RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
बंद दरवाजे पर दस्तक हुई।
गुलजारा के पहलू में पड़ा रंगनाथन उछल पड़ा।
चौंकी गुलजारा भी थी परंतु उसके सांवले चेहरे पर घबराहट का कोई भाव न था जबकि रंगनाथन के चेहरे पर चिंता की लकीरें स्पष्ट नजर आ रही थीं, फुसफुसाया—“जल्दी देख कौन है?”
गुलजारा हौले से खिलखिलाई—तीखे नाक-नक्श एवं बड़ी-बड़ी आंखों वाली गुलजारा देखने मात्र से ‘प्यासी’ नजर आती थी, बोली—“जब से तेरी तरक्की हुई है, पता नहीं तू इतना क्यों डरने लगा?”
“समझने की कोशिश कर, ब्लैक स्टार को मेरे यहां आने-जाने का पता लग गया तो …।”
वाक्य अधूरा रह गया।
दस्तक पुनः उभरी थी।
इस बार रंगनाथन ने उसे कोहनी मार कर देखने का इशारा किया—गुलजारा उठी, अस्त-व्यस्त कपड़े एवं बालों को दुरुस्त किया और आगे बढ़कर दरवाजा खोल दिया—वहां खड़े व्यक्ति के जिस्म पर मौजूद पुलिस की वर्दी को देखकर वह थोड़ी हड़बड़ा गई—“हवलदार, क्या बात है?”
“मुझे रंगनाथन से मिलना है, कह कि पांडुराम आया है।”
“र-रंगनाथन!” गुलजारा ने आह भरी—“अब वह निर्दयी यहां कहां आता है, जब से मेजर बना है …।”
“उड़ने की कोशिश मत कर।” पांडुराम ने ठीक वही रुख अपनाया जो ठक्कर ने समझाया था—“वह इस वक्त अंदर है—मैंने अपनी आंखों से उसे तेरे फ्लैट में घुसते देखा है।”
गुलजारा ने पुनः कुछ कहने के लिए मुंह खोला ही था कि अंदर से रंगनाथन की आवाज उभरी—“आने दे गुलजारा, आने दे—इतनी समझ तो तुझे होनी चाहिए कि मैं ब्लैक स्टार के भेदियों से डरता हूं, पुलिस के कुत्तों से नहीं।”
गुलजारा दरवाजे के बीच से हट गई।
पांडुराम ने अंदर कदम रखा।
सारे जिस्म को लिहाफ में छुपाए रंगनाथन उठा और पलंग की पुश्त से पीठ टिकाकर बैठ गया—उसका केवल चेहरा लिहाफ से बाहर था—पांडुराम समझ सकता था कि इस वक्त वह नंगा भी हो सकता है—उसे घूरते से रंगनाथन ने पूछा—“क्या बात है, तेरे पेट में क्या ‘ऐंठन’ हुई कि मुंह उठाये यहां चला आया?”
“ये लिफाफा ब्लैक स्टार के पास पहुंचाना है।” पांडुराम ने जेब से एक लिफाफा निकाल लिया।
“क्या है इसमें?”
“एक ऐसी जानकारी जो यदि फौरन उनके पास न पहुंची तो उनके जीवन का वह सबसे बड़ा काम बिगड़ जाएगा जिसे वे तेजस्वी के जरिए पूरा करने का मंसूबा बनाए हुए हैं।”
“क्या बक रहा है, मेरी समझ में कुछ नहीं आया।”
“मुझे मालूम था तेरी समझ में नहीं आएगा।”
“फिर …।”
“वे शब्द बोलना जो मैंने कहे हैं—वे समझ जाएंगे—जो कसर रह जाएगी उसे यह लिफाफा पूरी कर देगा—लिफाफा देखने के बाद शायद वे तुझसे कहें ‘पांडुराम को पकड़कर मेरे पास लाओ’ यह सुनकर तू डरना नहीं, उन्हें नहीं बताना कि ये मैंने तुझे यहां दिया था।” कहने के बाद पांडुराम लिफाफे को पलंग पर डालकर मुड़ा और दरवाजे की तरफ बढ़ गया।
“ठहर!” रंगनाथन गुर्राया।
वह ठिठका, मुड़ा।
“तुझे कैसे पता लगा मैं यहां मिलूंगा?”
