RE: Gandi Sex kahani दस जनवरी की रात
रोमेश का संक्षिप्त नाम रोमी था और रोमी के नाम से उसे सारा कोर्ट बुलाता था । कोर्ट के परिसर में उस समय जबरदस्त हलचल होती थी, जब रोमी का मुकद्दमा होता । उसकी बहस सुनने के लिए अन्य वकील भी आते थे और खासी भीड़ रहती थी ।
रोमी जब अपने चैम्बर में पहुँचा, तो वैशाली वहाँ उसकी प्रतीक्षा कर रही थी । वैशाली को नमस्ते का जवाब देने के बाद वह अपनी सीट पर बैठा और फाइलें तलब करने लगा । असिस्टेंट उसे घेरे हुए थे ।
ग्यारह बजकर चालीस मिनट पर वह कोर्ट में पहुँचा । उस कोर्ट में आज एक अद्भुत मुकदमे की कार्यवाही होनी थी । कोर्ट में पेश हो रहा था इकबालिया मुलजिम सोमू उर्फ़ सोमदत्त । वैशाली वहाँ पहले ही पहुंच गयी थी और इंस्पेक्टर विजय भी आ गया था, वो वैशाली के बराबर बैठा था ।
दोनों को बातें करता देख रोमी मुस्कराया ।
एक सीट पर राजदान बैठा था । रोमी को कोर्ट में आता देखकर वह चौंका । उसने बुरा-सा मुँह बनाया, दूसरे लोगों में भी कानाफूसी होने लगी, क्या रोमी सोमदत्त की पैरवी पर आया है ?
"अगर उसने वकालतनामा भरा तो इस बार मुँह की खायेगा ।" राजदान किसी से कह रहा था, "मुलजिम अपने जुर्म का इकबाल कर चुका है ।"
उसी समय सोमू को अदालत में पेश किया गया ।
राजदान उठ खड़ा हुआ ।
न्यायाधीश ने मेज पर हथौड़ी की चोट की और अदालत की कार्यवाही शुरू करने का हुक्म दिया ।
"इकबालिया मुलजिम सोमू के बारे में किसी प्रकार की बहस मुनासिब नहीं होगी, इकबाले जुर्म करने के बाद केवल खानापूर्ति शेष रह जाती है । मेरे ख्याल से इस केस में कोई मुद्दा शेष नहीं रह गया है, अतः महामहिम के फैसले का इन्तजार है ।"
"आई ऑब्जेक्ट योर ऑनर !" रोमी उठ खड़ा हुआ और फिर उसने अपना वकालतनामा सोमू के पक्ष में पेश किया,"मुझे सोमू की पैरवी की इजाजत दी जाये ।"
"इजाजत का प्रश्न ही नहीं उठता, वह अपने जुर्म का इकबाल कर चुका है । अब उसमें पैरवी या बहस के मुद्दे कहाँ से आ पड़े ?"
"शायद मेरे अजीज दोस्त राजदान को नहीं मालूम, किसी व्यक्ति के जुर्म स्वीकार कर लेने से ही जुर्म साबित नहीं हो जाता । इकबाले जुर्म के बाद भी पुलिस को उसे साबित करना होता है और पुलिस ने ऐसी कोई कार्यवाही नहीं की है । यदि मुलजिम जुर्म का इकबाल करता है, तो उसे दोषी नहीं माना जा सकता, ठीक उसी तरह जैसे इकबाले जुर्म न करने पर उसे निर्दोष नहीं माना जाता ।" रोमी ने अपनी लॉ बुक से न्यायाधीश को एक धारा दिखाते हुए कहा, "अगर आवश्यकता हो, तो आप इसका अध्ययन कर लें ।"
अदालत में सनसनी फैल गई । यह पहला अवसर था, जब रोमी ने ऐसा केस हाथ में लिया था, जिसका मुलजिम अपने जुर्म का इक़बाल कर चुका था ।
"इजाजत दी जाती है ।" न्यायाधीश ने कहा ।
न्यायाधीश ने रोमी का वकालतनामा स्वीकार कर लिया ।
"सबूत पक्ष को आदेश दिया जाता है कि वह मुलजिम सोमू पर जुर्म साबित करने की कार्यवाही मुकम्मल करे और एडवोकेट रोमेश सक्सेना को डिफेन्स का पूरा अधिकार दिया जाता है ।"
न्यायाधीश ने यह आदेश पारित करके एक सप्ताह बाद की तारीख कर दी ।
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