RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
मैंने देखा की उसके चुचे ऋतू से काफी बड़े हैं, थोड़े लटके हुए , शायद ज्यादा भार की वजह से, और उसके काले-२ निप्पलस इतने बड़े थे की शायद मेरे पैर की ऊँगली के बराबर...पेट बिलकुल गोल मटोल और सुडौल, मैं खड़ा हुआ उसकी चूत भी देख पा रहा था, वो बिलकुल काली थी, बालों से ढकी हुई, और बीच में जो चीरा था, उसमें से गुलाबी पंखुडियां अपनी बाहें फैला कर जैसे मुझे ही बुला रही थी. मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया. ऋतू की तरफ देखा, उसके चूचो का तो मैं वैसे ही दीवाना था, मुझे अपनी तरफ देखते पाकर उसकी ऑंखें बंद सी होने लगी और अपनी एक ऊँगली अपने मुंह में डालकर वो बोली.
"चलो अब तुम्हारी बारी है" ऋतू ने मुझसे कहा.
मैंने एक गहरी सांस लेकर अपना पायजामा और जॉकी नीचे गिरा दिया, और अपनी टी-शर्ट भी उतार दी, फिर मैंने अपना तना हुआ लंड हाथ में लिया और उसे आगे पीछे करने लगा.
"इतना दूर नहीं, यहाँ हमारे पास आकर खड़े हो जाओ और फिर हिलाओ" ऋतू ने आर्डर सा दिया.
मैं खिसककर आगे आ गया और अब मेरे पैर बेड से टकरा रहे थे, दोनों के नंगे जिस्म आपस में रगड़ खा रहे थे और उन दोनों का चहरा मेरे लंड से सिर्फ 4 -5 इंच की दुरी पर ही था, मैं उसे हिलाने लगा, पूजा ने ऋतू की तरफ देखा, वो मुस्कुरा दी, जवाब में पूजा भी मुस्कुरा दी और उसकी थोड़ी टेंशन कम हुई, और वो अब अपने सामने के नज़ारे के मजे लेने लगी.
मेरा पूरा ध्यान अब पूजा की तरफ था, वो अपनी आँखें फाड़े मेरे लंड को देख रही थी, उसका मुंह खुला हुआ था, चुचे तन कर खड़े हो गए थे, लगता था वो अपनी सुध बुध खो चुकी है, मैंने ऋतू की तरफ देखा तो वो बड़े ही कामुक स्टाइल से मेरी ही तरफ देख रही थी, उसका एक हाथ अपनी चूत की मालिश कर रहा था, और वो अपने होंठो पर अपनी लाल जीभ फिर रही थी, जैसे वो मेरा लंड चुसना चाहती हो...पर क्या वो पूजा के सामने मेरा लंड चूस लेगी..शायद हाँ.
ये सोच-सोचकर मैंने अपनी स्पीड बड़ा दी और मैं छुटने के बिलकुल करीब पहुँच गया.
ऋतू को शायद इस बात का अंदाजा हो गया था, वो थोड़ी और आगे खिसक आई...साली मेरे रस की भूखी..और मेरे लंड ने अपना रस उबालकर बाहर उडेलना शुरू कर दिया..मेरी पहली धार सीधे ऋतू के चेहरे से टकराई वो थोडा पीछे हटी तो दूसरी धार सीधे पूजा के खुले हुए मुंह के अन्दर और तीसरी और चोथी उसके गालों और माथे पर जा लगी, फिर मैंने थोडा लेफ्ट टर्न किया और बाकी की बची हुई पिचकारी अपनी बहन के चेहरे पर खाली कर दी.
