RE: Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस
Update 29B
इसलिए बलवीर ने अपना दिमाग चलाते हुए कहा- वाह अब तुम किसी सलमान को जानती नहीं हो । तुम क्या समझती हो मैं पागल हूं । जिस दिन सलमान ने तुमसे पहली बार बात की थी मुझे उसी दिन से पता है, और अब यह बात मैं धर्मवीर भैया को बताऊंगा सबूत के साथ। तुम नहीं जानती हो ना किसी सलमान को, कोई बात नहीं । जाकर सो जाओ ।
इतना कहकर बलवीर ने अपनी जेब से सिगरेट निकाली और सिगरेट पीने लगा ।
आरती के लिए अब आगे कुआं पीछे खाई जैसी स्थिति हो गई थी , क्योंकि आरती जानती थी अगर बलबीर ने धर्मवीर भैया को बताया तो धर्मवीर अपने गुस्से में कुछ भी कर सकता है । जो धर्मवीर उसकी इतनी इज्जत करता है वही धर्मवीर भैया उसे घर से निकाल देंगे। इतना सोचते ही कांप गई आरती ।
आरती को क्या पता था कि सलमान कोई और नहीं धर्मवीर ही है । वह तो बस फंस चुकी थी और बलवीर उसे ब्लैकमेल करने की पूरी कोशिश कर रहा था । आरती 1 मिनट तक वहीं चुपचाप चुपचाप खड़ी रही । 1 मिनट बाद उसके मुंह से निकला।
आरती - तुम क्या चाहते हो ।
बलवीर - मैं चाहता हूं यह जानना कि तुमने ऐसा क्यों किया ।
आरती - मुझे इस बारे में कुछ बात नहीं करनी। मुझे कुछ नहीं पता ।
बलवीर - तो मैंने कब कहा तुम्हें पता है । मैंने तो कह दिया पहले ही जाकर सो जाओ । धर्मवीर भैया जब पूछेंगे तब तुम्हें सब कुछ पता होगा। चलो जाओ सो जाओ ।
इतना बोल कर बलबीर फिर सिगरेट पीने में मगन हो गया ।
आरती - भैया मुझसे गलती हो गई मुझे माफ कर दो । प्लीज धर्मवीर भैया को इसबारे में कुछ मत बताना।
बलवीर - आ गई ना लाइन पर । तूने क्या सोचा था मैं तेरी खुशामद करूंगा। मैं क्यों करूं खुशामद । खुशामद तो तुझे करनी पड़ेगी मेरी। ठीक है नहीं बताऊंगा लेकिन बदले में मुझे कुछ चाहिए ।
आरती- बोलो क्या चाहिए तुम्हें ।
बलवीर - यहां से जाकर सीधे बाथरूम में चलो मैं वहीं आता हूं ।
आरती इतना सुनकर सवालिया नजरों से बलवीर की तरफ देखने लगी और बोली - बाथरूम में क्या बात करनी है आपको । यहीं पर कर लो ।
बलबीर - यहां पर बाहर से कोई हमें खड़े हुए देख सकता है और हर कोई यही सोचेगा यह लोग पता नहीं इस वक्त क्या बात कर रहे हैं । इसलिए बाथरूम में बात करनी है ।
अब आरती को बलवीर की बातें अटपटी लगने लगी थी । उसने फिर बलवीर की तरफ सवालिया सवालिया नजरों से देखा और बोला ।
आरती - तो बाथरूम में अब बात ही क्या करनी है ।
बलवीर थोड़ा सा गुस्से में- अब तू मुझसे सुनना ही चाहती है तो सुन । तुझे चेक करना है , मैं भी तो देखूं मेरी जो बहन इतनी सीधी साधी और संस्कारी बनती है आखिर वह दिखती कैसी है। तेरी गांड की इस चौड़ाई को नाप कर देखना ही पड़ेगा ।
बलवीर के मुंह से ऐसी खुल्लम-खुल्ला बातें सुनकर आरती डर गई , साथ में शर्म से भी दोहरी हो गई ।
आरती - जरा तमीज से बात कीजिए ।
बलवीर - तमीज से और वह भी तुझसे जो दूसरों के नीचे लेटने के लिए मरी जा रही है । पता नहीं किस सलमान से अपनी चूत को ठंडा करना चाहती है। अब अगर एक भी शब्द फालतू बोली तो इसी वक्त अपना बैग उठाकर धर्मवीर भैया के पास चला जाऊंगा, फिर अपनी मां चुदाती रहना, इसलिए अगर चाहती है कि सब कुछ ठीक रहे तो चुपचाप बाथरूम में मिल । मैं सिगरेट खत्म करके आता हूं ।
अब आरती के पास कोई ऑप्शन नहीं बचा था। आरती 1 मिनट तक चुप खड़ी रही फिर गुस्से से कमरे में घुस गई ।
अपनी सिगरेट खत्म करने के बाद बलवीर कमरे में आया तो शालिनी सोई हुई थी और आरती बेड पर नहीं थी । बलवीर समझ गया की आरती बाथरूम में पहुंच गई है ।
