RE: Thriller Sex Kahani - हादसे की एक रात
“तू क्यों गयी थी ठेके पर ?” अपने एक कमरे के घर में पहुँचते ही राज डॉली पर बरस पड़ा ।
“क्यों नहीं जाती ?”
“बिल्कुल भी नहीं जाती ।” राज चिल्लाया- “वह हद से हद क्या बिगाड़ लेते मेरा, मुझे हॉकियों से पीट डालते, धुन डालते । तुझे नहीं मालूम, वहाँ एक से एक बड़ा गुंडा मौजूद होता है ।”
डॉली ने हैरानी से राज की तरफ देखा ।
“ऐसे क्या देख रही है मुझे ?”
“अगर तुझे मेरी इज्जत का इतना ही ख्याल है, तो तू ठेके पर जाता ही क्यों है, छोड़ क्यों नहीं देता इस शराब को ?”
“मैं शराब नहीं छोड़ सकता ।”
“क्यों नहीं छोड़ सकता ।” डॉली झुंझलाई- “और अगर नहीं छोड़ सकता, तो फिर कमाता क्यों नहीं । ऑटो रिक्शा ड्राइवरों ने ही तो हड़ताल की हुई है, जबकि कमाने के तो और भी सौ तरीके हैं ।”
“देख-देख मुझे भाषण मत दे ।”
“मैं भाषण दे रही हूँ ?”
“और नहीं तो क्या दे रही है ?” राज चिल्लाया- “थोड़ी-सी उधारी क्या चुका दी, अपने आपको तोप ही समझने लगी ।”
“अगर ऐसा समझता है, तो यही सही ।” डॉली बोली- “ज्यादा ही हिम्मतवाला है तो जा, मेरी उधारी के रुपये मुझे वापस लाकर दे दे ।”
“मुझे गुस्सा मत दिला डॉली ।” राज आक्रोश में बोला ।
“नहीं तो क्या कर लेगा तू ? मेरे रुपये अभी वापस लाकर दे देगा ? कहाँ से लायेगा ? रुपये क्या पेड़ पर लटक रहे हैं या जमीन में दफन हैं ?”
“मैं कहीं से भी लाकर दूं, लेकिन तुझे तेरे रुपये लाकर दे दूंगा ।”
और तब डॉली ने वो ‘शब्द’ बोल दिये, जो राज की बर्बादी का सबब बन गये ।
जिनकी वजह से एक खतरनाक सिलसिले की शुरुआत हुई ।
ऐसे सिलसिले की, जिसके कारण राज त्राहि-त्राहि कर उठा ।
“ठीक है ।” डॉली बोली- “अगर अपने आपको इतना ही धुरंधर समझता है- तो जा, मुझे मेरे रुपये वापस लाकर दे दे ।”
राज फौरन बाहर गली में खड़ी अपनी ऑटो रिक्शा की तरफ बढ़ गया ।
डॉली चौंकी ।
रात के दस बजने जा रहे थे ।
“ल...लेकिन इतनी रात को कहाँ जा रहा है तू ?”
“तेरे वास्ते रुपये कमाने जा रहा हूँ ।” राज ने ऑटो में बैठकर धड़ाक से उसे स्टार्ट किया- “और कान खोलकर सुन डॉली- अब मैं तेरे रुपये कमाकर ही वापस लौटूंगा ।”
अगले ही पल राज की ऑटो सोनपुर की उबड़-खाबड़ सड़क पर तीर की तरह भागी जा रही थी ।
पीछे डॉली दंग खड़ी रह गयी ।
भौंचक्की !
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