“पुरानी शराब को भला कोई छोड़ता है?” ये शब्द पांडुराम ने गुलजारा की तरफ देखकर कुछ ऐसे अंदाज में कहे कि गुलजारा खिलखिलाकर हंस पड़ी जबकि रंगनाथन गुर्राया—“तूने यह कैसे सोच लिया कि ब्लैक स्टार तेरे जैसे दो कौड़ी के हवलदार से मिलेंगे?”
“आदमी की अहमियत उसके ओहदे से नहीं बल्कि मुट्ठी में कैद जानकारी से होती है—यह लिफाफा उन्हें संकेत दे देगा कि मेरे पास उनके जबरदस्त फायदे की जानकारी है—तब शायद वे मिलना चाहें और हां, लिफाफे को खोलने की कोशिश मत करना—शायद उन्हें तेरी यह गुस्ताखी पसंद न आए।” कहने के बाद वह मुड़ा और बाहर निकल गया।
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तेजस्वी के जिस्म पर इस वक्त काली पैंट, काली शर्ट, काले जूते और सबके ऊपर गोताखोरी का लिबास था—पीठ पर ऑक्सीजन-सिलेण्डर नजर आ रहा था और उससे जुड़े पाइप का सिरा नाक एवं मुंह पर।
पानी से भरी सुरंग में वह ठीक वहां तैर रहा था जहां से विचित्र कार को कुंदे में फंसाकर ऊपर उठाया गया था—उसके सिर पर मौजूद हैट में एक शक्तिशाली टॉर्च फिक्स थी।
टॉर्च की रोशनी उसके सिर के साथ घूमकर आंखों के सामने फैल जाती।
हर तरफ से नििश्चंत वह टेप की मदद से डायनामाइट से भरी प्लास्टिक की नली को उस दीवार पर चिपकाने में मग्न था जिसके दूसरी तरफ उसके हिसाब से जीना और वह सुरंग थी जहां ‘मारुति एक हजार’ खड़ी थी।
उसे एक घंटा लगा।
दीवार पर डायनामाइटयुक्त नली का जाल-सा बना नजर आने लगा—सारी गुफा में तैर-तैरकर उसने हर कोण से ‘जाल’ को देखा—संतुष्ट होने के बाद एयर बैग संभाला और वापसी हेतु गुफा में तैर गया।
शीघ्र ही नदी में पहुंचा।
नदी पार की।
झाड़ियों में छिपी एक ऐसी कार में कपड़े चेंज किए जिसमें मुख्यमंत्री के होने की कल्पना तक कोई नहीं कर सकता था—गोताखोरी का लिबास आदि नदी के हवाले करने के बाद जब वह वहां से चला तो कार के डैश बोर्ड पर फिक्स घड़ी रात के तीन बजने का ऐलान कर रही थी।
तेजस्वी बाकायदा होंठों को सिकोड़कर सीटी बजाने लगा।
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“ऐसा आपने उसमें क्या लिख दिया है सर, जो बार-बार इतने विश्वास के साथ कहे जा रहे हैं कि एक बार वह लिफाफा ब्लैक स्टार तक पहुंच जाए और उसमें रखे पत्र को पढ़ ले—उसके बाद वह खुद मुझसे मिलने के लिए बेचैन हो उठेगा?”
“हमने उसमें तुम्हारे नाम से एक छोटा-सा पत्र लिखकर रखा है।”
“कैसा पत्र?”
