RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
तलब के कारण योगेश का बुरा हाल था—लगभग दौड़ता हुआ वह कोर्ट की इमारत के कॉरीडोर में पंक्तिबद्ध बने तीन सार्वजनिक टेलीफोन बूथ में से एक में घुसा—कांपती अंगुली से एक नंबर डायल करने लगा—अपनी बेचैनी के कारण इस बात पर उसने जरा भी ध्यान नहीं दिया कि लगभग उसी के साथ बगल वाले बूथ में लुक्का प्रविष्ट हुआ है—दोनों बूथ के बीच की दीवार का निचला आधा हिस्सा प्लाईवुड का बना था और ऊपरी आधा पारदर्शी कांच का—लुक्का ने उसकी तरफ पीठ कर रखी थी और रिसीवर हाथ में लेकर एक फाल्स नंबर डायल करने की चेष्टा कर रहा था।
इधर सिर पर मंडरा रहे खतरे से पूरी तरह बेखबर योगेश ने संपर्क स्थापित होते ही लगभग चीखते हुए कहा—“मुझे ट्रिपल जैड से बात करनी है।”
“बोल रहा हूं।” दूसरी तरफ से गंभीर स्वर में कहा गया। साथ ही उधर से हल्का सा ठहाका लगाने की आवाज उभरी, कहा गया—“अभी तो तुम्हारी डोज का टाइम गुजरे केवल दो घंटे हुए हैं, इतने कम समय में इतने ज्यादा बेचैन हो गए?”
“म-मुझे खुराक चाहिए ट्रिपल जैड।”
“पहले हमारा एक काम करना होगा।”
“क्या?”
सपाट स्वर में कहा गया—“पुलिस कमिश्नर का मर्डर।”
“श-शांडियाल अंकल का मर्डर?”
“आज की डोज तुम्हें उसके बाद मिलेगी।”
“ल-लगता है तुम फिर मजाक कर रहे हो ट्रिपल जैड—समझ में नहीं आता आये दिन मुझसे इतने खतरनाक मजाक क्यों करते हो—कभी कहते हो ‘बैंक में डाका मारूं’ तब डोज दोगे, कभी कहते हो ‘सड़क पर जा रहे किसी आदमी को गोली मार दूं’ तब पुड़िया मिलेगी और जब तैयार हो जाता हूं तो हंस पड़ते हो, कहते हो ‘मजाक कर रहे थे—पुड़िया फलां जगह रखी है, ले लूं—आज शांडियाल अंकल को ही मार डालने की बात कर रहे हो—मैं जानता हूं, तुम मजाक कर रहे होगे—प्लीज ट्रिपल जैड, मैं इस वक्त मजाक सहने की स्थिति में नहीं हूं—जल्दी बताओ, मेरी डोज कहां है?”
योगेश बेचारा स्वप्न तक में नहीं सोच सकता था कि इस तरह ट्रिपल जैड उसकी परीक्षा लिया करता है—परखा करता है कि वक्त आने पर गुलाम की तरह वह उसके द्वारा दिए जाने वाले सख्त आदेश को मानेगा या नहीं—उसी प्रयास को जारी रखे ट्रिपल जैड ने कहा—“नहीं योगेश, आज हम मजाक नहीं कर रहे—सचमुच आज की डोज तभी मिलेगी जब अपने अंकल को गोली मार चुके होगे।”
“ठीक है, मैं ये काम करता हूं—तुम पुड़िया भिजवाओ।”
“कमिश्नर को मारोगे कैसे?”
“इसमें क्या मुश्किल है—इस वक्त वे अपने बंगले पर होंगे, रिवॉल्वर मेरे पास है ही—गोली मार दूंगा—तुम बस ये बताओ कि उसके बाद पुड़िया कहां मिलेगी?”
“ओ.के. योगेश!” जबरदस्त ठहाके के साथ कहा गया—“हमें खुशी है तुम हमारे लिए कुछ भी कर सकते हो—तुम्हारा ‘हां’ कहना काफी है, फिलहाल कमिश्नर के मर्डर की जरूरत नहीं है।”
“मुझे मालूम था आप मजाक कर रहे होंगे—प्लीज, मेरी पुड़िया …।”
“तुम कोर्ट की कारीडोर वाले बूथ से बोल रहे हो न?”
“हां!”
