RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
चाची थोड़ी देर तक अपने चुचे अजय से चुसवाती रही और खड़ी हुई मचलती रही, फिर उसने अजय को धक्का देकर लिटा दिया और उसका अंडर्वीयर एक झटके से निकाल फैंका, उसका लंड देखकर अब ऋतू के मुंह से वाउ निकला...वो काफी बड़ा था, मेरे लंड से भी बड़ा और मोटा, काले रंग का था, उसकी नसे चमक रही थी, चाची ने अजय का लंड अपने मुंह में डाला और उसे चूसने लगी, अजय ने अपनी ऑंखें बंद कर ली और मजे लेने लगा, आरती के मोटे-२ चुचे झटको से ऊपर नीचे हो रहे थे, आधी बैठने की वजह से उसकी गांड बाहर की तरफ उभर कर काफी दिलकश लग रही थी...मैं तो उसके भरे हुए बदन का दीवाना हो गया था.
अचानक अजय के रूम का दरवाजा खुला और मेरी माँ कमरे में दाखिल हुई, मैं उन्हें एकदम देखकर हैरान रह गया, उन्होंने नाईट गाउन पहन रखा था, पर उन्हें आरती को अजय का लंड चूसते देखकर कोई हैरानी नहीं हुई, आरती ने सर उठा कर माँ को देखा तो वो भी बिना किसी हैरानी के उन्हें देखकर मुस्कुरा दी और फिर से लंड चूसने में लग गयी.
जितना हैरान मैं था, उतनी ही ऋतू भी, वो मुंह फाड़े उधर देख रही थी, और फिर हैरानी भरी आँखों से मेरी तरफ देखा और आँखों से पूछा ये क्या हो रहा है ...मैंने अपने कंधे उचका दिए और सर हिला दिया ...मुझे नहीं मालुम कहने के स्टाइल में...
हमने वापिस अन्दर देखा, माँ अब बेड पर जाकर उनके पास बैठ गयी थी, वो दोनों अपने काम में लगे हुए थे और हमारी माँ, चाची को अजय चाचा का लंड चूसते हुए देख रही थी...मेरा तो दिमाग चकरा रहा था, की ये सब हो क्या रहा है.
अब अजय उठा और मेरी माँ को देखकर मुस्कुराते हुए घूमकर नीचे बैठ गया और आरती को अपनी वाली जगह पर वैसे ही लिटा दिया, मेरी माँ ने भी अजय को निहारा और एक मोहक सी स्माइल दी , चाचा ने अपना मुंह आरती की सुलगती हुई चूत पर लगा दिया...
आआआआआआआआआआआआआअह्ह्ह..म्मम्मम्मम्म ......आआआआआआआह्ह्ह
पूरा कमरा चाची की गरम आह से गूंज उठा...मेरी माँ आगे आई और बेड पर आधी लेट गयी और अपने हाथ से चाची के बालों को सहलाने लगी, अजय पूरी तन्मन्यता से चाची की चूत चाट रहा था, अचानक उन्होंने एक हाथ बढाकर मेरी माँ के गाउन में डाल दिया, मेरी हैरानी की कोई सीमा न रही जब मेरी माँ ने अजय को रोकने के बजाय अपनी टाँगे थोड़ी और चोडी कर ली और अजय के हाथ को अपनी चूत तक पहुचने में मदद की....मैं ये देखकर सुन्न रह गया.
मेरी माँ पूर्णिमा अब चाची के बगल में उसी अवस्था में लेट गयी और अपनी ऑंखें बंद कर ली. और फिर उन्होंने अपने गाउन को खोला और अपने सर के ऊपर से घुमा कर उतार दिया और अब वो भी चाची की तरह बेड पर उनकी बगल में नंगी लेती हुई थी.
मैंने पहली बार अपनी माँ को नंगा देखा था.
मैं उनके बदन को देखता रह गया, अब समझ आ रहा था की ऋतू किसपर गयी है, साफ़ सुथरा रंग, मोटे और गोल गोल चुचे, ऋतू से थोड़े बड़े पर आरती से छोटे, और उनपर पिंक कलर के निप्पल्स, अलग ही चमक रहे थे.
उनका सपाट पेट, जिसपर ऑपरेशन के हलके मार्क्स थे, और उसके नीचे उनकी बिलकुल साफ़ और चिकनी बिला बालों वाली चूत. हालांकि हम दुसरे कमरे में थे पर उनकी चूत की बनावट काफी साफ़ दिखाई दे रही थी.
मेरा तो लंड खड़ा हो कर फुप्कारने लगा. जो ऋतू की गांड ने महसूस किया. उसने अपनी गांड का दबाव पीछे करके मेरे लंड को और भड़का दिया.
अजय अपनी पत्नी की चूत चाट रहा था और अपनी भाभी की चूत में अपनी उंगलियाँ डालकर उन्हें मजा दे रहा था, पुरे कमरे में दो औरतों की हलकी-२ सिस्कारियां गूंज रही थी. फिर अजय ने अपना चूत में भीगा हुआ सर उठाया और अपनी भाभी की चूत पर टिका दिया.
वो एकदम उछल पड़ी और अपनी ऑंखें खोलकर अजय को देखा और उसके सर के बाल हलके से पकड़ कर उसे अपनी चूत में दबाने लगी. अजय दुसरे हाथ से चाची की चूत को मजा दे रहा था. मुझे और ऋतू को विश्वास नहीं हो रहा था की हमारी माँ इस तरह की हो सकती है, मेरे मन में ख्याल आया की पता नहीं पापा को इसके बारे में कुछ मालुम है के नहीं की उनकी बीबी उन्हीके छोटे भाई के साथ मस्ती कर रही है और अपनी चूत चटवा रही है.
पुरे कमरे में सेक्स की हवा फैली हुई थी.
मैंने घडी की तरफ देखा, रात के 11 :30 बज रहे थे, नेहा सो रही थी, मैं और ऋतू अजय चाचा के रूम में बीच से बने रोशनदान से देख रहे थे, और हमारी माँ अपने देवर अजय और देवरानी आरती के साथ नंगी पलंग पर लेटी मजे ले रही थी.
मेरा दिमाग सिर्फ ये सोचने में लगा हुआ था की मम्मी ये सब अजय चाचा के साथ कब से कर रही है, चाची को इससे कोई परेशानी क्यों नहीं है, और पापा को क्या इस बारे में कुछ भी मालुम नहीं है ?
पर मुझे मेरे मेरे सभी सवालों का जवाब जल्दी ही मिल गया.
पापा कमरे में दाखिल हुए, बिलकुल नंगे..उनका लंड खड़ा हुआ था और वो सीधे बेड के पास आये और नंगी लेटी हुई आरती चाची की चूत में अपना लंड पेल दिया..
मेरी और ऋतू की हैरानी की सीमा न रही.
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