Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस
12-27-2020, 01:08 PM,
#31
RE: Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस
Update 24

अपनी बेटी के मुंह से इतनी गंदी जुबान से यह शब्द सुनकर सोमनाथ को कानों पर विश्वास नहीं हुआ और उसके जोश की सीमा ना रही ।

फिर अपना चेहरा उपासना के कान के पास ले जाकर बोला - उपासना बेटी मैंने भी रंडियां तो बहुत देखी पर तेरे से नीचे नीचे ।

सोमनाथ ने जब यह कहा तो उसने सोचा था कि उपासना मेरे इन शब्दों से और ज्यादा गरम हो जाएगी, लेकिन दोस्तों हुआ उसका उल्टा ही ।

जैसे ही सोमनाथ ने उसके कान में ऐसा कहा तो उपासना ने फिर से उसकी छाती में तुरंत एक जोरदार लात मारी। सोमनाथ बेड से नीचे जा गिरा।
उस भारी-भरकम घोड़ी की लात खा कर सोमनाथ की आज फिर से सदमे जैसी हालत हो गई थी।
उसे समझ नहीं आ रहा था की उपासना ने आज क्यों लात मारी। आज तो वह खुद भी गरम हो रही थी। और शाम से ही चुदने के लिए तड़प रही थी।
लेकिन उसने आज फिर से मुझ में लात मारी जरूर उसे मैंने गुस्सा दिला दिया या कोई और बात है ।
सोमनाथ ऐसा सोच ही रहा था कि तभी उसकी नजर सामने बेड पर बैठी उपासना पर पड़ी। जो बेड पर अपने पैर नीचे लटका कर बैठी थी, और धीरे-धीरे कुटिल मुस्कान के साथ मुस्कुरा रही थी ।

मुस्कुराते हुए बोली - मुझे तू रंडी बोलता है जबकि सच तो यह है कि तु मुझे देखता ही रंडियों की तरह है, इन रंडियों वाली वाली नजर से किसी भी शरीफ औरत को देखेगा तो वह तुझे रंडी ही नजर आएगी , और इन्हीं रंडियों वाली नजर से तूने अपनी बेटी को देखा था और आज तूने अपनी जबान से उगल भी दिया मुझे रंडी कहकर । मुझे अफसोस है तुझे अपना बाप कहते हुए ।आखिर तू राजी ही कैसे हो गया अपनी बेटी के बारे में ऐसा सोचने के लिए ।

दोस्तों धर्मवीर का दिमाग एकदम सुन पड़ गया था उसे इन बातों का जवाब तो दूर उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि गलती मेरी है या उपासना की या हम दोनों की। आखिर माजरा क्या है इतना ज्यादा परेशान और शर्म से अपने बारे में सोचते हुए मुंह छुपा कर सोमनाथ बैठा हुआ था।
उसे आने वाले पलों का अहसास नहीं था कि आगे क्या होने वाला है तभी उसके कानों में फिर से उपासना की आवाज पड़ी ।

उपासना - अपनी गर्दन नीचे झुकाकर क्यों बैठा है कुत्ते । तुझे अपनी बेटी को चोदना था ना ,
यही ख्वाहिश थी ना तेरी कि तेरी बेटी तुझ से चुदवाये,
यही चाहता था ना कि तेरी बेटी तेरी टांगों के नीचे आ जाये,
सिसकारियां लेकर बोली उपासना
बोल जो मैं पूछ रही हूं यही चाहता ना तू कि तेरी बेटी नंगी तेरे लोड़े के नीचे आ जाए और तू अपनी बेटी की चूत में अपना लंड भर सके ।

यह सुनकर सोमनाथ थोड़ा गर्म होने लगा । अपनी बेटी से खुलेआम इस तरीके से पेश आने की उसकी उम्मीद थी। लेकिन फिर भी उपासना सब कुछ खुलेआम उसके सामने कह रही है तो इसे मैं एक न्योता समझूं या गुस्सा।
अभी तक यह फैसला नहीं कर पा रहा था सोमनाथ ।

