RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
चिरंजीव कुमार आ चुके थे।
सभा शांति के साथ चल रही थी।
एस.डी. कॉलिज के लंबे-चौड़े मैदान के चारों तरफ दूर-दूर तक उस लोकप्रिय नेता की प्रभावशाली आवाज गूंज रही थी—मैदान तो खैर खचाखच भरा हुआ था ही, सबसे आश्चर्यजनक बात ये थी कि इतनी भीड़ के बावजूद किसी तरफ शोरगुल न था।
आवाज गूंज रही थी तो केवल चिरंजीव कुमार की।
लोग तन्मय और एकाग्रचित्त होकर उस गोरे-चिट्टे, लम्बे और आकर्षक नेता के एक-एक शब्द को ध्यानपूर्वक सुन रहे थे जिसकी उम्र चालीस के लपेटे में थी—इस वक्त वह ब्लैक फोर्स के खिलाफ और प्रदेश को देश की मुख्य धारा से जोड़ने के विषय में बोल रहा था।
मंच की सीढ़ियों के नजदीक खड़े तेजस्वी के दिमाग में कई बार शांडियाल के नजदीक जाकर उनसे चंद बातें करने का विचार उभर चुका था—वे मुश्किल से तीस कदम दूर वी.आई.पी. लॉबी में अकेले खड़े थे—भला इस बात को तेजस्वी से बेहतर कौन जान सकता था कि कम-से-कम इस सभा में कोई गड़बड़ी होने वाली नहीं है, अतः अंततः वह लम्बे-लम्बे कदमों के साथ शांडियाल की तरफ बढ़ ही गया, नजदीक पहुंचकर बोला—“सब कुछ ठीक चल रहा है सर!”
“ये माहौल बनाने में तुम्हारा बहुत योगदान है तेजस्वी।” बातें काफी धीमे स्वर में हो रही थीं—“अगर तुमने प्रतापगढ़ को भयमुक्त न किया होता तो …”
“मैं बेहद खुशनसीब हूं सर, जो आपसे इतनी प्रशंसा पाता हूं मगर …”
“मगर?”
“आज सुबह की मीटिंग में मेरे दिल पर आघात लगा—ऐसा आघात कि खुद से घृणा सी हो रही है—दिल में रह-रहकर कई बार ख्याल उभरा कि मैंने जो मेहनत की, क्या वह सब व्यर्थ गई?”
“कैसी बात कर रहे हो तेजस्वी?”
“दिल की बात आपसे न कहूं तो किससे कहूं सर?”
“क्या कहना चाहते हो?”
“ठक्कर साहब तो खैर गैर हैं—जो काम आज यहां कर रहे हैं, तीन दिन बाद वही काम कहीं और कर रहे होंगे अर्थात् उनसे कोई शिकायत भी हो तो क्यों—दुःख इस बात का है कि आपको भी मुझ पर विश्वास नहीं।”
“गलत ढंग से सोच रहे हो तुम!” शांडियाल ने उसके कंधे पर हाथ रखा—“पर्दा तुमसे नहीं रखा गया बल्कि कुम्बारप्पा, चिदम्बरम और भारद्वाज के उदाहरणों के कारण हमारे और ठक्कर के बीच सूत्र का जिक्र मीटिंग में न करने की रणनीति बनी, मीटिंग में तुम अकेले तो नहीं थे।”
“जो लोग मीटिंग में थे उनसे अलग मुझे समझा ही कहां गया?”
“नहीं … नहीं … ऐसी बातें मत सोचो तेजस्वी—कम-से-कम हमारी नजरों में तुम सबसे अलग हो—हम ठक्कर पर शक कर सकते हैं मगर तुम पर नहीं।”
“अफसोस तो यही है सर कि गैर की बातों में आकर आपने भी मुझ पर विश्वास न किया।”
“तुम्हें ऐसा वाहियात ख्याल अपने दिमाग में नहीं लाना चाहिए, सुनो।” शांडियाल का स्वर और धीमा होकर थोड़ा रहस्यमय हो उठा—“जो इन्फॉरमेशन्स हमारे पास हैं, वे ठक्कर की किसी कारगुजारी के कारण नहीं, बल्कि हमारी अपनी ‘एफर्ट्स’ के कारण हैं—ठक्कर का तो केवल इतना दखल रहा कि जाने कैसे जेल रोड पर प्रकट होकर कम्बख्त ने हमें अपनी योजना ओपन करने पर विवश कर दिया।”
“मैं समझा नहीं सर!”