“और गाड़ी कोर्ट के पोर्च में खड़ी है?”
“यस सर!”
“तो जाओ, पुड़िया गाड़ी के डैशबोर्ड पर रखी मिलेगी।”
“थ-थैंक्यू … थैंक्यू सर!” कहने के बाद एक पल गंवाए बगैर उसने रिसीवर हुक पर टांगा और बूथ का दरवाजा खोलकर खरगोश की तरह कुलांचें मारता पोर्च की तरफ दौड़ा।
अच्छी-खासी भीड़ थी वहां।
लोग हैरानी के साथ उसे देख रहे थे।
लम्बे बालों और क्रूर चेहरे वाले लुक्का के मेकअप में छुपा स्पेशल कमांडो दस्ते का एजेंट नम्बर फाइव केवल योगेश के शब्द सुन पाया था और उन्हीं से दूसरी तरफ से कहे गए शब्दों का अनुमान बखूबी लगा सकता था—वह भी बूथ से निकला, उतनी तेजी से तो नहीं मगर इतनी तेजी से जरूर लपका कि योगेश उसके चंगुल से फरार न हो सके—वह अपना अगला एक्शन निर्धारित कर चुका था।
योगेश पोर्च में खड़ी गाड़ी के नजदीक पहुंचा।
झटके से दरवाजा खोला।
डैशबोर्ड पर पड़ी पुड़िया को देखते ही बांछें खिल गईं।
उसने दीवानों की मानिन्द हाथ लम्बा करके पुड़िया उठाई—गाड़ी के बाहर खड़े-खड़े खोली और अभी उसे अपने मुंह के नजदीक ले ही जाना चाहता था कि हाथ पर किसी बूट की जोरदार ठोकर पड़ी।
पुड़िया उछलकर दूर जा गिरी।
“ये … ये क्या किया हरामजादे?” वह दहाड़ उठा।
नजदीक खड़े लुक्का ने कहा—“तुम्हारा खेल खत्म हो चुका है योगेश!”
लुक्का के चेहरे पर नजर पड़ते ही योगेश के होश उड़ गए—पहला डायलॉग वह बगैर यह देखे डकराया था कि ठोकर मारने वाला कौन है—लुक्का को वह जुआघर के मालिक और एक खतरनाक गुण्डे के रूप में जानता था, बोला—“ये तुमने क्या किया लुक्का? उस पुड़िया में मेरी जिंदगी थी।”
“मुझे ट्रिपल जैड का फोन नंबर चाहिए।”
“त-तुम उसका क्या करोगे?”
“इतने दिन से उसी की तो तलाश थी—मैं ये सोचता रहा, शायद तुम्हें उसका पता-ठिकाना मालूम नहीं होगा—वह ही तुमसे संबंध स्थापित करता होगा मगर कुछ देर पहले मैंने खुद तुम्हें उससे सम्पर्क स्थापित करते देखा है, मेरे लिए फोन नंबर काफी होगा—बोलो, किस नंबर पर मिलता है वह?”
“नहीं!” योगेश चीख पड़ा—“अगर बताया तो वह मुझे मार डालेगा।”
“वह तो जाने कब मारेगा लेकिन अगर नंबर नहीं बताया तो मैं तुम्हें इसी वक्त गोली मार दूंगा योगेश!” खतरनाक स्वर में गुर्राते लुक्का ने जेब से रिवॉल्वर निकालकर उस पर तान दिया।
“हरामजादे—कुत्ते!” स्मैक की तलब के कारण योगेश पर अजीब प्रतिक्रिया हुई—“पहले तो ठोकर मारकर मेरी डोज बिखेर दी, उसके बाद गोली मारने की धमकी देता है—जानता नहीं, मैं पुलिस कमिश्नर का भतीजा हूं—तू मुझे क्या मारेगा, मैं ही तेरा क्रिया-कर्म किए देता हूं।”
इन शब्दों के साथ उसने अपने कोट की जेब से इतनी फुर्ती के साथ रिवॉल्वर निकाला कि स्पेशल कमांडो दस्ते का एजेंट नंबर फाइव दंग रह गया—मजे की बात ये कि योगेश केवल रिवॉल्वर निकालकर ही नहीं रह गया, बल्कि एक ही एक्शन में उस पर फायर भी झोंक दिया।
‘धांय’ की जोरदार आवाज ने सबको चौंका दिया।
लुक्का ने ऐन वक्त पर जम्प लगाकर अपने जिस्म को एक अन्य कार की बैक में न कर लिया होता तो योगेश के रिवॉल्वर से निकली गोली निश्चित रूप से उसके भेजे के परखच्चे उड़ा डालती और जिस किस्म की फुर्ती का प्रदर्शन उसने किया था, वह केवल स्पेशल कमांडो दस्ते के एजेंट के लिए ही संभव था।
उधर योगेश मानो पागल हो चुका था।
एक और फायर करने के साथ वह लुक्का की तरफ लपका—नंबर फाइव समझ गया, योगेश पर पागलपन सवार हो चुका है—अगर रोका न गया तो निश्चित रूप से उसे गोलियों से भून देगा, अतः उसकी टांगों का निशाना लेकर एक फायर किया।
बचने के लिए योगेश नीचे बैठा।
और!
