RE: Hindi Antarvasna - प्रीत की ख्वाहिश
उन लडको ने मुझे घूर के देखा , उनमे से एक बोला - क्या बोला बे.
मैं- यहीं बोला की धक्का क्यों दिया
मेरी बात पूरी होने से पहले ही मेरे कान पर एक थप्पड़ आ पड़ा था और फिर एक और घूंसा
“साले तेरी इतनी औकात हमसे सवाल करेगा, तेरी हिम्मत कैसे हुई आँख मिलाने की, एक मिनट . हमारे गाँव का नहीं है तू. नहीं है तू . पकड़ो रे इसे ” जिसने मुझे मारा था वो चिल्लाया .
मैंने उसे धक्का सा दिया और भागने लगा तभी उनमे से एक लड़के ने मारा मुझे किसी चीज़ से . मैं चीख भी नहीं पाया और भागने लगा . मेरी चाह मुझ पर भारी पड़ने वाली थी . गलिया बकते हुए वो लड़के मेरे पीछे भागने लगे, मेले में लोग हमें ही देखने लगे जैसे. साँस फूलने लगी थी , मेरी साइकिल यहाँ से दूर थी और गाँव उस से भी दूर ........ मैं पूरी ताकत लगा के भाग रहा था की तभी मुझे लगा की कुछ चुभा मुझे , तेज दर्द ने हिला दिया मुझे पर अभी लगने लगा था की जैसे वो मुझे पकड़ लेंगे. मैंने एक मोड़ लिया और तभी किसी हाथ ने मुझे पकड़ कर खींच लिया .मैं संभलता इस से पहले मैंने एक हाथ को अपने मुह पर महसूस किया
स्स्श्हह्ह्ह्हह चुप रहो .
तम्बू के अँधेरे में मैंने देखा वो एक लड़की थी .
“चुप रहो ” वो फुसफुसाई
मैं अपनी उलझी साँस पर काबू पाने की कोशिश करने लगा. बाहर उन लडको के दौड़ने की आवाजे आई ......
कुछ देर बाद उस लड़की ने मेरे मुह से हाथ हटाया और तम्बू के बाहर चली गयी , कुछ देर बाद वो आई और बोली- चले गए वो लोग.
“शुक्रिया ” मैंने कहा.
उसने ऊपर से निचे मुझे देखा और पास रखे मटके से एक गिलास भर के मुझे देते हुए बोली- पियो
बेहद ठंडा पानी जैसे बर्फ घोल रखी हो और शरबत से भी ज्यादा मिठास .
“थोड़ी देर बाद निकलना यहाँ से , अँधेरा सा हो जायेगा तो चले जाना अपनी मंजिल ”
“देर हो जाएगी वैसे ही बहुत देर हुई ” मैंने कहा
लड़की- ये तो पहले सोचना था न.
मैं अनसुना करते हुए चलने को हुआ ही था की मेरे तन में तेज दर्द हुआ “आई ” मैं जैसे सिसक पड़ा
“क्या हुआ ” वो बोली-
मैं- चोट लगी .
मैंने अपनी पीठ पर हाथ लगाया और मेरा हाथ खून से सं गया.
शायद वो लड़की मेरा हाल समझ गयी थी...
“मुझे देखने दो ”उसने कहा पर मैं तम्बू से बहार निकला और जहाँ मैंने साइकिल छुपाई थी उस और चल पड़ा . मेरी आँखों में आंसू थे और बदन में दर्द .......................
आँख जैसे बंद हो जाना चाहती थी .और फिर कुछ याद नहीं रहा
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