RE: Thriller Sex Kahani - हादसे की एक रात
उसके बाद बड़ी बेसब्री से “सांध्य टाइम्स” का इंतजार शुरू हुआ ।
वह दोनों नटराज मूर्तियों के बारे में कोई जानकारी हासिल करने के लिये कुछ ज्यादा ही उत्सुक थे ।
खासतौर पर राज तो इस मामले में हद से ज्यादा बेकरार था ।
शाम को तीन बजे के करीब सांध्य टाइम्स आया ।
चीना पहलवान से सम्बन्धित खबर अखबार के कवर पेज पर ही मोटी-मोटी हैडलाइनों में छपी थी ।
लिखा था :
कुख्यात अपराधी चीना पहलवान की रहस्यमयी हत्या
शव बरामद
नई दिल्ली, 4 जुलाई । आज सुबह दिल्ली शहर के कुख्यात अपराधी चीना पहलवान की क्षत-विक्षिप्त लाश पुलिस को इंडिया गेट के नजदीक बेहद रहस्यमयी हालत में पड़ी मिली । मृत्यु का कारण वह दो गोलियां बतायी जाती हैं, जो चीना पहलवान की पीठ में लगी हुई थीं ।
इस सम्बन्ध में गश्तीदल के दो पुलिसकर्मियों का कहना है कि उन्होंने रीगल सिनेमा के नजदीक गश्त लगाते समय पौने बारह बजे के करीब गोलियों के दो धमाके सुने थे, गोलियों की आवाज सुनकर वह फौरन आवाज की दिशा में दौड़े, जहाँ उन्होंने चीना पहलवान को भागते हुए देखा । उसके हाथ में काले रंग का एक ब्रीफकेस था, वह पुलिसकर्मी चीना पहलवान को पकड़ पाते, उससे पहले ही वो रीगल के सामने अंधेरे में खड़ी एक ऑटो रिक्शा में बैठकर फरार हो गया । गश्तीदल के पुलिसकर्मियों ने ऑटो का नम्बर भी नोट करने का प्रयास किया, लेकिन उसकी नम्बर प्लेट पर मिट्टी पुती होने के कारण वह अपने मकसद में कामयाब न हो सके ।
पुलिस का अनुमान है कि ऑटो रिक्शा ड्राइवर चीना पहलवान का कोई सहयोगी था, पुलिस मामले की तह तक पहुँचने के लिये ऑटो रिक्शा ड्राइवर और चीना पहलवान के ब्रीफकेस की बड़ी सरगर्मी से तलाश कर रही है ।
राज ने वह खबर खुद भी पढ़ी और डॉली को भी सुनाई । पूरे समाचार में नटराज मूर्तियों का कहीं भी कोई जिक्र न था । लेकिन एक बात बड़ी भयानक थी- दिल्ली पुलिस, ऑटो रिक्शा ड्राइवर का चीना पहलवान से जो सम्बन्ध निकाल रही थी, उसने उन दोनों के होश उड़ाकर रख दिये ।
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“य...यह तो बड़ी खतरनाक खबर है ।” सांध्य टाइम्स अखबार में छपी उस खबर को सुनकर डॉली के शरीर में कंपकंपी दौड़ी ।
“क्यों ?”
“मालूम नहीं- पुलिस तुम्हारे और चीना पहलवान के बीच क्या सम्बन्ध निकाल रही है ? वह तुम्हें उसका कोई सगेवाला समझ रही है ।”
“मुझे नहीं समझ रही ।” राज गुर्राया - “बल्कि वह उस ऑटो ड्राइवर को उसका सगेवाला समझ रही है, जो उसे रीगल सिनेमा के पास से लेकर भागा था ।”
“लेकिन राज !” डॉली की आंखों में हैरानी के भाव थे - “वह ऑटो ड्राइवर तू ही तो था ।”
“अभी यह बात सिर्फ हम दोनों को मालूम है, हम दोनों को । पुलिस यह रहस्य नहीं जानती कि वो ऑटो ड्राइवर मैं ही था ।”
“अगर पुलिस अभी इस रहस्य को नहीं जानती ।” डॉली थर-थर कांपते हुए स्वर में बोली- “तो बहुत जल्द वो जान भी जायेगी । मैं तुझसे पहले ही कहती थी राज, इस चक्कर में मत पड़ ! मत पड़ !! फंस जायेगा । लेकिन नहीं, तब तो मेरी बात तेरे कान पर नहीं रेंग रही थी, तब तो तुझे सिर्फ धनवान बनने का शौक चढ़ा था ।”
“अब इन बेकार की बातों को छोड़ डॉली !” राज झुंझला उठा- “सच बात तो यह है कि अभी भी हमारा कुछ नहीं बिगड़ा है । अगर हम ठण्डे दिमाग से सारे हालातों का जायजा लें, तो खुद हमें भी महसूस होगा कि पुलिस हम तक कभी भी नहीं पहुँच सकती ।”
“क्यों नहीं पहुँच सकती ?”