जो गोली उसकी टांगों का निशाना लेकर चलाई गई थी, वह खोपड़ी में जा धंसी।
योगेश कटे वृक्ष-सा गिरा।
नंबर फाइव ने घबराकर इधर-उधर देखा—विभिन्न वस्तुओं की आड़ में छुपे लोग चेहरों पर आतंक और हवाइयां लिए मौजूदा दृश्य को देख रहे थे—पलक झपकते ही वह हो गया जिसकी कल्पना नंबर फाइव ने स्वप्न तक में न की थी—एक नजर योगेश के जिस्म पर डाली।
वह मर चुका था।
नंबर फाइव उसकी कार के खुले दरवाजे की तरफ लपका और फिर लोगों के देखते-ही-देखते कार हवा से बातें करने लगी—नम्बर फाइव जानता था, कुछ देर में यह खबर जंगल की आग की मानिन्द शहर में फैल जाएगी कि लुक्का ने सरेआम पुलिस कमिश्नर के भतीजे की हत्या कर दी है।
जो हुआ, नंबर फाइव को उसका गहरा अफसोस था।
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जेल के घड़ियाल ने रात के दो बजाए।
जुंगजू ने करवट बदलने की चेष्टा की और हमेशा की तरह हथकड़ी बेड़ियों के कारण अपने इस प्रयास में दिक्कत का एहसास हुआ—मुंह से एक भद्दी गाली निकाल बैठा वह और ठीक उसी समय रात के सन्नाटे को हल्की-सी ‘क्लिक’ की आवाज ने बेधा।
जुंगजू ने चौंककर कोठरी के दरवाजे की तरफ देखा।
दरवाजा खुला।
एक साथ तीन परछाइयां नजर आईं ।
झटके के साथ वह पत्थर के चबूतरे पर उठ बैठा—वातावरण में हथकड़ी और बेड़ियों की खड़खड़ाहट गूंजी, उसके बाद गूंजा जुंगजू का खुरदुरा स्वर—“कौन है?”
दरवाजा बंद हो गया।
एक शक्तिशाली टॉर्च के ढेर सारे प्रकाश-झाग ठीक उसके चेहरे से टकराए—तीव्र रोशनी के कारण आंखें मिचमिचा गईं—हथकड़ियों से जकड़े हाथ अपनी आंखों के सामने अड़ाकर वह गुर्राया—“कौन हरामजादा है?”
“हम हैं जुंगजू!”
“ओह, जेलर!”
“ठीक पहचाना।”
“इस वक्त यहां क्यों आया है?”
“तुझसे कुछ सवालों के जवाब लेने।”
अक्खड़ स्वर—“क्या तुझे मालूम नहीं कि, जुंगजू कभी किसी के सवालों का जवाब नहीं दिया करता?”
“आज तुझे हमारे सवालों के जवाब देने पड़ेंगे जुंगजू।” कमिश्नर शांडियाल ने कहा।
“तू कौन है बे, ये टॉर्च हटे तो देखूं।”
“ले बेटे, टॉर्च हटा रहे हैं।” तीसरे स्वर के इन शब्दों के साथ टॉर्च ने अपना फोकस उसके चेहरे की जगह तन्हा कोठरी की छत को बना दिया—छत बहुत बड़े प्रकाश दायरे से नहा उठी और ‘रिफ्लेक्शन’ के कारण कोठरी में इतना प्रकाश फैल गया कि एक-दूसरे को अच्छी तरह पहचान सकते थे।
टॉर्च को कोठरी के फर्श पर खड़ी करने का प्रयास करते देशराज को देखते ही वह कह बैठा—“ये रिश्वतखोर पुलिसिया रात के अंधेरे में तुम्हारे साथ कैसे नजर आ रहा है मिस्टर पुलिस कमिश्नर?”
