RE: Thriller Sex Kahani - हादसे की एक रात
अगले ही क्षण उसने कंपकंपाते हाथों से अजनबी की जेबों की तलाशी ले डाली, वहाँ भी कुछ न था ।
तमाम जेबों में कागज का ऐसा एक अदद टुकड़ा तक न था, जिससे अजनबी की पहचान हो पाती या फिर उसकी पहचान की मालूमात करने की दिशा में वह कम-से-कम सूत्रधार का काम तो करता ।
काश!
काश राज ने अजनबी की उसी हालत से कोई नतीजा निकाला होता ।
उसी से उसने खतरे का अंदाजा लगाया होता, आखिर उसकी जेबों में कुछ न था ।
लेकिन राज के दिल-दिमाग पर तो उस समय पूरी तरह लालच सवार था ।
वह फिर मूर्तियों को संजीदगी के साथ देखने लगा ।
“इन्हें इस तरह क्या देख रहा है राज ?” डॉली का दिल धाड़-धाड़ करके बज रहा था ।
“यह मूर्तियां नहीं हैं डॉली ।” एकाएक वो बड़बड़ाया- “यह मूर्तियां नहीं है ।”
“फ...फिर क्या हैं ये ?”
“यह किस्मत है- किस्मत । कारून का खजाना हैं ये ।” राज खुशी से कंपकंपाये स्वर में बोला- “मैंने आज तक सिर्फ सुना था डॉली, ऊपर वाला जब देता है, छप्पर फाड़कर देता है । लेकिन आज अपनी आंखों से देख भी लिया । भगवान सचमुच बड़ा कारसाज है । उसने हमारी बंद किस्मत के दरवाजे खोल दिये ।”
“तू पागल हो गया है ।” डॉली झुंझला उठी- “मौत तेरे सिर पर मंडरा रही है बेवकूफ- और तू भगवान का गुणगान कर रहा है । तूने इस लाश को देखा है ।” डॉली ने दांत किटकिटाये- “पुलिस को जब यह लाश तेरे घर में से बरामद होगी, तो पुलिस वाले तेरी ऐसी ज़बरदस्त धुनाई करेंगे कि किस्मत के जो दरवाजे तुझे इस समय खुलते नजर आ रहे हैं, वह सबके सब एक झटके में बंद हो जायेंगे ।”
“प...पुलिस अब मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती ।” राज ने एकाएक बम-सा छोड़ा ।
“क्यों नहीं बिगाड़ सकती ?”
“क्योंकि पुलिस का एक इंतजाम मैंने सोच लिया है ।”
“क...कैसा इंतजाम ?”
“जरा सोच डॉली, पुलिस उसी हालत में तो मेरा कुछ बिगाड़ सकती है, जब दिन निकलने पर उसे यह लाश मेरे घर के अंदर से बरामद होगी । लेकिन अगर यह लाश ही पुलिस को मेरे घर के अंदर से न मिले, तब कैसा रहेगा ?”
“त...तू कहना क्या चाहता है ?”
“बहुत आसान सी बात है डॉली ।” राज ने विस्फोट किया- “मैं इस लाश को आज रात ही गायब कर दूंगा ।”
“त…तू लाश गायब कर देगा ?”
“हाँ, डॉली ! अब इस मुसीबत से छुटकारा पाने का यही एक तरीका है ।” राज का दिमाग इस समय काफी तेजी से चल रहा था- “मैं लाश को आज रात ही किसी ऐसी जगह फेंक आऊंगा, जहाँ से बरामद होने पर पुलिस को मेरे ऊपर किसी भी तरह का कोई शक न हो ।”
“य...यह तू करेगा ?” डॉली हैरत से बोली ।
“हाँ, यह मैं करूंगा ।”
“यह सब करने की हिम्मत है तेरे अंदर ?”
“हिम्मत हो या न हो डॉली !” राज दृढ़तापूर्वक बोला- “लेकिन इस काम को मैं करूंगा जरूर । क्योंकि तभी पुलिस से बचा जा सकता है । इस लाश से बचा जा सकता है । और... ।”
“अ...और क्या ?”
“सोने की इन कीमती मूर्तियों को हड़पा जा सकता है ।”
डॉली दंग रह गयी ।
दंग !
“आज जरूर तेरी खोपड़ी खराब हो गयी है ।” डॉली गुस्से में बोली- “तू क्या सोचता है, तू लाश को कहीं भी फेंककर पुलिस के हाथों से बच जायेगा ? मूर्तियां इतनी आसानी से हड़प लेगा तू ? नहीं राज, नहीं । यह वहम है तेरा । पुलिस तुझे तलाशती हुई एक-न-एक दिन तेरे तक जरूर पहुँच जायेगी । फिर तू नहीं बचेगा । फिर तू सिर पटक-पटक कर कितनी भी दुहाई देगा कि यह हत्या तूने नहीं की, तूने नहीं की । तब भी पुलिस को तेरे ऊपर यकीन नहीं आयेगा । आज जो रास्ते तू अपने बचाव के लिये बना रहा है राज, आने वाले दिनों में वही रास्ते तेरी मुकम्मल तबाही के, बर्बादी के कारण बन जायेंगे ।”
“त...तू कहना क्या चाहती है ?”
“मैं सिर्फ यह कहना चाहती हूँ, अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा राज ! तू सभी मूर्तियां और लाश कानून के हवाले कर दे और पुलिस को सब कुछ सच-सच बता दे । तेरा कुछ नहीं बिगड़ेगा ।”
“कैसे कुछ नहीं बिगड़ेगा ।” राज उत्तेजित हो उठा- “पुलिस क्या इतनी ही सीधी है, जो वह खामोशी से मेरी हर बात मान लेगी ।”
“क्यों नहीं मानेगी ? पहले की और अब की परिस्थिति में फर्क है राज- इस समय तेरे पास बेशकीमती मूर्तियां हैं । अब पुलिस भी यह सोचेगी कि अगर तेरे मन में कोई छल-कपट होता, तो तू यह मूर्तियां ही कानून के हवाले क्यों करता ।”
तू नहीं जानती डॉली !” राज के दिमाग पर लालच पूरी तरह हावी हो चुका था- “पुलिस मेरी इस ईमानदारी का भी कोई नया अर्थ निकाल लेगी । आजकल अपराधियों ने जासूसी उपन्यास पढ़-पढ़कर कानून की आंखों में धूल झोंकने की ऐसी-ऐसी तरकीबें ढूंढ ली हैं कि किसी के लिये भी सही गलत का अंदाजा लगाना मुश्किल हो गया है, ऐसी हालत में मेरी ईमानदारी को भी शक की नजर से देखा जायेगा ।”
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