उपासना ने फिर से बोलना शुरू किया- अभी शाम को इतनी बातें बना रहा था अब तेरी मुंह में जबान नहीं रही क्या ,
तू यही तो चाहता था कि मैं थोड़ा खुल सकूं मैं थोड़ा खुल कर तुझ से बात कर सकूं, तो कर तो रही हूं अब देखना बिल्कुल खुल कर बात कर रही हूँ।
तेरे मुंह पर टेप किसने लगा दी जो तू बोलता नहीं , मैं तो तेरी उम्मीदों से दो कदम आगे निकली हूं अब तू क्यों चुप है। तुझे क्यों सांप सूंघ गया है मैंने तो कोई कसर नहीं छोड़ी तेरी उम्मीदों पर खरी उतरने में।
देख ले तू चाहता था कि मैं तेरे सामने नंगी हो जाऊं तो तूने आज मुझे कर दिया नंगी, मैं इस बेड पर मादरजात नंगी बैठी हूं
तू चाहता था कि मैं तुझे प्यार करूं सॉरी मैं गलत बोल गई तू तो यह चाहता ही नहीं था कि मैं तुझे प्यार करूं बल्कि तू यह चाहता था कि मैं तुझ से अपनी चूत का भोसड़ा बनवा लूं , तो ले बैठी तो हूं बेड पर अपनी चूत खोले।
तू चाहता था कि मैं तेरा लोड़ा अपने मुंह में लूं तो देख बैठी तो है तेरी बेटी तेरा लंड मुंह में लेने के लिए ।
तू चाहता था कि मैं तेरे नीचे आकर चुदूं अपनी गांड उठा उठा कर तो चल मैं उसके लिए भी तैयार हूं ।अपनी गांड उठा उठा कर ही चुदूंगी तुझसे ।
तू चाहता था कि मैं तेरे लंड से निकला वीर्य अपनी चूत में भर लूं तो चल वो भी भर लूंगी।
तू चाहता था कि तू अपना मुंह मेरी गांड में घुसा कर मेरी गांड से खेले चल मैं उसके लिए भी तैयार हूं।
और सबसे लास्ट में यह कहूंगी कि तू चाहता था कि तू मुझे रंडी की तरह रगड़ दे ,तू मुझे अपनी कुतिया बनाकर चोदे तो मैं इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं हूँ............................................. क्योंकि तुझे भी तेरे किए की सजा मिलनी चाहिए । तुझे भी पता चलना चाहिए कि जब एक औरत अपनी पर आती है तो मर्द को कुत्ता बना देती है , और आज मैं तुझे अपना कुत्ता बनाऊंगी और तू किसी कुत्ते की तरह अपनी मालकिन की सेवा करेगा ।
तुझे आज मैं दिखाऊंगी कि जब औरत अपनी पर आती है तो वह किसी की रंडी और रखैल नहीं बनती बल्कि अपने बाप को भी गुलाम बनाकर उसकी मालकिन बन जाती है ।

चल बहन के लोड़े खड़ा हो और इधर आ मेरे पैरों में यह सुनकर सोमनाथ के पैरों के नीचे से जमीन ही निकल गई ।

उसे उम्मीद ही नहीं थी ऐसा भी कुछ हो सकता है।
उसे उम्मीद नहीं थी उसकी बेटी ही उसकी आंखें खोल देगी ।
लेकिन जहां अब वह खड़ा था वहां से लौटना मुश्किल था।
उसने उपासना के इस रूप की उम्मीद तो दूर सोच तक भी नहीं की थी ।
अब तो सोमनाथ चुपचाप खड़ा हुआ और गर्दन झुका कर उपासना के सामने जाकर खड़ा हो गया ।

उपासना की आवाज कमरे में गूंजी - नीचे बैठ भोसड़ी के ।

सोमनाथ चुपचाप नीचे बैठ गया उपासना ने अपना पैर उसके मुंह के सामने कर दिया । सोमनाथ ने देखा की पैरों पर मेहंदी लगी हुई थी और बिल्कुल चिकने गोरे पैरों पर लाल मेहंदी ऐसे शोभा दे रही थी जैसे वृक्षों पर फल।
उपासना के पैरों में से निकलती हुई भीनी भीनी परफ्यूम की खुशबू सोमनाथ के नथुनों में भर रही थी ।

(( दोस्तों अब आप यह सोच रहे होगे कि यह राइटर तो भाई पैरों में भी परफ्यूम की खुशबू लिख देता है । तो दोस्तों यह सब मैं बस लिखता ही जा रहा हूं उसी तरह आप बिना सोचे पढ़ते जाओ ))

सोमनाथ उपासना के पैरों को देख ही रहा था अपने ख्यालों में डूबा हुआ कि तभी उसके कानों में उपासना की आवाज पड़ी जिसमें रौब और गुरूर दोनों थे ।