“अगर तू हमारे सवालों का जवाब देगा तो हम भी तेरे हर सवाल का जवाब दे देंगे जुंगजू।” ऑन टॉर्च को फर्श पर खड़ी करने के बाद देशराज जुंगजू की तरफ बढ़ता हुआ बोला—“उम्मीद है, तू हमें सख्ती करने पर मजबूर नहीं करेगा।”
“कौन से सवालों का जवाब चाहते हो तुम?”
देशराज उसके काफी नजदीक पहुंच चुका था जबकि सवाल कमिश्नर साहब ने किया—“ब्लैक फोर्स ने तुम्हें क्या मैसेज भेजा है?”
“ब-ब्लैक फोर्स?” जुंगजू उछल पड़ा—“ब्लैक फोर्स से मेरा क्या ताल्लुक?”
जेलर ने कहा—“तुम्हें उनकी एक चिट्ठी मिली है।”
“च-चिट्ठी?” इन शब्दों के साथ हथकड़ी के कारण एक-दूसरे से जुड़े दोनों हाथ अपने लिबास की ऊपरी जेब की तरफ लपके और जब तक उन तीनों में से कोई कुछ समझ पाता—तब तक जुंगजू कागज को अपनी जेब से निकाल कर मुंह में डाल चुका था।
“र-रोकिए सर, रोकिए इसे!” चीखने के साथ देशराज उस पर झपटा मगर जुंगजू ने हथकड़ीयुक्त अपने हाथ उसके सिर पर दे मारे।
देशराज के हलक से चीख निकल गई।
लोहे की हथकड़ी उसके सिर के अग्रभाग में लगी थी—वहां से खून बहने लगा मगर देशराज ने हिम्मत नहीं हारी और फुर्ती से घूमकर उसके पीछे पहुंचा, उसे जकड़ता हुआ चीखा—“लैटर इसके मुंह में है सर—जल्दी कीजिए, चबा न डाले …।”
मौके की नजाकत को कमिश्नर शांडियाल समझ चुके थे।
एक क्षण भी गंवाए बगैर उन्होंने होलेस्टर से रिवॉल्वर निकालकर पूरी ताकत से उसके दस्ते का वार जुंगजू के जबड़े पर किया, परिणामस्वरूप जब चीखने के लिए उसका मुंह खुला तो रिवॉल्वर की पूरी नाल मुंह में घुसेड़ दी—अब मुंह में मौजूद कागज को न वह चबा सकता था, न सटक सकता था।
कागज तो बरामद कर लिया गया मगर इसमें शक नहीं कि ये छोटी-सी कामयाबी हासिल करने में उन्हें दांतों पसीना आ गया था।
देशराज के बंधन में बुरी तरह जकड़ा जुंगजू चीख रहा था—“मेरी हथकड़ी और बेड़ियां खोल दो हरामजादों—तब मैं तुम्हें बताऊं कि जुंगजू क्या चीज है …।”
कोई कुछ नहीं बोला।
शांडियाल कागज को टॉर्च के नजदीक ले गए, बाकायदा जोर-जोर से पढ़ा उन्होंने—“एक महत्त्वपूर्ण काम के लिए तुम्हारा जेल से बाहर आना जरूरी है, क्या तुम वह काम करने के लिए तैयार हो?
ब्लैक फोर्स!”
जुंगजू को जकड़े खड़े देशराज ने पूछा—“बस सर, इतना ही मैसेज है या और कुछ?”
“इस पर और कुछ नहीं लिखा है।”
“पलटकर देखिए।”
शांडियाल ने कागज पलटा, पढ़ा—“मैं तैयार हूं।”
“तो इसी कागज की पीठ पर यह जवाब भेज रहा था।”
जेलर ने पूछा—“लेकिन इसके पास पैन कहां से आ गया?”
