Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
11-28-2020, 02:34 PM,
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
अबतक रामलाल नें हमें बताया कि किस तरह रबिया की चुदाई के चक्कर में वह उस दिन फंस गया था जब चुदाई के बीच में ही उसकी बेटी शहला कॉलेज से जल्दी आ गयी थी। रामलाल को रबिया नें शहला के सामने पोल खुल जाने के भय से उसी के घर के अंदर अलमारी के पीछे नंग धड़ंग छिपने को कहकर दरवाजा खोलने चली गयी। हड़बड़ी में रामलाल के कपड़े बिस्तर पर ही छूट गये थे। इतना बता कर रामलाल रुक गया। उसकी कहानी सुनते सुनते हम सभी काफी उत्तेजित हो चुके थे। उसकी कहानी थी ही इतनी कामोत्तेजक। उसके एकदम से रुकने से एक अप्रिय विराम सा लग गया। हम सबकी उत्कंठा चरम पर थी और साथ ही हमारे अंदर की उत्तेजना भी।

“आगे?” उतावली से रश्मि बोली।

“अब आगे तेरी गांड़ चोदने के बाद।” रामलाल रश्मि को चूमकर पलटते हुए बोला।

“नहीं, गांड़ नहीं।” रश्मि घबरा गयी।

“तो जाओ, नहीं बताता। कहानी बताते बताते मेरा लंड आपकी गांड़ चोदने को तड़प उठा है। देखिए।” उसने अपने मूसल लंड पर रश्मि का हाथ रखते हुए बोला।

“हाय नहीं, प्लीज नहीं। फाड़ दीजिएगा आप।” रश्मि उसके बंधन से आजाद होने की कोशिश करने लगी। लेकिन रामलाल जैसे शक्तिशाली पुरुष के आगे वह कर भी क्या सकती थी। फड़फड़ा कर रह गयी।

“इतनी मस्त गांड़ पर तब से हाथ फेर रहा हूं, तब तक खुश थी। अब चोदने की बात पर नहीं? ऐसा कैसे होगा?” रामलाल गांड़ चोदने पर उतारू था और रश्मि राजी ही नहीं हो रही थी। इधर हम भी उत्तेजित, या तो रामलाल की आगे की कहानी, या एक दौर और चुदाई का।

“ठीक है, ठीक है, चोदिए रामलाल जी चोदिए। जल्दी चोदिए साली की गांड़ और इधर हम भी एक दौर चुदाई का चला लेते हैं। फिर कहानी बताते रहिएगा।” मैं उत्तेजना के आवेग में बोली, इस बात से बेखबर कि हरिया और करीम के मन में क्या चल रहा था। मेरे कहने की देर थी कि उधर रामलाल टूट पड़ा रश्मि पर और इधर हरिया और करीम टूट पड़े मुझ पर।

“नहीं प्लीज, मर जाऊंगी मैं।” रश्मि गिड़गिड़ाने लगी। लेकिन रामलाल को रोक पाना उसके वश की बात तो थी नहीं, बलशाली, औरतखोर पशु की तरह कहर बन कर टूटा वह। उसे पलट कर जबर्दस्ती उस पर चढ़ गया। उसकी मदमस्त चिकनी गुदा की फांक पर अपना खूंखार लिंग टिकाकर पीछे से उसकी सख्त चूचियों को बेरहमी से दबोच कर दबाव देने लगा। उसके लिंग का अग्रभाग रश्मि के मलद्वार को फैलाता हुआ करीब करीब फाड़ता हुआ फच्च से प्रविष्ट हो गया। किले के द्वार को मानो ध्वस्त कर दिया उसके मूसल नें।

“आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह,” एक दर्दनाक चीख से गूंज उठा पूरा कमरा।

“चीखो मत, लो, घुस्स्स्स्स्स्स गया आ्आ्आ्आ्हुम्म्म्म।” रामलाल की विजयी आवाज गूंजी। एक बार उसके लिंग को रास्ता क्या मिला, घुसता ही चला गया सरसरा कर, उसकी गुदा को चीरता हुआ।