उपासना- तेरे जैसा गांडू मैंने भी आज तक नहीं देखा अगर मैं यह बोलूं तो तुझे कैसा लगेगा जलील लगेगा ना तुझे ।जलालत फील करेगा ना तू तो अपनी बेटी के कानों में जब तूने यह बोला कि सारी रंडियां तेरे से नीचे नीचे है तो सोच मुझे कैसा फील हुआ होगा । जलालत फील हुई होगी ना मुझे। लगा होगा ना बुरा। अब मैं तुझे बताती हूं की जलालत कैसे फील होती है।
असली जलालत मैं तुझे फील कराउंगी। तुझे पता चलेगा एक औरत का बदला ।

सोमनाथ को फिर से झटका लगा आज तो उसे झटके ही झटके लगते जा रहे थे और अपने मन में सोमनाथ सोचने लगा - उधर धर्मवीर साला मस्ती से पूजा की चूत को कूट रहा होगा और मेरी यहां मा चुदी पड़ी है, यहां मेरी गांड फाड़ के रख दी उपासना ने । यह सोमनाथ सोच रहा था की उपासना की आवाज से वह ख्यालों से बाहर आया।

उपासना - ओ गंडवे क्या सोच रहा है दिखता नहीं है मालकिन सामने बैठी है। चल मेरे पैरों को साफ कर आज गंदे गंदे से लग रहे हैं ।

सोमनाथ ने अपनी जीभ उपासना के पैरों पर फेरी और उसके पैरों को चाट कर साफ कर दिया।

फिर उपासना बेड से उतरी और गेट के पास जाकर खड़ी हो गई ।
उपासना जब खड़ी थी तब उसकी पीठ सोमनाथ की तरफ थी
जिससे कि उसके मोटे मोटे कूल्हे बिल्कुल नंगे सोमनाथ की तरफ थे ।
ऊपर से उसका शरीर बिल्कुल ऐसा लगता था जैसे लोड़े की भूखी कोई प्यासी औरत खड़ी हो ।।

उपासना ने कहा - भोंसड़ी के आंखें फाड़ फाड़ के क्या देख रहा है आकर मेरी गांड चाट दे थोड़ी सी ।

यह सुनकर सोमनाथ खड़ा होकर उपासना के पास आने लगा कि तभी एक रौबदार आवाज मैं उपासना ने गरज कर कहा - तू कुत्ता है गांडू है और तेरे जैसे कुत्ते और गांडू मेरे जैसी संस्कारी बेटी के पास खड़े होकर आएंगे क्या।
इतनी हिम्मत कैसे आ गई तुझ में , अपनी औकात में आ नीचे फर्श पर कुत्ता बनकर ।

अब तो दोस्तों सोमनाथ के लोड़े लग गए थे अपने मन में यही सोच रहा था कि कहां मैं चूत का इंतजाम समझ कर चूत बजाने के लिए आया था लेकिन यहां तो मेरी ही गांड उल्टी फट रही है । मैंने सोचा था कि जब उसकी चूत में लौड़ा भरूंगा तो यह कुत्तिया ओह आह की तरह सिसकारियां भरेगी । लेकिन यहां तो मेरी सिसकारियां निकलने को तैयार हैं । भोसड़ी का इतना इंसल्ट अपना कभी नहीं हुआ । इससे तो अच्छा था मैं इस के चक्कर में आता ही नहीं पर मेरी भी क्या गलती मुझे तो धर्मवीर ने गुमराह किया था।
और जिसमें की यह साली मेरी बेटी उसकी बहू होकर उसके लोड़े पर नाची थी तो मैं क्या कोई भी गुमराह हो सकता है। मुझे क्या पता थी कि मेरे साथ ऐसा होगा। मैंने तो यही सोचा था कि मेरे भी लोड़े पर नाच लेगी पर यहां तो उल्टा हो रहा है ।

दोस्तों अब तक उपासना उसके पास आ चुकी थी और उसके गाल पर एक जोरदार तमाचा मार कर बोली - रंडी के क्या सोच रहा है मैंने बोला था ना आकर मेरी गांड चाट दे। इतनी देर हो गई मुझे कहे हुए और तेरे कान पर अब तक जो जूं भी नहीं रेंगी । और ऐसा कहकर उपासना उसकी तरफ पीठ करके खड़ी हो गयी।

