RE: Bhai Bahan XXX भाई की जवानी
सुबह दोनों भाई बहन मामा के यहां जाने के लिए बस स्टाप पहुँचते है। मगर आज बस में बहुत भीड़ थी। काई सीट खाली नहीं थी।
विशाल कंडक्टर से पूछता हैं- "सीट मिल जायेगी?"
कंडक्टर- "पिछली सीट की सवारी अगले स्टाप पर उत्तरंगी। तब तक आपको खड़े होकर जाना पड़ेगा..."
आरोही- "चलो भैया थोड़ी देर खड़े होकर चलते हैं। पता नहीं दसरी बस कितनी देर में आयेंगी." और दोनों बस में चढ़ जाते हैं। पहले आरोही चद हैं। विशाल अपने सामान का बैं सीट के ऊपर रख देता है।
तभी दो लड़के और बस में चढ़ जाते हैं, जिससे आराही को अंदर खिसकना पड़ जाता है। विशाल और आगही में फासला सा हो जाता है। बस इस कदर भर जाती है की जरा भी पैर रखना की जगह नहीं मिलती। बस निकल पड़ती है। आरोही के आगे-पीछे लड़के खड़े थे।
विशाल को ये सब अच्छा सा नहीं लग रहा था। विशाल आरोही के पास पहुँचना चाह रहा था। मगर भीड़ के कारण पहुँचना मुश्किल था। बस में चलते हुए बार-बार झटके भी लग रहे थे। एक लड़का जो बिल्कुल आरोही के पीछे खड़ा था।
आरोही को अपनी गाण्ड की दरार में कुछ चुभता हआ महसूस हुआ। आरोही एकदम पलटकर जैसे ही पीछे देखती है, वो लड़का मुश्कुरा देता है, जैसे वो ये सब जानबूझ कर कर रहा हो। पीछे खड़ा विशाल भी भीड़ के कारण कुछ नहीं कर सकता था। और वो लड़का आरोही से चिपकता जा रहा था। लड़के का लण्ड अब आरोही की गाण्ड में साफ-साफ महसस होने लगा।
आरोही सांस रोके चुपचाप खड़ी रहती है, और लण्ड को अपनी गाण्ड की दरार में महसूस कर रही थी। करीब 10 मिनट बाद एक सबारी उतरती है तो विशाल आगे बढ़ जाता है और उस लड़के को पीछे हटाते हुए आरोही को कवर कर लेता है। आरोही विशाल की तरफ देखकर मुश्करा देती है, जैसे कह रही हो- "बैंक यू भैया.."
बस फिर से चल पड़ी और जैसे ही बस में झटका लगता है विशाल एकदम आरोही की तरफ दबने लगा। अब बिल्कुल वही सिचुयेशन विशाल की हो जाती है, जो थोड़ी देर पहले उस लड़के की थी। विशाल चाहकर भी पीछे नहीं खिसक सकता था।
आरोही को फिर से अपनी गाण्ड पर लण्ड का अहसास होने लगा। मगर इस बार आरोही के पीछे उसका भाई खड़ा था। बिशाल का बड़ा अजीब लग रहा था। ये सब उसके साथ क्या हो रहा था? आरोही की नरम मुलायम गाण्ड का स्पर्श विशाल के लण्ड को खड़ा होने पर मजबूर कर रहा था। और जैसे-जैसे बस चलते हुए झटके ले रही थी, लण्ड का तनाव भी बढ़ता जा रहा था।
आरोही का भी लगातार अपनी गाण्ड पर लण्ड का दवाब बढ़ता हआ महसूस हो रहा था। आरोही के अंदर भी लण्ड के अहसास में हलचल मचा कर रख दी थी। आरोही अब साफ-साफ अपने भाई का लण्ड अपनी गाण्ड की दरार में महसूस करने लगी। अब आराही खद भी आगे झकने की बजाय अपना दबाब पीछे देने लगी, जिससे विशाल का लण्ड थोड़ा सा और आरोही की गाण्ड की दरार में घुसने लगा।
ही दोनों की सिचुयशन लगभग 15 मिनट तक रही। इस बीच आरोही की चूत में भी चिपचिपा रस निकलने लगा था। तभी अगले स्टाप पर बस रुकती है, और बहुत सी सवारियां उतर जाती हैं। विशाल और आरोही को सीट मिल जाती है। विशाल को अब आरोही की तरफ देखते हुए भी झिझक महसूस हो रही थी। काफी देर दोनों खामोश बैठे रहते हैं।
आरोही थोड़ी देर बाद खामोशी तोड़ते हुए पूछती है- "भैया और कितनी दूर रह गया है?"
विशाल- अभी दो घंटे और लग जायंगे।
आरोही- ओह चला तब तक म्यूजिक ही सुन लेती हूँ।
आरोही हेडफोन लीड निकालकर अपने कानों में लगाकर म्यूजिक सुनने लगती हैं। करीब दो घंटे बाद दोनों मामा के घर पहुँच जाते हैं। शादी की तैयारी बड़ी जोरों से चल रही थी, घर के दरवाजे पर अजय फूलों की सजावट में लगा हुआ था।
विशाल- हेलो अजय क्या हो रहा है?
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