और वह शांडियाल का तेजस्वी पर अटूट विश्वास ही था जिसके वशीभूत वे उसे देशराज के जुंगजू बनने का सारा वृत्तांत बेहिचक बताते चले गए—उन्हें उस वक्त स्वप्न तक में गुमान न था कि वे देशराज की मौत के वारंट पर हस्ताक्षर कर रहे हैं—सुनते ही तेजस्वी की खोपड़ी झनझनाकर रह गई, शांडियाल के चुप होने पर बोला—“ये सारा किस्सा सुनने के बाद मुझे सबसे बड़ी खुशी इसी बात की है कि देशराज जैसे शख्स के मन में मुल्क के लिए कुछ कर गुजरने की ललक पैदा हुई—ललक भी ऐसी वेगपूर्ण कि खुद की खूबसूरती तक नष्ट कर डाली उसने—अगर सच्चाई कही जाए तो उसका बलिदान मेरी मेहनत से कई गुना ज्यादा महान है—मैं उसे शत्-शत् प्रणाम ही नहीं करता बल्कि ऊपर वाले से दुआ करता हूं वह अपने मिशन में कामयाब हो।
“अब तो उसी की कामयाबी पर हम सबकी कामयाबी टिकी है तेजस्वी।”
अब तेजस्वी को शांडियाल और ठक्कर के बीच अविश्वास की खाई खोदनी थी, अतः एक-एक शब्द को नाप-तोलकर कहना शुरू किया—“जान खतरे में डाल रहे हैं तो उधर देशराज, इधर मैं—दिमाग भिड़ाकर स्कीम बना रहे हैं आप—और मीटिंग में जिस तरह ठक्कर साहब बोलते हैं उससे लगता है, जैसे जो कर रही है—केन्द्रीय कमांडो दस्ते की टीम कर रही है।”
“खाक किया है उन्होंने! हमारी मेहनत का श्रेय खुद लूट रहे हैं।”
“और ऊपर से बार-बार स्थानीय पुलिस को उल्टा-सीधा भी कहते रहते हैं।”
“हम पर रत्ती भर विश्वास करने को तैयार नहीं है पट्ठा!” शांडियाल के दिल में भरी आग आखिर फूट ही पड़ी—“बताकर नहीं दिया कि जेल रोड कैसे पहुंचा?”
“वह किसी पर विश्वास नहीं करता।”
“फिर भी, वह सीधा केन्द्र से जुड़ा है तेजस्वी—चाहे तो हमें काफी नुकसान पहुंचा सकता है—जो बातें यहां हुईं , वे केवल हमारे और तुम्हारे बीच रहनी चाहिएं—मीटिंग में या किसी भी मौके पर तुम अपने मुंह से ऐसी कोई बात नहीं निकालोगे जिससे उसे अहसास हो कि तुम देशराज के बारे में कुछ जानते हो।”
खुद तेजस्वी भी तो यही चाहता था, बोला—“आप कैसी बात कर रहे हैं सर, क्या वो काइयां शख्स मेरे लिए आपसे ज्यादा हो सकता है—जो मीटिंग में आपकी कामयाबियों को अपनी बताकर पेश करता है और आप तक पर विश्वास नहीं करता?”
शांडियाल ने कुछ कहने के लिए मुंह खोला ही था कि सारा मैदान तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा—चारों तरफ से शोर-गुल उठने लगा—हर दिशा से ‘चिरंजीव कुमार … जिंदाबाद’ के नारों की आवाज आ रही थी।
चिरंजीव कुमार मीटिंग समाप्त कर चुके थे, तेजस्वी दौड़ता हुआ सीढ़ियों के नजदीक पहुंचा।
जिस्म से भले ही अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद नजर आ रहा हो, लेकिन पाठक समझ सकते हैं कि वास्तव में उसका दिमाग इस वक्त कहां भटक रहा होगा?