सोमनाथ की आंखों के सामने उसके भारी-भारी चूतड़ ऐसे थे जैसे कह रहे हो कि हमें लोड़े की जरूरत है । हमारे चौड़े होने का राज सिर्फ और सिर्फ लंड है ।

सोमनाथ में अपना मुंह उपासना के कूल्हों की तरफ ले जाना शुरू कर दिया। उसकी मोटी मोटी जांघों के बीच में सोमनाथ को अपना मुंह छोटा महसूस हो रहा था ।उपासना के फैले हुए चूतड़ उसके चेहरे को छुपाने के लिए बेताब थे।

सोमनाथ ने अपनी जीभ निकालकर उपासना की गांड की दरार में रखी तो उधर उपासना की भी हालत खराब हो गई क्योंकि चुदने का तो मन आज वह बना चुकी थी ।
अपने बाप की जबान पहली बार अपनी चूत और गांड के इतना करीब महसूस करके उसकी हालत अब खराब होने लगी थी।

उधर सोमनाथ ने भी महसूस किया की उपासना की चूत से उसके मूत की मादक खुशबू उसके नथुनी में आ रही है ।
उसे नशा सा होने लगा उपासना के कौमार्य का।
उसे नशा सा होने लगा होने लगा अपनी जवान बेटी के भरे हुए जिस्म का।
उसे नशा सा होने लगा उपासना की लंड मांगती चूत का और इसी नशे में सोमनाथ ने उपासना के दोनों साइड में हाथ रखकर उपासना की गांड में अपना मुंह घुसा दिया और उसकी नाक उपासना की पानी छोड़ती हुई चूत से जा टकराई। तभी उपासना ने अपनी गांड से ही सोमनाथ की मुंह पर धक्का मारा जिस से सोमनाथ फिर पीछे की तरफ गिर गया क्योंकि धक्का जोरदार था।

तभी उपासना की तेज आवाज कमरे में फिर से गूंजी अपनी औकात भूल गया क्या मेरे कुत्ते। मैंने तुझे गांड चाटने को बोला था अपने जिस्म से खेलने को नहीं । तूने कैसे हिम्मत कि अपने हाथों से मुझे छूने की।
सालों को गांड चाटनी भी नहीं आती चल दोबारा से आकर चाट ऐसा कहकर उपासना बेड पर चढ़ी और कुत्तिया बन गई और अपनी गांड उपासना ने सोमनाथ की तरफ की हुई थी ।

सोमनाथ के जोश की सीमा नहीं थी लेकिन सोमनाथ की गांड बराबर फट रही थी उसे पता नहीं होता था कि उसके साथ क्या होने वाला है।
उसे आज इतने झटके लगे थे कि अब उसने उसके दिमाग ने काम ही करना बंद कर दिया था ।

अपने आप को कठपुतली सा महसूस करने लगा था सोमनाथ क्योंकि उसे समझ में नहीं आता था की उपासना कब और किस बात पर गुस्सा हो जाती है । उसने फिर से उपासना की तरफ देखा तो उपासना बेड पर कोहनी के बल झुकी हुई थी और उसके गांड पीछे को उभरकर बिल्कुल साफ दिख रही थी । उसकी भारी भारी जांघों के बीच हल्का सा अंधेरा सा दिख रहा था सोमनाथ को। जो कि दूर से देखने पर उसकी बेटी उपासना की चूत पर झांटें थी ।

सोमनाथ धीरे-धीरे कुत्ते की तरह बैठ के पास आया और फिर बेड पर उपासना के पीछे बैठ गया ।

वह अपने आप को एक तरह से धन्य भी महसूस कर रहा था उसे यकीन नहीं था कि उसकी बेटी अपनी गांड को इस तरह खोलकर दिखाएगी ।

सोमनाथ ने उपासना को बिना छुए ही उसकी गांड से अपना मुंह लगा दिया और उपासना की पानी छोड़ती हुई चूत ने उसकी नाक और होठों को गिला कर दिया ।
उपासना की चूत की खुशबू सोमनाथ को इतनी मादक लगी कि उसने जीभ की जगह अपनी नाक ही उपासना की चूत के छेद से रगड़ दी ।

उधर उपासना भी सिसकारी ले उठी अपने बाप की हरकत से । इतनी गरम तो वह धर्मवीर से चुदवाते वक्त भी नहीं हुई थी जितनी गर्म आज गई थी।
उसकी आंखों में उसे बस लंड ही दिख रहा था इतनी चुदासी हो गई थी उपासना ।

