RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
अगली सुबह मैं जल्दी से उठ कर छेद में देखने लगा , ऋतू ने एक अंगड़ाई ली और सफ़ेद चादर उसके उरोजो से सरकती हुई निप्पल्स के सहारे अटक गयी , पर उसने एक झटके से चादर साइड करके अपने चमकते जिस्म के दीदार मुझे करा दिए, फिर अपनी टाँगे चोडी करके १ के बाद १ तीन उंगलिया अपनी चूत में डाल दी और अपना दाना मसलने लगी, मेरा लंद ये मोर्निंग शो देखकर अपने विकराल रूप में आ गया और मैं उसे जोर से हिलाने लगा, फिर ऋतू के मुंह से एक आनंदमयी सीत्कारी निकली और उसने पानी छोड़ दिया, मैंने भी अपने लंद को हिलाकर अपना वीर्य अपने हाथ में लेकर अपने लंद पर वापिस रगड़ दिया और लुब्रिकैत करके उसे नेहला दिया, ऋतू उठी और टॉवेल लेकर बाथरूम में चली गयी, मैं भी जल्दी से तैयार होने लगा.
वो नीचे मुझे डाइनिंग टेबल पर मिली और हमेशा की तरह मुस्कुराते हुए गुड मोर्निंग कहा और इधर उधर की बातें करने लगी, उसे देखकर ये अंदाजा लगाना मुश्किल था के ये मासूम सी दिखने वाली, अपने फ्रेंड्स से घिरी रहने वाली, टीचर्स की चहेती और क्लास में अव्वल आने वाली इतनी कामुक और उत्तेजक भी हो सकती है जो रात दिन अपनी मुठ मारती है और काला डिल्डो चूत में लेकर घुमती है.
मेरी माँ, पूर्णिमा किचन में कुक के साथ खड़े होकर नाश्ता बनवा रही थी, वो एक आकर्षक शरीर की स्वामी है, ४१ की उम्र में भी उनके बाल बिलकुल काले और घने है, जो उनके कमर से नीचे तक आते हैं , मेरे पिता भी जो डाइनिंग टेबल पर बैठे थे सभी को हंसा - २ कर लोट पोत करने में लगे हुए थे, कुल मिला कर उनकी चेमिस्ट्री मेरी मम्मी के साथ देखते ही बनती थी, वो लोग साल में एक बार अपने फ्रेंड्स के साथ पहाड़ी इलाके में जाते थे और कैंप लगाकर खूब एन्जॉय करते थे.
मैंने कॉलेज जाते हुए ऋतू को अपनी बाईक पर स्कूल छोड़ा और आगे निकल गया, रास्ते में मेरे दिमाग में एक नयी तरकीब आने लगी, मुझे और मेरी बहन को हमेशा एक लिमिटेड जेब खर्ची मिलती थी, हमें मेरे दोस्तों की तरह ऐश करने के लिए कोई एक्स्ट्रा पैसे नहीं मिलते थे , जबकि मेरे दोस्त हमेशा ग्रुप पार्टी करते, मूवी जाते पर कम पैसो की वजह से मैं इन सबसे वंचित रह जाता था, मैंने अपनी बहन के बारे में कभी भी अपने फ्रेंड्स को नहीं बताया था , वो कभी भी ये यकीं नहीं करते की ऋतू इतनी कामुक और वासना की आग में जलने वाली एक लड़की हो सकती है, उनकी नजर में तो वो एक चुलबुल औए स्वीट सी लड़की थी.
मैं कॉलेज पहुंचा और अपने दो सबसे करीबी फ्रेंड्स विशाल और सन्नी को एक कोने में लेकर उनसे पूछा के क्या उन्होंने कभी नंगी लड़की देखी है, उनके चेहरे के आश्चर्य वाले भाव देखकर ही मैं उनका उत्तर समझ गया.
मैंने आगे कहा, "तुम मुझे क्या दोगे अगर मैं तुम्हे १० फीट की दुरी से एक नंगी लड़की दिखा दूं "
विशाल "मैं तुम्हे सारी उम्र अपनी कमाई देता रहूँगा "..."पर ये मुमकिन नहीं है, तो इस टोपिक को यही छोड़ दो"
मैंने कहा "लेकिन अगर मैं कहूँ की जो मैं कह रहा हूँ, वो कर के भी दिखा सकता हूँ,...."तब तुम मुझे कितने पैसे दे सकते हो"
सन्नी बोला "अगर तुम मुझे नंगी लड़की दिखा सकते हो तो मैं तुम्हे १००० रूपए दे सकता हूँ,"
"मैं भी एक हज़ार दे सकता हूँ" विशाल बोला. "पर हमें ये कितनी देर देखने को मिलेगा"
मैंने कहा "दस से पंद्रह मिनट "
"अबे चुतिया तो नहीं बना रहा, कंही कोई बच्ची तो नहीं दिखा देगा, गली में नंगी घुमती हुई " हा. हा. हा ...दोनों हंसने लगे.
मैं बोला "अरे नहीं, वो उन्नीस साल की है, गोरी, मोटे चुचे, और तुम्हारी किस्मत अच्छी रही तो शायद वो तुम्हे मुठ भी मरते हुए दिख जाए"
सन्नी ने कहा "अगर ऐसा है तो ये ले " और अपनी पॉकेट से एक हज़ार रूपए निकाल कर मुझे दिए और कहा "अगर तू ये ना कर पाया तो तुझे डबल वापिस देने होंगे, मंजूर है"
"हाँ मंजूर है" मैंने कहा.
सन्नी को देखकर विशाल ने भी पैसे देते हुए कहा "कब दिखा सकता है"
"कल, तुम दोनों अपने घर पर बोल देना की मेरे घर पर रात को ग्रुप स्टडी करनी है, और रात को वही रहोगे"
"ठीक है !" दोनों एक साथ बोले.
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