बलवीर ने बाथरूम का दरवाजा देखा जो लॉक नहीं था । बलवीर बाथरूम का दरवाजा खोल कर अंदर घुसा और दरवाजा लॉक कर दिया।
दोस्तों बाथरूम बहुत बड़ा था लेकिन उसमें अंधेरा ही अंधेरा था क्योंकि आरती ने लाइट ऑन नहीं की थी । बलवीर ने बाथरूम की लाइट ऑन की की तो आरती बाथरूम की दीवार के पास दरवाजे की तरफ पीठ करके खड़ी थी बिल्कुल चुपचाप ।
बलवीर धीरे से आरती के पास गया और उसकी गांड पर हाथ फेरने लगा आरती को जैसे झटका सा लगा ।
आरती कुछ नहीं बोली चुपचाप खड़ी रही लेकिन बलवीर कहां चुप रहने वाला था ।
बलवीर - गांड तो तूने अच्छी खासी रौंदने लायक बना रखी है। तुझ पर चढ़ना मामूली बात नहीं है। तू तो पूरा निचोड़ देगी ।
आरती ने अपनी आंखें खोली और तिरछी नजर से आंखों में गुस्सा भरते हुए बलवीर को घूरा । लेकिन बलवीर ने तभी बदले में बदले मुस्कुराते हुए आरती की गांड में पजामी के ऊपर से ही उंगली घुसा दी ।
जो आरती अभी गुस्से से बलवीर को घूर रही थी उसका मुंह हल्का सा खुला और हल्की सी सिसकारी निकल गई --- आह ,
अपने सगे भाई की उंगली अपने चूतड़ों के बीच से होते हुए अपनी गांड के छेद पर महसूस की आरती ने।
बलवीर- कितने गहरे चूतड़ हैं तेरे । कैसे बनाए हैं तूने इतने गहरे चूतड़। तेरी तो चूत भी गहरी खाई में होगी। तेरे जैसी को तो संतुष्ट करने के लिए दो-तीन दिन भी कम पड़ेंगे । चल अपने सूट को ऊपर उठा ।
आरती ने अपना सूट ऊपर नहीं उठाया चुपचाप खड़ी रही, तभी बलवीर का एक जोरदार चांटा उसकी गांड पर पड़ा ।
बलवीर - सुनाई नहीं दिया क्या या मुंह में लंड डालकर बताऊं कि सूट ऊपर कैसे उठाते हैं ।
अपनी भारी-भरकम गांड पर चांटा पड़ते ही आरती की गांड हिलने लगी ।शर्म से पानी पानी होकर होकर आरती ने अपनी हिलती हुई गांड पर अपने दोनों हाथ रख लिए, जिससे कि उसकी गांड हिलना बंद कर दे । चूतड़ तो हिलना बंद कर दिए लेकिन बलवीर कहां पीछे रहने वाला था ।
बलबीर ने आरती के बालों को पकड़ा और उसका चेहरा अपनी तरफ घुमाते हुए उसकी आंखों में देखने लगा । आरती भी बलवीर को घूरे जा रही थी।
बलवीर- कब तक यह शर्म का चोला पहनकर रहेगी। उतार कर फेंक दे इस शर्म के चोले को । मुझे पता है तू लंड की बहुत प्यासी है और तू है कि शर्म ही नहीं छोड़ रही ।
आरती कुछ नहीं बोली बलवीर को घूरते रही ।
तभी बलवीर ने उसके चेहरे को अपनी तरफ को दबाते हुए अपने मोटे मोटे होठों से उसके होठों को भींच लिया ।
यह आरती के लिए बिल्कुल नया था । आरती और बलवीर दोनों की आंखें खुली हुई थी और दोनों एक दूसरे की आंखों में देखे जा रहे थे । तकरीबन 1 मिनट तक बलवीर ने अपने होठों में आरती के होठों को दबाए रखा और एक दूसरे को देखते रहे ।
जब आरती की तरफ से कोई रिस्पांस नहीं मिला तो बलबीर ने अपने मुंह को और चौड़ा खोला और आरती के होठों को मुंह में भर कर चबाने लग गया । दोनों की सांसें एक दूसरे की सांसो से बुरी तरह टकरा रही थी ।
तकरीबन 1 मिनट तक आरती के होठों को चूसते हुए बलवीर आरती की आंखों में देखे जा रहा था ।
1 मिनट बाद आरती के बालों को पकड़े हुए बलवीर ने आरती के मुंह को पीछे की तरफ झटका जिससे कि बहुत ही तेजी से दोनों के मुंह एक दूसरे से अलग हो गए ।
दृश्य कुछ ऐसा हो गया था कमरे का की आरती बलवीर के सामने खड़ी हुई बलवीर की आंखों में घूरती हुई हांफ रही थी । दोनों की सांसें तेज चल रही थी । तभी बलवीर बोला ।
बलवीर - अब उठा अपने सूट को ऊपर चल ।