सोमनाथ ने इस तरह चूत को चाटने के बाद उसके चूतड़ों को चाटने लगा उपासना के नितंबों को अपने थूक से अब गीला करके जांघो की तरफ आया और उन मोटी मोटी जांघों को चाटने लगा ।

तभी उपासना बेड पर सीधी बैठी तो उसकी चूचियां भी उछल रही थी ।
बैठकर उपासना बोली - चल रंडी की औलाद अपनी पैंट उतार

सोमनाथ ने बिना देर किए हुए अपनी पेंट निकाल दी नीचे उसने अंडरवियर नहीं पहना हुआ था । उसका खड़ा लोड़ा उछल कर बाहर आ गया।

उपासना ने जब उसका लंड देखा तो उपासना की आंखों में चमक आ गई क्योंकि उसने यह तो देखा था कि उसके बाप का लोड़ा धर्मवीर के लंड से लंबा है लेकिन इतना अंतर होगा और पास से देखने पर इतना प्यारा लगेगा यह उसने नहीं सोचा था ।

सोमनाथ लोड़े की चमक उपासना की आंखों में साफ देख सकता था लेकिन कुछ बोलने की हिम्मत उसमें नहीं थी क्योंकि उपासना ने उसकी गांड फाड़ कर रखी थी आज।

उपासना ने पास आकर लंड पर एक हल्का सा थप्पड़ लगाया और बोली अपनी बेटी को देख कर भी तेरा यह लंड खड़ा हो रहा है।
चल इसे अपने हाथों से मुट्ठ मार कर दिखा।

सोमनाथ ने अपना लंड हाथ में पकड़ा और आगे पीछे करने लगा।

इस नजारे ने उपासना को इतना उत्तेजित कर दिया कि उसने जोश से अपनी आंखें कुछ सेकंड के लिए बंद कर ली और सोचने लगी - कि क्या लंड उसके बाप का और धन्यवाद कर रही थी भगवान का कि राकेश के बाद उसने इतने लंबे और मोटे लौड़ों का इंतजाम किया है मेरे लिए ।
आज तो मुझे महसूस हो रहा है कि मैं विधवा ही अच्छी हूं कम से कम मेरी जवानी को कूटने वाले लंड तो मिलेंगे ।
मुझे महसूस हो रहा है मेरे पति राकेश तुम्हारा तो लंड नहीं लुल्ली था मुझे तो विधवा होकर देखने को मिल रहे हैं लंड । हां मेरे पति राकेश आज तुम्हारी विधवा पत्नी असली लंड के सामने नंगी बैठी है क्योंकि तुम तो उसे लंड दे नहीं पाते थे तुम तो लुल्ली देते थे । लंड तो मैं आज लूंगी । लंड लंड लंड आज लूंगी मैं लंड । लंड अपने मुंह में , अपनी चूत में अपनी गांड में अपने सारे छेदों में मैं आज लंड लूंगी ।
अपने मन ही मन में लंड के लिए इतनी पागल होकर उपासना ने आंखें खोली तो उसके बाप का लोड़ा उसकी आंखों के सामने लहरा रहा था, जिसमें से पानी की कुछ बूंदें उसके सुपाड़े को गीला कर रही थी ।
उपासना कल्पना कर रही थी कि यह लंड बिल्कुल सही है एक औरत को चोदने के लिए । ऐसे लंड से हर वह घोड़ी संतुष्ट हो सकती है जिसे लंड ही लंड दिखता हो । ऐसा लोड़ा तो अगर कोई रंडी भी ले ले तो उसकी भी चाल में फर्क डाल सकता है । शायद इसे ही हल्लबी लंड कहते हैं ।

अब उपासना सोमनाथ को उंगली का इशारा करते हुए अपने पास आने को बोली ।

उपासना की तरफ सोमनाथ आया और घुटने के बल खड़ा हो गया ।

उपासना ने अपना चेहरा नीचे की तरफ किया सोमनाथ के लंड का टमाटर के जैसा सुपाड़ा उपासना के चेहरे के पास आ गया ।

उपासना ने अपनी नाक और सुपाड़े के नजदीक कर दी जिससे कि सोमनाथ को अपने लंड पर उपासना की गर्म सांसे महसूस होने लगी ।

उपासना ने पूरे लंड को पहले अपनी नाक से सूंघा लंबी लंबी सांसे लेकर और फिर लंड से अपना चेहरा दूर खींच लिया ।

