RE: Thriller Sex Kahani - हादसे की एक रात
तभी संकट की शुरुआत हुई ।
पिक! पिक!
पीछे से आती सायरन की आवाज को सुनकर राज चौंका ।
सारे सपने एक झटके में बिखर गये ।
उसने पीछे गर्दन घुमाई और गर्दन घुमाते ही मानो एक साथ हजारों बिच्छुओं ने उसे डंक मार दिया था ।
“प...पुलिस !” राज के मुँह से चीख निकली ।
“पुलिस” का नाम सुनकर डॉली के भी होश उड़ गये ।
पीछे फ्लाइंग स्क्वॉयड की एक नीली जिप्सी सायरन बजा-बजाकर ऑटो रिक्शा को रोकने का आदेश दे रही थी ।
“य...यह पुलिस हमारा पीछा क्यों कर रही है ?” डॉली ने बदहवासों की तरह पूछा ।
“म...मुझे क्या मालूम ।” राज के जिस्म का एक-एक रोआं खड़ा हो गया ।
“जरूर उन्हें यह पता चला गया है, हमारी ऑटो में लाश है ।”
“लेकिन उन्हें कैसे पता चल सकता है ?”
“य...यह तो वही बेहतर जाने ।” डॉली कंपकंपाये स्वर में बोली- “मगर हंड्रेड परसेंट उन्हें हमारी हरकत के बारे में मालूम हो गया है । मैं तेरे से पहले ही बोलती थी, राज इस चक्कर में मत पड़ ! मत पड़ ! फंस जायेगा । मगर नहीं, तब तो तुझे धनवान बनने का बड़ा शौक चढ़ा हुआ था ।”
“बेकार की बात मत कर डॉली ।” राज झुंझला उठा, पहले ही उसका दहशत के मारे बुरा हाल था, उसके जिस्म से पसीने की धारायें बह निकली थीं ।
उसने ऑटो रिक्शा की स्पीड और बढ़ा दी ।
ऑटो अब आंधी-तूफान की तरह सड़क पर दौड़ने लगी और उससे भी कहीं ज्यादा तेजी से दौड़ रहा था उस समय राज का दिमाग ।
दिमाग !
जो उस एकाएक गले पड़ी मुसीबत से छुटकारा पाने की कोई नायाब तरकीब सोच रहा था ।
“म...डॉली ।” राज आंदोलित लहजे में बोला- “म...मेरी बात ध्यान से सुन ।”
“क...क्या बात ?”
“पुलिस से बचने का मेरे दिमाग में एक आइडिया आया है, तू कम्बल ओढ़कर लाश के ऊपर लेट जा । जल्दी । फौरन ।”
पसीने छूट गये डॉली के- “य...यह क्या कह रहा है तू ?”
“बहस मत कर ।” राज चिल्ला उठा- “पुलिस की जिप्सी नजदीक आती जा रही है, जैसा मैं कह रहा हूँ, जल्दी वैसा कर । वरना आज हम दोनों का फंसना तय है ।”
“ल...लेकिन लाश के ऊपर लेटने से ही क्या हो जायेगा ?” डॉली की आंखों में मौत नाच रही थी ।
उसकी हवा खुश्क थी ।
“लाश के ऊपर लेटने के बाद यह भी पता चल जायेगा कि क्या होगा, इसलिये जल्दी कर ।”
उन दोनों की आपसी बहस किसी ठोस नतीजे तक पहुँच पाती, उससे पहले ही पुलिस की नीली जिप्सी जोर-जोर से सायरन बजाती हुई ऑटो रिक्शा के पहलू में से गुजरी और फिर सड़क के बिल्कुल बीचों-बीच ऑटो के सामने जाकर खड़ी हो गयी।
हाथ-पांव फूल गये राज के ।
उसने फौरन ब्रेक अप्लाई किये ।
फिर भी ऑटो रिक्शा के पहिये किर्र-किर्र की भयानक आवाज करते काफी दूर तक घिसटते चले गये और एक्सीडेंट होते-होते बचा ।
उसी पल डॉली भी हरकत में आ गयी ।
वह एकदम दहशत के वशीभूत होकर लाश के ऊपर जा पड़ी थी । लाश के ऊपर गिरते ही उसने झट से लाश पर पड़ा कम्बल खींच लिया था और फिर उस कम्बल से अपने आपको तथा लाश को अच्छी तरह ढक लिया ।
अब वह लाश के एकदम ऊपर थी ।
अजनबी की गोद में ।
उधर जिप्सी के रुकते ही उसमें से धड़ाधड़ तीन पुलिसकर्मी नीचे कूदे ।
वह शक्ल-सूरत से ही शैतान नजर आ रहे थे ।
नीचे कूदते ही वह ऑटो रिक्शा की तरफ बढ़े ।
राज ने देखा, उनमें जो सबसे आगे था, वह एक बड़े खतरनाक मुखमण्डल वाला सब-इंस्पेक्टर की रैंक का पुलिसकर्मी था, जबकि उसके पीछे-पीछे आने वाले दोनों पुलिसकर्मी हवलदार थे ।
राज ऑटो रिक्शा की ड्राइविंग सीट से कुछ और ज्यादा चिपककर बैठ गया तथा अपने होने वाले खौफनाक अंजाम की कल्पना से ही थर-थर कांपने लगा ।
तब तक वह तीनों उसके करीब आ चुके थे ।
“क...क्या हुआ साहब?” राज ने मरियल-सी जबान में पूछा ।
“बाहर निकल साले !” सब-इंस्पेक्टर की हथौड़े जैसी आवाज ने सीधे उसके दिमाग पर चोट की- “बाहर निकल ।”
थरथरा उठा राज ।
हाथ-पैर कीर्तन करने लगे ।
“ल...लेकिन बात क्या है साहब ?”
“सुना नहीं हरामी !” सब-इंस्पेक्टर ने चिंघाड़ते हुए आगे झुककर उसका गिरेहबान पकड़ लिया- “सुना नहीं, मैं क्या कह रहा हूँ ।”
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