Hindi Antarvasna - प्रीत की ख्वाहिश
12-07-2020, 12:13 PM,
#33
RE: Hindi Antarvasna - प्रीत की ख्वाहिश
#28

हम दोनों के बीच गहरी ख़ामोशी थी , एक सवाल दादी का था एक मेरा था और दोनों के पास ही कोई जवाब नहीं था, हम जानते थे की अपनी अपनी जगह हम दोनों सही थी, हमारे पास अपनी अपनी वजह थी वो मेरा इकरार चाहती थी मैं उनका इकरार .

“क्या नाम है तुम्हारा ” बोली वो

मैं- जी कबीर

दादी- कबीर, सामने जो ये मूर्ति है इसमें तुम्हे क्या खास दीखता है

मैं कुछ नहीं बस और मूर्तियों जैसी ही है ये

दादी- गौर से देखो

मैंने देखा पर कुछ खास नहीं लगा .

दादी- ये एक अधूरी मूर्ति है ,

मैं- असंभव , कोई भी अधूरी या खंडित मूर्ति की स्थापना नहीं की जा सकती

दादी- तुम्हे कुछ भी नहीं मालूम और बात तुमने प्रीत के वचन की कह दी , मुझे लगा था की तुम .......

दादी ने अपनी बात अधूरी छोड़ दी .

मैं- क्या लगा था आपको

दादी- मेरे जाने का समय हो गया कबीर,

दादी ने अपनी किताब उठाई और मंदिर से बाहर की तरफ चल पड़ी, मेरे दिमाग में बहुत से सवाल छोड़ गयी. मैं घंटो सुमेर सिंह को देखता उसके हर एक पैंतरे को , उसके रिफ्लेक्स किस तरह की चपलता थी उसमे, किस तरह वो आगे पीछे होता है , मैं बारीकी से उसकी हर एक हरकत को देखता ,

बस थोड़े से दिन रह गए थे और मैं बड़ी शिद्दत से मेघा से मिलना चाहता था , मेरे दिल में बहुत सी बाते थी जो मैं उस से कहना चाहता था , उसको अपने सीने से लगाना चाहता था उसे बताना चाहता था की कितना प्यार करने लगा था मैं उस से

और वो न जाने कहाँ गुम थी, मुझे नींद नहीं आती थी रातो को ,मैं बस बैठा रहता था,सोचता रहता था ये मूर्ति मुझे देखती थी और मैं उसे, न वो कुछ कहती थी न मैं कुछ . बस एक बात थी की मुझे लगता था की इन तमाम टूटे धागों की डोर से मेरा कुछ तो लेना देना था .मुझे टुकड़े मिल रहे थे बस तलाश थी एक सिरे की, जिस से इस कहानी की कोई भी एक डोर मैं पकड सकू,

इन तमाम उलझनों की बीच मैं एक चीज़ को भूल गया था, वक्त को जो अपने अन्दर न जाने ऐसे कितने अधूरे, कितने पुरे किस्से समाये बैठा था, जिसने न जाने कितनी प्रीत देखि थी जो न जाने कितनी जुदाई का गवाह था . वो तो बस सब देखते हुए बढ़ता रहता है अपने सफ़र पर और उसके सफ़र का पड़ाव सावन की तीन का दिन भी आ ही गया, ये वो दिन था जो दो लोगो के अहंकार को तोड़ देने वाला था , ये वो दिन था जो इन दो गाँवो के इतिहास में एक पन्ना और जोड़ देने वाला था .

घरघोर मेह ऐसे बरस रहा था की जैसे धरती की सारी प्यास आज ही बुझा देगा. काले बादलो ने ठान ली थी की आज सूरज की किरणों को धरती पर नहीं उतरने देंगे पर कुछ लोग थे जिनको इस सब से घंटा फर्क नहीं पड़ता था . वहां मोजूद उन सारे लोगो की आँखों में जो देखा मैंने मुझे सुमेर सिंह की कही बात याद आई, होली जल्दी आई है बरसो बाद .

लोग चीख रहे थे चिल्ला रहे थे, और मेरी नजरे किसी को ढूंढ रही थी पर सामने कोई और था .

“ढाल के रूप में नहीं लाया किसी को , तेरे घुटने टिकने लगेंगे तो सहारा कौन देगा तुझे ” सुमेर ने जैसे मेरा उपहास उड़ाते हुए कहा

मैं- ढाल तो तू भी नहीं लाया.

सुमेर- मुझे जरुरत नहीं पड़ेगी, और तू दुआ कर की मेरे हाथो से ही मर जाये, उसे तू झेल नहीं पायेगा.

पुजारी ने शंख बजाया और खेल शुरू हो गया , मैं कुछ समझ पाता उस से पहले ही सुमेर ने मुझे धरती पर पटक दिया, पहले ही झटके को मैंने अपनी हड्डियों के अन्दर तक महसूस किया.

“क्या हुआ , अभी से चित्त ” हस्ते हुए बोला वो .

