Thriller Sex Kahani - हादसे की एक रात
12-05-2020, 12:39 PM,
#43
RE: Thriller Sex Kahani - हादसे की एक रात
“लेकिन वो दुर्लभ ताज एक ऐतिहासिक वस्तु है बॉस ।” दशरथ पाटिल कुछ सोचकर बोला- “क्या किसी ऐतिहासिक वस्तु के बारे में इस तरह का झूठा प्रचार किया जा सकता है ?”
“क्यों नहीं किया जा सकता ?” सेठ दीवानचन्द फौरन बोला- “वडी वो झूठा प्रचार उस दुर्लभ ताज की सिक्योरिटी के लिये किया जा रहा है, उसकी हिफाजत के लिये किया जा रहा है, फिर इसमें गलत क्या है ?”
दशरथ पाटिल चुप हो गया ।
बात सही थी ।
वाकई इसमें गलत क्या था, कुछ नहीं ।
लेकिन एक आशंका दुष्यंत पाण्डे और दशरथ पाटिल के दिल में आखिर तक नगाड़े की तरह बजती रही, अगर वह प्रचार कोई झूठी कहानी न होकर सच्चाई की जीती-जागती तस्वीर हुआ, तब क्या होगा ?
तब क्या वो बर्बाद हो जायेंगे ?
तब क्या उनका सर्वनाश निश्चित था ?
उन दोनों ने उस सब्जैक्ट पर जितना सोचा, उतनी ही उनके दिमाग की उलझनें बढ़ीं ।
☐☐☐
“वडी तुम लोग अब क्या सोचने लगे नी ?”
“इसका मतलब उस दुर्लभ ताज को चुराना अब पूरी तरह तय है ?” दशरथ पाटिल बोला ।
“वडी मैं तुम लोगों को क्या मूर्ख दिखाई देता हूँ ।” सेठ दीवानचन्द काले नाग की तरह फुफकारा- “अगर ताज चुराना तय न होता, तो क्या मैं तुम लोगों के साथ यहाँ बैठा अपनी रात ही काली करता ।”
दशरथ पाटिल ने सकपकाकर पहलू बदला ।
“साईं, ताज चुराना तो हण्ड्रेड परसेण्ट तय है । वडी अब हम लोगों को सिर्फ यह सोचना है कि वो ताज चोरी कैसे होगा, उसकी सिक्योरिटी को किस तरह भेदा जायेगा ?”
“जब हम लोग ताज चुराने का फैसला कर ही चुके हैं ।” तभी दशरथ पाटिल ने अपने बुद्धिमान होने का परिचय दिया- “तो क्यों न हम सबसे पहले ताज की सिक्योरिटी के फुल इंतजाम का पता करें ।”
“सिक्योरिटी का बंदोबस्त था बॉस !” दशरथ पाटिल बोला- “वह वो बंदोबस्त था, जो पहली नजर में ही दिखाई दे जाता हैं, जबकि वास्तव में भारत सरकार ने उस दुर्लभ ताज की सिक्योरिटी के वास्ते ऐसे कई सीक्रेट इंतजाम किये हो सकते हैं, जो हमें पहली नजर में दिखाई नहीं देते । ऐसे गुप्त सुरक्षा इंतजाम न सिर्फ ज्यादा शक्तिशाली होते हैं बल्कि हम जैसे अपराधियों के लिये ऐसे इंतजाम ही ज्यादा खतरनाक साबित हो सकते हैं बॉस !”