“क्योंकि पुलिस अभी सिर्फ यह जानती है डॉली !” राज एक-एक शब्द चबाता हुआ बोला- “कि कोई चीना पहलवान को ऑटो रिक्शा में लेकर भागा । शब्दों पर गौर करो- ‘कोई’ । अभी यह बात मुकम्मल अंधेरे में है कि वह ‘कोई’ कौन था ? दिल्ली पुलिस अभी न तो मेरे नाम से ही वाकिफ है और न उसे मेरी ऑटो रिक्शा का नम्बर ही मालूम है । डॉली !” राज की आवाज और ज्यादा रहस्यमयी हो उठी- “दिल्ली शहर में ऑटो रिक्शाओं की कमी नहीं है । यहाँ हजारों की संख्या में ऑटो हैं । इसलिये दिल्ली पुलिस को यह बात इतनी आसानी से नहीं पता चलेगी कि जिस ऑटो रिक्शा में चीना पहलवान रीगल के पास से भागा, उस ऑटो रिक्शा का ड्राइवर कौन था ।”
“अ...और मूर्तियां !” डॉली ने सकपकाये स्वर में पूछा- “मूर्तियों का क्या होगा ?”
“मूर्तियों के सम्बन्ध में एक बड़ी अच्छी बात है ।” राज उत्साहपूर्वक बोला- “उनके बारे में अभी दिल्ली पुलिस को कुछ भी मालूम नहीं है ।”
“त...तुम कहना क्या चाहते हो ?”
“देखो डॉली !” राज ने उसे विस्तार से समझाया- “इस समय जो बात चीना पहलवान से हमारा लिंक जोड़ती है, वो है हमारे पास मौजूद सोने की छः नटराज मूर्तियां । उन मूर्तियों के अलावा हमारे पास ऐसा कोई सूत्र नहीं है, जो पुलिस के सामने इस बात की शहादत बन सके कि हमारा चीना पहलवान से या उसकी लाश से कैसा भी कोई रिश्ता था । और फिलहाल हमारे पास सबसे दूसरा ट्रम्प कार्ड यह है कि पुलिस उन मूर्तियों की तरफ से भी पूरी तरह अंजान है, इसलिये इससे पहले कि दिल्ली पुलिस ऑटो ड्राइवरों की छानबीन करती हुई मेरे तक पहुंचे, उससे पहले ही क्यों न हम मूर्तियां बेचकर दिल्ली से ही फरार हो जायें ।”
“यह...यह क्या कह रहे हो तुम ?” डॉली चौंकी ।
“ठीक ही तो कह रहा हूँ ।” राज सनसनीखेज स्वर में ही बोला- “पुलिस को सभी ऑटो ड्राइवरों की जांच-पड़ताल करने में कम-से-कम तीन-चार दिन का समय लग जायेगा । इस बीच हम आराम से वह नटराज मूर्तियां बेच सकते हैं । मूर्तियां बेचने के बाद हमारे पास कोई सबूत भी नहीं रहेगा ।”
“ल...लेकिन सवाल तो ये है राज, वो मूर्तियां बेची भी किस तरह जायेंगी ?” डॉली शुष्क स्वर में बोली- “मैं पहले ही आशंका जाहिर कर चुकी हूँ, अगर वह मूर्तियां चोरी की हुई तो...?”
“तो क्या होगा ?”
“तब तू पकड़ा नहीं जायेगा ?”
“नहीं ।” राज ने बड़े ही विश्वास के साथ इंकार में गर्दन हिलाई- “मैं तब भी नहीं पकड़ा जाऊंगा ।”
“क...कैसे ?” डॉली ने हैरानी से नेत्र फैलाकर पूछा ।
“जरा सोचो डॉली !” राज ने आइडिया बताया- “अगर कोई आदमी किसी ऐसी दुकान पर जाकर चोरी का माल बेचे, जो दुकानदार ज्यादातर चोरी का ही माल खरीदता हो, तो फिर खतरा कैसा ? फिर वो दुकानदार भला पुलिस को इन्फॉर्मेशन क्यों देगा ?”
“त...तुम ऐसे किसी सर्राफ को जानते हो ?” डॉली के मुँह से सिसकारी छूटी- “जो चोरी का सोना खरीदता है ?”
“हाँ, जानता हूँ । और आज रात को ही मैं उससे मूर्तियों का सौदा करूंगा, क्योंकि इस मामले में मैं ज्यादा देर नहीं करना चाहता ।”
डॉली हैरानी से राज को देखती रह गयी ।
उस राज को, जो हर पल एक गहरी पहेली बनता जा रहा था ।
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