Hindi Antarvasna - प्रीत की ख्वाहिश
12-07-2020, 12:13 PM,
#38
RE: Hindi Antarvasna - प्रीत की ख्वाहिश
#33

“हाँ मैं यहाँ ” प्रज्ञा ने मेरी तरफ शोख निगाहों से देखते हुए कहा

“ऐसे रातो को भटकना ठीक नहीं है ” मैंने कहा

प्रज्ञा- हाँ देर तो हुई पर ये भी तो अपना ही ठिकाना है .

मैंने एक नजर प्रज्ञा पर डाली और मुझे अहसास हुआ की उसने वही काली साडी पहनी है जो उसने होटल में पहनी हुई थी , आसमान से जैसे कोई परी उतर आई हो , इस धरती पर ,लाल गुलाब की तो सब प्रसंशा करते है पर एक काला गुलाब भी होता है , प्रज्ञा की साडी कुछ उसी काले गुलाब जैसे उसके जिस्म पर लिपटी हुई थी.

“ये नजरे एक बार पहले भी मुझे यूँ ही देख रही थी ” उसने चुटकी लेते हुए कहा

“और मैंने कहा था की नशा सामने हो तो फिर बोतल की किसे जरुरत ” मैं बोला-

“तो चख लो इस नशे को किसने रोका है ” अपने निचले होंठ को दांतों से काटते हुए वो बोली.

मैं बिस्तर से उठा और उसके पास गया. मैंने उसकी कमर में हाथ डाला और प्रज्ञा को अपने सीने से लगा लिया. गर्म साँसों को अपने जिस्म पर महसूस करते ही मेरा रोम रोम अंगड़ाई लेने लगा. प्रज्ञा की मादकता , उसकी कामुक आदये किसी भी विश्वामित्र की बरसो की तपस्या यूँ क्षण भर में ही नष्ट कर दे. मेरा हाथ कमर से फिसलते हुए उसके कुल्हो पर पहुच गया था, रुई के नर्म गद्दों को दबाने लगा था. उसके कुल्हो के बीच की दरार को सहलाते सहलाते मैंने अपने होंठ उसके होंठो पर रख दिए.

प्रज्ञा ने अपने होंठ थोडा सा खोल दिए जिस से मेरी जीभ को उसके मुह में जाने का रास्ता मिल गया. मैं कायल था की मेरी जिन्दगी में वो आई, क्योंकि जिस्मो के इस खेल में एक निपुणता थी प्रज्ञा के अन्दर, जब भी हम चुदाई करते थे तो ये महज जिस्मो की जरुरत नहीं होती थी बल्कि इस से हम एक दुसरे के और करीब आ जाते थे.

चूतडो को मसलते हुए हम दोनों एक दुसरे की लिजलिजी जीभ को चाट रहे थे, चूस रहे थे मुह में ढेर सारा थूक इकठा हो रहा था. उतेजना से वशीभूत मैंने उसकी साडी को उतार दिया. ब्लाउज और पेटीकोट में क्या गजब लग रही थी वो.

पेटीकोट की फिटिंग उसके जिस्म पर जिस प्रकार कसी हुई थी , उसकी गांड, मांसल जांघे , हल्का सा फुला हुआ पेट, uffffffffff मैं क्या कहूँ उस हुस्न में बारे में, मेरी नसों में खून के बहते दौरे में वासना भी शामिल होने लगी थी, मेरे कान गर्म होने लगे थे. प्रज्ञा के चेहरे को चूमते हुए एक हाथ से उसकी चूची दबाने लगा था मैं.

उसने खुद अपने पेटीकोट का नाडा खोल दिया, जो जांघो को चुमते हुए उसके पैरो में आ गिरा. मेरी नजर उसकी कच्छी पर गयी बेहद छोटी सी कच्छी , गहरी नीले रंग की जिस पर छोटी छोटी तितलि बनी थी आगे से जालीदार. यदि प्रज्ञा की चूत पर बाल होते तो उन्हें धक नहीं पाती वो.
“इस तरह मत देखो, मैं पिघल जाउंगी ” लरजती आवाज में बोली वो

मैंने उसकी ब्रा की डोरियो को खोल दिया , दो कबूतर कैद से आजाद हो गये, उसकी चुचियो की खास बात ये थी वो जरा भी लटकी हुई नहीं थी, उनका कसाव आज भी बरकार था. जैसे ही मैंने उसकी चूत को मुट्ठी में भरा, प्रज्ञा का बदन कांप गया .

“””””ssssssssssssss ” ” उसने आह सी भरी

मैंने उसे पलंग पर बिठाया और अपने कपड़े उतारने लगा. जल्दी ही मैं प्रज्ञा के सामने नंगा खड़ा था , मेरा लंड आसमान की तरफ तने हुए प्रज्ञा को सलामी दे रहा था. प्रज्ञा ने अपना हाथ मेरे लंड पर रखा

“बहुत गर्म है ये ” बोली वो

मैं- तुम्हारे हुस्न जितना नहीं .

एक हाथ से मेरी गोलियों को सहला रही थी और दुसरे में लंड को , जैसा मैंने बताया, सेक्स में बहुत निपुणता थी प्रज्ञा को.

“मजा आ रहा है ” उसने शरारती ढंग से पूछा

मैं- अपने सुलगते लबो से चूम लो न इसे,

प्रज्ञा ने मेरे सुपाडे की खाल को पीछे किया और अपनी ऊँगली उस सुपाडे की नाजुक त्वचा को सहलाने लगी, मेरे बदन में झंझनाहट फ़ैल गयी, फिर प्रज्ञा ने अपने चेहरे को निचे झुकाया और मुह खोलते हुए सुपाडे को अपने होंठो में दबा लिया. उसकी गर्म सांसे जैसे पिघला ही देती .

“उम्म्म्म ” मस्ती में डूबते हुए मैंने थोडा सा लंड और उसके मुह में दे दिया. प्रज्ञा उसे किसी कुल्फी जैसे चूसने लगी, अपनी जीभ को लंड पर बार बार वो गोल गोल घुमाती, मेरे पैर मस्ती में कांपने लगे थे, मैंने उसका सर पकड़ लिया और थोडा थोडा लंड उसके मुह में सरकाने लगा. और वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी.

प्रज्ञा के रेशमी बालो को सहलाते हुए मैं उसे लंड चुसवा रहा था, कोई भी अगर ये नजारा देखता तो जल उठता मेरी किस्मत से. जिस तल्लीनता से वो चूस रही थी मेरी गोटियो पर दवाब पड़ रहा था और कही उसके मुह में ही न झड़ जाऊ ये सोचते हुए मैंने प्रज्ञा के मुह से लंड बाहर खींच लिया

“क्या हुआ ” पूछा उसने

“घोड़ी बन जाओ, तुम्हारी मस्तानी गांड देखनी है मुझे ” मैंने बेशर्मी से कहा

मैं जानता था की ऐसी हालत में बेशर्मी ही असली मजा देती है , मैंने उसकी पीठ पर हाथ फेर और फिर कच्छी के ऊपर से ही चूतडो को सहलाया, चूत पर हाथ फेर और फिर कच्छी को घुटनों तक सरका दिया.
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RE: Hindi Antarvasna - प्रीत की ख्वाहिश - by desiaks - 12-07-2020, 12:13 PM

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