पूजा तो अवाक रह गयी जब मैंने अपना वीर्य उसके मुंह में डाला पर जब उसने अपना मुंह बंद करके स्वाद चखा तो उसे साल्टी सा लगा और वो उसे निगल गयी, उसने सोचा,इसका स्वाद ऋतू के रस से थोडा अलग है पर टेस्टी है, फिर उसने अपने चेहरे से बहते हुए रस को अपनी उँगलियों से समेटा और निगल गयी, उसने देखा की ऋतू बड़े मजे से अपना मुंह खोलकर मेरी धारें अपने चेहरे और मुंह पर मरवा रही है और बड़े मजे से पी भी रही है.
मेरा लंड धीरे से मुरझाने लगा और ऋतू ने पूजा की तरफ देखा और उसे गले से लगा लिया, और बोली "देखा..कितना मजा आया...कितना एक्साईटिंग था "और उसके चेहरे पर बचा हुआ रस चाटने लगी.
पूजा : "हाँ बड़ा ही एक्साईटिंग था, मुझे भी देखने में काफी अच्छा लगा"
ऋतू : "क्या तुम्हे इसके रस का स्वाद पसंद आया"
पूजा : (शर्माते हुए) "हाँ....ठीक था."
ऋतू : "चलो फिर मेरे चेहरे से सारा रस चाट कर इसे साफ़ करदो...जल्दी"
'ठीक है" और पूजा ने सकुचाते हुए अपनी लम्बी जीभ निकालकर ऋतू का चेहरा चाटना शुरू कर दिया, थोड़ी ही देर में वो बिलकुल साफ़ हो गया और पूजा चटखारे लेते हुए पीछे हो गयी.
"और इसका क्या होगा", मैंने अपने मुरझाये हुए लंड को निचोड़ कर आगे किया और उसके सिरे पर बड़ी सी वीर्य की बूंद चमकने लगी.
ऋतू : "पूजा तुम चाट लो इसे.."
पूजा : "मैं.....नहीं मैं कैसे.." वो घबरा रही थी.
मैं : "जल्दी करो..नहीं तो मैं जा रहा हूँ"
ऋतू : "अरे चलो भी पूजा, अब क्यों शरमा रही हो...चूस लो"
पूजा : "नहीं मैं नहीं कर सकती"
ऋतू : "बिलकुल कर सकती हो.." और पूजा का चेहरा पकड़ कर आगे किया और दुसरे हाथ से मेरा लंड पकड़ कर उसके मुंह में डाल दिया.
मैंने महसूस किया की उसके होंठ मेरा लंड मुंह में लेते ही बंद हो गए और उसकी जीभ मेरे लंड के सिरे को कुरेदने लगी, एक दो चूपे लेने के बाद उसने मेरे लंड को बाहर निकाल दिया.
"कैसा लगा " ऋतू ने पूछा
"मजेदार...काफी नरम और गरम है ये तो..मुझे नहीं लगता ये जल्दी पहले जैसा कड़ा हो सकेगा." पूजा बोली.
"थोडा और चुसो तब बोलना.." मैंने कहा.
"हाँ हाँ चलो थोडा और चुसो पूजा, देखते हैं क्या होता है " ऋतू ने उसे उकसाया .
उसने अपना मुंह जल्दी से खोला और मैंने आगे बढकर उसका मुंह अपने लंड से भर दिया, वो उसे अब पहले से ज्यादा तेजी से चूसने लगी, अपनी जीभ का इस्तेमाल भी कर रही थी अपने दुसरे हाथ से मेरे लंड को पकड़कर हलके से दबा भी रही थी, मेरे लंड ने विशाल रूप लेना शुरू कर दिया. मैंने पूजा को धक्का देकर बेड पर लिटा दिया, मेरा लंड अभी भी उसके मुंह में था, और मैं उसके सख्त और गद्देदार चूचो पर हलके भार से बैठ गया, पीछे से ऋतू ने बिना कोई वक़्त गवाएं झुक कर अपना चेहरा उसकी काली चूत पर टिका दिया और चूसने लगी. मैं अपने लंड से पूजा का मुंह चोद रहा था और ऋतू अपनी जीभ से उसकी चूत.
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