RE: Thriller Sex Kahani - अचूक अपराध ( परफैक्ट जुर्म )
-“नहीं। अब कभी यहां नहीं आएगी।”
-“क्यों?”
-“वह छोड़ गई। और यह अच्छा ही हुआ वरना मैंने उसे निकाल देना था।”
-“मैं तो समझता था इसका मालिक सतीश सैनी है।”
-“वह पहले था। अब नहीं। आज सुबह यह जगह मैंने उसे खरीद ली। अपने इस पागलपन की वजह से अब मेरा दिल चाहता है अपने सारे बाल नोंच डालूं। कपड़े फाड़ दूं.....तुम सैनी के दोस्त हो?”
-“मिला हूं उससे।”
-“लीना के दोस्त हो?”
-“बनना चाहता था।”
-“बेकार वक्त जाया कर रहे हो। वह वापस नहीं आएगी और अगर आ भी गई तो तुम्हें घास नहीं डालेगी। वह रिजर्व्ड है।”
-“किसी खास के लिए?”
-“मैं शादी शुदा और बाल बच्चेदार आदमी हूं। ऐसी बात वह मुझे क्यों बताएगी?”
-“यह तो कोई वजह नहीं हुई। वह बता भी सकती थी....खैर क्या तुमने मनोहर लाल का नाम सुना है?”
उसका मुंह बन गया।
-“मैं मनोहर लाल को जानता हूं। कभी कभार यहां आता है।”
-“लेकिन अब कभी नहीं आएगा।”
-“क्यों?”
-“वह मर चुका है।”
-“कैसे? क्या हुआ?”
-“हाईवे पर किसी ने उसे शूट कर दिया।
वह विस्की से भरा ट्रक ला रहा था। ट्रक भी गायब है। उसमें सैनी की विस्की थी।”
-“ट्रक में सिर्फ विस्की थी?”
-“हां।”
-“कितनी?”
-“करीब बीस लाख रुपए की।”
-“नामुमकिन। इतनी विस्की वह बेचेगा कहां?”
-“ऑर्डर कई रोज पुराना रहा होगा। उसने इस बारे में तुम्हें नहीं बताया?”
-“हो सकता है बताया हो।” वह सतर्क स्वर में बोला- “मेरी याददाश्त कमजोर है।” उसने काउंटर पर झुककर राज को गौर से देखा- “तुम कौन हो? पुलिस वाले?”
-“मैं प्राइवेट डिटेक्टिव हूं।” राज ने गोली दी- “बवेजा ट्रांसपोर्ट कंपनी के लिए इस मामले की छानबीन कर रहा हूं।”
-“तुम समझते हो लीना का भी इससे कोई ताल्लुक है?”
-“यह उसी से पूछना चाहता हूं। वह मनोहर को जानती थी न?”
-“हो सकता है। मुझे नहीं मालूम।”
-“तुम्हें अच्छी तरह मालूम है वह जानती थी।”
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