RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
पूरी रिपोर्ट सुनने के बाद ठक्कर ने पूछा—“तुम लोगों की फतह के बाद थाने में क्या हुआ?”
“होना क्या था, सारे ऑफिसर्स वहां पहुंच गए—प्रांगण में पड़ी लाशों को देखकर कमिश्नर तक ने दांतों तले अंगुली दबा ली—सभी उन्मुक्त कंठ से इंस्पेक्टर की तारीफ कर रहे थे जबकि इंस्पेक्टर अपनी फतह के नशे में चूर होने के स्थान पर उत्तेजित था। बार-बार अपने अफसरों से कह रहा था कि मुझे जीवट किस्म के पुलिसियों की टीम चाहिए।”
“किसलिए?”
“ब्लैक फोर्स से लोहा लेने हेतु।”
“मतलब?”
“उसका कहना था—उसके और ब्लैक फोर्स के बीच छिड़ी जो ‘वाॅर’ अभी तक ढीली-ढाली चल रही थी, वह इस वारदात के बाद न केवल तेज हो जाएगी बल्कि प्रतापगढ़ में खून की होली खेली जाने वाली है।”
“ऑफिसर्स ने क्या कहा?”
“कमिश्नर ने शीघ्र ही उसे ऐसे पुलिसियों की टीम देने का वायदा किया—मगर इंस्पेक्टर केवल इस आश्वासन पर संतुष्ट नहीं हो गया, बोला—‘मुझे ब्लैक फोर्स के दो-चार छोटे-मोटे ठिकानों की भनक है, उन पर तुरंत हमला होना चाहिए—उसने एस.एस.पी. और डी.आई.जी. से अपने साथ चलने और उन ठिकानों पर दबिश डालने के लिए कहा।”
“फिर?”
“ऑफिसर्स को बात माननी पड़ी, वे दबिश पर निकल गए और हम यहां …।”
“दबिश का अंजाम?”
“अभी सूचना नहीं मिली है।”
“सूचना रखो नंबर वन, पल-पल की सूचना अपने पास रखो—इंस्पेक्टर ने ठीक कहा है, जो हालात तुम बता रहे हो, उनसे एक ही बात ध्वनित होती है—निश्चित रूप से प्रतापगढ़ में अब खून की होली खेली जाएगी—तुम्हें इस खेल में शामिल होकर लाइट में आने की जरूरत नहीं है—हां, एक अच्छे दर्शक की तरह खेल के हर पहलू पर कड़ी नजर रखो।”
“ओ.के. सर।”
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यह खबर सारे प्रतापगढ़ में पेट्रोल पर दौड़ने वाली आग की मानिन्द फैल गई कि ब्लैक फोर्स ने शुब्बाराव के नेतृत्व में थाने पर हमला किया—ब्लैक फोर्स के अनेक मरजीवड़े और खुद शुब्बाराव मारा गया, बाकी लोग बड़ी मुश्किल से जान बचाकर भागने में कामयाब हो पाए ।
जिसने सुना सुन्न रह गया।
ज्यादातर लोगों की पहली टिप्पणी यह थी कि अब शीघ्र ही ब्लैक फोर्स बदला लेगी और अभी इस खबर को फैले ज्यादा वक्त नहीं गुजरा था कि लोगों ने तूफानी रफ्तार के साथ सड़कों पर से पुलिस फोर्स के ऐसे काफिले को गुजरते देखा जिसने सारे प्रतापगढ़ में सनसनी फैला दी।
सबसे आगे वाली जीप में लोगों ने तेजस्वी को देखा था।
उसके पीछे सशस्त्र जवानों से भरा प्रदेश पुलिस का एक ट्रक!
उसके पीछे डी.आई.जी. की कार, फिर एक ट्रक, फिर एस.एस.पी. और उसके पीछे तीन ट्रक।
सबको किसी बड़े तूफान के लक्षण साफ-साफ नजर आ रहे थे।
और फिर … इस काफिले ने प्रतापगढ़ के अच्छे खासे भीड़-भाड़ युक्त बाजार में पहुंचकर एक तीन-मंजिला इमारत को घेर लिया—दुकानदारों ने आनन-फानन में दुकानें बंद कर दीं—ऐसी भगदड़ मची कि पंद्रह मिनट बाद बाजार में जवान-ही-जवान नजर आ रहे थे।
तब, अपनी जीप पर लगे माइक पर एस.एस.पी. दहाड़ा—“इमारत को चारों तरफ से घेर लिया गया है—जो लोग अंदर हैं, वे पांच मिनट के अंदर सरैंडर कर दें! अन्यथा फोर्स उन्हें भून डालेगी।”
जवाब में केवल सन्नाटा सांय-सांय करता रहा।
तेजस्वी ने ऊंची आवाज में गिनतियां शुरू कर दीं—एक गिनती एक मिनट गुजर जाने का प्रतीक थी और जैसे ही तेजस्वी ने पांच कहा—इमारत की तरफ से गोलियों की बाढ़ जीप पर झपटी।
जवाब में फोर्स ने भी फायरिंग की।
तेजस्वी जीप की बैक में न केवल सुरक्षित था बल्कि अपने हाथ में दबी ए.के. सैंतालीस से इमारत की उस खिड़की पर फायर किए जिसके जरिए उसकी जीप पर गोलियां बरसाई गई थीं।
ब्लैक फोर्स के लोगों ने बता दिया था कि उनका इरादा क्या है।
फोर्स तो मोर्चा लिए हुए थी ही।
सो!
