RE: Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस
शालिनी खुश होते हुए - दिल से धन्यवाद चाचा जी। आज मुझे एहसास हुआ कि आप मुझे अपनी सगी बेटी की तरह ही प्यार करते हैं ।
बलवीर - हां बेटी तुम मेरी अपनी ही हो । लेकिन मैं सोच रहा हूं इसके बदले में तुम्हें भी कुछ मेरे लिए करना चाहिए ।
शालिनी - हां चाचा जी बिल्कुल । बोलिए क्या करे यह शालिनी आपके लिए। मैं तो अपनी फैमिली के लिए अपनी जान भी दे दूं ।
बलवीर अपने चेहरे पर पर कुटिल मुस्कान लाते हुए- मुझे तुम्हारी जान नहीं कुछ और चाहिए ।
शालिनी अभी भी खुशी में ही मग्न थी । उसे आने वाले समय के बारे में कोई भनक नहीं थी और ना ही वह बलवीर की बातों का सही अर्थ समझ पा रही थी ।
शालिनी ने चहकते हुए कहा - आप कहिए तो चाचा जी आपके मुंह से वह ख्वाहिश निकलने से पहले ही मैं उसे पूरी कर दूंगी ।
बलवीर - हां शालिनी यह तो मुझे भी लग रहा है तुम्हारा यह भरा हुआ जवान मदमस्त गदराया हुआ शरीर देखकर कि अब तुम मर्दों की ख्वाहिश पूरी करने लायक हो गई हो ।
बलवीर की यह बात शालिनी के कानों में पड़ते ही उसे झटका लगा ।
उसके चेहरे की खुशी और मुस्कान एक पल में गायब हो गई ।
उसकी आंखें बड़ी हो गई और माथे में एक साथ कई सिलवटें आगयीं।
शालिनी अपने इस चेहरे से हैरानी से बलवीर को देखते हुए बोली- क-क्या मतलब चाचा जी । मैं-मैं कुछ समझी नहीं ।
बलवीर - अरे बेटी तुम गलत समझ रही हो मेरा मतलब है कि मैं काफी दिनों से इंडिया नहीं आया हूं इसलिए मुझे लगता था कि तुम अभी छोटी ही होगी, लेकिन तुम तो बहुत बड़ी हो गई हो ।
बात को संभालते हुए बलवीर बोला
शालिनी- अच्छा वह तो ठीक है चाचा जी लेकिन आपने ऐसे वर्ड्स यूज़ किये हैं जिसे सुनकर मुझे अच्छा नहीं लगा ।
बलवीर हंसते हुए- सॉरी बेटी मेरे मुंह से निकल गया मेरा मतलब यही था कि तुम अब बड़ी हो गई हो ।
शालिनी- इट्स ओके चाचा जी। हां बताइए आपको क्या चाहिए उसके बदले में जो गिफ्ट आपने मुझे दिया है ।
बलवीर - मैं चाहता हूं मेरी बेटी मुझे गले से लगाकर प्यार से धन्यवाद बोले। कम से कम हमें भी तो लगना चाहिए कि शालिनी भी हमें अपना मानती है।
शालिनी खुश होते हुए - ओह चाचूजी जी आई लव माई फैमिली । लेकिन चाचा जी मैं आप को गले लगाकर धन्यवाद बोलूंगी तो आप भी मुझे गले से लगाकर मेरे कान में शुक्रिया बोलना, आखिर हम भी आपकी बेटी हैं । बदला तो ले ही लूंगी हा हा हा हा ।
बलवीर अपनी बाहों को फैलाते हुए- जैसा मेरी बेटी चाहे ।
शालिनी खुशी और प्यार से बलवीर के सीने से लग गई ।
अब बलवीर को उसके कान में शुक्रिया बोलना था ।
जैसे ही शालिनी खुशी से बलवीर के गले से लगी तो बलवीर ने अपने दोनों हाथ शालिनी के भारी कूल्हों पर रखकर उसके कान में कहा - यह एक बार मिल जाए तो मैं तो जीते जी स्वर्ग में पहुंच जाऊंगा , शुक्रिया बेटी ।