लेकिन आरती ने फिर भी कोई रिस्पांस नहीं दिया ना ही अपना सूट ऊपर उठाया ।
अब तो बलवीर को गुस्सा भी आने लगा बलवीर अपने मन में सोचने लगा कितनी ज्यादा हेकड़ी दिखा रही है । मेरे कहने का जैसे इस पर कुछ असर ही ना हो रहा हो । कितनी शरीफ बन रही है मेरे सामने। इसकी गांड की सारी मस्ती अभी झाड़ता हूं ।
बलवीर - तुझे सुनाई नहीं दे रहा ना। तू क्या समझती है कि तेरा सूट मैं ऊपर नहीं उठा सकता , जब मैं तेरे होठों को चूस सकता हूं , जब मैं तेरी गांड पर थप्पड़ मार सकता हूं, जब मैं तेरी गांड में उंगली कर सकता हूं , तो क्या मैं तेरा सूट नहीं उठा सकता । मैं तेरा सूट भी उठा सकता हूं लेकिन मैं नहीं उठाऊंगा क्योंकि अब मेरे सामने अपना सूट तू खुद उठाएगी और अगर तूने 1 मिनट के अंदर अपना सूट नहीं ऊपर किया , तो फिर दो काम होंगे या तो तुझे अभी कमरे में ले जाकर शालिनी के सामने ही नंगी करके पूरे कमरे में दौड़ा-दौड़ा कर चोदूंगा या फिर अपना बैग उठाकर सीधा धर्मवीर भैया के पास चला जाऊंगा । इनमें से जो मेरे मन में आया वह काम मैं करूँगा । अब फैसला तुझे करना है कि तुझे सूट ऊपर करना है या नहीं। ये ले मैं बैठ गया तेरे सामने ।
ऐसा कह कर बलवीर आरती के सामने घुटनों के बल बैठ गया और बलवीर का चेहरा आरती की जांघों के बिल्कुल सामने आ गया। बीच में था तो बस आरती का सूट । आरती अभी भी चुपचाप खड़ी थी तभी अपनी सोच से निकलकर आरती ने अपना चेहरा छत की तरफ उठा दिया और छत की तरफ देखते हुए अपनी आंखें बंद कर लीं जैसे भगवान से कोई गुहार लगा रही हो । 1 मिनट का समय होने वाला था कि तभी बलवीर की तरफ से कुछ हरकत महसूस हुई आरती समझ गई बलवीर अब अपना काम करने वाला है । तभी बिजली की फुर्ती से आरती ने गर्दन नीचे करके बलवीर की तरफ देखा और बोली ।
आरती - रुको क्या चाहते हो तुम कि तुम्हारी बहन तुम्हारे सामने अपना सूट ऊपर उठाये । जितनी गंदी जबान तुमने इस्तेमाल की है शायद ही दुनिया में कोई भाई अपनी बहन के सामने इतनी गंदी जुबान इस्तेमाल कर सकता है । लेकिन जब तुमने अपनी यह गंदी जबान इस्तेमाल कर ही दी है और तुम क्या समझते हो कि मुझे पता नहीं है कि तुम मेरा सूट ऊपर क्यों उठाना चाहते हो , तो यह तुम्हारी गलतफहमी है । मुझे पता है तुम मेरा सूट ऊपर इसलिए उठवाना चाहते हो ताकि तुम मेरी जांघों के बीच मेरी चूत को देख सको । अगर किस्मत को यही मंजूर है तो ले देख अपनी बहन की चूत ।
ऐसा कहकर आरती ने अपना सूट बिल्कुल अपना नाभि से ऊपर उठा दिया और बलवीर के आगे खड़ी हो गई ।
बलवीर को पहले तो कुछ समझ नहीं आया लेकिन जैसे ही आरती ने सूट उठाया तो उसकी आंखें चुंधिया गई सामने का नजारा देखकर ।
पजामी में कसी हुई मोटी मोटी जांघें और उसके बीच चूत का हिस्सा जो कि काफी मोटा लग रहा था । और हल्का सा आरती का पेट के नीचे वाला पेड़ू भी उभरा हुआ था । बलबीर बहुत ही मंझा हुआ खिलाड़ी था । बलवीर समझ गया कि पेड़ू उन्हीं लड़कियों का उभरा हुआ होता है जिन की चूत बड़े और मोटे लोड़े की मांग करती है । बलवीर को आरती की मोटी मोटी जांघों को निहारते हुए जब 1 मिनट हो गई । तो उसने फुर्ती से अपने दोनों हाथों को आरती की गांड से लगाया और आरती को अपनी तरफ खींच लिया और अपना मुंह आरती की भारी भारी मोटी मोटी जांघो के बीच बिल्कुल चूत पर लगा दिया ।
कहानी आगे जारी रहेगी । दोस्तो बताना जरूर कहानी सही दिशा में जा रही है या नही ।
आपका अपना - Rachit .
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