RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
गीलेपन की वजह से ऋतू के शारीर में एक अजीब सी सिहरन दौड़ गयी, उसने मेरे मुंह को जबरदस्ती हटाया और बीच में से ब्रा को हटाकर फिर से अपना चुचा पकड़कर मेरे मुंह में ठूस दिया, जैसे एक माँ अपने बच्चे को दूध पिलाते हुए करती है, वैसे ही उसने अपना निप्पल मेरे मुंह में डाल दिया , मैंने और तेजी से उन्हें चुसना और काटना शुरू कर दिया..
मैंने एक हाथ नीचे किया और पलक झपकते ही उसकी जींस के बटन खोल कर उसे नीचे खिसका दिया, जींस के साथ-२ उसकी पेंटी भी उतर गयी और उसकी चूत की खुशबू पुरे कमरे में फैल गयी, मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में डाल दो, वो ऐसे अन्दर गयी जैसे मक्खन में गर्म छुरी...वो मचल उठी और उसने अपने होंठ फिर से मेरे होंठो पर रख दिए और चूसने लगी, एक हाथ से वो मेरी जींस को उतारने की कोशिश करने लगी, मैंने उसका साथ दिया और बेल्ट खोलकर बटन खोले, वो किसी पागल शेरनी की तरह उठी और बेड से नीचे उतर कर कड़ी हो गयी, अपनी जींस पूरी तरह से उतारी, मेरी जींस को नीचे से पकड़ा और बाहर निकाल फेंका, मेरा लंड स्प्रिंग की तरह बाहर आकर खड़ा हो गया, वो नीचे झुकी और मेरा पूरा लंड निगल गयी और चूसने लगी, उसकी व्याकुलता लंड को चूसते ही बनती थी, मैंने उसकी कमर पकड़ी और उसे अपनी तरफ घुमा कर 69 की अवस्था में लिटा लिया, मेरा मुंह उसके रस से भर गया, उसका एक ओर्गास्म हो चूका था, मैंने करीब 15 मिनट तक उसकी चूत चाटी, मैं भी झड़ने के करीब था, पर मैं पहले उसकी चूत का मजा लेना चाहता था, मैंने उसे फिर से घुमाया और अपनी तरफ कर के उसकी गीली चूत में अपना मोटा लंड डाल दिया,.....वो चिल्लाई...आआआआआआआअय्य्य्यीईईइ ......चूत काफी गीली थी पर उसके टाईट होने की वजह से अभी भी अन्दर जाने में उसे तकलीफ होती थी...पर मीठी वाली.
मैंने नीचे से धक्के लगाने शुरू किये, उसकी चूचियां मेरे मुंह के आगे उछल रही थी किसी बड़ी गेंद की तरह, मैं हर झटके के साथ उसके निप्प्लेस को अपने मुंह में लेने की कोशिश करने लगा अंत में जैसे ही उसका निप्पल मेरे मुंह में आया...वो झटके दे-देकर झड़ने लगी...और मेरे दाई तरफ लुडक गयी, मैंने अपना लंड निकाला और अब उसके ऊपर आ गया और फिर अन्दर डालकर उसे चोदने लगा...मैंने नोट किया की इस तरह से स्टॉप एंड स्टार्ट तकनीक का सहारा लेकर आज मेरा लंड काफी आगे तक निकल गया... मैंने करीब 5 मिनट तक उसे इसी अवस्था में चोदा, वो एक बार और झड गयी, मैं भी झड़ने वाला था, मैंने जैसे ही अपना लंड बाहर निकालना चाहा उसने मुझे रोक दिया और अपनी टांगें मेरी कमर के चारो तरफ लपेट दी और बोली..."आज अन्दर ही कर दो...." मैं हैरान रह गया पर इससे पहले की मैं कुछ पूछ पाता, मेरे लंड ने पानी उगलना शुरू कर दिया, उसकी ऑंखें बंद हो गयी और चेहरे पर एक अजीब तरह का सकूँ फ़ैल गया, मैंने भी मौके की नजाकत को समझते हुए पुरे मजे लिए और उसकी चूत के अन्दर अपना वीर्य खाली कर दिया, और उसके ऊपर लुडक गया.
उसकी टांगे अभी भी मुझे लपेटे हुए थी, मैंने अपने आप को ढीला छोड़ दिया, मेरा हाथ बगल में सो रही चचेरी बहन नेहा से जा टकराया, मैंने सर उठा कर देखा तो वो अभी भी सो रही थी, और काफी मासूम से लग रही थी, ना जाने मेरे मन में क्या आया, मैंने अपना एक हाथ बड़ा कर उसके चुचे पर रख दिया, वैसे तो वो सिर्फ १५ साल की थी पर उसके उभार काफी बड़े थे, मुझे ऐसे लगा कोई रुई का गुबार हो, मैंने नोट किया की उसने ब्रा नहीं पहनी थी ये महसूस करते ही मेरे लंड ने ऋतू की चूत में पड़े-पड़े एक अंगडाई ली, मेरे नीचे मेरी नंगी बहन पड़ी थी और मैं पास में सो रही चचेरी बहन नेहा के चुचे मसल रहा था.......