जंग शुरू हो गई।
दोनों तरफ से बाकायदा घात लगा-लगाकर गोलियां चलाई जाने लगीं।
फोर्स को कामयाबी तो मिली परंतु दांतों तले पसीना आ गया—इमारत पर कब्जा करने के बाद फोर्स ने वहां से कुल सात लाशें बरामद कीं—चार के जिस्मों में फोर्स की गोलियां थीं, तीन सायनाइड खाकर मरे थे।
अब फोर्स ब्लैक फोर्स के एक अन्य ठिकाने की तरफ बढ़ गई।
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“ये हम क्या सुन रहे हैं थारूपल्ला?” ट्रांसमीटर पर गूंजने वाली ब्लैक स्टार की आवाज गुस्से के कारण थरथरा रही थी—“थाने पर किया गया हमला नाकाम हो गया? शुब्बाराव मारा गया और पुलिस ने हमारे पांच ठिकानों पर कब्जा कर लिया?”
“यस सर, यह सब हुआ है।” थारूपल्ला ने अपने स्वर को संयत रखने की भरसक चेष्टा के साथ कहा—“बल्कि इससे भी ज्यादा ये हुआ है कि हमारे बहुत से मरजीवड़े भागकर काली बस्ती में आ गए।”
“क्यों, क्या हुआ है ऐसा?” गुर्राकर पूछा गया।
“क्षमा कीजिएगा सर, यह इंस्पेक्टर को दी गई नाजायज ढील के कारण हो सका।”
“मतलब?”
“पहली बार आपने उसके इस जाल में फंसकर कि वह श्रीगंगाई है, न केवल उसे काली बस्ती से सुरक्षित निकल जाने दिया, बल्कि मुझे पिटने तक का हुक्म दे डाला—उसके बाद आपने धोखा खा जाना स्वीकार करके, मुझे उसे जंगल में लाने का हुक्म दिया—मैंने उसे आपके समक्ष पेश किया—एक बार फिर उसने अकेले में आपको जाने क्या पट्टी पढ़ाई कि मुझे उसे सुरक्षित प्रतापगढ़ पहुंचाने का हुक्म सुना डाला?”
“मानते हैं थारूपल्ला कि वह हमें एक नहीं बल्कि दो बार अपने एक ही जाल में फंसाने में कामयाब रहा—कुबूल करते हैं, ऐसा करामाती शख्स हमारे जीवन में वह अकेला आया है जिसने अपनी एक ही स्टोरी से हमें दो बार धोखा दिया—जंगल के बेसमेंट में उसने एक बार फिर खुद को वह साबित कर दिया जो वास्तव में नहीं था—बड़े पुख्ता सुबूत पेश किए कमबख्त ने—इसी कारण हमने उसे अपने हाथों से सजा देने की कसम खाई है।”
“एक बार फिर क्षमा कीजिएगा सर, मेरे ख्याल से अब आपकी यह कसम उसकी मदद कर रही है।”
“मतलब?”
“थाने पर किया गया हमला शायद इसीलिए नाकाम हुआ क्योंकि शुब्बाराव के पास उसे मार डालने का हुक्म न था—शायद इसी कारण शुब्बाराव मारा गया।”
“कहना क्या चाहता है तू?”
“आप हुक्म दीजिए, मैं चौबीस घंटे में उसकी लाश आपके कदमों में …।”
“हमें तेजस्वी की लाश नहीं, तेजस्वी चाहिए थारूपल्ला … जिन्दा तेजस्वी!” साफ महसूस हो रहा था कि ब्लैक स्टार अपने एक-एक शब्द को चबा रहा है—“अगर तूने घुटने टेक दिए हैं तो ठीक है, तुझे इनाम जरूर दिया जाएगा मगर तब, जब तेरी आंखों के सामने तेजस्वी को हम अपने हाथों से सजा दे चुकेंगे।”
“न-नहीं सर!” थारूपल्ला कांप उठा—“म-मैंने यह कब कहा कि उसे जीवित अवस्था में आपके समक्ष पेश नहीं करूंगा—मैं तो केवल यह कहना चाहता था कि यह काम उसे मार डालने से ज्यादा मुश्किल है इसलिए थोड़ा टाइम लग सकता है।”
“हम तुझे तीन दिन देते हैं थारूपल्ला, अगर तीन दिन के अंदर उसे जीवित हमारे सामने पेश न कर पाया तो सायनाइड खा लेना, क्योंकि तब तक तू अयोग्य सिद्ध हो चुका होगा।”
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