RE: Gandi Sex kahani दस जनवरी की रात
उन सबके जाते ही रोमेश हाँफता हुआ जल्दी से उठा । उसकी आँखों में आँसू आ गये थे । उसकी प्यारी पत्नी को इस रूप में देखकर ही रोमेश काँप गया था । उसने सीमा के बन्धन खोले, उसके मुंह से टेप हटाया ।
"म… मुझे माफ कर दो डार्लिंग ! मैं बेबस था ।"
"शटअप !" सीमा इतनी जोर से चीखी कि उसे खांसी आ गई, "आज के बाद तुम्हारा मेरा कोई वास्ता नहीं रहा, क्योंकि तीन दिन बाद मेरी जो गत बनने वाली है, वह मैं बर्दाश्त नहीं कर सकती ।"
सीमा रोती हुई वार्डरोब की तरफ भागी, टॉवल लपेटा और सीधे बाथरूम में चली गई ।
"सीमा प्लीज । "
वह बाथरूम से ही चीख रही थी, "आज के बाद हमारा कोई रिश्ता नहीं रहा राजा हरिश्चन्द । मैं अब तुम जैसे कंगले वकील के पास एक पल भी नहीं रहूँगी समझे ?"
"सीमा, मेरी बात तो सुनो, मैं अभी पुलिस को फोन करता हूँ ।"
रोमेश ड्राइंगरूम में पहुंचा, पुलिस को फोन मिलाया ।
बान्द्रा थाने का इंचार्ज अपनी ड्यूटी पर मौजूद था ।
"मैं एडवोकेट रोमेश सक्सेना बोल रहा हूँ ।"
"यही कहना है ना कि आपके फ्लैट पर मायादास जी कुछ गुण्डों के साथ आये और आपकी बीवी को नंगा कर दिया ।"
"त… तुम्हें कैसे मालूम ?"
"वकील साहब, जब तक रेप केस न हो जाये, पुलिस को तंग मत करना, मामूली छेड़छाड़ के मुकदमे हम दर्ज नहीं करते । सॉरी… ।"
फोन कट गया ।
सीमा अपनी तैयारियों में लग चुकी थी । उसने अपने कपड़े एक सूटकेस में डाले और रोमेश उसे लाख समझाता रहा, मगर सीमा ने एक न सुनी ।
"मुझे एक मौका और दो प्लीज ।" रोमेश गिड़गिड़ाया ।
"एक मौका !" वह बिफरी शेरनी की तरह पलटी, "तो सुनो, जिस दिन तुम मेरे अकाउंट में पच्चीस लाख रुपया जमा कर दोगे, उस दिन मेरे पास आना, शायद तुम्हें तुम्हारी पत्नी वापिस मिल जाये ।"
"पच्चीस लाख ? पच्चीस लाख मैं कहाँ से लाऊंगा ? मैं तुम्हारे बिना एक दिन भी नहीं जी सकता ।"
"चोरी करो, डाका डालो, कत्ल करो, चाहे जो करो, पच्चीस लाख मेरे खाते में दिखा दो, सीमा तुम्हें मिल जायेगी, वरना कभी मेरी ओर रुख मत करना, कभी नहीं ।"
"क… कब तक ? "
"सिर्फ एक महीना ।"
"प्लीज ऐसा न करो, दस जनवरी को तो हमारी शादी की वर्षगांठ है । प्लीज मैं तुम्हें वह अंगूठी ला दूँगा ।"
"नहीं चाहिये मुझे अंगूठी ।"
रोमेश ने बहुत कौशिश की, परन्तु सीमा नहीं रुकी और उसे छोड़कर चली गई ।
फ्लैट से बाहर रोमेश ने टैक्सी को रोकने की भी कौशिश की, परन्तु सीमा नहीं रुकी । रोमेश हताश सा वापिस फ्लैट में पहुँचा ।
रोमेश को ध्यान आया कि नौकर बाथरूम में बेहोश पड़ा है । उसने तुरन्त नौकर पर पानी छिड़का । उसे होश आ गया ।
"तू जाकर पीछा कर, देख तो सीमा कहाँ गई है ?"
"क… क्या हो गया मालकिन को साहब ?"
पता नहीं वह हमें छोड़कर चली गई, जा देख । बाहर देख, टैक्सी कर, कुछ भी कर, उसे बुलाकर ला ।"
नौकर नंगे पाँव ही बाहर दौड़ पड़ा ।
रोमेश के कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्या करे, क्या न करे ? उसका होंठ सूखा हुआ था । बायीं आंख के नीचे भी नील का निशान और सूजन आ गई थी, लेकिन इस सबकी तरफ तो उसका ध्यान ही न था । वह सिगरेट पर सिगरेट फूंक रहा था और उसकी अक्ल जैसे जाम होकर रह गई थी ।
फिर उसने विजय का नम्बर मिलाया ।
विजय फोन पर मिल गया ।
"विजय बटाला को छोड़ दे, फ़ौरन छोड़ दे उसे ।" रोमेश पागलों की तरह बोल रहा था, "नहीं छोड़ेगा, तो मैं छुड़ा लूँगा उसे । और सुन, तेरे पास पच्चीस लाख रुपया है ?"
फोन पर बातचीत से ही विजय ने समझ लिया, दाल में काला है ।
"मैं आ रहा हूँ ।" विजय ने कहा ।
''हाँ जल्दी आना, पच्चीस लाख लेकर आना ।"
पन्द्रह मिनट बाद ही विजय और वैशाली रोमेश के फ्लैट पर थे । नौकर तब तक खाली हाथ लौट आया था । दरवाजे पर ही उसने विजय को सारी बात समझा दी ।
अब विजय और वैशाली का काम था, रोमेश को ढांढस बंधाना ।
"पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करो उसकी ।" विजय बोला ।
"न… नहीं । नहीं वह कह रहा था, जब तक रेप नहीं होता, कोई मुकदमा नहीं बनता ।"
"प्लीज, आपको क्या हो गया सर ?" वैशाली के तो आँखों में आंसू आ गये ।
"लीव मी अलोन ।" अचानक रोमेश हिस्टीरियाई अंदाज में चीख पड़ा, "वह मुझे छोड़कर चली गई, तो चली जाये, चली जाये ।" रोमेश बैडरूम में घुसा और उसने दरवाजा अन्दर से बन्द कर लिया ।
"मेरे ख्याल से वैशाली, तुम यहीं रहो । भाभी के इस तरह जाने से रोमेश की दिमागी हालत ठीक नहीं है, मैं जरा बान्द्रा थाने होकर जाता हूँ । देखता हूँ कि कौन थाना इंचार्ज है, जो रेप से नीचे बात ही नहीं करता ।"
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