Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
11-28-2020, 02:24 PM,
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
“उफ्फ्फ्फ ओफ्फोह, मार ही डा्आ्आ्आलिएग्ग्ग्गा क्या्आ्आ्आ्आ, आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह।”

“मरने थोड़ी न दूंगा साली मां की चूत, चोदूंगा, मजे से चोदूंगा, हो गया अब, मजा ले मेरी प्यारी बहना और मुझे भी मजा दे।” अब वे धीरे धीरे धक्के लगाने लगे। हर धक्के पर मेरी सांस ऊपर नीचे हो रही थी। मेरी चूतड़ के नीचे से उन्होंने अपना हाथ हटा कर अब मेरी चूचियों को पकड़ लिया। बेदर्दी से दबाने लगे मेरी चूचियों को।

“उई्ई्ई्ई्ई्ई उई्ई्ई्ई्ई्ई मां्मां्आ्आ्आ्आ।” उनकी वहशियत बढ़ती जा रही थी। नशे में तो थे ही, शायद उन्हें पता ही नहीं चल रहा था कि किस तरह मेरी दु्र्दशा कर रहे थे। मुझे खुशी देने का खोखला आश्वासन देकर सिर्फ अपनी हवस की पूर्ति ही उनका एकमात्र लक्ष्य था। इतने पर ही नहीं रुके वे। अपने मुह से मेरी चूचियों को चूसने और दांतों से काटने लगे। “ओ्ओ्ओ्ओह्ह्ह्ह््ह्ह ओ्ओ्ओ्ओह्ह्ह्ह््ह्ह।” मैं चीखती रही चिल्लाती रही और वे मुझे नोचते रहे खसोटते रहे चोदते रहे। अब उनके चोदने की रफ्तार पहले से दुगुनी हो गयी थी। दनादन, धकाधक, भकाभक, भचाभच, मशीनी अंदाज में, यंत्र चालित जानवर की तरह चोदना जारी रहा, भंभोड़ना जारी रहा। उफ्फ्फ्फ वे लम्हें, प्रथमत: प्राणांतक पीड़ा को झेलती हुई चुदती रही, नुचती रही। शनैः शनैः वह पीड़ा कम होती गयी, गायब होती गयी और अंततः इस तरह गायब हुई मानो बरसों से चुदती आ रही हूं। अब जा कर मुझे राहत मिली, राहत ही नहीं, अब तो आनंद की अनुभूति होने लगी। मेरी चूत की संकीर्ण गुफा की अंदरूनी दीवारों में दादा के मोटे रक्तरंजित लंड के सर्र सर्र आवागमन से उत्पन्न घर्षण से मेरे शरीर में अदभुत रोमांचक, आनंदभरी विद्युत तरंगें बहने लगीं।

“उफ्फ्फ्फ दादा, ओह्ह्ह्ह्ह दादा, दारून, ओ््ओओह्ह्ह्ह्ह दादा केमोन भालो (कितना अच्छा) आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह मां्मां्आ्आ्आ्आ गो, चोद दादा चोद, खूब आनोंदो (बहुत आनंद)।” मैं आनंदमग्न क्या बोल रही थी पता ही नहीं था।

“लागलो, एखोन लागछे भालो (लगा, अब अच्छा लग रहा है) साली हरामजादी। एई जोन्यो एतो ड्रामा (इसी के लिए इतना नाटक), साली बुरचोदी।”

“ओ दादा, ओह ओह्ह्ह्ह् रे आमार (मेरे) चोदू राजा।”

“हां रानी, ऐखोन देख आमी की रोकोम आनोंदो दीच्छी (अभी देखो मैं कैसे आनंद देता हूँ)।” कहकर मुझे हवा में उठा लिया और मैं उनकी गोद में थी। उनका दोनों हाथ मेरी चूतड़ के नीचे था। मैं खुशी खुशी, आनंद में डूबी, अपने दोनों पैरों से उनकी कमर को लपेटे, उनके लंड को अपनी चूत में समाये मगन, नीचे से भाई के धक्के झेलती हवा में हिचकोले खा रही थी। उफ्फ्फ्फ यही था वह स्वर्गीय आनंद? यही था वह सुखद अनुभव, जिसके बारे में स्वप्न वाले राजकुमार ने बताया था? मैं अपने दोनों हाथों का हार उनके गले में डाल कर आनंद के सागर में डूब गयी, हिचकोले खाती रही, चुदती रही।

