RE: Thriller Sex Kahani - हादसे की एक रात
इंस्पेक्टर योगी ने कहीं फोन किया ।
फोन करने के लगभग पंद्रह मिनट बाद जिस व्यक्ति ने पुलिस स्टेशन में कदम रखा, उसे देखते ही राज के होश फना हो गये ।
वह फ्लाइंग स्क्वॉयड के उस दस्ते का सब-इंस्पेक्टर था, जिसने बुधवार की रात राज की ऑटो रिक्शा को आई.टी.ओ. के ओवर ब्रिज से थोड़ा आगे स्पीडिंग के अपराध में रोका था ।
वहाँ मौजूद हवलदार और बड़ी-बडी मूंछों वाला हत्यारा, वह सभी अब राज से दहशतजदां नजर आ रहे थे । जैसाकि होना था, फ्लाइंग स्क्वॉयड दस्ते के सब-इंस्पेक्टर ने आते ही राज को पहचान लिया । उसने कहा कि बुधवार की रात उसने जिस ऑटो रिक्शा को मण्डी हाउस जाने वाले मार्ग पर रोका, उसका चालक वही था ।
उसने यह भी कहा कि इसके ऑटो रिक्शा में एक बड़े मोटे पेट वाली लड़की थी, जिसके फौरन बच्चा होने वाला था ।
“तुम उस लड़की को पहचान सकते हो ?” योगी ने सब-इंस्पेक्टर से पूछा ।
सब-इंस्पेक्टर थोड़ा हिचकिचाया ।
“जवाब दो ।”
“स...सॉरी सर !” उस इंस्पेक्टर की आवाज निराशा में डूबी हुई थी- “दरअसल रात गहरी थी, फिर सड़क पर बिल्कुल करीब कोई रोड लैम्प भी न जल रहा था, इसलिए मैं लड़की का चेहरा बिल्कुल साफतौर पर न देख सका । मैंने तो इसकी ऑटो का नम्बर भी इसलिये नोट कर लिया था सर, क्योंकि सभी ऑटो ड्राइवरों की हड़ताल चल रही थी । अगले दिन मुझे जब यह मालूम हुआ कि कोई चीना पहलवान को ऑटो में लेकर फरार हुआ है और चीना पहलवान की लाश इंडिया गेट पर पड़ी पायी गयी है, तो मैंने इसकी ऑटो का नम्बर आपको सौंपना ज्यादा मुनासिब समझा ।”
“ल...लेकिन इससे यह कहाँ साबित होता है ।” पूरी बात सुनकर राज के अंदर हौसला जाग गया- “कि चीना पहलवान को मैं ही रीगल सिनेमा से लेकर भागा था । दिल्ली शहर में हजारों की तादाद में ऑटो रिक्शा हैं साहब, हो सकता है कि जो चीना पहलवान को रीगल सिनेमा के सामने से लेकर फरार हुआ, वह कोई और ऑटो ड्राइवर हो । इस घटना से मेरा अपराध तो साबित ही नहीं होता ।”
“होता है, होता है तेरा अपराध भी साबित ।” इंस्पेक्टर योगी गजब के आत्मविश्वास के साथ बोला- “तेरा चीना पहलवान की हत्या में इसलिये अपराध साबित होता है राज, क्योंकि तूने बुधवार की रात इन सब-इंस्पेक्टर साहब को जिस लड़की के बारे में यह बताया था कि यह पेट से है, वह लड़की हकीकत में पेट से थी ही नहीं ।”
राज चौंका ।
“य...यह बात आप इतने यकीन के साथ कैसे कह सकते हो ?”
“क्योंकि वह एक बेहद पतली-दुबली लड़की थी ।” योगी धमाके पर धमाके करता हुआ बोला- “और उस समय वह एक लाश के ऊपर लेटी थी ।”
“ल...लाश के ऊपर !” राज के मुँह से चीख निकली ।
“हाँ !” योगी बड़े सहज भाव से बोला- “लाश के ऊपर ।”
“क...किसकी लाश के ऊपर ?”
“चीना पहलवान की लाश और किसकी लाश ।”
राज के दिल-दिमाग पर बिजली-सी गड़गड़ाकर गिरी । उसके नेत्र हैरत से फैल गये ।
“य...यह आपको कैसे मालूम कि वो लड़की चीना पहलवान की लाश के ऊपर लेटी थी ?”
यह शब्द कहते ही राज ने अपने होंठ सी लिये ।
उससे गलती हो चुकी थी, भयंकर गलती ।
यह सवाल पूछकर उसने लगभग कबूल ही कर लिया था कि वो अपराधी है ।
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जबकि मुस्कराया योगी !
बड़े ही खतरनाक ढंग से मुस्कराया ।
“मैं तुझे बताता हूँ ।” योगी बोला- “कि मुझे यह बात कैसे मालूम हुई, वो लड़की एक लाश के ऊपर लेटी है । दरअसल अगर वह लड़की सचमुच पेट से होती और उसकी हालत वाकई उतनी ही सीरियस होती, जितनी तू बयान कर रहा था, तो तूने उस लड़की को फौरन किसी हॉस्पिटल के मैटरनिटी वार्ड में जरूर भर्ती कराया होता । बोल, कराया होता या नहीं ?”
राज चुप !
उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा ।
“यही बात तूने बुधवार की रात इन सब-इंस्पेक्टर साहब के सामने भी कही थी ।” योगी आगे बोला- “तूने बेहद बौखलाये हुए अंदाज में कहा था कि लड़की की हालत काफी सीरियस है, दाई ने कहा है कि अगर लड़की की जिंदगी चाहते हो, तो इसे फौरन किसी बड़े हॉस्पिटल ले जाओ । लेकिन... ।”
“ल...लेकिन क्या ?”
“तू उस लड़की को किसी हॉस्पिटल में लेकर नहीं गया ।” योगी ने झटके के साथ कहा ।
“क्या सबूत है आपके पास ?” राज बोला- “कि मैं उस लड़की को किसी हॉस्पिटल में लेकर नहीं गया ?”
“सबूत- सबूत मांगता है मुझसे ।” इंस्पेक्टर योगी गुर्रा उठा, उसकी आंखों में खून उतर आया- “साले- मुझे सब-इंस्पेक्टर से जैसे ही तेरी ऑटो रिक्शा का नम्बर मिला, तो मैंने फौरन तमाम हॉस्पिटलों की चैकिंग की थी, वहाँ के मेटरनिटी वार्डों की भर्ती रजिस्ट्री चेक की थी । और मालूम मेरी उस सारी भागा-दौड़ी का क्या नतीजा निकला ?”
“क...क्या नतीजा निकला ?”
“मुझे मालूम हुआ ।” योगी दांत पीसता हुआ बोला- “कि बुधवार की रात दिल्ली शहर के किसी भी हॉस्पिटल के किसी भी मेटरनिटी वार्ड में उस समय के आसपास डिलीवरी का कैसा भी कोई केस एडमिट नहीं हुआ था ।”
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