“लिखा है—केन्द्र सरकार यमनिस्तान की घोषणा होने से पहले तेजस्वी को कत्ल करने की योजना बना चुकी है—ठक्कर के नेतृत्व में पूरा एक दल इस मिशन पर प्रदेश में आ चुका है—मुझे उनकी योजना और ठिकाने की मुकम्मल जानकारी है और मैं इस जानकारी को बेचकर हमेशा के लिए यह देश छोड़ देने का ख्वाहिशमंद हूं।”
“इसमें ऐसा क्या है जिसे पढ़ते ही ब्लैक स्टार …!”
“यह बात मुझे किसी व्यक्ति ने नहीं बल्कि मेरे अनुभव ने बताई है कि ब्लैक स्टार और तेजस्वी मिलकर इस प्रदेश को देश से अलग करने के षड्यंत्र पर काम कर रहे हैं—अगर मेरा अनुमान ठीक है तो ये बात भी पक्की है कि उनके इस षड्यंत्र के बारे में किसी तीसरे व्यक्ति को कोई भनक नहीं होगी, इस अवस्था में जब वह तुम्हारे पत्र के जरिए यह जानेगा कि तुम प्लान के बारे में जानते हो तो यह जानने के लिए पागल हो उठेगा कि इस रहस्य को तुम जानते कैसे हो? लिहाजा तुम्हें बुलाएगा।”
“अगर आपका अनुमान गलत हुआ?” पांडुराम ने पूछा—“यानी उसके और तेजस्वी के बीच प्रदेश को अलग करने के स्थान पर कोई दूसरी खिचड़ी पक रही हुई तो?”
“हालांकि अनुमान गलत होने की उम्मीद न के बराबर है—केवल डिस्कशन के लिए मान लेते हैं कि ऐसा है—तब पत्र को पढ़कर उसके दिमाग में यह बात आएगी कि पुलिस कोई षड्यंत्र रचना चाहती है—षड्यंत्र क्या है, यह जानने के लिए उसे तुमसे मिलने की जरूरत पड़ेगी।”
“यानि दोनों स्थितियों में मुझे रंगनाथन के साथ जंगल में जाना होगा?”
“शायद!”
“मगर उससे होगा क्या, जंगल में जाकर भी मैं उसका क्या बिगाड़ पाऊंगा?”
ठक्कर ने जवाब नहीं दिया—ध्यान से पांडुराम के चेहरे को केवल देखता रहा—जैसे जांच रहा हो कि जो काम वह इस शख्स से लेना चाहता है उसे करने के लिए तैयार भी होगा या नहीं?
“ऐसे क्या देख रहे हो साब?” पांडुराम थोड़ा सकपका गया।
“सोच रहा हूं तुम ये काम कर पाओगे या नहीं?”
“कौन-सा काम साब?”
“ब्लैक स्टार को खत्म करने का।”
“यही तो पूछ रहा था, वहां मैं क्या कर पाऊंगा?”
ठक्कर ने एक-एक शब्द पर जोर देते हुए कहा—“जिस तरीके से चिरंजीव कुमार की हत्या की गई थी, उससे मुझे यह इल्म हुआ कि अगर आदमी का बच्चा खुद मरने के लिए तैयार हो जाए तो कहीं भी कुछ भी कर सकता है।”
“क-क्या कहना चाहते हो साब?” पांडुराम की आवाज में हल्का सा कम्पन्न उत्पन्न हो गया।
“मीटिंग के दरम्यान मैंने तुम्हारे अंदर देश के प्रति जो ललक देखी, वह वही थी जो कभी देशराज में महसूस की थी—देश को तोड़ने वालों को खत्म करने का हमने तुम्हारे अंदर एक जुनून देखा था—कहा भी था कि सबके दिलों में ऐसा ही जुनून होना चाहिए—यह सब देखने के बाद मैंने तुम्हें अपने साथ इस मिशन में लगाने का फैसला किया था।”
“ल-लेकिन क्या जरूरी है कि खुद मरकर भी ब्लैक स्टार को मारा जा सके?”
