Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
11-27-2020, 03:55 PM,
#35
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
मेरे प्रिय सुधी पाठकों,
अब तक आपने पढ़ा कि किस तरह मेरे पापा हरिया और करीम चाचा ने मिलकर अपनी हवस मिटाने के लिए दो और औरतों का शिकार किया. दोनों औरतें मजदूर रेजा थीं. उनकी कामुकता भरी कथा सुनते सुनते मैं इतनी उत्तेजित हो गई थी कि उत्तेजना के आवेग में उन हवस के पुजारियों के अंदर के जंगली जानवर को जगा बैठी, जिसके परिणामस्वरूप वे दोनों वहशी दरिंदे की तरह बड़े वहशियाना तरीके से मेरी चीख पुकार की परवाह किए बगैर मेरे जिस्म पर अपनी दरिंदगी का नमूना पेश कर डाला. बेरहमी से नोचते खसोटते रौंदते हुए मेरे शरीर को ऐसा भंभोड़ा कि मैं हाय हाय कर उठी. आश्चर्यजनक रूप से उनकी उस दरिंदगी भरी चुदाई के दौरान आरंभिक पीड़ा के पश्चात एक अलग ही प्रकार के आनंद से रूबरू हुई जिसका बयां करना मुश्किल है. करीब दो घंटे के दौरान उनकी चुदाई यात्रा कथा में पांचवीं और छठी औरत के साथ कामोत्तेजक शारीरिक संबंधों के बारे में सुनते हुए दो बार चुदी.
फिर मैंने कहा, “बस अभी का बहुत हो गया, बाकी कहानी बाद में सुनुंगी, अभी मुझे थोड़ा आराम करने दीजिए. नानाजी लोग आते होंगे. शाम को दादाजी का जन्मदिन भी मनाना है. आज मैं उन्हें सरप्राइज गिफ्ट करना चाहती हूं. उसकी तैयारी भी करनी है.” कहती हुई उसी तरह नंगी ही उठी और अपने कपड़े समेट कर अपने कमरे में जाकर बिस्तर पर धम से गिर गई और करीब एक घंटे तक सोई. करीब बारह बजे नानाजी और बाकी सब लोग बाजार से वापस लौट आए. उन लोगों ने काफी सारी खरीददारी की थी.
“लो बिटिया यह तेरे लिए” कहते हुए नानाजी ने एक कैरी बैग मुझे थमा दिया. मैं ने उत्सुकता से बैग के अंदर देखा तो उसमें सुंदर लाल रंग का लहंगा चोली था.
मैं खुशी से चहक उठी, “थैंक्स नानाजी”. फिर मैंने पूछा, “बर्थडे केक का आर्डर दिया कि नहीं?”
“हां वह शाम को आ जाएगा” नानाजी ने बताया.
“बर्थडे ब्वॉय का नया कपड़ा?” मैं पूछी.
“शाम को पहनेगा तो देख लेना” नानाजी ने उत्तर दिया.
“सजावट के लिए सामान लाए कि नहीं” मैं पूछी.
“बैलूनों का एक पैकेट है” नानाजी ने बताया.
फिर हम दोपहर का भोजन करके अपने अपने कमरे में आराम करने चले गए. शाम को करीब साढ़े चार बजे मैं उठी और मेरे पापा हरिया और करीम चाचा के साथ मिलकर ड्राइंग रूम को अच्छी तरह सजा दिया. मैं ने म्यूजिक के लिए टीवी का ही इस्तेमाल करने का निश्चय किया. स्मार्ट टीवी था इसलिए पेनड्राइव में कुछ खास किस्म के गानों को लोड किया. फिर नहा धो कर सजने संवरने लगी. मेरे उरोजों का उभार पिछले पांच छः दिनों की वासना के नग्न खेल में गुत्थमगुत्थी भरी कामक्रीड़ा के दौरान दब कुचल कर थोड़ा और बढ़ गया था इसलिए ब्रा थोड़ी छोटी पड़ रही थी लेकिन किसी तरह मुश्किल से पहन ही ली. ब्रा मेरे उरोजों को बड़ी मुश्किल से संभाले हुए था. नया लहंगा चोली पहन कर अच्छी तरह मेकअप वगैरह करके अपने बालों को करीने से संवारा लेकिन बाल खुला ही रहने दिया. चोली लो कट होने के कारण मेरे सीने के उभारों का काफी नग्न हिस्सा चोली के ऊपर से स्पष्ट दिखाई पड़ रहा था. दोनों उरोजों के बीच की दरार की गहराई भी स्पष्ट दिखाई दे रही थी. चोली ऊपर से तो लो कट थी ही, नीचे से भी काफी ऊपर थी. मेरे उभारों से बमुश्किल डेढ़ इंच नीचे तक. पीठ का हिस्सा करीब करीब पूरा ही खुला हुआ था. चोली की हालत देख कर मैं ने भी जानबूझ कर लहंगा को नाभी से काफी नीचे पहना, करीब तीन इंच नीचे. मेरे लंबे पांवों के कारण लहंगा जमीन से फिर भी काफी ऊंचा था. आईने के सामने अपने को खूब अच्छी तरह निहारा, क़यामत लग रही थी मैं. आज इन मर्दों पर बिजली गिराने का इरादा था. मैं ठान चुकी थी कि आज इनके मन से सारी ग्लानी (सरदारजी वाले एपिसोड से उपजी, खास कर दादाजी, बड़े दादाजी और नानाजी के) दूर कर दूंगी और इनके अंदर के वही पुराने आत्मविश्वास से भरे मर्दों की मर्दानगी को उभाड़ कर उनके दिल की हसरतों, अरमानों को बिल्कुल बेबाक तरीके से पूरा करने का पूरा अवसर प्रदान करूंगी. अब मैंपूरे शरीर पर खुशबूदार परफ्यूम स्प्रे करके तैयार हो गई.