“जवाब कच्चे कोयले से, ओह …!” कहते-कहते शांडियाल की समझ में जैसे सब कुछ आ गया, बोले—“ये शब्द इसने जली हुई माचिस की तिल्ली के अग्रभाग से लिखे हैं।”
“कई तिल्लियां खर्च की होंगी।”
“मुमकिन है।”
जुंगजू ढीला पड़ गया—शायद इसीलिए क्योंकि उसका सारा संघर्ष ही मैसेज को इन लोगों तक पहुंचने से रोकने के लिए था और उसमें नाकामयाब हो चुका था—देशराज ने भी उसे छोड़ दिया—उसके सामने आया मगर थोड़ी दूरी बनाए रखकर बोला—“हमें पहले से मालूम था कि इस कागज में ऐसा ही कोई मैसेज होगा।”
“तो?” जुंगजू गुर्राया।
शांडियाल ने गंभीर स्वर में कहा—“हम तुमसे कुछ बात करना चाहते हैं जुंगजू।”
“बात करने के लिए अब रह क्या गया है?”
“इतना तो तुम समझ ही गए होगे कि यह कागज हमारे हाथ में आने के बाद, स्टार फोर्स अब चाहे जितनी कोशिश कर ले मगर तुम्हें जेल से फरार नहीं करा सकेगी।”
“तुम कमिश्नर होने के बावजूद बेवकूफी भरी बातें कर रहे हो शांडियाल!” जुंगजू ने पूरी दिलेरी के साथ कहा—“तुम्हें मालूम होना चाहिए, स्टार फोर्स एक बार जो ठान लेती है उसे पूरा करने से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती।”
जुंगजू के संबोधन पर शांडियाल को गुस्सा तो बहुत आया मगर जहर के घूंट की तरह उसे पी गए—जानते थे, इस वक्त उनका उत्तेजित हो जाना मुकम्मल योजना को चौपट कर सकता है, अतः अपने एक-एक शब्द को प्रभावशाली बनाने का प्रयास करते बोले—“तुम तन्हा कोठरी में कैद हो और प्रदेश में शायद अभी तक चन्द्रचूड़ सरकार का ही वर्चस्व समझ रहे हो, इसलिए भ्रम में हो कि स्टार फोर्स जो चाहेगी कर डालेगी—तुम्हारी जानकारी के लिए बता दें जुंगजू कि न तो अब प्रदेश में उस चन्द्रचूड़ की सरकार है जो ब्लैक स्टार की अंगुलियों के इशारे पर कठपुतली की तरह नाचती थी, न ही हालात ऐसे हैं कि स्टार फोर्स मनचाही कर डाले—स्थितियां बड़ी तेजी से बदली हैं—इस वक्त स्टार फोर्स पर कानून का शिकंजा हावी है, तभी तो अपनी मदद के लिए उसे तुम जैसे सहयोगी का ध्यान आया—अगर ऐसा न होता तो यह मैसेज अभी ही भेजने की क्या जरूरत थी—बहुत पहले तुम्हें जेल से फरार क्यों न करा लिया गया?”
जुंगजू को कहने के लिए कुछ सूझा नहीं।
देशराज ने लोहे को गर्म जानकर चोट की—“तुम्हारे पास यह चिट्ठी पहुंची और हमें पता लग गया, इसी से समझ सकते हो कि स्टार फोर्स की एक-एक गतिविधि हमारी नजर में है।”
“ये कोई बड़ी बात नहीं है—तू जेल में है ही, किसी को चिट्ठी मेरी जेब में डालते देख लिया होगा—मगर मेरी समझ में यह नहीं आ रहा कि इंस्पेक्टरी से बर्खास्त होने और जेल में अपनी करतूतों की सजा भुगत रहा होने के बाद तू किस हैसियत से कानून की भाषा बोल रहा है?”
“यह रहस्य तुम्हारी तो क्या, बगैर बताए ब्लैक स्टार तक की समझ में नहीं आएगा जुंगजू।”
“मतलब?”
“हमें बहुत पहले से मालूम था कि स्टार फोर्स जब ज्यादा दबाव में जा जाएगी तो मदद के लिए तुम्हें जेल से फरार करने का प्रयास करेगी।” आकर्षक मुस्कान के साथ देशराज ने कोरी गप्प हांकी—“मेरा कोर्ट में जाकर अपनी करतूतें बखान करना आदि सब एक साजिश थी—उद्देश्य जेल में रहकर तुम पर नजर रखना और जब हमारी उम्मीदों के मुताबिक स्टार फोर्स तुमसे सम्पर्क स्थापित करे तो सक्रिय हो उठना था।”
“और वही तू कर रहा है?”