“ओह्ह्ह्ह् राजा, आमार चोदू राजा, आमार चूतेर पेलू दादा, ओह्ह्ह्ह् रेएएएएएए ओह्ह्ह्ह्।” करीब तीस चालीस मिनट की घमासान चुदाई के पश्चात उन्होंने मुझे कस कर जकड़ लिया और अपने मदन रस से मेरी चूत को सराबोर कर दिया।

“आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह््ह््ह््हह्हह, ओओ्ओओ््ओओ््हह्ह्ह्ह, र्र्र्र्आ्आ्न्नी्ई्ई्ई्ई्ई स्स्स्स्स्स्आ्आ्आ्आ्आली्ई्ई्ई्ई कुत्त्त्ती्ई्ई्ई्ई, तेरी्ई्ई्ई्ई चू्ऊ्ऊ्ऊ्ऊ्ऊत, आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह मस्त चू्ऊ्ऊ्ऊ्ऊ्ऊत, आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह टाईट चू्ऊ्ऊ्ऊ्ऊ्ऊत।” ऐसा लगा मानो मेरी पसलियों का चूरमा बना डाला हो।

“ओह्ह्ह्ह् ओह्ह्ह्ह्,” तभी मैं भी, “ओह्ह्ह्ह्,” मैं भी थर्रा उठी, आह वह मेरी जिंदगी का प्रथम स्खलन, “ओह दादा ओह्ह्ह्ह् रज्जाआ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह,” जन्नत का सुख, अनिर्वचनीय, शब्दों में बयां करना असंभव था। खुशी और तृप्ति के मारे मैं अपने भाई से चिपट गयी, बेहताशा चूमने लगी भाई के चेहरे को और मेरा शराबी, हरामी चोदू भाई, बलात्कारी भाई मुझे चोद कर निहाल हुआ जा रहा था।

“वाह, इतनी अच्छी टाईट चूत चोदना आज नसीब हुआ। उफ्फ्फ्फ, बड़ा मजा आया रे मेरी रानी, मेरी बुरचोदी बहना। हरामजादी, इसी के लिए इतना हल्ला गुल्ला मचा रही थी कुत्त्त्ती्ई्ई्ई्ई।” गदगद हो कर दनादन चूमते हुए बोला। उस प्रथम चुदाई में मैंने जो खुशी प्राप्त की, दीवानी हो गयी भाई की। मेरे भाई ने उस रात मेरी देह से जो संतुष्टि और खुशी प्राप्त की, आसक्त हो उठे मुझ पर। उस रात हमने तीन बार वासना का नंगा खेल खेला, रात भर, खुल कर, भाई बहन के पवित्र रिश्ते को शर्मसार करते हुए। फिर तो यह सिलसिला चल निकला। तीन दिन बाद मेरी भाभी घर वापस आई, लेकिन तब तक भाई ने मुझे चुदाई में पूरी माहिर बना दिया था। उस सोलह साल की नादान उम्र में ही मेरे हवस के पुजारी चुदक्कड़ भाई नें ऐसा जलवा दिखाया कि मैं उनकी दिवानी बन बैठी।

एक दिन मैंने चुदते हुए भाई से पूछ लिया, “भाई?”

“हां बोल”

“भाभी के रहते आपको मुझे चोदना कैसे सूझा?”

“चुप हरामजादी।”

“क्यों चुप रहूं मैं दादा?”

“उस काली कुतिया की बात मत कर, घिन आती है।”

“काली है तो क्या हुआ, खूबसूरत तो है।”

“मैंने कहा ना उसकी बात करके मूड खराब मत कर।”

“इसमें मूड खराब करने वाली क्या बात है?”

“हट हरामजादी,” एक धक्का दिया मुझे और मुझे छोड़ कर उठ गये। मैं नंगी, उत्तेजना की आग में तपती, दौड़ कर उनसे लिपट गयी और बोली, “सॉरी दादा, गलती हो गयी। अब नहीं बोलूंगी भाभी के बारे में। मुझे इस तरह बीच चुदाई में छोड़कर मत जाईए।”

“फिर न बोलना।”

“ना दादा ना।”

“गुड गर्ल,” जहां मुझे छोड़ा था वहीं से फिर चोदने लगे मुझे। उस दिन के बाद फिर हमारे बीच कभी भाभी का जिक्र नहीं हुआ। यह थी मेरी चुदाई यात्रा की शुरुआत, जिसका उद्घाटन मेरे अपने भाई के हाथों हुआ।

कहानी जारी रहेगी
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RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा - by desiaks - 11-28-2020, 02:24 PM

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