सेठ दीवानचन्द के चेहरे पर थोड़ी हिचकिचाहट के भाव उभरे ।
“वडी तू कैसे गुप्त इंतजामों की बात कर रहा है दशरथ साईं ! जरा साफ-साफ बोल ।”
“जैसे उदहारण के तौर पर ऐसे जगह सेफ्टी अलार्म लगा दिया जाता है ।” दशरथ पाटिल बोला- “जैसे ही कोई व्यक्ति गलत तरीके से वहाँ घुसता है, तो वह सेफ्टी अलार्म खुद-ब-खुद नजदीक के पुलिस स्टेशन में, पुलिस कण्ट्रोल रूम में या फिर बाहर मौजूद सुरक्षाकर्मियों के नजदीक बज उठता है । वह तुरन्त भांप जाते हैं कि वहाँ अंदर कुछ गड़बड़ है, कण्ट्रोल रूम से फौरन यही रिपोर्ट वायरलेस द्वारा तमाम पुलिस पैट्रोलिंग वेन्स को सर्कुलेट कर दी जाती है । जिसका नतीजा यह निकलता है कि अपराधी घटनास्थल पर ही चूहे की तरह फंस जाता है और पुलिस उसे रंगे हाथों गिरफ्तार कर लेती है । इसके अलावा मूलयवान वस्तु के आसपास ऐसी वायरें बिछाकर उनमें करण्ट प्रवाहित कर दिया जाता है, जो वायरें एकाएक नजर नहीं आतीं । इतना ही नहीं, मेरे कहने का मकसद है कि भारत सरकार ने उस दुर्लभ ताज की सिक्योरिटी के लिये और भी ऐसे इंतजाम किये हो सकते हैं । इसलिये जब तक हमें उन तमाम गुप्त इंतजामों के बारे में फुल जानकारी हासिल नहीं हो जाती, तब तक हमारा उस दुर्लभ ताज को चुराने के बारे में सोचना भी बेवकूफी है । अगर हमें उस दुर्लभ ताज को चुराना है, तो सबसे पहले हमारा काम यह होना चाहिये कि हम उन गुप्त इंतजामों के बारे में फुल जानकारी हासिल करें ।”
सेठ दीवानचन्द, दशरथ पाटिल की बातों से बड़ा प्रभावित हुआ ।
“लेकिन दशरथ साईं, हमें इतनी महत्वपूर्ण जानकारी हासिल कैसे होगी नी ?”
“जानकारी हासिल करने का सिर्फ एक रास्ता है ।”
“कौन- सा रास्ता ?”
“हमें किसी तरह ‘इनसाइड हैल्प’ हासिल करनी होगी, हमें नेशनल म्यूजियम के किसी ऐसे सिक्योरिटी ऑफीसर को अपने साथ मिलाना होगा, जो दुर्लभ ताज की फुल सिक्योरिटी की जानकारी रखता हो ।”
अब !
अब दीवानचन्द ने नेत्र फट पड़े ।
“वडी तेरा दिमाग तो ठिकाने है दशरथ साईं !” दीवानचन्द गुर्राया- “साईं तुझे मालूम है, तू क्या बक रहा है ? ऐसा भी कहीं हो सकता है ?”
“बिलकुल हो सकता है ।”
“कैसे ?”
“मैं बताता हूँ ।” तभी दुष्यंत पाण्डे बीच में बडे उत्साह के साथ बोला- “मेरे पास एक ऐसी योजना है, जिससे नेशनल म्यूजियम के किसी सिक्योरिटी ऑफीसर से मदद ली जा सकती है ।”
अब सेठ दीवानचन्द ने हैरान निगाहों से दुष्यंत पाण्डे को देखा ।
“क...क्या योजना है ?”
“अभी बताता हूँ योजना !”
दुष्यंत पाण्डे फौरन लपककर वहीँ कॉफ्रेंस हॉल में एक स्टूल पर पड़ा पिछले दिन का ‘संध्या टाइम्स’ अखबार उठा लाया ।
फिर दुष्यंत पाण्डे ने उस अखबार का पन्ना खोला, जिस पर क्लासीफाइड एडवर्टाइजमेंट छपे रहते हैं ।
“इस विज्ञापन को पढ़ो बॉस !” दुष्यंत पाण्डे ने अखबार सेठ दीवानचन्द के सामने रखकर एक छोटे से विज्ञापन को उंगली से ठकठकाया- “इस विज्ञापन को पढ़ते ही सारा माजरा खुद-ब-खुद आपकी समझ में आ जायेगा ।”
दीवानचन्द के साथ-साथ दशरथ पाटिल ने भी उस विज्ञापन को बड़ी उत्सुकता के साथ पढ़ा ।
लिखा था :
आवश्यकता है
आवश्यकता है एक ऐसी गवर्नेंस की, जो छः माह के एक बच्चे की अच्छी तरह देखभाल कर सके । शैक्षिक योग्यता जरुरी नहीं, लेकिन आवेदनकर्ता के अपना कोई छोटा बच्चा न हो । मासिक आय तीन अंकों में, इच्छुक औरत/लड़की नीचे लिखे पते पर फौरन सम्पर्क करें ।
जगदीश पालीवाल
(मुख्य सुरक्षा अधिकारी-नेशनल म्यूजियम)
4/17 बी, न्यू फ्रेण्डस कॉलोनी
नई दिल्ली
☐☐☐
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RE: Thriller Sex Kahani - हादसे की एक रात - by desiaks - 12-05-2020, 12:39 PM

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