RE: Gandi Sex kahani दस जनवरी की रात
शंकर दस लाख लेकर आ गया । उसने ब्रीफकेस रोमेश की तरफ खिसका दिया ।
"गिन लीजिये, दस लाख हैं ।"
"मुझे यकीन है कि दस लाख ही होंगे ।" रोमेश ने कहा और ब्रीफकेस उठाकर एक तरफ रख दिया ।
"साथ में मेरी ओर से बधाई ।"
"बधाई किस बात की ?"
"कत्ल करने और उसके जुर्म में बरी होने के लिए । आप जैसे काबिल आदमी की इस देश में जरूरत ही क्या है, मैं आपको अमेरिका में स्टैब्लिश कर सकता हूँ ।"
"वह मेरा पर्सनल मैटर है कि मैं कहाँ रहूंगा, अभी हम केस पर ही बात करेंगे । पहले मुझे यह बताओ कि तुम यह कत्ल क्यों करवाना चाहते हो और तुम्हारा बैकग्राउण्ड क्या है, क्या तुम उसके कोई नाते रिश्तेदार हो ?"
"नागारेड्डी तो हजारों हो सकते हैं, फिलहाल मैं इस सवाल का जवाब नहीं दे पाऊंगा । हाँ, जब मुकदमा खत्म हो जायेगा; तब आप मुझसे इस सवाल का जवाब भी पा लेंगे ।"
"तुमने यह भी कहा था कि कोई पेशेवर कातिल इस काम को करेगा, तो तुम पकड़े जाओगे ।"
"हाँ, यह सही है । इसलिये मैं यह चाहता हूँ कि इस कत्ल को कोई पेशेवर न करे । आपको यह बात अच्छी तरह जाननी होगी कि कत्ल आपके ही हाथों होना हैं और बरी भी आपको होना है । यही दो बातें इस सौदे में हैं ।"
"ठीक है, काम हो जायेगा ।"
"मैं जानता हूँ, शत प्रतिशत हो जायेगा । एक बार फिर आपको मुबारकबाद देना चाहूँगा । मैं अखबार, रेडियो और टी.वी. पर यह खबर सुनने के लिए बेताब रहूँगा । जैसे ही यह खबर मुझे मिलेगी, मैं बाकी रकम लेकर आपके पास चला आऊँगा ।"
दोनों ने हाथ मिलाया और शंकर लौट गया ।
अब रोमेश ने एक नयी विचारधारा के तहत सोचना शुरू कर दिया ।
"मुझे यह रकम बहुत जल्दी खत्म कर देनी चाहिये ।" रोमेश ने घूंसा मेज पर मारते हुए कहा, "यह मुकदमा सचमुच ऐतिहासिक होगा ।"
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कुछ देर बाद ही रोमेश कोर्ट पहुँचा । उसने अपनी मोटरसाइकिल सर्विस के लिए दे दी और चैम्बर में पहुंचते ही उसने आवश्यक कागजात देखे और कुछ फाइलें देखीं और फिर अपने केबिन में वैशाली को बुलाया ।
"आज मैं तुम्हें एक विशेष दर्जा देना चाहता हूँ ।" रोमेश ने कहा ।
"क्या सर ?"
"आज के बाद यह जितने भी केस पेंडिंग पड़े हैं और जितनी भी पैरवी मैं कर रहा हूँ, वह सब तुम करोगी ।"
"मगर...। "
"पहले मेरी बात पूरी सुनो । ध्यान से सुनो । गौर से सुनो । आज के बाद मैं इस चैम्बर में नहीं आऊँगा, इसकी उत्तराधिकारी तुम हो । मैं पूरे पेपर साइन करके इसकी ऑनरशिप तुम्हें दे रहा है, क्योंकि मैं एक संगीन मुकदमे से दो चार होने जा रहा हूँ । एक ऐसा मुकदमा, जो कभी किसी वकील ने नहीं लड़ा होगा । यह मुकदमा अदालत से बाहर लड़ा जाना है । हाँ, इसका अन्त अदालत में ही होगा ।"
"मैं कुछ समझी नहीं सर ।"
"मैंने जनार्दन नागारेड्डी का कत्ल कर देने का फैसला किया है, कातिल बनने के बाद मुझे इस चैम्बर में आने का हक नहीं रह जायेगा, मेरी वकालत की दुनिया का यह आखिरी मुकदमा होगा ।"
"आप क्या कह रहे हैं ?" वैशाली का दिल बैठने लगा ।
"हाँ, मैं सच कह रहा हूँ । इसलिये ध्यान से सुनो, आज के बाद तुम मेरे फ्लैट पर भी कदम नहीं रखोगी । तुम्हें अपने जीवन में मेरी पहचान बनना है । यह बात विजय को भी समझा देना कि वह मुझसे दूर रहे । मैंने आज अपने घरेलू नौकर को भी हटा देना है ।"
"सर, मैं आपके लिए कुछ मंगाऊं ?"
"नहीं, अभी इतनी खुश्की नहीं आई कि पानी पीना पड़े । चैम्बर का चार्ज सम्भालो और लगन से अपने काम पर जुट जाओ । अगर तुम कभी सरकारी वकील भी बनो, तब भी एक बात का ध्यान रखना कि कभी भी किसी निर्दोष को सजा न होने पाये । यह तुम्हारा उसूल रहेगा । अपने पति को इतना प्यार देना, जितना कभी किसी पत्नी ने न दिया हो । जीवन में सिर्फ आदर्शों का महत्व होता है, पैसे का नहीं होता । विजय भी मेरी तरह का शख्स है, कभी उसे चोट न पहुँचे । यह लो, ये वह फाइल है, जिसमें तुम्हें इस चैम्बर की ऑनरशिप दी जाती है ।"
वैशाली की आंखें डबडबा आयीं ।
वह कुछ बोली नहीं ।
रोमेश उसका कंधा हुआ थपथपाता बाहर निकल गया ।
जाते-जाते उसने कहा, "कभी मेरे घर की तरफ मत आना । यह मत सोचना कि मैं मानसिक रूप से अस्वस्थ हूँ । मैं ठीक हूँ, बिल्कुल ठीक । और मेरा फैसला भी ठीक ही है ।"
रोमेश बाहर निकल गया ।
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