शालिनी में जब अपनी गांड पर बलवीर के हाथ महसूस करते हुए अपने कान में यह बात सुनी तो उसे दोबारा से झटका लगा और वह एक साथ उछल कर बलवीर के सीने से दूर हो गई ।
शालिनी हकलाते हुए - क-क-क्या मतलब है आपका ।
बलवीर- अरे बेटी मेरा मतलब है कि तुम्हारी या जादू की झप्पी मुझे एक बार मिल जाती है तो मैं जीते जी स्वर्ग में पहुंच जाता हूं । कितने प्यार से गले लगाती है मेरी प्यारी भतीजी , यह बोला मैंने तो शालिनी , तो बताओ क्या गलत बोला ।
शालिनी अब कंफ्यूज हो चुकी थी अपनी ही सोच से ।
शालिनी को समझ नहीं आ रहा था बलवीर सच में उसे बेटी की तरह बहुत प्यार करता है या बलवीर उससे कुछ और मांगना चाहता है क्योंकि बलवीर की बातें बिल्कुल नहीं लग रही थी कि वह अपनी भतीजी के बारे में गलत सोच सकता है लेकिन बलवीर की हरकतें शालिनी को सोचने पर मजबूर कर रही थी ।
शालिनी नॉर्मल होते हुए और चाची जी- आपने मेरे पीछे क्यों हाथ रखा था बैक पर।
बलवीर- अरे बेटी अपनी बेटी को हाथ लगाने में भी सोचना कैसा। लग गया होगा मेरा हाथ हो सकता है कहीं गलत जगह पर । माफ कीजिए उसके लिए।
बलवीर की इन बातों से शालिनी के दिल में बलवीर की एक इज्जतदार छवि दोबारा से बन गई । गलत बातें अपने दिमाग से निकालती हुई शालिनी बोली- अब तो खुश हो गए ना आपको जादू की झप्पी भी मिल गई ।
बलवीर - हां अब तो मैं खुश हूं बहुत । मैं चाहता हूं कि मेरी बेटी मुझे एक बार और जादू की झप्पी दे फिर हम आराम करते हैं ।
शालिनी - हां हां चाचा जी क्यों नहीं मैं तो थक भी गई हूं। मैं भी आराम करूंगी चलो एक और आपको जादू की झप्पी देती हूं।
बलवीर बोला - ठीक है मैं तुम्हारे कान में शुक्रिया कहूंगा ।
इस बार शालिनी ने नहीं कहा था बलबीर से कि तुम मुझे शुक्रिया बोलना कान में लेकिन फिर भी अब बलबीर ने अपनी तरफ से बोला , क्योंकि बलवीर के दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था ।
शालिनी - ओके चाचा जी शालिनी दोबारा से खुश होते हुए और चहकते हुए प्यार से बलवीर के सीने से लगी ।
बलवीर ने इस बार शालिनी के चूतड़ों को अपने हाथों से हल्का सा दबाते हुए शालिनि के कान में कहा- यही तो कहा था मैंने पहले भी शालिनी कि इस गांड पर एक बार मुझे चढ़ा ले वादा करता हूं सुबह को ठीक से हग भी नहीं पाएगी । तेरी गांड मेरा लौड़ा संभालने के लायक हो गई है । इतनी भारी गांड ही टिक सकती है मेरे नीचे , शुक्रिया मेरी चुदक्कड़ बिटिया ।
दोस्तों जैसे ही शालिनी के कानों में यह शब्द पड़े शालिनी की हैरानी की सीमा न रही ।
ऐसा लगा जैसे 440 वोल्ट का झटका उसे लगा हो। उछलकर बलवीर से बहुत दूर खड़ी हो गई शालिनि और गुस्से से बलवीर को देखते हुए बोली
