RE: Gandi Sex kahani दस जनवरी की रात
"कही सीमा, किसी और से ?'' यह विचार भी उसके मन में घुमड़ रहा था, वह इस विचार को तुरंत दिमाग से बाहर निकाल फेंकता, परन्तु विचार पुनः घुमड़ आता और उसका सिर पकड़ लेता ।
निसंदेह सीमा एक खूबसूरत औरत थी । उनकी मोहब्बत कॉलेज के जमाने से ही परवान चढ़ चुकी थी । सीमा उससे 2 साल जूनियर थी । बाद में सीमा ने एयरहोस्टेस की नौकरी कर ली और रोमेश ने वकालत । वकालत के पेशे में रोमेश ने शीघ्र ही अपना सिक्का जमा लिया । इस बीच सीमा से उसका फासला बना रहा, किन्तु उनका पत्र और टेलीफोन पर संपर्क बना रहता था ।
रोमेश ने अंततः सीमा से विवाह कर लिया और विवाह के साथ ही सीमा की नौकरी भी छूट गई । रमेश ने उसे सब सुख-सुविधा देने का वादा तो किया, परंतु पूरा ना कर सका । घर-गृहस्थी में कोई कमी नहीं थी, लेकिन सीमा के खर्चे दूसरे किस्म के थे । सीमा जब घर लौटी, तो रात का एक बज रहा था । रोमेश को पहली बार जिज्ञासा हुई कि देखे उसे छोड़ने कौन आया है ? एक कंटेसा गाड़ी उसे ड्रॉप करके चली गई । उस कार में कौन था,वह नजर नहीं आया ।
रोमेश चुपचाप बैड पर लेट गया ।
सीमा के बैडरूम में घुसते ही शराब की बू ने भी अंदर प्रवेश किया । सीमा जरूरत से ज्यादा नशे में थी । उसने अपना पर्स एक तरफ फेंका और बिना कपड़े बदले ही बैड पर धराशाई हो गई ।
''थोड़ी देर हो गई डियर ।'' वह बुदबुदाई, ''सॉरी ।''
रोमेश ने कोई उत्तर नहीं दिया ।
सीमा करवट लेकर सो गई ।
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सुबह ही सुबह हाजी बशीर आ गया । हाजी बशीर एक बिल्डर था, लेकिन मुम्बई का बच्चा-बच्चा जानता था कि हाजी का असली धंधा तस्करी है । वह फिल्मों में भी फाइनेंस करता था और कभी-कभार जब गैंगवार होती थी, तो बशीर का नाम सुर्खियों में आ जाता था ।
''मैं आपका काम नहीं कर सकता हाजी साहब ।"
"पैसे बोलो ना भाई ! ऐसा कैसे धंधा चलाता है ? अरे तुम्हारा काम लोगों को छुड़ाना है । वकील ऐसा बोलेगा, तो अपन लोगों का तो साला कारोबार ही बंद हो जायेगा ।"
वह बात कहते हुए हाजी ने ब्रीफकेस खोल दिया ।
''इसमें एक लाख रुपया है । जितना उठाना हो, उठा लो । पण अपुन का काम होने को मांगता है । करीमुल्ला नशे में गोली चला दिया । अरे इधर मुम्बई में हमारे आदमी ने पहले कोई मर्डर नहीं किया । मगर करीमुल्लाह हथियार सहित दबोच लिया गया वहीं के वहीं । और वह क्या है, गोरेगांव का थाना इंचार्ज सीधे बात नहीं करता । वरना अपुन इधर काहे को आता ।''
''इंस्पेक्टर विजय रिश्वत नहीं लेता ।"
''यही तो घपला है यार ! देखो, हमको मालूम है कि तुम छुड़ा लेगा । चाहे साला कैसा ही मुकदमा हो ।''
''हाजी साहब, मैं किसी मुजरिम को छुड़ाने का ठेका नहीं लेता, उसको अंदर करने का काम करता हूँ ।"
"तुम पब्लिक प्रॉसिक्यूटर तो है नहीं ।"
"आप मेरा वक्त खराब न करें, किसी और वकील का इंतजाम करें ।"
"ये रख ।" उसने ब्रीफकेस रोमेश की तरफ घुमाया ।
रोमेश ने उसे फटाक से बंद किया, ''गेट आउट ! आई से गेट आउट !!''
''कैसा वकील है यार तू ।'' बशीर का साथी गुर्रा उठा, “बशीर भाई इतना तो किसी के आगे नहीं झुकते, अबे अगर हमको खुंदक आ गई तो ।"
बशीर ने तुरंत उसको थप्पड़ मार दिया ।
''किसी पुलिस वाले से और किसी वकील से कभी इस माफिक बात नहीं करने का । अपुन लोगों का धंधा इन्हीं से चलता है । समझा !'' हाजी ने ब्रीफकेस उठा लिया, ''रोमेश भाई, घर में आई दौलत कभी ठुकरानी नहीं चाहिये । पैसा सब कुछ होता है, हमारी नसीहत याद रखना ।"
इतना कहकर हाजी बाहर निकल गया ।
उसके जाते ही सीमा, रोमेश के पास टपक पड़ी ।
"एक लाख रुपये को फिर ठोकर मार दी तुमने रोमेश ! वह भी हाजी के ।"
''दस लाख भी न लूँ ।'' रोमेश ने सीमा की बात बीच में काटते हुए कहा ।
''तुम फिर अपने आदतों की दुहाई दोगे, वही कहोगे कि किसी अपराधी के लिए केस नहीं लड़ना । तलाशते रहो निर्दोषों को और करते रहो फाके ।"
"हमारे घर में अकाल नहीं पड़ रहा है कोई । सब कुछ है खाने पहनने को । हाँ अगर कमी है, तो सिर्फ क्लबों में शराब पीने की ।''
"तो तुम सीधा मुझ पर हमला कर रहे हो ।''
"हमला नहीं नसीहत मैडम ! नसीहत ! जो औरतें अपने पति की परवाह किए बिना रात एक-एक बजे तक क्लबों में शराब पीती रहेंगी, उनका फ्यूचर अच्छा नहीं होता । डार्क होता है ।"
"शराब तुम नहीं पीते क्या ? क्या तुम होटलों में अपने दोस्तों के साथ गुलछर्रे नहीं उड़ाते ? रात तो तुम ताज में थे । अगर तुम ताज में डिनर ले सकते हो, शराब पी सकते हो, तो फिर मुझे पाबंदी क्यों ?"
"मैं कारोबार से गया था ।"
"क्या कमाया वहाँ ? वहाँ भी कोई अपराधी ही होगा । बहुत हो चुका रोमेश ! मैं अभी भी खत्म नहीं हो गई, मुझे फिर से नौकरी भी मिल सकती है ।"
"याद रखो सीमा, आज के बाद तुम शराब नहीं पियोगी ।''
"तुम भी नहीं पियोगे ।"
"नहीं पियूँगा ।"
''सिगरेट भी नहीं पियोगे ।"
"नहीं, तुम जो कहोगी, वह करूंगा । मगर तुम शराब नहीं पियोगी और अगर किसी क्लब में जाना भी हो, तो मेरे साथ जाओगी । वो इसलिये कि नंबर एक, मैं तुमसे बेइन्तहा प्यार करता हूँ और नंबर दो, तुम मेरी पत्नी हो ।"
अगर उसी समय वैशाली न आ गई होती, तो हंगामा और भी बढ़ सकता था ।
वैशाली के आते ही दोनों चुप हो गये और हँसकर अपने-अपने कामों में लग गये ।
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