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रिस्टवॉच से बहुत बारीक आवाज निकल रही थी—“व्हाइट स्टार स्पीकिंग सर।”
“बोलो!” ब्लैक स्टार ने अपने विशिष्ट स्वर में कहा।
“अंतिम सभा से पांच मिनट पूर्व!”
“प्लान?”
“पांच बजे बताऊंगा।”
“ओ.के.।”
“उससे पहले जुंगजू का निशाना अच्छी तरह चैक कर लें।” ये चंद शब्द कहने के बाद दूसरी तरफ से संबंधविच्छेद कर दिया गया, परंतु ब्लैक स्टार के जहन में हथौड़े से बज रहे थे।
आंखें सिकुड़कर गोल हो गईं।
तेजस्वी के एक-एक शब्द को याद कर रहा था वह—लग रहा था, तेजस्वी जुंगजू के निशाने को नहीं, खुद जुंगजू को चैक करने के निर्देश दे रहा था—जुंगजू के निशाने को चैक करने वाली बात उसने कही ही क्यों?
वह भी अब?
कहता तो पहले कहता!
क्या निशाने के बारे में उसे कोई ख्वाब चमका है?
ब्लैक स्टार को लगा, निश्चित रूप से तेजस्वी जुंगजू को चैक करने के लिए कह रहा था—जरूर उसे कोई नई इन्फॉरमेशन मिली है और फिर … आज ही ‘एक्शन’ कर डालने वाली भी कोई बात न थी।
ब्लैक स्टार एक झटके से उठकर खड़ा हो गया।
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बाथरूम का दरवाजा अंदर से बंद करने के बाद देशराज ने अपने बाएं बूट की खोखली एड़ी से एक ट्रांसमीटर निकाला—संपर्क स्थापित करने के बाद बोला—“देशराज हीयर सर … देशराज हीयर।”
“बोलो देशराज।” आवाज शांडियाल की थी।
“अंतिम सभा-स्थल पर सभा से केवल पांच मिनट पूर्व का समय चुना गया है।”
“इतनी जल्दी?”
“ऐसा ही आदेश हुआ।”
“योजना के मुताबिक तुम्हारा मददगार कहां होगा?”
“शाम पांच बजे पता लगेगा।”
“ओह!”
“ल-लेकिन अब मैं पांच बजने का इंतजार नहीं करना चाहता।”
“क्यों?”
“आपके इस ‘क्यों’ का जवाब मेरे पास नहीं है—रह-रह कर मेरे दिलो-दिमाग में यह विचार उठ रहा है कि अब मुझे पहला मौका मिलते ही ब्लैक स्टार को शूट कर देना चाहिए—मैंने खुद, खुद से कई बार यह सवाल किया है—वक्त से पहले ब्लैक स्टार को मार डालने का यह ख्याल बार-बार मेरे दिमाग में क्यों कौंध रहा है—मगर जवाब नहीं मिल पा रहा!”
“क्या तुम्हारे पास उसे खत्म कर डालने के पूरे अवसर हैं?”
“पूरे से भी ज्यादा, वह ठीक उसी तरह मेरे इर्द-गिर्द रहता है जैसे आप रहते थे—कुछ देर बाद हम लंच-टेबल पर एक साथ होंगे—रिवॉल्वर मेरी जेब में है ही—निश्चित रूप से मैं एक ही गोली में उसका काम-तमाम कर सकता हूं—हालांकि जैसा आप और मैं, दोनों जानते हैं कि मेरी इस हरकत के बाद ब्लैक फोर्स के लोगों की अनगिनत गोलियां मेरे जिस्म में धंस जाएंगी—मगर मेरा दावा है, आत्मा पहले उसका जिस्म छोड़ेगी।”
“उसे समय से पूर्व मारकर हम कुछ खोएंगे ही—पा नहीं पाएंगे—संपूर्ण कामयाबी ये होगी कि उधर तुम ब्लैक स्टार को खत्म करो, इधर हम उसे, जिसे चिरंजीव कुमार की हत्या में तुम्हारी मदद करने का दायित्व सौंपा गया है—बल्कि यह भी पता लगाने की चेष्टा करो कि व्हाइट स्टार क्या बला है?”
“ओ.के. सर … ओ.के.!” कहने के साथ देशराज ने संबंधविच्छेद कर दिया।
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