RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“तुम वाकई हैरतअंगेज पुलिसिए हो तेजस्वी।” मीटिंग शुरू होते ही केन्द्रीय कमांडो दस्ते का चीफ कहता चला गया—“ठीक एक हफ्ता पहले तुमने इसी स्थान पर बैठकर न केवल ब्लैक फोर्स को नेस्तनाबूद कर डालने का दावा किया था बल्कि यह भी कहा था कि ऊपर वाले ने चाहा तो ट्रिपल जैड नामक शख्स इस दुनिया में नहीं रहेगा और वही हुआ, हमारी बधाई स्वीकार करो।”
तेजस्वी ने यह जानने का भरसक प्रयास किया कि ठक्कर के कथन को व्यंग्य में ले या यह समझे कि हृदय से उसकी प्रशंसा कर रहा है परंतु सफल न हो सका—हमेशा की तरह ठक्कर का चेहरा पूरी तरह सपाट था—काफी खोजने पर भी तेजस्वी को वहां कोई भाव नजर नहीं आया, ऐसी अवस्था में अपनी उलझन को छुपाने की खातिर बोला—“मुझे अकेले को श्रेय दिया जाना गलत होगा सर—फोर्स, कमिश्नर साहब और आपके कमांडोज का सहयोग अगर मेरे साथ न होता तो किसी हालत में इतनी बड़ी सफलता की कल्पना नहीं की जा सकती थी।”
“सबसे ज्यादा श्रेय हम ब्लैक स्टार की कसम को देना चाहेंगे।”
“ज-जी?” तेजस्वी के संपूर्ण जिस्म में चींटियां रेंगने लगीं।
“हालांकि हम प्रतापगढ़ में थे नहीं मगर पल-पल की जो रिपोर्ट मिलती रही है उसके आधार पर हमारी पक्की धारणा है कि अगर ब्लैक स्टार ने तुम्हें अपने हाथ से सजा देने की मूर्खतापूर्ण कसम न खाई होती तो आज स्थिति उल्टी होती।”
शांडियाल को जाने क्यों ठक्कर की बात पसंद नहीं आई, चेहरे पर नागवारी के भाव लिए कहते चले गए—“महत्त्चपूर्ण ‘श्रेय’ नहीं ‘परिणाम’ है और परिणाम ये है कि हफ्ता भर पहले जो प्रतापगढ़ मुकम्मल तौर पर ब्लैक फोर्स के चंगुल में माना जाता था, आज उसी प्रतापगढ़ में चिराग लेकर ढूंढने पर भी ब्लैक फोर्स का नुमाइंदा नजर नहीं आएगा। थारूपल्ला तक मारा जा चुका है और काली बस्ती का संपर्क प्रतापगढ़ से ही नहीं बल्कि शेष सारी दुनिया से टूट चुका है।”
“इसमें कोई शक नहीं है सर।” मीटिंग में मौजूद नंबर वन ने कहा—“हम लोगों के सामने सबसे बड़ी समस्या काली बस्ती और वहां के हिंसक लोग थे—न उन्हें प्यार से समझाया जा सकता था और ताकत के बूते पर कुचल डालने के बारे में तो सोचना ही बेवकूफी थी—भले ही प्रतापगढ़ को हमने चाहे जितना ब्लैक फोर्स से मुक्त कर दिया था मगर काली बस्ती वाले किसी भी क्षण यहां हिंसक हमला कर सकते थे और मेरा दावा है, इस समस्या का जो निदान इंस्पेक्टर तेजस्वी ने सोचा, उसके अलावा दूसरा कोई निदान था ही नहीं।”
“निदान केवल सोचा ही नहीं गया बल्कि उसे कार्यान्वित भी किया गया सर।” नंबर टू ने कहा—“झावेरी का एक किलोमीटर लंबा एकमात्र पुल ध्वस्त हो जाने के कारण काली बस्ती के हिंसक लोग अब चाहकर भी प्रतापगढ़ में नहीं घुस सकते—बस्ती के एक तरफ झावेरी है और तीन तरफ ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों की अनंत चली गई ऐसी श्रृंखला जिन्हें पार करने की कल्पना कोई मानव नहीं कर सकता—स्पष्ट है, झावेरी का एकमात्र पुल ध्वस्त करके काली बस्ती को वहां के हिंसक लोगों के लिए एक ऐसी जेल में तब्दील कर दिया गया है जिससे चींटी तक बाहरी मदद के बगैर बाहर नहीं निकल सकती।”
नंबर थ्री चीखा—“केवल थारूपल्ला था जो अपने हैलीकॉप्टर के जरिए न केवल काली बस्ती की सीमा को लांघ सकता था बल्कि अपने साथ कुछ और लोगों को भी बाहर ला सकता था, मगर उसका इंतजाम भी योजना में पहले ही कर लिया गया था—अपनी जान खतरे में डालकर इंस्पेक्टर तेजस्वी ने न केवल काली बस्ती वालों को नेतृत्चविहीन कर दिया, बल्कि उनका एकमात्र हैलीकॉप्टर भी इस वक्त हमारे कब्जे में है।”
“मेरे ख्याल से माननीय चिरंजीव कुमार के प्रतापगढ़ में आगमन हेतु इससे अधिक आदर्श स्थिति नहीं बन सकती थी।” कंधे पर बंधी पट्टी को सहलाते नंबर फोर ने कहा—“न आज यहां ब्लैक फोर्स का अस्तित्व है, न ही ट्रिपल जैड का, बल्कि मैं तो ये कहूंगा कि चिरंजीव कुमार बगैर किसी सुरक्षा-व्यवस्था के चुनाव-प्रचार कर सकते हैं।”
“तो फिर ठीक है।” ठक्कर कह उठा—“चिरंजीव कुमार यहां कल आ रहे हैं—स्पेशल गार्ड्स तो उनके साथ होंगे ही, मगर याद रहे, सुरक्षा-व्यवस्था में हमें भी किसी किस्म की ढील नहीं आने देनी है।”
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“आइए सर।” जेल की कोठरी में दाखिल होते जेलर और कमिश्नर शांडियाल पर नजर पड़ते ही जुंगजू बने देशरेाज ने कहा—“मैं आप ही लोगों का इंतजार कर रहा था।”
“ब्लैक फोर्स का कोई मैसेज मिला?”
