RE: Bhai Bahan XXX भाई की जवानी
करीब आधे घंटे बाद विशाल भी मार्केट से आ जाता है। आरोही सामान का बैग लेकर किचेन में पहुँचती है। जैसे हो बैंग से सामान निकालती है। आरोही को सामान के साथ एक चाकलेंट नजर आती हैं। आरोही के चेहरे पर मुश्कान आ जाती है। आरोही चाकलेट लेकर बाहर आती है और विशाल के पास बैठते हुए चाकलेट का पैक खोलती है।
आरोही- थेंक यू भैया।
विशाल- तुझे चाकलेट पसंद है ना?
आरोही- "जी भैया..." और आधी चाकलेट विशाल को देती है।
विशाल- अरे आरोही बस तुम खा लो।
आरोही- नहीं आधी आप भी खाइए।
विशाल मुश्कुराते हुए- "अच्छा बाबा लाओ..."
आरोही भी मुश्कुरा देती है, और कहती है- "भैया कोई गेम खेलते हैं..."
विशाल- कौन सा गेम?
आरोही- लूडो।
विशाल- नहीं कैरम खेलते हैं।
आरोही- नहीं भैया कैरम में तो हर बार में हार जाती हैं।
विशाल- लहों में भी तो हारती हैं।
आरोही- नहीं जी लास्ट टाइम आप हार गये थे।
विशाल- "चल ठीक है, देखते हैं आज.." और दोनों लूडो खेलने लगते हैं।
आरोही की गोटी पहले खुलती है, और जैसे ही विशाल की गोटी खुलती है, जिसे आरोही की गोटी फिर से बंद कर देती है। आरोही की 3 गोटी खुल चुकी थी और विशाल की अभी तक चारों गोटी बंद थी। आरोही के चेहरे पर मुश्कान बढ़तीजा रही थी थी।
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