लौड़े को तो मानो स्वर्ग का द्वार मिल चुका था, मेरी चीख सुनकर वहशी जानवर की गुर्रा उठे, “चुप साली कुतिया, तुम्हरा बुर देख कर ही हम समझ गए हैं कि तू शरीर से कोमल लौंडिया दिखने वाली एक खेली खाई रंडी है। अब चुपचाप हमें अपना बुर चोदने दे बुर चोदी, बहुत दिनों बाद तोहरे जैसी लौंडिया मिली है चोदने को।” उनकी गुर्राहट सुन कर मेरी रूह फना हो गई।
“तो इसका मतलब अपने आप को मासूम दिखाने की मेरी सारी कोशिशों पर पानी फिर गया था। मैं भी कितनी बेवकूफ थी, कैसे भूल गयी थी कि पिछले चार पांच दिन में ही छ: अलग-अलग मर्दों से चुद चुद कर फूली हुई मेरी चूत चुगली कर जाएगी” मैं हक्की-बक्की रह गई। आरंभिक भीषण प्रहार की तीक्ष्ण वेदना से बेहाल, जबतक मैं अपने होश संभालती, अबतक वहशी जंगली जानवर बन चुके चाचा जी ने आधे घुसे अपने लंड को थोड़ा बाहर निकाल कर मेरी कमर को बनमानुष की तरह कस के पकड़ा और एक हौलनाक वार से पूरा का पुरा लौड़ा भच्च से जड़ तक भोंक दिया। मेरी चूत के मुंह से उनके लंड का नुकीला और विशाल सुपाड़ा बड़ी बेरहमी से प्रवेश करके फैलाता हुआ मेरे गर्भाशय में दस्तक दे दिया। उनके लंड का टेढ़ापन भी मेरे बच्चेदानी तक के मार्ग को अनुकूल और सुगम बनाने में अपना योगदान दे रहा था।
“आह मार डाला रे, आह्ह्ह्, ओह्ह्ह।” किसी बेरहम कसाई से हलाल होती मेमने की तरह मेरी दर्दनाक चीख से पूरा घर गूंज उठा। गनीमत थी कि घर में हमारे सिवा और कोई नहीं था वरना गजब हो जाता। किला फतह कर लेने के बाद करीब एक मिनट तक चाचा जी बिना हिले डुले रुके रहे, किसी अनुभवी शिकारी की तरह, क्योंकि उन्हें अच्छी तरह से पता था कि उनके लंड की पहली चुदाई किसी भी अच्छी खासी रंडी का दिल दहला सकती है।
“चो्ओ्ओ्ओप्प्प्प हर्र्र्र्र्रामजादी, चिल्ला मत कुतिया।” उनके मुख से बड़े ही वहशी अंदाज में गुर्राहट निकली। मैं ने महसूस किया कि दर्दनाक प्रथम प्रहार के पश्चात एक मिनट के विराम से मुझे काफी आराम मिलने लगा था। मेरा चीखना चिल्लाना और छटपटाना धीरे धीरे कम हो कर शांत हो गया। चाचाजी अब धीरे धीरे लंड को छोटे छोटे झटके दे दे कर अंदर-बाहर करने लगे। उनके लंड के चारों ओर मेरी चूत की दीवारें रबर की तरह फ़ैल कर विशाल लंड से चिपकी हुई उसके अंदर बाहर होने से पैदा होने वाले घर्षण से मुझे अलग ही आनंद से अवगत कराने लगी। कुछ पलों में ही मैं उनके अजीबो-गरीब लंड से चुदने में मेरी चूत पूर्णतः तैयार और सक्षम हो गई थी। मुझमें अजीब सी मस्ती छाने लगी थी। “आह, ओह, मां, इस्स्स,” मेरे मुंह से निकलती सिसकारियां चाचा जी को बता रही थीं कि अब यह लौंडिया चुदने को बेताब है और जैसे मर्जी वैसे अपनी हवस मिटा सकते हैं।
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RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा - by desiaks - 11-27-2020, 03:51 PM

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