RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
आआआआआह अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ssssssssssss......................... अहहहः आहा हाहा हा हा हा हा अ हा हह्ह्ह म्मम्म.
ऋतू और चाची अजीब तरह से हुंकार रही थी. पुरे कमरे में सेक्स का नया दौर शुरू हो चूका था.
मेरा लंड भी तन कर खड़ा हो चूका था, पर इतनी चुदाई के कारण वो दर्द भी कर रहा था, इसलिए मैंने दूर बैठे रहना ही उचित समझा.
चाचू ने नेहा के गोल चूतड़ों को पकड़ा और नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए, नेहा की सिस्कारियां चीखों में बदल गयी और जल्दी ही वो झड़ने लगी..
आआआआआअह्ह अह्ह्ह अहः अहः अ अहः अ आहा हा हा./////पपाआआआअ मैं आयीईईईइ ......ऊऊऊऊओ .....ऊऊऊऊऊऊऊऊऊ......ऊऊऊऊऊऊऊऊ..................................... आआआआआआह्ह..
और उसने अपने रस से पापा के लंड को नहला दिया. और अपने मोटे-२ चूचो को उनके मुंह पर दबा कर वहीँ निढाल हो कर गिर पड़ी.
चाचू ने उसे नीचे उतारा और उसकी टांगो को अपने हाथों से पकड़ कर ऊपर उठाया और अपना लंड उसकी चूत में फिर से डाल दिया, और लगे धक्के देने, उनका भी तीसरा मौका था, इसलिए झड़ने में काफी समय लग रहा था, पर जल्दी ही अपने नीचे पड़ी अपनी बेटी के मोटे-२ मुम्मे हिलते देखकर वो भी झड़ने लगे और अपना रस उसकी चूत के अन्दर उड़ेल दिया और उसकी छाती के ऊपर गिर कर हांफने लगे. नेहा ने उनके चारों तरफ अपनी टाँगे लपेट ली सर पर धीरे-२ हाथ फेरने लगी.
चाची और ऋतू की चूत भी आपसी घर्षण की वजह से जल उठी और उनका लावा भी निकल पड़ा और उन्होंने झड़ते हुए एक दुसरे को चूम लिया.
मैं ये सब देखकर बेड के एक कोने में बैठा मुस्कुरा रहा था.
थोड़ी देर लेटने के बाद चाचू और चाची चले गए, उनके जाते ही ऋतू और नेहा ने एक दुसरे की चूत चाटकर साफ़ कर दी और हम तीनो वहीँ नंगे लेट गए, दुसरे कमरे में जाकर चाची ने शीशा हटा कर देखा और अपनी नंगी बेटी को मेरी बगल में लेटते हुए देखकर वो मुस्कुरा दी.
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अगले दिन सुबह हम तीनो, यानि मैं, ऋतू और नेहा नाश्ता करने के बाद पहाड़ी की तरफ चल दिए, ऋतू आगे चल रही थी, वो वहीँ कल वाली जगह पर जा रही थी, उस ऊँची चट्टान पर, मैं और नेहा उसके पीछे थे, नेहा ने अपने हाथ मेरी कमर पर लपेट रखे थे और मैंने उसकी कमर पर, बीच-२ में हम एक दुसरे को किस भी कर लेते थे, बड़ा ही सुहाना मौसम था, आज धुप भी निकली हुई थी.
नेहा थोडा थक गयी और सुस्ताने के लिए एक पेड़ के नीचे बैठ गयी, मैं भी उसके साथ बैठ गया, ऋतू आगे निकल गयी और हमारी आँखों से ओझल हो गयी.
नेहा ने अपने होंठ मेरी तरफ बड़ा दिए और में उन्हें चूसने लगा, मैंने हाथ बड़ा कर उसके सेब अपने हाथों में ले लिए और उनके साथ खेलने लगा, उसे बहुत मजा आ रहा था, मेरा लंड भी खड़ा हो चुका था, पर तभी मेरा ध्यान ऋतू की तरफ गया और मैं जल्दी से खड़ा हुआ और नेहा को चलने को कहा, क्योंकि वो जंगली इलाका था और मुझे अपनी बहन की चिंता हो रही थी, हम जल्दी-२ चलते हुए चट्टान के पास पहुंचे और वहां देखा तो ऋतू अपने उसी पोस में बैठी थी, अपने कपडे उतार कर, बिलकुल नंगी.
"तुम क्या रास्ते में ही शुरू हो गए थे, इतनी देर क्यों लगा दी ?" उसने हमसे शिकायती लहजे से पूछा.
नेहा ने जब देखा की ऋतू नंगी है तो उसने भी अपनी लोन्ग फ्रोक्क को नीचे से पकड़ा और अपने सर से उठा कर उसे उतार दिया, वो नीचे से बिलकुल नंगी थी और वो भी जाकर अपनी बहन के साथ चट्टान पर लेट गयी, अब मेरे सामने दो जवान नंगी लड़कियां बैठी थी, मेरा लंड मचल उठा और मैंने भी अपने कपडे बिजली की फुर्ती से उतार डाले.
नेहा ने मेरा लंड देखा तो उसकी आँखों में एक चमक सी आ गयी, वो आगे बड़ी तभी ऋतू ने उसे पीछे करते हुए कहा "चल कुतिया पीछे हो जा, पहले मैं चुसुंगी अपने भाई का लंड"
नेहा को विश्वास नहीं हुआ की ऋतू ने उसे गाली दी, पर जब हम दोनों को मुस्कुराते हुए देखा तो वो समझ गयी की आज गाली देकर चुदाई करनी hai, तो वो भी चिल्लाई "तू हट हरामजादी, अपने भाई का लंड चूसते हुए तुझे शर्म नहीं आती भेन की लोड़ी, कमीनी कहीं की...." और उसने ऋतू के बाल हलके से पकड़ कर पीछे किया और झुक कर मेरे लम्बे लंड को मुंह में भर लिया.
ठन्डे मौसम में मेरा लंड उसके गरम मुंह में जाते ही मैं सिहर उठा.
"अच्छा तो तो इससे चुसना चाहती है, ठहर मैं तुझे बताती हूँ..."और ये कहते ही उसने नेहा की गांड को थोडा ऊपर उठाया और अपनी जीभ रख दी उसके गांड के छेद पर..
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