ठक्कर ने अपनी पैंट खोली—पैंट पर बंधी एक चौड़ी बैल्ट की तरफ इशारा करके बोला—“यह ठीक वैसी बैल्ट है जैसी के बूते पर तेजस्वी की बीवी ने फार्म हाउस की चारदीवारी के अंदर वह विस्फोट किया जिसने इस देश से उसका बेटा छीन लिया—बैल्ट के पीछे लगा एक बटन दबाने मात्र से ऐसा धमाका होगा जो पांच फुट की परिधि में मौजूद हर शख्स के परखच्चे उड़ा देगा।”
“ओह!” पांडुराम के हलक से केवल यही एक शब्द निकल सका।
“मैं तुम्हारे चेहरे पर छा गये पीलेपन को देख सकता हूं पांडुराम।” उसे ध्यान से देख रहे ठक्कर ने कहा—“ठीक भी है दोस्त, हर कोई देशराज की तरह मरने के लिए तैयार नहीं हो सकता है—एक दूसरा काम तो कर सकते हो तुम?”
“क्या?”
“जब ब्लैक स्टार पूछे कि जो कुछ तुमने पत्र में लिखा है वह कहां से पता लगा तो कह देना ‘गोंजालो’ से।”
“कौन गोंजालो?”
“वह मैं होऊंगा।”
“समझा नहीं साब!”
ठक्कर ने जेब से एक फेसमास्क निकाला, उसे दिखाता हुआ बोला—“जिस तरह नंबर फाइव लुक्का बना हुआ था, उसी तरह मैं गोंजालो बनूंगा—जब वह गोंजालो का पता पूछे तो तुम उसे एक एड्रेस बता देना—कहना, तुम्हें इससे ज्यादा कुछ नहीं मालूम कि वह फलां जगह रहता है।”
“उसके बाद क्या होगा?”
“रहस्य की तह तक पहुंचने के लिए वह मुझे किडनेप कराकर जंगल में मंगाने के लिए मजबूर हो जाएगा।”
“उसके बाद?”
“उसे नजदीक पाते ही मैं बैल्ट के पीछे लगा बटन दबा दूंगा।”
“नहीं साब!” पांडुराम भावुक हो उठा—“आपकी जान बहुत कीमती है, उस राष्ट्रद्रोही को खत्म करने के लिए इतनी कीमती जान की आहुति नहीं दी जानी चाहिए।”
“देश से ज्यादा कीमती किसी की जान नहीं होती पांडुराम—अगर वह मुल्क के टुकड़े करने में कामयाब हो गया तो मेरे जैसे लाखों लोगों की कीमती जानों को देश क्या रखकर चाटेगा?”
“मैं ऐसा हरगिज नहीं होने दूंगा।”
“क्या मतलब?”
“बैल्ट मुझे दीजिए साब, ये आपके नहीं मुझ जैसे छोटे आदमी के पेट पर ज्यादा जंचेगी।”
“प-पांडुराम!” ठक्कर जैसे शख्स की आवाज कांप गई।
मगर पांडुराम की आवाज बिल्कुल नहीं कांप रही थी, कहता चला गया वह—“ये हवलदार आपसे वादा करता है साब, अपनी मौत के खौफ से जरा भी नहीं डरूंगा—चीचड़ी की तरह उस हरामी के जिस्म से चिपटकर बटन दबा दूंगा—बस, आपसे एक इल्तिजा है—मेरी पत्नी से कहना, पांडुराम देश के लिए ज्यादा-से-ज्यादा जो कुछ कर सकता था, कर गया—यह सुनकर उसने मुझे बहुत धिक्कारा था कि मैं खौफ के कारण ब्लैक फोर्स के लिए काम करता था।”
ठक्कर उसके भीतर छुपे जुनून को साफ देख रहा था।
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