सोमनाथ के लंड की बिल्कुल सीध में अपना मुंह करके उपासना ने हल्का सा मुंह खोल दिया और अपनी उंगली से सोमनाथ को आगे की तरफ बढ़ने का इशारा किया।

सोमनाथ के लिए यह बिल्कुल नया था उसकी बेटी जो आज उसे चुदाई की मालकिन नजर आ रही थी, चुदाई की देवी नजर आ रही थी ।।

सोमनाथ उपासना के मुंह की तरफ बेड पर बढ़ने लगा और आगे की तरफ बढ़ कर उसने होठों के पास लंड ले जाकर रोक दिया क्योंकि सोमनाथ को अब हर बात पर डर लगने लगा था।
सोमनाथ ने सोचा कि ऐसा ना हो मुंह में लंड डाला और कहीं उपासना फिर से नाराज हो गई तो।
इस वजह से उसकी फट भी रही थी जिस वजह से उसने लंड को मुंह के बिल्कुल पास लाकर रोक दिया ।

अब उपासना ने अपनी उंगली से फिर और पास आने का इशारा किया सोमनाथ का लंड अब उपासना के होंठो से छू गया था जिस वजह से सोमनाथ के जेहन में एक लहर सी दौड़ गई ।

उपासना ने अपनी नाक से सोमनाथ के लंड के गीले कपड़े को सुंधा और फिर सोमनाथ से इसी पोजीशन में बोली- मेरे गांडू पापा , मेरे गुलाम , भड़वे, रंडी की औलाद तेरे लंड की खुशबू तेरी मालकिन को भा गई है। तेरी मालकिन तुझसे बहुत खुश है चल मैं तुझे खुश होकर एक वरदान देती हूं।
मांग ले जो तुझे मांगना है ।

सोमनाथ को अभी भी डर ही लग रहा था उसने सोचा यह तो बिल्कुल देवी की तरह मेरे साथ व्यवहार कर रही है । मैं क्या मांगू इससे--- मैं इससे बोलता हूं कि तुम मुझे लात नहीं मारोगी । फिर उसने सोचा अरे नहीं नहीं मैं इस से वरदान मांगता हूं कि तुम मुझे किसी भी तरह का धक्का नहीं दोगी और मेरी बेइज्जती नहीं करोगी । लेकिन तभी अचानक सोमनाथ के सर ने एक झटका खाया और उसकी आंखों में चमक आ गई । उसने सोचा हां मैं यही मांगता हूं लेकिन पहले कंफर्म कर लूं कि पक्का मिलेगा या नहीं ।

यह सोचते हुए सोमनाथ बोला - मालकिन ऐसा तो नहीं कि जो मन में आए मैं मांगू और आप मना कर दो।

तभी उपासना बोली - मुझे तुझसे यही उम्मीद थी क्योंकि तो गांडू है, तू दल्ला है , तू भड़वा है, तू एक नंबर का मादरचोद है क्योंकि तुझे मैंने अभी असली औरत की ताकत का एहसास कराया था और तू फिर भूल गया कि औरत क्या चीज होती है । जब औरत कहती है तो पीछे नहीं हटती इसलिए ज्यादा सोच मत और मांग तू क्या चाहता है कोई भी एक वरदान मांग ले।
अगर वह वरदान मेरी जान भी हुआ तो भी मैं आज तुझे अपनी जान देकर वह वरदान पूरा करूंगी । मांग ले जो तुझे मांगना है ।

सोमनाथ- बोला तो ठीक है मालकिन अगर बुरा लगे तो माफ कर देना क्योंकि मैं आपका गुलाम हूं, अपने इस गुलाम को माफ कर देना अगर मैं कुछ गलत मांग बैठूं तो । या ऐसा वरदान मांग बैठूं जिसे आप पूरा ना कर सको तो इस गुलाम को माफ कर देना।
मैं मांगता हूं मेरा वरदान है कि - मैं कुछ भी करूं तुम उसमें मेरा साथ दोगी मैं जैसे चाहूं वैसे तुम्हें चोद सकूं
अगर मैं रंडी या अपनी कुतिया भी बनाना चाहूं तो बना सकूं ।

यह सुनकर उपासना ने अपनी नाक से सोमनाथ के लंड के गीले सुपाड़े को रगड़ते हुए शायराना अंदाज में कहा- ठीक है दीया यह भी वरदान। तथास्तु मेरे गुलाम ।
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RE: Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस - by desiaks - 12-27-2020, 01:08 PM

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