मैं उठा और बाथरूम में जाकर फ्रेश हो गया, ऋतू भी मेरे पीछे आ गयी और मेरे सामने नंगी पोट पर बैठ कर मुतने लगी, वो मुझे लंड साफ़ करते हुए देखकर होले -२ मुस्कुरा रही थी, मैंने टॉवेल से लंड साफ़ किया और बाहर आ गया, मैंने अपनी शोर्ट्स पहनी, टी शर्ट उठाई और पहनकर दीवार पर लगे छोटे से शीशे के आगे आकर अपना चेहरा साफ़ करने लगा, शीशा थोडा छोटा और गन्दा था, मैं थोडा आगे हुआ और अपने हाथ से उसे साफ़ करने लगा, मेरे हाथ के दबाव की वजह से वो हिल गया और उसका कील निकल कर गिर गया, मैंने शीशे को हवा में लपककर गिरने से बचाया, मैंने देखा देखा शीशे वाली जगह पर एक छोटा सा होल है, मैं आगे आया और गौर से देखने पर मालूम चला की दूसरी तरफ भी एक शीशा लगा हुआ है पर शीशे के उलटी तरफ से देखने की वजह से वो पारदर्शी हो गया था , और इस वजह से मैं दुसरे कमरे में देख पा रहा था, वो कमरा अजय चाचा का था. वो खड़े हुए अपनी बीयर पी रहे थे.
अब तक ऋतू भी बाथरूम से वापिस आ चुकी थी, और कपडे पहन रही थी, मैंने उसे इशारे से अपनी तरफ बुलाया, वो आई और मैंने उसे वो शीशे वाली जगह दिखाई, वो चोंक गयी और जब सारा माजरा समझ आया तो हैरानी से बोली..."ये तो चाचा का कमरा है ..क्या वो हमें देख पा रहे होंगे."
मैं :"नहीं, ये शीशे एक तरफ से देखने वाले और दूसरी तरफ से पारदर्शी है...ये देखो" और मैंने उसे अपने रूम का शीशा दोनों तरफ से दिखाया.
उसके चेहरे के भाव बदलते देर नहीं लगी और उसके चेहरे पर एक शरारती मुस्कान तैर गयी और बोली..."ह्म्म्म तो अब तुम अपनी बहन के बाद चाचा के कमरे की भी जासूसी करोगे...."
"चोरी छुपे देखने का अपना ही मजा है" मैंने कहा!!
वो हंस पड़ी और हम दुसरे कमरे में देखने लगे.
अब चाचा बेड के किनारे पर खड़े हुए अपने कपडे उतार रहे थे, उन्होंने अपनी शर्ट और पैंट उतार दी और सिर्फ अंडर्वीयर में ही बैठ गए, आरती चाची बाथरूम से निकली और चाचा के सामने आकर खड़ी हो गयी, उन्होंने नाईट गाउन पहन रखा था, अजय ने अपना मुंह चाची के गुदाज पेट पर रगड़ दिया और उसके गाउन की गाँठ खोल दी, चाची ने बाकी बचा काम खुद किया और गाउन को कंधे से गिरा दिया, नीचे उसने सिर्फ पेंटी पहन राखी थी, चाची के मोटे-२ चुचे बिलकुल नंगे थे और अजय के सर से टकरा रहे थे, मैंने इतने बड़े चुचे पहली बार देखे थे..मेरे मुंह से वाउ निकल गया.
ऋतू जो मेरे आगे खड़ी हुई थी उसने मेरी तरफ देखा और मुस्कुरा दी....और बोली "वाह...आरती आंटी की ब्रेस्ट कितनी बड़ी और सुंदर है..तुम्हारी तो मनपसन्द चीज है न इतनी बड़ी चूचियां..है ना ??" मैंने सिर्फ हम्म्म्म कहा और दोबारा वो हीं देखने लगा.
मेरा लंड अब फिर से खड़ा हो रहा था और ऋतू की गांड से टकरा रहा था.
अजय ने आरती की कच्छी भी उतार दी और उसे पूरा नंगा कर दिया...क्या चीज है यार...मैंने मन ही मन कहा, चाची का पूरा शरीर अब मेरे सामने नंगा था, उसकी बड़ी-२ गांड, हलके बालों वाली चूत और बड़ी-२ चूचियां देखकर मेरा इस कमरे में बुरा हाल था, अजय ने ऊपर मुंह उठाकर चाची का एक चुचा मुंह में ले लिया और उसे चबाने लगा, चूस वो रहा था और पानी मेरे मुंह में आ रहा था.
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