मैं उठा और इस बार उसे पटकने की कोशिश की पर बेकार, इस बार उसके वार को बचाया मैंने और मुझे उसके जोर का अंदाजा हुआ, गीली मिटटी में पैर फिसलने लगे थे, की तभी उसने अपने बदन को ढीला छोड़ दिया और झुकते हुए मेरी पीठ पर वार किया

“आह ”चीख पड़ा मैं वो तेज नश्तर मेरी पीठ के मांस को चीर गया. लोगो का शोर बढ़ने लगा था वो चीख रहे थे, खून देखकर पागल हुए जा रहे थे .

अब बारी मेरी थी , पर उसकी तलवार मुझसे तेज थी, एक के बाद एक कई बार वो मेरे जिस्म पर अपने निशाँ बना रही थी, , एक तो बारिश की वजह से मैं देख नहीं पा रहा था या शायद खून बहने की वजह से, पर मुझे हारना नहीं था , हारना नहीं था , उसके वारो से बचते हुए मैंने स्मरण करना शुरू किया, मैं तमाम वो पल देख रहा था जब मैंने उसे देखा था और फिर तन्न्न से हमारी तलवारे टकराई , मेरे जोर से सुमेर झुकने लगा. वो पूरी कोशिश कर रहा था पर फिर भी उसकी तलवार को झुकाते हुए मेरी तलवार उसके काँधे पर घाव कर गयी,

कभी वो तो कभी मैं , एक दुसरे को पछाड़ने की भरपूर कोशिश कर रहे थे, , एकदो बार मैंने बहुत मुश्किल से खुद को बचाया और फिर एक पल ऐसा आया जब गीली मिटटी पर उसका पाँव फिसला और मैंने मौके का फायदा उठा लिया. आधे सीने को चीर दिया मैंने , तलवार की नोक कुछ इंच अन्दर घुस गयी थी सुमेर के और उसकी तलवार हाथ से छूट गयी.

मेरे लिए ये बड़ी बात थी मैंने उसकी आँखे बंद होते देखि,

“उसके प्राण मत लेना ” मुझे दादी कीबात याद आई , दरअसल उसका चेहरा मेरी आँखों के सामने आ गया. मैंने सुमेर की तलवार उठा ली, सबकुछ जैसे शांत हो गया था, एक गहरा सन्नाटा

“तो मैं जीत मानु अपनी ” मैंने दोनों तलवारे लहराते हुए कहा

कोई कुछ नहीं बोला, सब स्तब्ध थे ,

“मैं इसे मारना नहीं चाहता, मेरा कोई बैर नहीं इस से , मैं बस उस अहंकार को हराना चाहता हूँ जो नफरत बनकर तुम सब के दिलो में बैठा है ” मैंने चीखते हुए कहा

नहीं मालूम किसी ने मेरी बात सुनी के नहीं , मैंने तलवारे फेंकी और खुद को संभालते हुए, मंदिर की तरफ जाने लगा की तभी दर्द ने बदन को हिला दिया मैंने देखा सुमेर ने पीछे से वार किया था मुझ पर . उसके अगले वार को बचाते हुए मैंने भागकर अपनी तलवार उठाई ही थी

“रुक जाओ ” ये जोरदार आवाज राणाजी की थी , प्रज्ञा के पति की

वो दौड़ते हुए हमारी तरफ आये और आते ही सुमेर को थप्पड़ मार दिया

“शर्म नहीं आती ये कायरता वाला कृत्य करते हुए, ” उन्होंने एक थप्पड़ और मारा सुमेर को

राणा-हार को भी उसी तरह स्वीकार करना चाहिए जैसे जीत को पीठ पीछे वार करना नपुन्सको की निशानी है सुमेर ,

“मैं चाहता तो तुझे मार सकता था सुमेर पर मैं ऐसा चाहता नहीं था , रही बात इस ज़ख्म की तो तू दुआ करना ऐसा कोई लम्हा नहीं आये तेरे जीवन में जब तू ऐसा दिन देखे, उस दिन मैं एक पल भी नहीं सोचूंगा ”

मैंने राणा जी की तरफ देख कर हाथ जोड़े और मंदिर की तरफ चल पड़ा

मैंने कहा था की सुमेर के रक्त से नहला दूंगा इस मूर्ति को पर चलो उसका नहीं तो मेरा ही सही, अपने बहते रक्त से सने हाथो को मैंने मूर्ति पर लगाना शुरू किया, पर मैं कहा जानता था की मैं किस बंधन को बाँध रहा था उस पल

मुझे बैध की जरुरत थी, सीढियों से उतरा तो देखा मेरा भाई और बाप खड़े थे गाड़ी लिए,

“गाड़ी में बैठो ” कर्ण ने कहा पर किसे परवाह थी उसकी

बिना उनको देखे मैं पैदल ही चल पड़ा , थोड़ी मुश्किल से मैं टूटे चबूतरे तक पहुंचा और खांसते हुए बैठ गया. ये दूसरी बात था जब मेरा खून इस चबूतरे पर बिखरा था ,शायद यही नियति का लेख था
Reply


Messages In This Thread
RE: Hindi Antarvasna - प्रीत की ख्वाहिश - by desiaks - 12-07-2020, 12:13 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,504,049 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 544,650 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,232,823 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 932,298 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,655,152 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,082,092 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,953,231 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,063,592 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,034,698 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 285,103 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)