RE: Thriller Sex Kahani - हादसे की एक रात
“बताओ तो सही, शायद कुछ मतलब निकल आये ।” अजनबी की आवाज में अब थोड़ी नरमी आ गयी थी ।
वह नरमी का ही असर था जो राज ने बता दिया- “मैं सोनपुर में रहता हूँ ।”
“अ...और कौन-कौन रहता है तुम्हारे साथ?” अजनबी ने कराहते हुए पूछा ।
“अकेला रहता हूँ ।”
“अ...अभी शादी नहीं हुई ?”
“नहीं ।”
“म...मां-बाप ?”
“वह भी नहीं हैं ।”
“ओह !”
“ठ...ठीक है ।” अजनबी ने बेचैनीपूर्वक पहलू बदला- “अगर तुम अकेले रहते हो, त...तो तुम मुझे अपने ही घर ले चलो । इ...इस समय वही जगह सबसे ठीक रहेगी ।”
“य...यह क्या कह रहे हो ?” राज के कंठ से सिसकारी छूट गयी ।
उसके दिल दिमाग पर बिजली-सी गड़गड़ाकर गिरी ।
ऑटो रिक्शा को झटका लगा, इतना तेज झटका कि उस झटके से उभरने के लिये राज को ऑटो फुटपाथ के किनारे सड़क पर रोक देनी पड़ी ।
☐☐☐
“क्या कहा तुमने अभी ?” राज तेजी से अजनबी की तरफ पलटकर बोला- “क्या कहा ? तुम सोनपुर जाओगे ?”
“ह...हाँ ।” अजनबी ने संजीदगी से कहा- “सोचता हूँ, आज रात तुम्हारे ही घर आराम कर लूं ।”
“लेकिन क्यों करोगे मेरे घर पर आराम ? तुम अपना एड्रेस बोलो, तुम जहाँ रहते हो, मैं तुम्हें वहीं लेकर जाऊंगा । दिल्ली के आखिरी कोने में भी तुम्हारा घर होगा, तो मैं तुम्हें वहीं ले जाकर छोडूंगा ।”
“म...मगर मैं इस वक्त अपने घर नहीं जाना चाहता ।” अजनबी इस समय भी काला ब्रीफकेस कसकर अपने सीने से चिपकाये हुए था ।
“क्यों नहीं जाना चाहते अपने घर ?”
“तुम नहीं जानते बेवकूफ आदमी ।” अजनबी थोड़ा खीझ उठा- “पुलिस मेरे पीछे लगी है, मुमकिन है कि पुलिस ने मुझे गिरफ्तार करने के लिये मेरे घर पर भी पहरा बिठा रखा हो, अगर ऐसी हालत में मैं अपने घर गया, तो क्या फौरन पकड़ा न जाऊंगा ?”
राज सन्न रह गया ।
एकदम सन्न !
उसे अब महसूस हो रहा था, एकाएक कितनी बड़ी आफत में वो फंस चुका है ।
एक लगभग मरा हुआ सांप उसके गले में आ पड़ा था ।
“तुम नहीं जानते ।” अजनबी बोला- “त...तुमने पुलिस से मेरी जान बचाकर मेरे ऊपर कितना बड़ा अहसान किया है, मैं तहेदिल से तुम्हारा आभारी हूँ । अब मेरे ऊपर एक अहसान और कर दो- सिर्फ आज रात के लिये मुझे अपने घर में शरण दे दो । मैं वादा करता हूँ, दिन निकलने से पहले ही मैं तुम्हारे घर से चला जाऊंगा और तुम्हारे ऊपर मेरी वजह से कोई आंच नहीं आयेगी ।”
राज चुपचाप उस अजनबी को देखता रहा ।
“म...मुझे इस तरह क्या देख रहे हो ?”
“क्या तुम्हारे पास इसके अलावा कोई और रास्ता नहीं ?”
“अ...अगर रास्ता होता, त...तो मैं तुम्हें ही क्यों परेशान करता दोस्त !”
वह बार-बार पीड़ा से कराह रहा था ।
“गोली का क्या करोगे ?”
“व...वह कोई बड़ी समस्या नहीं है ।” अजनबी बोला- “गोली निकालना मेरे बायें हाथ का खेल है, आखिर आज मैं कोई पहली बार थोड़े ही जख्मी हुआ हूँ ।”
राज कोई फैसला नहीं कर पा रहा था ।
“क्या सोच रहे हो ?”
राज चुप ।
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