“ओ्ओ्ओह्ह्ह मां्आं्आं्आं, मर गयी रे्ए्ए्ए्ए्ए।” जिबह होती बकरी की तरह रो पड़ी बेचारी। लेकिन अब रामलाल कहां रुकने वाला था।

“आह ओह्ह्ह्ह्ह, मस्त, उफ्फ्फ्फ्फ्फ, इतनी टाईट, अहा, मजा आ गया, लो पूरा घुस गया, अब रोने से क्या फायदा। चुपचाप चोदने दीजिए रश्मि मैडम। देखिए अब कितना मजा आएगा।” कहकर शुरू हो गया, गचागच चोदने लगा। कुछ देर तो रश्मि रोती कलपती रही, लेकिन कुछ लम्हों बाद उसके तेवर ही बदल गये। वचन और तन की भाषा ही बदल गयी।

“ओह्ह्ह्ह्ह, ओह्ह्ह्ह्ह, आह्ह आह्ह, उम्म्म्म्मा्आ्आ उम्म्म्म्मा्आ्आ, इस्स्स्स्स्स्स्स इस्स्स्स्स्स्स्स, उफ्फ्फ्फ्फ्फ चोद आमार रज्ज्ज्ज्जा्आ्आ्आ्आ, आमार गां्आं्आं्आं्आं्आं्ड़ के खूब मोजा निये चोद आमार चोदू स्वामी, आह की खूब आनोंदो दीच्छो गो, ओह रे ओह्ह्ह्ह्ह, भीषोण बांड़ा, ओह्ह्ह्ह्ह भोगोबान, भालो, भीषोण भालो लागछे गो्ओ्ओ्ओ्ओ, (मेरी गांड़ को खूब मजा ले कर चोदिए चोदू स्वामी, विशाल लंड, ओह भगवान, बहुत अच्छा लग रहा है)।

उधर रश्मि की गांड़ में रामलाल के भयावह लंड की मस्ती चढ़ी थी और इधर ये दोनों बूढ़े चुदक्कड़ इस बार मेरी गांड़ का बाजा बजाने पर उतर आए थे। हरिया ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मैं भी भरभरा कर उस पर गिर ही पड़ी। इधर मैं उसपर गिरी कि आनन फानन में अपने लंड को मेरी गुदा पर टिका दिया।
“यह क्या?” चौंक उठी मैं।

“गांड़ रे पगली, गांड़ में ठोकूंगा लोड़ा्आ्आ्आ्आ।” कहते न कहते, सूखे सूखे ही जबर्दस्ती लंड घुसाने का प्रयास करने लगा। मुश्किल था, सूखे सूखे मुश्किल था, पीड़ादायक था, लेकिन उस हरामी बूढ़े को मेरी पीड़ा की क्या परवाह थी। पीड़ा देने के इरादे से ही शायद वह ऐसा कर रहा था। मैं भी ठहरी एक नंबर की रांड। दर्द के बावजूद उसके लंड को अपने में समाहित करने हेतु अपने शरीर को ढीला छोड़ दी।

“ऊ्ऊ्ऊ्ऊ्ऊ्ऊ्ऊ्ऊ मां्आं्आं्आं,” पीड़ा को यथाशक्ति पीती हुई हरिया के लंड को अपनी गांड़ में ग्रहण करने में सफल हो गयी। इतने पर ही बस थोड़ी हुई। करीम को तो भूल ही गयी थी। वह कमीना कहाँ पीछे रहने वाला था। पीछे से मुझ पर सवार हो गया और मेरी चूचियों का मलीदा बनाने पर तुल गया।

“चीख रही है कुतिया? अभी तो मैं बाकी हूं।” तभी मुझे अहसास हुआ कि करीम का तनतनाया लंड हरिया के लंड से बिंधे गुदाद्वार पर दस्तक देने लगा। चिहुंक उठी मैं।
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RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा - by desiaks - 11-28-2020, 02:34 PM

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