“तुम समझदार हो।”
“पुलिस की खोपड़ी इतनी दूरदर्शी कब से हो गई और उनमें ऐसी नायाब चालें कब से आने लगीं?”
“ऐसी अनेक चालों के कारण आज स्टार फोर्स टूट रही है।” शांडियाल ने कहा—“अगर तुम हमारा साथ देने की कसम खाओ तो अंतिम प्रहार स्टार फोर्स को नेस्तनाबूद कर डालेगा।”
“म-मैं साथ दूं?” जुंगजू ने ठहाका लगाया—“पुलिस का साथ दूं मैं?”
“हां जुंगजू, हमने तुमसे ऐसी ही उम्मीद लगाई है।”
“तब तो मैं ये कहूंगा कमिश्नर कि तेरे दिमाग का दिवाला निकल गया है—तेरे बूचड़खाने में बेवकूफियों से भरा ये ख्याल आ कैसे गया कि जुंगजू कानून द्वारा बनाई गई किसी योजना पर काम कर सकता है?”
“क्योंकि तुम्हारी बूढ़ी मां हमारे कब्जे में है।”
“मां … मां?” जुंगजू उछल पड़ा।
“हमें मालूम है तुम उसे बेइन्तहा प्यार करते हो।”
जुंगजू गुर्रा उठा—“तो तुम मां को मार डालने की धमकी देकर मुझसे काम लेना चाहते हो?”
तीनों चुप रहे।
जबकि जुंगजू यह सोचकर मन-ही-मन खुश था कि इन लोगों को यह रहस्य अब तक नहीं मालूम कि मेरा संबंध इस लैटर से भी पहले, बल्कि शुरू से ब्लैक फोर्स से रहा है—अगर मालूम होता तो कभी इस भ्रमजाल में न फंसते कि मैं मां की खातिर वह सब कर सकता हूं जो ये चाहते हैं—सारी दुनिया जानती है, स्टार फोर्स से जुड़ा शख्स सब कुछ गंवा सकता है परंतु फोर्स से गद्दारी नहीं कर सकता—काफी सोच-समझकर जुंगजू ने फैसला किया कि फिलहाल खुद को फंसा हुआ दर्शाकर इनकी योजना के मुताबिक काम करने का नाटक करने में ही हित है। एक बार जेल से फरार हो जाऊं—तब इन्हें पता लगेगा कि स्टार फोर्स के सिपाही को मां तक की धमकी नहीं डिगा सकती अतः बोला—“करना क्या होगा मुझे?”
“गुड!” कमिश्नर ने कागज उसे पकड़ा दिया—“सबसे पहले तुम्हारा ये जवाब ठीक उसी तरह स्टार फोर्स तक पहुंचना चाहिए जैसे हमसे बात करने से पूर्व पहुंचना था।”
“ओ.के.!” जुंगजू ने लैटर अपनी जेब में रख लिया।
देशराज ने कहा—“इधर हम पूरा ख्याल रखेंगे, उधर तुम्हें पूरा ध्यान रखना है—किसी भी तरफ से ऐसी एक्टिविटी न हो पाए जिसके कारण उन्हें शक हो कि तुम्हारी फरारी हम लोगों की इच्छा पर हो रही है, वे लोग इसी भ्रम के शिकार रहने चाहिएं कि जो हो रहा है, उनकी योजना के मुताबिक हो रहा है।”
“ऐसा ही होगा।” कहते वक्त जुंगजू ने मन-ही-मन उन्हें मूर्ख कहा।
“फरारी से पहले हम एक छोटा-सा ट्रांसमीटर देंगे—उसके जरिए तुम वहां की सारी गतिविधियों की जानकारी हमें देते रहोगे—याद रखना, यदि जरा भी चालाकी दिखाने की कोशिश की तो तुम्हारी मां को कत्ल कर दिया जाएगा।”
“म-मैं ऐसा कुछ नहीं करूंगा।” जुंगजू ने ऐसे अंदाज में कहा जैसे मां की धमकी ने उसे पस्त कर दिया हो।
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