करीब सात बजे मेरे कमरे के दरवाज़े पर दस्तक हुई और मेरे पापा की आवाज आई, “बिटिया नीचे ड्राइंग रूम में आ जाओ, सब आ चुके हैं.”
“ठीक है आप चलिए मैं आती हूं”, कहते हुए मैं दरवाजे की ओर बढ़ी. जब मैं कमरे से निकल कर सीढ़ियों से नीचे उतर रही थी तो सबकी निगाहें मुझ पर टिक गई थीं. सब आंखें फ़ाड़ कर एक टक मुझे देखते रह गए थे. मैं उनके नज़रों की ताब न ला सकी और तनिक शरम से लाल हो उठी. मैं ने महसूस किया कि सबके कलेजे में छुरियां चल गयीं थीं.सन्नाटा छा गया था जिसे नानाजी की आवाज़ ने भंग किया, “आओ बिटिया हम तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहे थे”.
मैं ने देखा कि नानाजी, दादाजी और बड़े दादाजी एकदम बदले रूप में चमक रहे थे. क्लीन शेव करके नये कपड़ों में खूब फब रहे थे. लंबे चौड़े दादाजी और बड़े दादाजी के बगल में ठिंगने कद के नानाजी भी बुलडोग जैसे चेहरे के बावजूद फब रहे थे. मेरे आते ही जैसे महफ़िल में जान आ गई. मैं ने अपने पापा याने हरिया और ड्राईवर करीम के बारे में पूछा कि वे कहां हैं, उन्हें भी बुला लीजिए. आज की पार्टी में घर के सभी सदस्यों की उपस्थिति आवश्यक है. उनके बिना पार्टी अधूरी होगी. नानाजी ने उन लोगों को भी बुला लिया. अब हमारी महफ़िल में पांच पुरुष और मैं एकमात्र स्त्री थी. सबकी भूखी नजरें मुझ पर थीं जिन्हें मैं बखूबी समझ रही थी. मैं जान बूझ कर अपनी चाल ढाल और नजरों से उन सबके दिलों पर छुरियां चला रही थी. फिर सेन्टर टेबल पर एक बड़ा सा सजा हुआ केक रखा गया. उसपर एक ही बड़ा सा मोमबत्ती जलाया गया क्योंकि दादाजी की उम्र के अनुसार 65 मोमबत्ती जलाना संभव भी नहीं था. दादाजी ने फूंक मारकर उसे बुझा दिया और सबने उन्हें अपने अपने ढंग से जन्मदिन की बधाई दी. मैं ने भी उन्हें बधाई देते हुए सबके सामने ही उनसे लिपट कर एक गरमागरम चुम्बन दिया. सब के सब ईर्ष्या से जल भुन गये. फिर दादाजी ने केक काटा और सबको एक एक टुकड़ा दिया. मैं ने एक टुकड़ा उठा कर दादाजी को खिलाया. करीब तीन चौथाई केक बच गया तो मैंने कहा कि उसे अभी वैसा ही रहने दिया जाए. मेरे दिमाग में कुछ और ही चल रहा था. फिर मैंने दादाजी को बड़े सोफे पर अकेले बैठा दिया.
उन्हें फूल गुच्छा दिया गया, उपहार दिया गया और जब मेरी बारी आई तो मैंने बड़े मादक अंदाज में कहा, “मैं आज दादाजी को खास उपहार देना चाहती हूं लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि आप सब को यह मान लेना पड़ेगा कि यहां आप सब एक ही स्तर के मर्द हैं और मैं सिर्फ एक स्त्री. आपस में कोई नौकर, ड्राईवर मालिक वाली भावना नहीं होनी चाहिए. आपलोग स्वतंत्रता पूर्वक व्यवहार कीजियेगा, इसमें न ही मुझे कोई आपत्ती होगी और न ही आपलोगों के बीच किसी प्रकार की आपत्ती और मतभेद होना चाहिए. छोटे बड़े का लिहाज बिल्कुल नहीं होना चाहिए. यहां जो कुछ भी होगा, इस दौरान हम जो कुछ भी अनुभव करेंगे, अपने अपने लफ्जों में बिना लाग-लपेट के बेहिचक व्यक्त करेंगे. हम सब इस कमरे में अपने मन के अनुसार कुछ भी करने को बिल्कुल आजाद हैं, इस बात का ख्याल रखना है कि दादाजी की इच्छा का भी हमें मान रखना है.”
“ठीक है, ठीक है, ऐसा ही होगा” सब बेसब्री और उत्सुकता से एक स्वर में बोल उठे.
“ठीक है तो आपलोग अपनी अपनी जगह पर बैठ जाईए. आज हम सब खुल कर दादाजी के जन्मदिन में मज़ा करेंगे. आपलोग सिर्फ इतना याद रखियेगा कि आज के मुख्य अतिथि दादाजी हैं और दादाजी की इच्छा का सम्मान हम सब को करना है.” मैं बोली.
“ठीक है बाबा ठीक है, अब तुम्हें जो उपहार देना है जल्दी दो, ज़रा हम भी तो देखें क्या उपहार है.” नानाजी बेसब्री से बोले.
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RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा - by desiaks - 11-27-2020, 03:55 PM

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