Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
12-13-2020, 03:04 PM,
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
दादाजी की इतनी खुली बात सुनकर दुलारी को अपने कानो पर विश्वास नहीं हुआ..और उसके गाल शर्म से लाल सुर्ख हो गए..
दुलारी : "अरे लालाजी...आज कैसी बाते कर रहे हो...लगता है शहर की हवा लग गयी है तुम्हे..."
दादाजी : "शहर में क्या-२ होता है..तुझे क्या मालुम पगली..पर हां, मैं इतना जरुर जानता हु की मैंने अपनी जिन्दगी के पिछले 10 साल ऐसे ही बर्बाद कर दिए.. पर बस अब और नहीं...जिन्दगी का क्या भरोसा..आज है, कल नहीं, इसलिए जितने मजे लेने है, आज ही ले लो बस..."
दुलारी , दादाजी की बात सुनकर उनके पास आई और उनके मुंह पर अपने कोमल हाथ रखकर बोली : "शुभ-२ बोलो लाला...आपको तो मेरी भी उम्र लग जाए..ऐसी बात मत करना आज के बाद..वर्ना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा.."
दादाजी ने दुलारी की आँखों में पता नहीं क्या देखा, उन्होंने, उसके हाथो पर अपने हाथ रख दिए..और उसकी उँगलियों को चूम लिया... दुलारी के पुरे शरीर में एक करंट सा दौड़ गया...उसने झटके से अपना हाथ पीछे खींच लिया : "लालाजी...ये क्या..."
दादाजी ने जब उसे घबराकर पीछे होते देखा तो उन्होंने अपराध भाव जैसा चेहरा बनाते हुए, दुलारी से मुंह फेर लिया.. दुलारी को लगा की शायद दादाजी उससे नाराज हो गए हैं..वो उन्हें अपना भगवान् मानती थी शायद इसलिए उनसे ऐसी उम्मीद नहीं की थी उसने.. वो थोड़ी देर तक सोचती रही और फिर कुछ सोचकर अपनी आँखे बंद की और एक गहरी सांस लेकर दादाजी से बोली :
"लालाजी..मैं समझती हुँ...जब से मालकिन गयी है, आपने किसी की तरफ आँख उठा कर नहीं देखा..पर आपके मन में क्या चल रहा है, ये किसी ने जानने की कोशिश नहीं की.. मेरा पति भी जब छोड़कर भाग गया था तो सिर्फ आपने मुझे सहारा दिया था और गाँव वालो के मुंह भी आपने ही बंद किये थे.. मुझे पता है की अपने शरीर को वो सुख न मिले तो कैसा लगता है...वही हाल आपका भी था लालाजी... पर अब लगता है की आपसे सबर नहीं हो पा रहा है... और मैं पिछले दस सालो से आपकी दासी बनकर रह रही हु...अगर आपकी यही इच्छा है तो मैं आज भी आपको मना नहीं करुँगी...आपको जो करना है, कर लो.."
ये कहते हुए दुलारी घूमकर दादाजी के सामने आ गयी और अपना दुप्पट्टा निकाल कर चारपाई पर फेंक दिया..और उसके दोनों मुम्मे, कुरते में फंसे हुए से, दादाजी की आँखों के सामने उजागर हो गए.
दादाजी : "नहीं दुलारी..तू मुझे गलत समझ रही है, मैं तुझे दासी की तरह नहीं..रानी की तरह रखना चाहता हु...तेरे से ब्याह करना चाहता हु मैं..."
दादाजी की बात सुनकर दुलारी के साथ-२ मेरा और ऋतू का भी मुंह खुला का खुला रह गया..ये बुढ़ापे में दादाजी को शादी की क्या सूझी...!!
दादाजी ने कुछ देर तक चुप रहने के बाद कहा : "पर तू तो जानती है...ये गाँव वाले इस तरह के रिश्ते को नहीं मानेंगे...और तुझे आगे चलकर रूपा का ब्याह भी करना है..."
दुलारी : "मैं जानती हु लालाजी...पर आपने मेरे बारे में इतना सोचा, मेरे लिए वो ही बहुत है...आप नहीं जानते की आपने मुझे कितनी बड़ी ख़ुशी दी है...
आपने ये बात करके मुझे खरीद लिया है...मेरे नीरस से जीवन में आज पहली बार बहार सी आई है...आप फिकर मत करो...कुछ रिश्तो को नाम देने की जरुरत नहीं होती लाला..
आज से और अभी से मेरा तन मन आपका है...आप जो भी कहेंगे मैं किसी नोकर की तरह नहीं, बल्कि आपकी पत्नी की तरह मानूंगी...और बाहर वालो के लिए मैं वही रहूंगी...आपकी दासी.." ये बोलते-२ उसकी आँखों से आंसू बहने लगे थे... और उसने आगे बढकर दादाजी को अपने गले से लगा लिया...दादाजी का कद दुलारी से लगभग २ फूट ज्यादा था...वो उनके कंधे से भी नीचे आ रही थी...दादाजी की धोती से झांकता हुआ उनका हथियार दुलारी के पेट से टकरा रहा था...
दादाजी ने दुलारी के चेहरे को ऊपर किया और उसके होंठो को चूमने लगे...दादाजी के चूमने भर से दुलारी उनके हाथो में पिघलने सी लगी...वो लटक सी गयी उनकी बाहों में... दादाजी ने उसके कुरते के ऊपर से ही उसके दोनों मुम्मो को पकड़ा और उन्हें मसल दिया..
दुलारी : "धीरे दबाओ लाला...पिछले कई सालो से इन्हें किसी ने छुआ भी नहीं है...आराम से..अह्ह्ह्ह.."
पर दादाजी को तो आप जानते ही हैं...उन्होंने जब सोनी की चुदाई की थी तब तो कितने जंगली से हो गए थे, ठीक वैसे ही वो आज हो रहे थे... सोनी की चूत में तो कई लंड जाकर उसे चौडा़ कर चुके थे पर उसके बावजूद दादाजी ने उसकी चूत का जो कबाड़ा किया था..बेचारी लंगडाती हुई गयी थी उनके कमरे से...और शायद उनके लंड को याद करके वो दिल्ली में अभी भी तड़प रही होगी...
आज भी दादाजी के तेवर वैसे ही थे...जो हाल सोनी का हुआ था, वोही आज दुलारी का होने वाला था...ये मुझे और ऋतू को अच्छी तरह से मालुम था... दादाजी ने दुलारी की बातो पर कोई ध्यान नहीं दिया...और उसके कुरते के ऊपर से ही उनके मुम्मे दबाते हुए उन्होंने उसे फाड़ना शुरू कर दिया...
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