RE: Gandi Sex kahani दस जनवरी की रात
अगले दिन रोमेश को पता चला कि पर्याप्त सबूतों के अभाव के कारण बटाला को जमानत हो गई, विजय उसकी रिमाण्ड नहीं ले सका ।
उसके आधे घण्टे बाद मायादास का फोन आया ।
"देखा हमारा कमाल, वह अगली तारीख तक बरी भी हो जायेगा । तुम जैसे वकीलों की औकात क्या है, तुमसे ऊपर जज होता है साले ! अब हम उस दरोगा की वर्दी उतरायेंगे । तू उसकी वर्दी बचाने के लिए पैरवी करना, जरूर करना और तब तुझे पता चलेगा कि मुकदमा तू भी हार सकता है । क्योंकि तू उसकी वर्दी नहीं बचा पायेगा, जे.एन. से टक्कर लेने का अंजाम तो मालूम होना ही चाहिये ।"
रोमेश कुछ नहीं बोला ।
फोन कट गया ।
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उस रात तेज बारिश हो रही थी, रोमेश बरसती घटाओं को देख रहा था । बिजली चमकती, बादल गरजते, वह बे-मौसम की बरसात थी । वह खिड़की पर खड़ा सोच रहा था कि क्या सीमा अब कभी उसकी जिन्दगी में नहीं लौटेगी ? उसकी दुनिया में यह अचानक कैसी आग लग गई ?
वह शराब पीता रहा ।
जनार्दन नागारेड्डी इस तबाही का एकमात्र जिम्मेदार था । ऐसे लोगों के सामने कानून बेबस खड़ा होता है, कानून की किताब रद्दी का कागज बन जाती है । पुलिस ऐसे लोगों की रक्षक बनकर खड़ी हो जाती है, तो फिर कानून किसके लिए है ? किसके लिए वकील लड़ता है ? यहाँ तो जज भी बिकते हैं ।
ऐसे लोगों को सजा नहीं मिलती ? क्यों… क्यों है यह विधान ?
"आज मेरे साथ हुआ, कल विजय के साथ होगा । हो सकता है कि वैशाली के साथ भी वैसा ही हादसा हो ? आने वाले कल में वह विजय की पत्नी है । मेरे और विजय के करीब रहने वाले हर शख्स को खतरा है ।"
उसे लगा, जैसे दूर खड़ी सीमा उसे बुला रही है ।
लेकिन वह जा नहीं पा रहा है । उसके पैरों में बेड़ियाँ पड़ी हैं और वह बेड़ियाँ एक ही सूरत से कट सकती है, पच्चीस लाख ! पच्चीस लाख !! पच्चीस लाख !!!
पच्चीस लाख मिल सकता है । शर्त सिर्फ एक ही है, जनार्दन नागारेड्डी का कत्ल ।
कानून की आन भी यही कहती है कि ऐसे अपराधी को सजा मिलनी ही चाहिये । क्या फर्क पड़ता है, उसे फांसी पर जल्लाद लटकाए या वह खुद ? कानून की आन रखने के लिए अगर वह जल्लाद बन भी जाता है, तो हर्ज क्या है ? क्या पुलिस, बदमाशों को मुठभेड़ में नहीं मार गिराती ?
मैं यह कत्ल करूंगा, जनार्दन नागारेड्डी अब तुझे कोई नहीं बचा सकता ।
सुबह रोमेश डस्टबिन से विजिटिंग कार्ड के टुकड़े तलाश कर रहा था, संयोग से डस्टबिन साफ नहीं हुआ था और कार्ड के टुकड़े मिल गये । रोमेश उन टुकड़ों को जोड़कर फोन नम्बर उतारने लगा ।
शंकर का फोन नम्बर अब उसके सामने था ।
उसने फोन पर नम्बर डायल करना शुरू कर दिया ।
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