“मैसेज ऐसा है जिसे पढ़कर आप लोगों की बुद्धि चकरा जाएगी।”
“मतलब?”
“खुद पढ़ लीजिए।” कहने के साथ उसने जेब से एक पर्ची निकालकर उन्हें पकड़ा दी, बोला—“जब से मुझे ये पर्ची मिली है, तब से दिमाग भन्नाया हुआ है।”
“ऐसा क्या लिखा है इसमें?” जेलर ने पूछा
“आप ही पढ़ लीजिए।”
जेलर भी उस पर्ची पर झुक गया जो इस वक्त कमिश्नर साहब के हाथ में थी और इसमें कोई शक नहीं कि जो कुछ उसमें लिखा था, उसे पढ़कर जेलर का ही नहीं कमिश्नर साहब तक का दिमाग अंतरिक्ष में परवाज करने लगा था—उस एकमात्र वाक्य को दोनों ने बार-बार पढ़ा, लिखा था—
‘कल रात एक बजे तुम्हें खुद जेलर जेल से निकाल कर ले जाएगा।’
“म-मैं-मैं?” जेलर के हलक से चीख निकल गई—“मैं निकालकर ले जाऊंगा।”
“लिखा तो इसमें यही है।” कमिश्नर साहब ने कहा।
“बकवास!” जेलर लगभग दहाड़ उठा—“कोरी बकवास है ये—मैं अपने बच्चों की कसम खाकर कहता हूं, मेरा उनसे कोई संबंध नहीं है।”
“तो इस पर्ची का मतलब क्या हुआ?”
“म-मेरी समझ में तो एक ही मतलब आता है।” जेलर बुरी तरह बौखलाया हुआ था—“किसी तरह से उन पर हमारी साजिश का भेद खुल गया है और अब इस तरह वे मुझे आप लोगों की नजरों में संदिग्ध बना देना चाहते हैं।”
“अगर उन्होंने ऐसा सोचा है तो ये उनकी बेवकूफी है जेलर साहब!” कमिश्नर ने कहा—“क्योंकि हम बिना वजह आप पर कोई संदेह करने वाले नहीं हैं—दूसरे, इस बात की भी दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं है कि उन्हें हमारी साजिश के बारे में पता लग गया होगा।”
“तो फिर क्या मतलब है इस पर्ची का?”
“दूसरी तरफ वे झूठी अर्थात ऐसी पर्ची भी जुंगजू के पास नहीं भेज सकते जिस पर अमल न होता हो—यानि जो लिखा है, वह होगा भी।”
“जो सवाल आप लोगों को उलझाए हुए हैं वे उसी क्षण से मेरे दिमाग में घुमड़ रहे हैं जब से यह पर्ची मुझे मिली।” बेबस आवाज से पता लग पा रहा था कि कहने वाला जुंगजू नहीं देशराज है—“बहुत दिमाग घुमाने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि शायद ब्लैक फोर्स के लोग आपको यह काम करने के लिए मजबूर करने वाले हैं।”
“म-मतलब?” एक साथ दोनों के मुंह से निकला।
“संभव है कि वे आपको दबाव में लें।”
“कैसा दबाव?”
“वक्त से पहले उसकी कल्पना नहीं की जा सकती।”
“गुड!” कमिश्नर साहब कह उठे—“एकमात्र इसी विचार पर यह पर्ची फिट बैठती है, निश्चित रूप से उनके दिमाग में आपको फंसाने की कोई योजना है।”
“मगर क्या?”
“उसमें दिमाग खपाने की जगह अगर हम यह फैसला करें तो ज्यादा बेहतर होगा कि वे जो भी दबाव डालें, थोड़ी बहुत आनाकानी के बाद आप उसे स्वीकार कर लें और वह करते चले जाएं जो वे कहें।”
“ल-लेकिन आखिर वे मुझ पर क्या दबाव डाल सकते हैं?” जेलर चकराया हुआ भी था और घबराया हुआ भी।
“इसकी कल्पना वक्त से पहले की जानी नामुमकिन है।” कमिश्नर साहब कहते चले गए—“और वक्त का तकाजा ये है कि उन्हें आप पर वह दबाव डालने का पूरा अवसर दिया जाए जो वे डालना चाहते हैं।”
“अर्थात?”
“नििश्चंत रूप से वे लोग कल रात एक बजे से पहले आपसे संपर्क स्थापित करेंगे—आप वह सब करते चले जाएं जो वे कहें।”
“और यदि न करें तो?”
“रात के ठीक एक बजे हमें जेल रोड पर मिलिए।” कमिश्नर ने कहा—“लेकिन पैदल आइएगा, क्योंकि उस सड़क पर हमारे वाहन की मौजूदगी उन्हें बहुत कुछ सोचने पर विवश कर सकती है—हम भी पैदल पहुंचेंगे, अगर आप न पहुंचे तो हम समझ जाएंगे कि उन्होंने संपर्क स्थापित किया है और आप उनके दबाव में हैं।”
जेलर की समझ में कुछ नहीं आ रहा था।
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