शालिनि - तो यह है तेरा असली रूप इतनी देर से मैं जिसे तेरा प्यार समझ रही थी वह प्यार नहीं अपनी बेटी जैसी भतीजी के लिए तेरी आँखों मे हवस थी। कुत्ते डूब के मर जाना चाहिए तेरे जैसे चाचा को जो अपनी ही बेटी जैसी भतीजी की इज्जत नहीं कर सका । तेरी मुझसे यह बोलने की हिम्मत कैसे हुई । तुझे क्या लगता है तू मेरे नाम एक कंपनी करेगा तो मैं तेरी हवस शांत करूंगी । छि कितना गिर गया है तू चाचा । मैं थूकती हूं तेरी कंपनी पर और थूकती हूं तुझ जैसे घटिया आदमी पर ।
ऐसा बोलते हुए शालिनी को पारा चढ़ गया । गुस्सा उसके चेहरे पर तांडव कर रहा था ।
शालिनी ने बोलते हुए आगे बढ़कर बलवीर के मुंह पर तमाचा मारा । तमाचा भी पूरी जान से मारा था शालिनी ने बलवीर को तो दिन में ही तारे दिख गए। बलवीर की आंखों के आगे अंधेरा सा छा गया था कुछ पल के लिए शालिनी का यह रूप देख कर ।
लेकिन बलवीर भी धर्मवीर की तरह सुलझा हुआ आदमी था ।
उसे पता था की बाजी उसके हाथ में हमेशा रहेगी ।
शालिनी ने फिर दूसरा थप्पड़ बलवीर के दूसरे गाल पर मारा ।
यह थप्पड़ भी पहले थप्पड़ जैसा ही तगड़ा था दोनों गालों पर थप्पड़ मार कर शालिनी ने बलवीर के मुंह पर थूक दिया और बाहर की तरफ जाते हुए बोली - अभी बोलती हूं धर्मवीर भैया को जाकर कि उन्होंने अपने घर में कैसा आस्तीन का सांप पाला है । घटिया इंसान हाट्ट । इस तरह से गुस्से से अपना हाथ झटककर शालिनी गेट पर पहुंची ही थी कि तभी उसके कानों में बलवीर की आवाज पड़ी । जो आवाज ज्यादा तेज नहीं थी बड़े ही धीमे से बोला था बलबीर ने ।
बलवीर - मैंने तो सिर्फ बोला ही है लेकिन अपने धर्मवीर भैया को जा कर यह भी बताना कि तुमने क्या किया है उन्हें जाकर बताना कि उनके बेटे का और अपने भाई की हत्या मैंने की है ।
दोस्तों कमरे का माहौल बदल गया ।
एक सन्नाटा सा कमरे में छा गया।
शालिनी जो अभी शेरनी जैसी फीलिंग ले रही थी अब उसकी फीलिंग कैसे बताऊं दोस्तों । अब तो यही कहना उचित होगा कि अब वह कोई फीलिंग ले ही नहीं रही थी, हा हा हा हा ।
शालिनी का दिमाग एकदम सुनना हो गया ।
उसे इतनी हैरानी और इतना तगड़ा दिमागी झटका जिंदगी में पहली बार लगा था ।
शालिनी अपनी आंखों को फैला कर देखते हुए बलवीर की तरफ मुड़ी और बोली हकलाते हुए - क-क्या मतलब है तुम्हारा। मैं कुछ समझी नहीं ।
बलवीर - सोफे पर बैठते हुए मतलब भी समझ गई है तू तो यह हकलाने का नाटक कैसा । इतना अनजान बनने का नाटक पसंद आया मुझे। लेकिन मतलब तो मेरा समझ ही गई है ना कि मैं जानता हूं । बल्कि मेरे पास वीडियो भी है जहां तू ने राकेश को मारा है ।
दोस्तों अब तो शालिनी की बिल्कुल फट गई
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